नमस्कार दोस्तों, अगर आप इंटरनेट पर स्वर के कितने भेद होते हैं? Sawar Ke Kitne Bhed Hote Hain? Sawar Ke Kitne Bhed Hote Hain? हिंदी में स्वर कितने प्रकार के होते हैं? इत्यादि के बारे खोज रहे हैं। फिर आप एकदम सही पोस्ट पढ़ रहे हैं। आज हम इस प्रश्न का उत्तर इस पोस्ट में विस्तार से बताने जा रहे हैं, कृपया पूरा पोस्ट ध्यानपूर्वक पढ़ें। Show
प्राचीन समय में हिंदी वर्णमाला में स्वरों की कुल संख्या 14 होती थी. जो की निम्नलिखित है: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ – ऋ, लृ और लृृृृ। लेकिन अभी के समय में हिंदी भाषा में स्वरों की कुल संख्या 11 है। जो की निम्नलिखित हैं अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ और औ हैं। हम आपको बताना चाहेंगे की, प्राथमिक स्तर के वर्णमाला के पुस्तकों / किताबों में स्वरों की संख्या 13 लिखा जाता है। जो की निम्न हैं, अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं और अः, आपको ये बता दे के ये सही नहीं है। What's In This Post?
स्वर के कितने भेद होते हैं? या स्वर कितने प्रकार के होते हैं? के बारे में बताने से पहले हम आपको स्वर की एक छोटी सी परिभाषा बताना चाहेंगे, वो सभी वर्णों जिनके उच्चारण के लिए किसी दूसरे वर्ण की मदद की जरूरत नहीं होती है। उन्हें ही स्वर कहा जाता हैं। अथवा जिन वर्णों को स्वतंत्र रूप से पुकारा या बोलै जा सकता हैं, उन्हें स्वर कह सकते हैं। एक और बात आप हमेशा याद रखें कि वर्तमान में किसी भी इम्तिहान अथवा परीक्षा में अगर आपसे पूछा जायें कि, हिंदी भाषा में कुल कितने स्वर हैं? या स्वर के कितने भेद होते हैं? स्वर के कितने भेद होते हैं? Swar Ke Kitne Bhed Hote Hain? तो आपका हमेशा उत्तर ग्यारह होना चाहिए। क्यूंकि वर्तमान में स्वर के केवल ग्यारह ही भेद हैं। वर्तमान स्वर अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं और अः निम्नलिखित हैं। स्वर के कितने भेद होते हैंस्वर कितने प्रकार के होते हैं? तो इसका सही उत्तर हैं की, उच्चारण के लिए लगने वाले वक़्त के आधार पर स्वर कुल तीन प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं। स्वर कितने प्रकार के होते हैं?
हृस्व स्वर, दीर्घ स्वर एवं प्लुत स्वर के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं, कृपया पोस्ट ध्यान से पढ़ें। 1. ह्स्व स्वर (एक मात्रिक स्वर)वो सभी स्वर जिनके उच्चारण करने में काफी कम समय लगता हैं, उन सभी स्वरों को हृस्व स्वर, ह्स्व स्वर कहते हैं। अथवा एक मात्रिक स्वर भी कहा जाता हैं। हृस्व स्वरों की कुल संख्या चार होती हैं, जो की निम्न हैं।
2. दीर्घ स्वर (द्विमात्रिक स्वर)वो सभी स्वर जिनके उच्चारण में हृस्व स्वरों से दुगुना वक़्त लगता हैं, उन स्वरों को दीर्घ स्वर अथवा द्विमात्रिक स्वर कहा जाता हैं. दीर्घ स्वरों की कुल संख्या सात होती हैं, जो की निम्नलिखित हैं।
3. प्लुत स्वर (त्रिमात्रिक स्वर)वो सभी स्वर जिनके उच्चारण करने में हृस्व स्वर और दीर्घ स्वर से भी अधिक वक़्त लगता हैं, उनको स्वरों को प्लुत स्वर कहा जाता हैं। आपको बता दें की, इस प्रकार के स्वर के लिए कोई निश्चित मात्रा नहीं होती है। ये गाने, रोने एवं दूसरों को पुकारने में उपयोग होता है जैसे: अरे ओ रजत और हाय रे। इनको हृस्व स्वर कहा जाता हैं। ऊपर दिए गए इन तीनों स्वरों के अलावे भी एक अन्य स्वर भी होता हैं, जिसे सयुंक्त स्वर कहा जाता हैं। संयुक्त स्वरसयुंक्त स्वर अथवा संयुक्त स्वर, उन सभी स्वरों को कहा जाता हैं, जो की दो असमान स्वरों से मिलकर बनते हैं. संयुक्त स्वर का उदाहरण ए, ऐ, ओ और औ होते हैं। संयुक्त स्वर निम्न प्रकार से हैं:
होंठों के आधार पर स्वरों के प्रकारहोंठों की आकृति के आधार पर स्वरों के कुल दो प्रकार होते है। जो की, ‘अवृत्ताकर स्वर‘ और ‘वृत्ताकर स्वर‘ होते हैं। अवृत्ताकर स्वरवो सभी स्वर जिनके उच्चारण पर होंठ गोल यानी वृत्ताकर न होकर फैले रहे, उन स्वरों को ‘अवृत्ताकर स्वर’ कहा जाता है। जो की निम्नलिखित हैं, अ, आ, इ, ई, ए, ऐ, इत्यादि। वृत्ताकर स्वरवो सभी स्वर जिनके उच्चारण पर होंठ गोल यानी वृत्ताकर होते हैं, उनको ‘वृत्ताकर स्वर’ कहा जाता है। जो की निम्नलिखित हैं, उ, ऊ, ओ, औ, (ऑ) इत्यादि। स्वर की मात्राएँ — Swar Ki Matra
नोट: अ स्वर की कोई मात्रा नहीं होती हैं। स्वर से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँअब हम आपको स्वर से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ देने जा रहे हैं। अनुनासिक स्वर वो होते हैं, जिनके उच्चारण करते वक़्त नाक से कम और मुँह से अधिक श्वात / साँस निकलती है। उनको अनुनासिक स्वर कहा जाता हैं, इसके कुछ निम्नलिखित उदहारण गाँव, आँसू, आँत, चिड़ियाँ आदि हैं। लेकिन, वहीं अनुस्वार का उच्चारण करते वक़्त नाक से अधिक और मुँह / मुख से कम साँस / श्वात ज्यादा निकलती है। उनको अनुस्वार स्वर कहा जाता हैं, इसके कुछ निम्नलिखित उदहारण: अंश, पंच, अंक, अंग इत्यादि हैं। कुछ शब्द के तत्सम रूप में अनुस्वार लगता है और तद्भव रूप में अनुनासिक लगता है। इसके निम्न उदहारण अंगुष्ठ – अँगूठा, दंत – दाँत, आंत्र – आँत हैं। अनुनासिक स्वर (ँ)वो सभी स्वर जिनके उच्चारण नाक / श्वात और मुख से होता है उन्हें ‘अनुनासिक स्वर’ कहा जाता हैं। इसके उदहारण निम्न हैं: गाँव, आँगन, दाँत, सँवार इत्यादि। अनुनासिक स्वर को लिखने के लिए स्वर के ऊपर अनुनासिकता के लिए चंद्रबिंदु (ँ) का उपयोग किया जाता है। लेकिन स्वरों की मात्रा शिरोरेखा पर लगाकर, इस चंद्रबिंदु के जगह पर मात्र बिंदु (.) का उपयोग किया जाता हैं। इसके निम्न उदहारण हैं जो की: कहीं, नहीं, जायें इत्यादि हैं। निरनुनासिक स्वरवो सभी स्वर जिनका उच्चारण सिर्फ मुँह से होता है उसे ‘निरनुनासिक स्वर’ कहा जाता है। इसके निम्नलिखित उदहारण हैं जो की: इधर, आप, उधर, अपना, घर इत्यादि हैं। sawar ke kitne bhed hote hain | sawar ke kitne bhed hote hain answer | sawar ke kitne bhed hote hain 2 3 4 | sawar ke kitne bhed hote hain hindi mein | ucharan ke aadhar par swar ke kitne bhed hote hain | rachna ke aadhar par swar ke kitne bhed hote hain | hindi mein sawar ke kitne bhed hote hain | hindi bhasha mein sawar ke kitne bhed hote hain. अनुस्वार ( ं)ये एक स्वर के तुरंत बाद ही आने वाला व्यंजन है। अनुस्वार ध्वनि / स्वर नाक के माध्यम से निकलती है। इसके कुछ उदहारण इस प्रकार हैं: अंगूर, कंगन, अंगद, संतरे, कंकन इत्यादि। विसर्ग ( ः)ये एक प्रकार का व्यंजन है। एवं अनुस्वार के तरह स्वर के बाद आता है। इनका उच्चारण ‘ह’ की तहत होता है। हिंदी भाषा में इसका प्रयोग काफी कम ही होता है। लेकिन संस्कृत भाषा में इनका प्रयोग अधिक होता है। इसके कुछ निम्न उदहारण इस प्रकार हैं, जो की: मनःकामना, अतः, स्वतः, पयःपान, दुःख इत्यादि हैं। Swar In Hindiस्वर के बारे में जानने से पहले आप किसी व्यक्ति के मुंह से आवाज कैसे निकालते हैं? इसके प्रति जागरूक होना जरूरी है। अगर आप भी हिंदी स्वरों के बारे में विस्तार से जानते हैं। स्व शब्द का अर्थ है किसी ध्वनि का उच्चारण करना या निकालना। जब जीभ को मुंह के अंदर के किसी अन्य हिस्से से स्पर्श नहीं किया जाता है और मुंह से आवाज निकलती है, तो उसे ‘स्वर’ कहा जाता है। स्वर का स्वतंत्र उच्चारण होता है। मुखरता के दौरान वायुमार्ग बाधित नहीं होता है। कंठ में किसी अंग की सहायता के बिना उच्चारण किया जाने वाला अक्षर स्वर कहलाता है। हिन्दी भाषा में कुल 10 स्वर होते हैं। Swar Kitne Prakar Ke Hote Hain
हिंदी भाषा के कुल 11 स्वर निम्न प्रकार से हैं
अंग्रेजी भाषा के स्वरअंग्रेजी भाषा में पांच स्वर होते हैं, जिन्हें अंग्रेजी में vowel कहते हैं। जो की निम्लिखित हैं A, E, I, O, U. कुल 11 स्वरों में से 4 स्वर ऐसे हैं जिनका उच्चारण करते समय बहुत अधिक समय लगता है जैसे कि अ, इ, उ, ऋ ह्रस्व स्वर और ऐसे स्वर जो हर्ष स्वरों से अधिक समय लेते हैं जैसे आ, ई, ऊ, ए, ऐ, और ओ लंबे स्वरों के अंतर्गत आते हैं। साथ ही जिन स्वरों में दीर्घ स्वरों की तुलना में अधिक समय लगता है उन्हें प्लूट स्वर कहते हैं। sawar ke kitne bhed hote hain | hindi bhasha mein sawar ke kitne bhed hote hain | swar in hindi | varn kise kahate hain | karak ke kitne bhed hote hain | a aa e ee in hindi | स्वर किसे कहते हैं | varn kitne prakar ke hote hain | swar kitne hote hain | sawar ke kitne bhed hote hain. Last Word:तो दोस्तों, हम आशा करते हैं की, आपको हमारा ये ब्लॉग स्वर के कितने भेद होते हैं (Sawar Ke Kitne Bhed Hote Hain), Swar Kitne Prakar Ke Hote Hain, अवश्य ही पसंद आया होगा और इससे आपको जानकारी मिली होगी। स्वर कितने प्रकार के होते हैं (Swar Kitne Prakar Ke Hote Hain), Sawar Ke Kitne Bhed Hai, Sawar Kitne Prakar Ke Hote Hain, ब्लॉग पढ़कर आपको कैसा लगा, कृपया नीचे कमेंट करके हमें बताएं ताकि हम आपके लिए ऐसी नई जानकारी लाते रहें। अगर आपके पास में स्वर के कितने भेद होते हैं (Sawar Kitne Hote Hain) को लेकर कोई सवाल है, तो आप बेझिझक हमें नीचे कमेंट में पूछ सकते हैं, हम आपकी सवाल का जल्द से जल्द जवाब देंगे। स्वर के कितने भेद होते हैं?Swar Ke Kitne Bhed Hote Hain? तो आपका हमेशा उत्तर ग्यारह होना चाहिए। क्यूंकि वर्तमान में स्वर के केवल ग्यारह ही भेद हैं। वर्तमान स्वर अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं और अः निम्नलिखित हैं।
स्वरों के कौन कौन से भेद है?स्वर के भेद कितने होते हैं?. ह्रस्व स्वर. दीर्घ स्वर. प्लुत स्वर. स्वर व्यंजन के कितने भेद होते हैं?व्यंजन वैसे वर्ण होते हैं जो दूसरे वर्ण की सहायता से उच्चरित किए जाते हैं। हिंदी में व्यंजन के तीन भेद होते हैं – स्पर्श व्यंजन , अंतस्थ व्यंजन और ऊष्म व्यंजन ।
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