शनि देव को क्या पसंद नहीं है? - shani dev ko kya pasand nahin hai?

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Shani Dev Puja: शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काला कपड़ा, काला तिल, काले चने, काली उड़द या लोहे का समान चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि शनि देव को काली वस्तुएं ही पसंद हैं ,इसलिए उनकी पूजा में विशेषतौर पर काली वस्तुओं का ही प्रयोग होता है या काली वस्तुओं का ही दान किया जाता है, जबकि शनि देव भगवान सूर्य के पुत्र हैं, जो स्वयं श्वेत रूप हैं और सारे संसार को प्रकाशित करते हैं परन्तु उनके पुत्र शनि देव को काली वस्तुएं ही प्रिय हैं। दरअसल इसका एक कारण स्वयं सूर्य देव भी हैं। आइए जानते हैं उस पौराणिक कथा के बारे में, जो बताती है कि क्यों शनि देव को काली वस्तुएं पसंद हैं।

शनिदेव के जन्म की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव का विवाह दक्ष प्रजापति की पुत्री संध्या से हुआ था, जिनसे उन्हें मनु, यमराज तथा यमुना नामक संतानें प्राप्त हुईं परंतु देवी संध्या सूर्य देव के तेज को सहन नहीं कर पाती थीं, इसलिए उन्होनें अपनी जगह अपनी प्रतिरूप छाया को रख दिया और स्वयं पिता के घर चली गईं। देवी छाया रूप और गुण में संध्या का प्रतिरूप थीं, जिस कारण सूर्य देव को इस बात का पता नहीं चला परंतु शनि देव के जन्म के समय छाया देवी भगवान शिव का कठोर तप कर रही थीं, जिस कारण अपनी गर्भावस्था का भी सही से ध्यान नहीं रख पा रही थीं। इसी कारण शनि देव जन्म के समय ही अत्यंत काले तथा कुपोषित पैदा हुए। काला पुत्र होने के कारण सूर्य देव ने उन्हें अपनी संतान मानने से इंकार कर दिया परंतु ये बात शनि देव को बहुत बुरी लगी।

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सूर्य देव का पश्चाताप

मां के गर्भ में ही शनि देव को भगवान शिव की शक्ति प्राप्त हो गयी थी, अतः उनके क्रोध से देखने पर सूर्य देव स्वयं भी काले पड़ गए तथा उन्हें कुष्ठ रोग हो गया। सूर्य देव ने भगवान शिव से क्षमा याचना की और अपनी गलती स्वीकार की तथा शनि देव को सभी ग्रहों में सबसे शक्तिशाली होने का वरदान दिया। अपने स्वयं के काले रंग का होने के कारण और काले रंग की उपेक्षा के कारण शनि देव को काला रंग अत्यंत प्रिय है। उनके पूजन में काली वस्तुओं जैसे काले तिल, काला चना तथा लोहे का ही प्रयोग होता है।

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डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

शनिवार का दिन भगवान शनिदेव को समर्पित होता है। शनिदेव को शांत करने के लिए शनिवार का दिन अतिउत्तम माना जाता है। शनि हमारे जीवन में अच्छे कर्म का पुरस्कार और बुरे कर्म के दंड देने वाले हैं। सभी दुःखों एवं परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए शनिवार के दिन उपवास रखना चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि शनिवार को तेल नहीं खरीदना चाहिए। साथ ही इस दिन कई काम करना अशुभ माना गया है। कहा जाता है इससे शनि देव नाराज हो सकते हैं। शनिदेव रुष्ट हो जाएं तो वह मतिभ्रमित कर देते हैं। ऐसे में इस दिन शनि को क्रोधित करने जैसी गलती भूलकर भी ना करें।

नई दिल्ली. वैदिक ज्योतिष के अनुसार किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शनि ग्रह बली हो तो व्यक्ति को इसके सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं. आपको बता दें कि तुला राशि में शनि उच्च के होते है. यहां शनि के उच्च होने से मतलब उसके बलवान होने से है. इस दौरान यह जातकों को कर्मठ, कर्मशील और न्यायप्रिय बनाते हैं.

इसके साथ ही इसके प्रभाव से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है. यह व्यक्ति को धैर्यवान भी बनाते हैं. अगर कुंडली में शनि देव उच्च के या सकारात्मक स्थित हों तो व्यक्ति निरोगी रहता है और उसकी आयु पूर्ण होती है. क्योंकि शनि देव को आयु प्रदाता भी कहा जाता है.

शनि देव को क्या पसंद नहीं है?
मंगल और शनि दोनों ग्रहों का स्वभाव क्रोध है. कहते हैं कि शनिवार को मसूर दाल खाने से व्यक्ति के क्रोध में बढ़ोतरी हो सकती है. कहते हैं कि शनिदेव शीतल पदार्थों को पसंद करते हैं. शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति पाना चाहते हैं शनिवार को लाल मिर्च का सेवन नहीं करना चाहिए.

शनिदेव की प्रिय वस्तु
शनिदेव के लिए सरसों के तेल का दान काफी अच्छा माना जाता है. अगर शनि की वजह से आपको कोई काम अटका हुआ है या जीवन में सफलता नहीं मिल पा रही है तो सरसों के तेल का दान जरूर करना चाहिए. शनिवार की सुबह लोहे के बर्तन में सरसों का तेल लें और उसमें एक रुपए का सिक्का भी डालें.

शनि देव की सबसे प्रिय राशि
मकर राशि शनिदेव की प्रिय राशि होती है। मकर राशि के लोग काफी मेहनती और उत्साही स्वभाव के होते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)

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    शनि देव को कौन सा फल पसंद है?

    कहा जाता है कि शनिदेव को आक के फूल बेहद प्रिय हैं.

    शनि देव को क्या प्रिय है?

    शनि देव को सरसों का तेल अति प्रिय है. शनि की महादशा चल रही हो तो शनिवार के दिन सरसों के तेल का दान और दिनचर्या में भी इसका उपयोग करें. इस दिन सरसों के तेल लोहे के पात्र में लें और उसमें एक रुपए का सिक्का डाल दें.

    आपको कैसे पता चलेगा कि शनि अशुभ है या शुभ?

    माथे पर कालिमा छाने लगे शनि जब आप पर भारी होता है बहुत से लोगों के माथे का रंग बदलने लगता है। माथे का तेज धीरे-धीरे खत्म होने लगता है और ललाट पर कालापन नजर आने लगता है। ऐसे व्यक्ति को हर कार्य संभलकर करना चाहिए क्योंकि उन पर कलंक लगने का भय रहता है।

    शनिवार के दिन क्या क्या नहीं करना चाहिए?

    ये कार्य न करें :.
    शनिवार को शराब पीना सबसे घातक माना गया है। ... .
    पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में यात्रा करना मना है। ... .
    लड़की को शनिवार के दिन ससुराल नहीं भेजना चाहिए।.
    शनिवार के दिन तेल, लकड़ी, कोयला, नमक, लोहा या लोहे की वस्तु क्रय करके नहीं लानी चाहिए वर्ना बिना बात की बाधा उत्पन्न होगी और अचानक कष्ट झेलना पड़ेगा।.

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