हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं? Show
प्रेमचंद के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ - 619 Views नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए - व्यंग्य-यहाँ पर जूते का आशय समृद्धि से है तथा टोपी मान, मर्यादा तथा इज्जत का प्रतीक है। वैसे तो इज्जत का महत्त्व सम्पत्ति से अधिक हैं। परन्तु आज समाज के समृद्ध एवं प्रतिष्ठित लोग अपने सामर्थ्य के बल अनेक टोपियाँ (सम्मानित एवं गुणी व्यक्तियों) को अपने जूते पर झुकने को विवश कर देते हैं। 467 Views सही कथन के सामने (✓) का निशान लगाइए अथवा सही उत्तर लिखिए: लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए। (✓) 302 Views नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए- प्रेमचंद ने सामाजिक बुराइयों को अपनाना तो दूर उनकी तरफ देखा भी नहीं। प्रेमचंद गलत वस्तु या व्यक्ति को हाथ से नहीं पैर से ही सम्बोधित करना उचित समझते है। अर्थात लेखक गलत वस्तु या व्यक्ति को इस लायक नहीं समझते थे कि उनके लिए अपने हाथ का प्रयोग करके हाथ के महत्व को कम करें। 366 Views नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए -तुम परदे का महत्व नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं।यहाँ परदे का सम्बन्ध इज़्जत से है। जहाँ कुछ लोग इज़्ज़त को अपना सर्वस्व मानते हैं तथा उस पर अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार रहते हैं, वहीं दूसरी ओर समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए इज़्ज़त महत्वहीन है। 732 Views तुम पर्दे का महत्व ही नहीं जानते हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं उपरोक्त पंक्ति में कौन पर्दे का महत्व जानता है?तुम परदे का महत्व नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं। यहाँ परदे का सम्बन्ध इज़्जत से है। जहाँ कुछ लोग इज़्ज़त को अपना सर्वस्व मानते हैं तथा उस पर अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार रहते हैं, वहीं दूसरी ओर समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए इज़्ज़त महत्वहीन है।
हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?'तुम पर्दे का महत्व ही नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं, इन पंक्तियों में निहित व्यंग्य इस प्रकार है कि पर्दे के संबंध में लोगों का अलग-अलग महत्व है। कुछ लोग परदे को इज्जत मान-मर्यादा से जोड़ते हैं और इज्जत मान-मर्यादा को अपना सर्वस्व मानते हैं।
पर्दे पर कौन कुर्बान हो रहा है?(ख) तुम परदे का महत्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं। (ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो? उत्तर: (क) व्यंग्य-जूते का स्थान पाँवों में अर्थात् नीचे है यह सामर्थ्य अथवा ताकत का प्रतीक माना जाता है।
पर्दे का क्या महत्व है?पर्दे से अभिप्राय है किसी चीज़ को ढकना। हम पर्दे के पीछे अपनी सभी जिम्मेदारियों, कमजोरियों और बुराइयों को ढक लेते हैं। लेखक भी पर्दे को अपनी कमज़ोरी छिपाने का एक अच्छा साधन मानता है। इसलिए लेखक अपने तले से फटे जूते को प्रेरचंद के आगे से फटे जूते से अच्छा मानता है।
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