तुलसी की माला को सिद्ध कैसे करें? - tulasee kee maala ko siddh kaise karen?

  • तुलसी की माला को सिद्ध कैसे करें? - tulasee kee maala ko siddh kaise karen?

    माला जप के फायदे अनगिनत

    माला एक साधन है और साधना के लिए साधन की आवश्यकता होती है। बिना साधन के साधना प्रारंभ भी नहीं होती है। माला जप का धार्मिक महत्‍व के साथ स्‍वास्‍थ्‍य लाभ भी है। जप करते वक्‍त माला हाथ में रहने से ध्यान भटकता कम है इसलिए गुरुदेव अपने शिष्य को माला हाथ में लेकर ही जप करने के लिए कहते हैं। पर जैसे-जैसे जप हृदय में रमता रहता है हर सांस के साथ जप होता रहता है तब गिनने की आवश्यकता नहीं रहती और माला की आवश्यकता भी ख़त्म हो जाती है। साथ ही अलग-अलग माला का अलग उपयोग होता है। माला की अपनी उपयोगिताएं भी हैं जैसे मध्यमा उंगली और अंगूठे से माला जपने से मस्तिष्क की तरंगे क्रियान्वित होती हैं। आइए जानते हैं माला जप के अन्‍य लाभ…

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    तुलसी की माला

    तुलसी की माला से मन में वैराग्य की भावना बनती है
    । गृहस्‍थ लोगों को तुलसी की माला से जप नहीं करना चाहिए। पद्मपुराण-में कहा गया है कि तुलसी की माला गले में धारण करके भोजन करने से अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है। तुलसी माला गले में धारण करके स्नान करने से समस्त तीर्थों के स्नान का फल मिलता है। मृत्यु के समय यदि तुलसी कि माला गले में हो तो साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। तुलसी की माला से भगवान विष्णु, श्री कृष्ण की उपासना, करने का विधान बताया गया है।

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    रुद्राक्ष माला

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    कमलगट्टे की माला और लाल चन्दन की माला

    कमलगट्टे की माला और लाल चंदन की माला से लक्ष्मीजी और दुर्गाजी की उपासना करने का उत्तम विधान कहा गया है। लाल चन्दन की माला से जप करने से भोगों की प्राप्ति होती है। वहीं कमलगट्टे की माला से मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होती हैं और धन प्राप्ति का मार्ग खुलता है।

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    स्फटिक की माला

हिंदू संस्कृति में एक पवित्र संयत्र है तुलसी माला। विष्णु प्रिया तुलसी जीव का परम कल्याण करने वाली है। जिस मनुष्य के कंठ में तुलसी होती है,

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हिंदू संस्कृति में एक पवित्र संयत्र है तुलसी माला। विष्णु प्रिया तुलसी जीव का परम कल्याण करने वाली है। जिस मनुष्य के कंठ में तुलसी होती है, वह यम की त्रास नहीं पाते। ऐसे जीव विष्णु के लोक को प्राप्त होते हैं। जन्म मरण के चक्कर से छूट जाते हैं और अंतत: मोक्ष को प्राप्त होते हैं।

तुलसी कंठ में धारण करते हुए स्नान करने वाले मनुष्य को संपूर्ण तीर्थों का फल प्राप्त होता है। जिस प्रकार सौभाग्यवती नारी का परम शृंगार है कुमकुम, मंगलसूत्र इत्यादि। यदि नारी की मांग में कुमकुम व गले में मंगलसूत्र होता है, तो वह उसके सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, उसी प्रकार माथे पर तिलक और कंठ में तुलसी कंठी माला, विष्णु भक्तों के सौभाग्य, समर्पण व सान्निध्य के प्रतीक हैं। जो मनुष्य भगवान विष्णु के प्रति समर्पण कर उनकी शरण ग्रहण कर उन्हीं को अपना सर्वस्व मानता है, वह तुलसी कंठी अवश्य धारण करता है। जिस तन पर तुलसी माला होती है वह भगवान का भोग हो जाता है। भगवान उसे सहजता से स्वीकार करते हैं।

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तुलसी धारण के नियम:
विष्णु भगवान में आस्था रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को तुलसी माला अवश्य धारण करनी चाहिए। लेकिन तुलसी की कंठी को धारण करने वाले व्यक्ति को कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:

तुलसी माला धारण करने वाले मनुष्य को सात्विक भोजन करना चाहिए अर्थात प्याज, लहसुन, मांसाहार का त्याग करना चाहिए। प्याज, लहसुन और मांसाहार से काम उत्तेजना को बढ़ावा मिलता है, इसलिए यह निषेध है। क्योंकि यह भक्ति में बाधा उत्पन्न करता है।

किसी भी स्थिति अथवा परिस्थिति में तुलसी की माला को तन से अलग नहीं करना चाहिए।

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चारों प्रकार के आश्रमों में निवास करने वाले मनुष्य ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, संन्यासी अथवा वानप्रस्थ चारों ही आश्रम के मनुष्य इसे सरलता व सुगमता से धारण कर सकते हैं।

परिवार में जन्म अथवा मृत्यु के समय में भी तुलसी माला का त्याग नहीं करना चाहिए अर्थात इसे अपनी देह से अलग नहीं करना चाहिए।

ध्यान दें कि मनुष्य जब मृत्यु शैया पर होता है तो अंत समय में उसके मुख में भी तुलसी दल और गंगाजल डाला जाता है। इसी प्रकार जब कंठ में तुलसी की माला धारण की हुई होती है तो वह परम कल्याणकारी होती है।

तुलसी की माला को सिद्ध कैसे करें? - tulasee kee maala ko siddh kaise karen?

तुलसी माला की पहचान:
तुलसी माला को पानी में 30 मिनट भिगोकर रख दें। यदि वह रंग छोड़ने लगे तो माला नकली है।

वैज्ञानिक दृष्टि से भी तुलसी में अनेकों प्रकार के औषधीय गुण विद्यमान हैं।

तुलसी एक उत्कृष्ट रसायन है यह अनेकों प्रकार के रोगों से मुक्ति देता है।

तुलसी माला धारण करने वाले मनुष्यों को रक्त विकार, वायु ज्वर, खांसी आदि दोषों से निवारण होता है। हृदय रोग, कैंसर, त्वचा के रोग वात, पित्त व हड्डियों के रोगों से निदान में सहायक होती है।

तुलसी माला धारण करने से चर्म रोग और मनोरोग में लाभ होता है। बुद्धि एकाग्र होती है मन में सात्विकता, आत्मबल व सकारात्मक ऊर्जा का भाव बढ़ता है।

आइए जानते हैं कि आखिर विष्णु भक्तों के लिए तुलसी कंठी माला धारण करना अति आवश्यक क्यों है:
पौराणिक कथाओं के अनुसार श्री हरि विष्णु ने तुलसी को यह वरदान दिया कि मैं केवल तुम्हारे द्वारा सुशोभित भोग को ही ग्रहण करूंगा। इसीलिए जिस भोग में तुलसी दल अॢपत किया जाता है, नारायण भगवान केवल उसी भोग को ग्रहण करते हैं। ठीक उसी प्रकार  जिस विष्णु भक्त के कंठ में तुलसी कंठी माला धारण की होती है, भगवान उस मनुष्य  को सहजता व सुगमता से स्वीकार करते हैं। अपनी शरण में लेते हैं तथा अंतत: अपने लोक में सुंदर स्थान प्रदान करते हैं। तुलसी विहीन भोजन व तुलसी विहीन मनुष्य का भगवान विष्णु त्याग कर देते हैं। यही कारण है कि विष्णु भक्तों का परम श्रेष्ठ अलंकार है तुलसी कंठी माला।

कंठ में तुलसी धारण करने से प्रत्येक क्षण भगवान को तुलसी दल अर्पण करने का फल प्राप्त होता है।

तुलसी के नियम ही सात्विकता की ओर बढ़ने वाले कदम हैं जिससे सच्चा कल्याण होता है।

तुलसी की माला को सिद्ध कैसे करें? - tulasee kee maala ko siddh kaise karen?

नमो: तुलसी कल्याणी नमो: विष्णुप्रिये शुभ्रे।
नमो: मोक्षप्रदे देवी नमो: संपत् प्रदायिनी।।

तुलसी प्रत्येक प्रकार के वास्तुदोष को समाप्त करती है तथा सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है ।

तुलसी वायु प्रदूषण को रोकने में सहायक है इसलिए अधिक से अधिक तुलसी रोपण करनी चाहिए। जिस आंगन में तुलसी सिंचित होती है वहां सदैव नारायण का वास रहता है। -साध्वी कमल वैष्णव

तुलसी की माला को कैसे सिद्ध करें?

तुलसी की माला को पहनने से पहले गंगाजल से धो लेना चाहिए और सूखने के बाद धारण करना चाहिए..
इस माला को धारण करने वाले लोग रोजाना जाप करना होता हैं. इससे भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती हैं..
तुलसी माला पहनने वाले व्यक्ति को सात्विक भोजन करना चाहिए. ... .
किसी भी स्थिति परिस्थिति में तुलसी की माला को शरीर से अलग नहीं करना चाहिए.

माला कैसे सिद्ध की जाती है?

अब आप जिस माला का संस्कार करने जा रहे हो उसको दाएं हाथ से ढक ले और निम्न चैतन्य मंत्र बोलते हुए ऐसी भावना करे कि यह माला पूर्ण चैतन्य व शक्ति संपन्न हो रही है। मंत्र : ॐ ह्रौं जूं सः आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं ह्रौं ॐ हं क्षं सोहं हंसः ह्रीं ॐ आं ह्रीं क्रों अस्य मालाम प्राणा इह प्राणाः।

तुलसी की माला से कौन सा जप करना चाहिए?

मान्यता है कि भगवान विष्णु की साधना हमेशा तुलसी की माला के साथ ही करनी चाहिए. बता दें कि विष्णु जी को तुलसी बेहद प्रिय है, इसलिए श्री हरि या उनके अवतार भगवान श्री राम या श्री कृण्ण की उपासना तुलसी की माला से की जाए, तो ये अत्यंत शुभ फल दायी होती है.

तुलसी की माला पहनने के क्या नियम है?

तुलसी कंठी माला पहनने वालों को कुछ बातों का खास ख्याल रखना होता है. मान्यता है कि जो इंसान इस माला को धारण करते हैं उन्हें मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए. यही नहीं तुलसी माला धारण करने वालों को लहसुन-प्याज भी नहीं खाना चाहिए. ऐसा इसलिए लहसुन-प्याज और मांसाहारी व्यंजनों को तामसिक माना गया है.