शुगर में मछली खाने से क्या होता है? - shugar mein machhalee khaane se kya hota hai?

टाइप 2 डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है. इसमें शरीर इंसुलिन प्रतिरोध हो जाता है यानी शरीर इंसुलिन का उपयोग उस तरह से नहीं कर पाता है, जिस तरह से करना चाहिए. टाइप 2 डायबिटीज सिर्फ ब्लड शुगर से संबंधित नहीं होता है. यह शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ाने के साथ ही कई जटिलताओं को भी बढ़ा सकता है. टाइप 2 डायबिटीज हृदय रोग, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर के जोखिम को काफी हद तक बढ़ाता है. इसलिए, टाइप 2 डायबिटीज को कंट्रोल में रखना जरूरी होता है. इसके लिए डॉक्टर दवाइयां, हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव करने की सलाह देते हैं. वहीं, शुगर, कार्ब्स और हाई कैलोरी से परहेज करने को कहा जाता है. ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल आता है कि टाइप 2 डायबिटीज में मछली खा सकते हैं या नहीं.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि डायबिटीज के मरीज को मछली का सेवन करना चाहिए या नहीं -

(और पढ़ें - डायबिटीज में क्या खाना चाहिए)

मछली एक स्वास्थ्य वर्धक भोजन है. मछली सेचुरेटेड फैट प्रोटीन, विटामिन और ओमेगा-3 फैटी एसिड का एक बहुत अच्छा स्रोत भी है. इसको भोजन के रुप में शामिल करने से शरीर को विटामिन, मिनरल और कई प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं, जिनकी हमारे शरीर को जरुरत होती है. इसके अलावा मछली खाने से कई बीमारियों में भी फायदा होता है. मछली ब्लड प्रेशर के मरीज के लिए बहुत ही फायदेमंद है. इसके अलावा मछली का सेवन ओमेगा-3 एसिड ट्यूमर और कैंसर के खतरे को भी कम करता है.

लेकिन क्या आपको पता है मछली में पाया जाने वाला विषाक्त पदार्थ डायबिटीज का कारण बनता है.

1-मछली में पाया जाने वाला विषाक्त पदार्थ जब शरीर में ज्यादा मात्रा मे प्रवेश कर जाता है तब डायबिटीज होने की आशंका बढ जाती है.

2-जो लोग  मछली ज्यादा खाते हैं उनके खून में डीडीई  केमिकल ज्यादा मात्रा में जाता है और डायबिटीज के खतरे को बढाता है.

3-केमिकल डीडीई ज्यादातर छोटी मछलियों में पाया जाता है. जब बडी मछलियां छोटी मछलियों को खाती हैं तब यह केमिकल बडी मछलियों में जाता है.

4-मछली में ज्यादा मात्रा में कैलोरी और कम मात्रा में वसा पायी जाती है. मछली के सेवन से आदमी बहुत जल्दी मोटा हो सकता है और मोटापा मधुमेह का कारण बनता है.

5-मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है. ओमेगा-3 फैटी एसिड मधुमेह रोगियों में इंसुलिन के प्रभाव को कम करता है. वयस्कों और किशोरों में भी ज्यादा मात्रा में मछली खाने से मधुमेह की शुरूआत हो सकती है.

फिश के अंदर पाए जाने वाले सभी पोषक तत्वों में ओमेगा -3 फैटी एसिड सबसे खास है। इसके जरिए ना केवल आपको डायबिटीज में लाभ होता है। बल्कि यह कई दूसरी समस्याओं से भी राहत दिलाता है।

आपको बता दें कि यह साइटोकिन्स को कम करने का कार्य भी करता है, जो डायबिटीज के सबसे प्राथमिक कारणो में से एक है। यही नहीं यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी नियंत्रित करके रखता है जिसकी वजह से आप हृदय से जुड़ी समस्या से भी बचे रहते हैं। (2)

​फाइबर

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फिश के अंदर पर्याप्त मात्रा में फाइबर भी पाए जाते हैं। यह फाइबर आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने का कार्य करता है। कोलेस्ट्रॉल लेवल के कम होने का सकारात्मक असर प्लाज्मा लिपिड के स्तर पर भी दिखाई देता है। ऐसे में इसके जरिए आप ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित कर सकते हैं।

​विटामिन बी 12

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हाल ही में हुई एक रिसर्च बताती है कि टाइप - 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में विटामिन बी 12 की कमी पाई जाती है। यही नहीं शोध तो यह तक बताते हैं कि बुजुर्गों, वयस्कों और मेटफार्मिन के साथ इलाज करने में वाले लोगों में भी विटामिन बी 12 की कमी मौजूद होती है। (3) ऐसे में फिश का सेवन फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इसके अंदर विटामिन बी -12 पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है, यह आपको डायबिटीज से बचाए रखने में मदद करती है। यही नहीं यह जानवरों के मांस के मुकाबले कम कैलोरीज वाला भोजन भी होता है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए ना केवल आवश्यक है। बल्कि बहुत ज्यादा फायदेमंद भी है।

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​प्रोटीन के लिए

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अध्ययनों के मुताबिक अंटार्कटिकस और मस्टेलस जैसी फिश हाई क्वालिटी प्रोटीन का एक जबरदस्त स्रोत होती हैं। वहीं चिकन या बीफ के मुकाबले फिश आपके लिए अधिक फायदेमंद भी होती है। इसके अलावा टूना फिश अंडे और टर्की आपकी भूख को भी कंट्रोल करती है और शरीर में इंसुलिन के कार्य को बेहतर करने में मददगार साबित होती है।

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​लो कैलोरी फूड

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डायबिटीज की समस्या के पीछे की सबसे बड़ी वजह मोटापा ही होता है। मोटापा बढ़ने की वजह से शरीर में ग्लूकोज का उत्पादन और शरीर के द्वारा ग्लूकोज का उपयोग भी सही प्रकार नहीं हो पाता। जिसकी वजह से इंसुलिन के उत्पादन और उसके कार्य में दिक्कतें पैदा होने लगती है।

मछली प्रोटीन और ओमेगा -3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत है। मछली खाने से आपके भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ सकती है और ग्लूकोज़ के बेहतर प्रसार में मदद मिल सकती है। लेकिन बहुत कम सबूत हैं जो यह साबित करते हैं मछली खाने से डायबिटीज़ को रोकने या इसके जोखिम को रोकने में मदद मिल सकती है। लेकिन मांसाहारी या नॉनवेज खाने वाले लोगों के भोजन में मछली एक अहम हिस्सा है और उनके आहार का अभिन्न अंग भी । इसलिए, यह पता लगाना थोड़ा ज़रूरी हो जाता है कि क्या सचमुच मछली खाने से ब्लड शुगर रीडिंग पर कोई असर पड़ता है।

2005 से 2006 के दौरान किए गए भारत के तीसरे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में हिस्सा लेना वाले लोगों का एक क्रॉस-सेक्शनल डेटा स्टडी की गयी। इस स्टडी में  मछली खाने की आदतों और उसके फायदों के बारे में समझने की कोशिश की गयी जैसे- लोग कब और कितनी मछली खाते हैं। रोज़, साप्ताह में एक दिन या कभी-कभी। जिन लोगों ने कभी मछली नहीं खायी, उन्हें भी ध्यान में रखा गया कि और पता लगाने की कोशिश की गयी कि इससे क्या उनके ब्लड ग्लूकोज़ रीडिंग पर कोई प्रभाव पड़ा था या नहीं। यह देखा गया कि मछली खानेवाले लोगों में डायबिटीज़ होने का खतरा मछली ना खाने वाले लोगों से 2 गुना ज़्यादा था। अध्ययन से निष्कर्ष निकाला गया कि, सप्ताह में एक बार मछली खानेवाले लोगों को भी डायबिटीज़ होने के खतरे से भी जुड़ा हुआ था। रोज़ मछली खानेवाली महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में डायबिटीज़ होने की संभावनाएं या असर ज्यादा था। लेकिन यह बात का सिर्फ एक पहलू है। ऐसी कई स्टडीज़ भी हैं जो यह बताती हैं कि मछली खाना डायबिटीज़ में फायदेमंद हो सकता है क्योंकि मछली से आंखों को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है।

ऐसे लोग जो डायबिटीज़ से पीड़ित हैं, अगर वो अपना ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल नहीं कर पा रहे तो उनके लिए रेटिनोपैथी ज़रूरी हो जाती है। डायबिटीज़ रेटिनोपैथी आंखों की एक समस्या है जहां हाई ब्लड शुगर लेवल के कारण आंखों की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है। टाइप II डायबिटीज़ के मरीज़ों पर आधारित एक स्टडी की गयी थी जिसमें पाया  गया कि मछली खाने से गंभीर डायबिटीज़ में रेटिनोपैथी होने की संभावना कम हो सकती है। इसका एक कारण हो सकता है कि मछली ओमेगा-3 फैटी एसिड में भरपूर होती है जो रक्त वाहिकाओं को फैलाने में मदद करता है और उन्हें हेल्दी रखता है। शायद यह प्रभाव आंखों में की कोशिकाओं पर भी होता है। यही कारण है कि स्टडी में निष्कर्ष निकाला गया कि मछली डायबिटीज़ रेटिनोपैथी से आपकी आंखों को बचा सकती है।

लेकिन आपको कितनी मछली खाने की ज़रूरत है यह आपके आहार की आवश्यकताओं के आधार पर और आपकी प्रोटीन की ज़रूरत के आधार पर होता है। ज़्यादा प्रोटीन डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि इससे किडनी ख़राब हो सकती हैं। तो अपने डॉक्टर या अपने डायटिशन से यह पता लगाएं कि आपको डायबिटीज़ रेटिनोपैथी से आपकी आंखों को बचाने के लिए कितनी मछली खानी चाहिए।

क्या शुगर के मरीज मछली खा सकते हैं?

जी बिलकुल, आप शुगर में मछली खा सकते हैं। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (ADA) भी डायबिटीज के रोगियों को मछली खाने की सलाह देता है। मछली डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन डी, ओमेगा 3 फैटी एसिड्स पाए जाते हैं

शुगर में चिकन खा सकते हैं क्या?

जी हाँ, शुगर में चिकन खा सकते है। यह एक लीन मीट है, जो दूसरे मीट की तरह डायबिटिक्स को नुकसान नहीं पहुँचाता है। चिकन में प्रोटीन की भरपूर मात्रा होता है, जो रक्त में कार्ब्स या ग्लूकोज़ अवशोषण को धीमा कर सकता है। इससे रक्त में शुगर लेवल को नियंत्रित रखा जा सकता है।

शुगर में टमाटर खा सकते हैं क्या?

जी हाँ, शुगर में टमाटर खा सकते हैंटमाटर में मौजूद ज्यादातर शुगर फ्रुक्टोज़ होता है, जो डायबिटिक्स को नुकसान नहीं पहुँचाता है। वहीं, विशेषज्ञों की मानें, तो टमाटर में नारिंगिन (Naringenin) नामक फ्लेवोनोइड्स पाया जाता है, जो एंटी-डायबिटिक के तौर पर काम कर सकता है। इससे ब्लड शुगर लेवल कम हो सकता है।

बियर पीने से शुगर बढ़ता है क्या?

शराब में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अधिक होती है और यही वजह है कि यह डायबिटीज के मरीजों के लिए बिल्कुल भी सही पेय नहीं है। दूसरा धारब के सेवन से आपको हाइपोस होने की अधिक संभावना है। अगर आपका मन फिर भी नहीं मान रहा है, तो आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।