टिटहरी के बच्चे कैसे होते हैं? - titaharee ke bachche kaise hote hain?

कमल किशोर कुंभकार

आस-पास

टिटहरी के बच्चे कैसे होते हैं? - titaharee ke bachche kaise hote hain?
मैं एक विद्यालय में कार्यरत हूं। जीव-विज्ञान में गहरी रुचि के कारण आस-पास की घटनाओं का अवलोकन करना मेरी आदत में शामिल है। मेरे विद्यालय में खेतों से सटा हुआ एक विशाल मैदान है, जहां सुबह-शाम तरह-तरह के पक्षी घूमते रहते हैं। एक ओर जहां इनके कलरव से आनंद मिलता है वहीं सूक्ष्म अवलोकनों से नई-नई जानकारियां भी मिलती हैं। अवलोकन का ऐसा ही एक वाकिया यहां बताना चाहता हूं। इसमें मैंने लगभग एक माह तक टिटहरी के अंडों और बच्चों का अवलोकन किया।

स्कूली मैदान के एक कोने पर खेत की बागड़ है। एक दिन सुबह-सुबह घूमते हुए मैं इस कोने तक जा पहुंचा। इस कोने के पास पिछले कुछ दिनों से टिटहरी अक्सर दिखाई दे जाती थी। मेरे उस कोने के आस-पास पहुंचते ही टिटहरी ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी। मैंने उसकी चिल्ला-चोट को नज़रअंदाज़ कर दिया। थोड़ी देर बाद दो-तीन टिटहरी आकर मेरे इर्द-गिर्द मंडराने लगीं। इस अप्रत्याशित व्यवहार से मेरे होश फाख्ता हो गए और मैं उल्टे पांव भागा। यह सब देखकर विद्यालय के चौकीदार ने बताया कि मैं टिटहरी के अंडों तक पहुंच गया था, इसलिए ये सब हुआ।

टिटहरी के अंडे! लेकिन वहां तो मुझे अंडे दिखाई भी नहीं दिए थे। इतना जानने के बाद मेरे अंदर का शोधार्थी जाग उठा, मैं अपना कैमरा लेकर चौकीदार के साथ टिटहरी से बचते-बचाते अंडों तक पहुंचा। शुरुआत में तो ज़मीन पर पड़े अंडे मुझे दिखे ही नहीं और दिखाई भी दिए तो ऐसे कि ज़मीन, सरकंडे और अंडे तीनों आपस में घुल मिल गए थे। थोड़ी देर बाद तीन अंडे दिखाई दिए।
मैंने जीव-विज्ञान में पढ़ रखा था कि कई जीव खुद को दुश्मनों की निगाह से बचाए रखने के लिए अपने शरीर का रंग आस-पास के परिवेश से मिला लेते हैं। लेकिन क्या अंडों पर भी यही बात लागू होती है? मेरी जिज्ञासा बढ़ रही थी। मैंने तय किया कि इन अंडों का कुछ दिनों तक अवलोकन किया जाए।

टिटहरी के बच्चे कैसे होते हैं? - titaharee ke bachche kaise hote hain?
मैंने लगभग तीन हफ्तों तक अंडों और टिटहरी पर नज़र रखी और एक दिन मैंने देखा कि दो अंडों में से तो बच्चे निकल आए हैं जो बचे एक अंडे के साथ दुबककर बैठे थे। मैं समझ गया कि ये नए मेहमान अभी उड़ नहीं पाते हैं।

इसके कुछ दिन बाद मुझे एक टिटहरी के पीछे चहल-कदमी करते तीन बच्चे दिखाई दिए, जो अभी भी उड़ नहीं पा रहे थे। मैं उन्हें काफी पास से देखना चाहता था। लेकिन जैसे ही मैं थोड़ा करीब पहुंचा, टिटहरी उड़कर दूर बैठ गई और बच्चे भी गायब। मुझे समझ नहीं आया कि इतने छोटे बच्चे जो ठीक से चल भी नहीं पाते थे आखिर गए तो कहां गए। ऐसा लगभग तीन बार हुआ।

टिटहरी के बच्चे कैसे होते हैं? - titaharee ke bachche kaise hote hain?
मैंने चौथी बार टिटहरी की बजाय बच्चों पर नज़र रखी और धीरे-धीरे उनकी ओर बढ़ा। पहले की तरह ही टिटहरी उड़कर दूर बैठ गई और तीनों बच्चे अपनी-अपनी जगह दुबक कर बैठ गए। पर वे मेरी नज़र से बच नहीं पाए थे। उनको देखने से ऐसा लगा कि वे किसी पत्थर या मिट्टी के टुकड़े हों। एक बच्चा मिट्टी में छुपकर मिट्टी जैसा हो गया, दूसरा गाजर घास और सरकंडों के बीच अपने को छुपा गया। तीसरा और भी चालाक निकला जो बहुत खोज-बीन करने पर दिखा जो एक बेर की झाड़ी के पास मिट्टी का ढेला बनकर मुझे धोखा देने में सफल हो गया था।
अपनी पढ़ाई के दौरान मैंने जंतु-व्यवहार एवं मिमिक्री के बारे में पढ़ा था कि विभिन्न जीव-जंतु अपनी रक्षा के लिए मिट्टी, कीट, पत्ते, इत्यादि की नकल करते हैं। ऐसी ही दसियों रोचक बातें पढ़ने को मिलती हैं,परंतु किसी भी घटना के प्रत्यक्ष अवलोकन का आनंद कितना रोमांचकारी होता है यह टिटहरी के बच्चों की लुका-छिपी के बाद ही जान पाया।


कमल किशोर कुंभकार: उज्जैन में पढ़ाते हैं। विज्ञान लेखन में रुचि।

टिटहरी
Sandpiper
टिटहरी के बच्चे कैसे होते हैं? - titaharee ke bachche kaise hote hain?
डनलिन (कैलिड्रिस अलपीना)
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: जंतु
संघ: रज्जुकी (Chordata)
वर्ग: पक्षी (Aves)
गण: करैड्रिफोर्मीस (Charadriiformes)
उपगण: स्कोलोपसी (Scolopaci)
कुल: स्कोलोपसिडाए (Scolopacidae)
राफिनेस्क, 1815
वंश
  • (Bartramia)
  • (Numenius)
  • (Limosa)
  • (Arenaria)
  • (Prosobonia)
  • (Calidris)
  • (Limnodromus)
  • (Scolopax)
  • (Coenocorypha)
  • (Lymnocryptes)
  • (Gallinago)
  • (Xenus)
  • (Phalaropus)
  • ऐक्टाइटिस (Actitis)
  • ट्रिंगा (Tringa)

टिटहरी (अंग्रेज़ी:Sandpiper, संस्कृत : टिट्टिभ) मध्यम आकार के जलचर पक्षी होते हैं, जिनका सिर गोल, गर्दन व चोंच छोटी और पैर लंबे होते हैं। जीववैज्ञानिक रूप से इसकी जातियाँ स्कोलोपसिडाए (Scolopacidae) नामक कुल में संगठित हैं। यह प्राय: जलाशयों के समीप रहती है। इसे कुररी भी कहते हैं। नर अपनी मादा को हवाई करतबों से रिझाता है, जिनमें उड़ान के बीच में द्रुत चढ़ाव, पलटे और चक्कर होते है। यह तेज़ चक्करों, हिचकोलों और लुढ़कन भरी उड़ान है, जिसमें कुछ अंतराल पर पंख फड़फड़ाने की ऊंची दूर तक सुनाई देती है। ये धरती पर मामूली सा खोदकर अथवा थोड़े से कंकरों और बालू से घिरे गढ्डे में घोंसला बनाते हैं। इनका प्रजनन बरसात के समय मार्च से अगस्त के दौरान होता है। ये सामान्यत: दो से पांच नाशपाती के आकार के (पृष्ठभूमि से बिल्कुल मिलते-जुलते, पत्थर के रंग के हल्के पीले पर स्लेटी-भूरे, गहरे भूरे या बैंगनी धब्बों वाले) अंडे देती हैं। और यह पेड़ पर नही बैठते है।[1]

वर्गीकरण[संपादित करें]

टिटहरी के बच्चे कैसे होते हैं? - titaharee ke bachche kaise hote hain?

Sandpipers, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के रोबक खाड़ी में गैर प्रजनन के मौसम के दौरान टिटहरियाँ

टिटहरी का एक बृहद परिवार है विश्व में। इस बड़े परिवार को अक्सर कई पक्षियों के समूहों में विभाजित किया जाता रहा है। इन समूह आवश्यक रूप से एक ही जाति में शामिल नहीं है, अपितु वे अलग मोनोफाईलेटिक विकासवादी प्रजातियों और सम्मोहों में वर्गीकृत है।[2]यहाँ उसके कई रूपों को प्रस्तुत किया जा रहा है :

  • कर्लीयुज

जीनस न्यूमेनियस (8 प्रजाति, जो 1-2 हाल ही में विलुप्त)

  • अपलैंड सैंडपाइपर

जीनस बर्ट्रमिया (मोनोटाईपीक)

  • गोड्विट्स

जीनस लिमोसा (4 प्रजाति)

  • डोविचर्स

जीनस लिम्नोड्रोमस (3 प्रजाति)

  • स्नाईप और वूडकोक्स

पीढ़ी और एस्कोलोपैक्स (लगभग 30 प्रजातियों के अलावा कुछ 6 विलुप्त)

  • फलारोप्स

जीनस फलारोप्स (3 प्रजाति)

  • शंक्स और टट्टलर्स

जनेरा, जीनस, एक्टिटिस और त्रिंगा अब काइटोप्ट्रोफोरस तथा हेटरोसेल्स (16 प्रजातियों) भी शामिल है जो

  • पॉलिनेशियन साइंड्पाईपर

जीनस प्रोसीओबेनिया (1 वर्तमान प्रजातियों, 3-5 विलुप्त)

  • काइलिदृड्स और टर्नस्टोन्स

ज्यादातर कई पीढ़ियों में विभाजित किया जा सकता है जो कैलिड्रिस में लगभग 25 प्रजातियों. वर्तमान में स्वीकार अन्य पीढ़ी : एरेनारिया टर्नस्टोन्स -2 के अलावा, अफरिजा, यूरिनोर्हिंचास, लिमिकोला, त्रिंगिट्स और फिलोमेचस हैं।[3]

इसी प्रकार दक्षिण एशिया में नौ प्रकार की टिटहरियाँ पायी जाती है :

  • सफ़ेद पूंछ वाली, झूंड में रहने वाली,
  • धूसर रंग के सिर वाली, लाल गलचर्म,
  • श्रीलंकाई लाल गलचर्म वाली,
  • बर्मा की लाल गलचर्म,
  • उभरे हुये पंख वाली
  • उत्तरी इलाके की टिटहरी, जिसे पीविट या हरी चिड़िया भी कहते हैं।

लाल और पीले गलचर्म वाली टिटहरी काफी आम है और बहुतायात में पायी जाती है। लाल गलचर्म वाली टिटहरी की आँखों के आगे लाल मांसल तह होती है, जबकि पीले रंग की टिटहरी की आँखों के सामने चमकीले पीले रंग की मांसल तह और काली टोपी होती है। मादा टिटहरियों का कद नर की तुलना मे छोटा और रंग फीका होता है।

प्रवृतियाँ[संपादित करें]

टिटहरी के बच्चे कैसे होते हैं? - titaharee ke bachche kaise hote hain?

चार अंडों के साथ टिटहरी का घोसला

टिटहरियाँ बाहरी आक्रमण के प्रति निरंतर सजग रहती हैं और ख़तरा भांपते ही शोर मचाती हैं। लाल गलचर्म वाली टिटहरी का शोर सबसे अधिक तेज़ व वेधक होता है। टिटहरियाँ आक्रांता पर झपट पड़ती हैं और विशेष तौर पर घोंसला क़रीब होने पर उनके चारों तरफ उत्तेजित होकर चक्कर लगाती हैं। नवजातों को शिकारियों की नज़र से बचाने के लिए छद्म आवरण में रखा जाता है। किसी भी शिकारी के आने पर माता-पिता चूज़ों को मरने का स्वांग करने का संकेत देते हैं। यही तकनीक लोमड़ी जैसे अन्य पशु भी अपनाते हैं। उभरे हुए पंखों वाली टिटहरी के मगरमच्छ के खुले जबड़े के भीतर प्रवेश करने के प्रसंग विवादास्पद हैं, लेकिन हो सकता है कि ये मगर के दांतों और मसूड़ों से जोंक निकालती हों, लेकिन इन्हें कभी भी मुंह के भीतर घुसते हुए नहीं देखा गया है और मगरमच्छ के जबड़ों के पास या भीतर झुका हुआ कम ही पाया गया है। ये चीख़ मारकर मगरमच्छ को शिकारी के आगमन से आगाह करती है। दलदल और खुले मैदानों के लुप्त होने, चूजों, अंडों को खाए जाने, शिकारी व जाल में फंसाने तथा कीटनाशकों व प्रदूषण के कारण टिटहरी विलुप्तप्राय प्रजाति बन गई है। टिटहरी के पर्यावास को बचाने के लिए और अन्य जलपक्षियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रेखाकिंत करने के लिए संरक्षणवादी प्रयास कर रहे हैं। इसके बारे मे सबसे रोचक बात ये हे की ये कभी भी पेड़ पर नहीं बैठती हे

निवास स्थान[संपादित करें]

टिटहरियाँ पानी और खेतों के आसपास खुले और सूखे समतल इलाकों, ताजे पानी की दलदल, झीलों के दलदली किनारों, जुते खेतों तथा रेतीले या कंकरीले नदी के तटों में भी पाई जाती हैं। पीले गलचर्म वाली और झुंड में रहने वाली टिटहरियाँ शुष्क आवास पसंद करती हैं, जबकि लाल गलचर्म वाली टिटहरियाँ पानी से निकटता और उभरे पंख वाली टिटहरी या तटीय टिटहरी, जलासिक्त क्षेत्र में ही रहती है। इस श्रेणी के जलचर पक्षियों के शारीर और पैर लम्बे, एवं पंख संकीर्ण होते हैं। अधिकांश प्रजातियों के चोंच संकीर्ण होते है, लेकिन उनके आकार और लम्बाई में काफी विविधता होती है।

सफ़ेद पूंछ वाली टिटहरी (प्रजनन बलूचिस्तान में), झुंड में रहने वाली व धूसर सिर वाली और यूरोप तथा मध्य एशिया की उत्तरी टिटहरी शीत ॠतु में प्रवास के लिए दक्षिण एशिया में आती हैं, जबकि अन्य टिटहरियाँ यहीं की मूल निवासी हैं। वर्गीकरण विशेषज्ञ उभरे हुए पंख की टिटहरी को तेज़ दौड़ लगाने वालों की श्रेणी में रखते हैं।

भोजन[संपादित करें]

भोजन की तलाश में टिटहरियाँ छोटी-छोटी दौड़ भरती हैं, रुककर, सीधी खड़ी हो जाती हैं और फिर झुककर शिकार चोंच में ले जाती हैं, इनकी उड़ान तेज़, शक्तिशाली, सीधी और सधी हुई होती है। इनके भोजन में मोलस्क, कीड़े कृमियों और अन्य छोटे रीढ़हीन जंतुओं के साथ-साथ नरम कीचड़ से बनी हुई वनस्पतियाँ भी होती हैं।[4]

वीथिका[संपादित करें]

  • टिटहरी के बच्चे कैसे होते हैं? - titaharee ke bachche kaise hote hain?

    बाल खड़े-जॉघ से युक्त कुरलेव ( न्यूमेनियस तेहीटेंटीस, दाएं) और लाल टर्नस्टोन्स ( एरेनारिया इटरप्रेस)

  • टिटहरी के बच्चे कैसे होते हैं? - titaharee ke bachche kaise hote hain?

    कॉमन स्निप (गल्लीनागो)

  • टिटहरी के बच्चे कैसे होते हैं? - titaharee ke bachche kaise hote hain?

    ग्रीन शंक (त्रिंगा नेबुलारिया)

  • टिटहरी के बच्चे कैसे होते हैं? - titaharee ke bachche kaise hote hain?

    पृनिंग मेल रूफ (फिलोमेचस पग्नक्स)

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • तटपक्षी
  • करैड्रिफोर्मीस

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • टिटिहरी मीडिया इंटरनेट बर्ड संग्रह पर

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Harrison, Colin J.O. (1991). Forshaw, Joseph (संपा॰). Encyclopaedia of Animals: Birds. London: Merehurst Press. पपृ॰ 103–105. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1-85391-186-0.
  2. थॉमस, गेवीन एच.; विल्स, मैथ्यू ए ; सीजेकेली, टॉमस (2004). "A supertree approach to shorebird phylogeny(फाइलोजेनी पक्षी : एक दृष्टिकोण)". BMC journals. 4: 28. PMC 515296. PMID 15329156. डीओआइ:10.1186/1471-2148-4-28. सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  3. अलेक्ज़ेंडर वट्मोर (1937). "The Eared Grebe and other Birds from the Pliocene of Kansas(हिन्दी अनुवाद: कान ग्रेब और कान्सास के प्लिओसीन से अन्य पक्षी)" (PDF). Condor (journal). 39 (1): 40. मूल से 18 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 3 अगस्त 2013.
  4. [भारत ज्ञानकोश, प्रकाशक: पापयुलर प्रकाशन, मुंबई, खंड : 2, पृष्ठ संख्या : 295, आई एस बी एन 81-7154-993-4]

टिटहरी घर में आने से क्या होता है?

ऐसी मान्यता है कि टिटहरी जिस दिन पेड़ पर या किसी के घर में अचानक से रहने लगे तो कही से भूकंप आने के संकेत मिलते हैं। क्योंकि टिटहरी हमेशा जमीन पर ही रहती है। और जमीन पर ही अपने अंडे देती है। इनका घर में अचानक बैठना अच्छा संकेत नहीं होता है।

टिटहरी का बोलना क्या संकेत देता है?

कहते हैं कि जब टिटहरी झुंड गोल घेरे में चक्कर लगाते हुए आवाज करता है तब किसी दुखद घटना का संदेश होता है।

टिटहरी क्यों बोलती है?

टिटहरी बाहरी आक्रमणों के प्रति अत्यंत सजग रहने वाली चिड़िया होती है। जो खतरा महसूस होते ही तीव्र ध्वनि के साथ शोर मचाती है। टिटहरी की आवाज तेज और वेधक होती हैं। मातृत्व शक्ति और निडरता से भरी है मनमौजी चिड़िया एक ऐसा अनोखा पक्षी है जो उड़ता कम है और अपना अधिकांश समय जमीन पर बिताता है।

टिटहरी अपने बच्चों की रक्षा कैसे करती है?

पहले की तरह ही टिटहरी उड़कर दूर बैठ गई और तीनों बच्चे अपनी-अपनी जगह दुबक कर बैठ गए। पर वे मेरी नज़र से बच नहीं पाए थे। उनको देखने से ऐसा लगा कि वे किसी पत्थर या मिट्टी के टुकड़े हों। एक बच्चा मिट्टी में छुपकर मिट्टी जैसा हो गया, दूसरा गाजर घास और सरकंडों के बीच अपने को छुपा गया।

टिटहरी के अंडे में से बच्चे कितने दिन में निकलते हैं?

20-21 दिनों में पूरी होती है प्रॉसेस... अंडे के अंदर शुरुआत में पीले रंग की जर्दी लिक्विड में मौजूद होती है, जो कुछ दिनों में धीरे-धीरे लाल रंग में बदलते जाती है। यही जर्दी आगे जाकर चूजे का रूप लेती है और फिर 21 वें दिन अंडे के अंदर से चूजे बाहर निकलते हैं

टटीरी क्या है?

टिटहरी (अंग्रेज़ी:Sandpiper, संस्कृत : टिट्टिभ) मध्यम आकार के जलचर पक्षी होते हैं, जिनका सिर गोल, गर्दन व चोंच छोटी और पैर लंबे होते हैं। जीववैज्ञानिक रूप से इसकी जातियाँ स्कोलोपसिडाए (Scolopacidae) नामक कुल में संगठित हैं। यह प्राय: जलाशयों के समीप रहती है।