स्थानीय व्यंजनों के पुनरुद्धार द्वारा बने व्यंजन क्या कहलाते है? - sthaaneey vyanjanon ke punaruddhaar dvaara bane vyanjan kya kahalaate hai?


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खानपान की बदलती तसवीर

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स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार...

लिखित उत्तर

स्थानीय व्यंजन पुराने व्यंजन मिश्रित व्यंजन एथनिक।

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These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 8 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 22 खान-पान की बदलती तस्वीर (मंजरी).

पाठ का सर (सारांश)

दस पंद्रह वर्षों से खानपान की संस्कृति में काफी बदलाव आया है। दक्षिण भारत का इडली-डोसा, बड़ा-साँभर-रसम दक्षिण भारत में ही नहीं उत्तर भारत में भी पूर्णतया उपलब्ध हैं और उत्तर भारत के ढाबे व उनमें उपलब्ध रोटी-दाल साग पूरे देश में मिलेंगे। फास्ट फूड का चलन भी कम नहीं। बर्गर व नूडल्स सभी स्थानों पर खाए-परोसे जाते हैं। आलू चिप्स, गुजराती ढोकला, गुझिया तथा बंगाली मिठाइयाँ सब जगह पर समान रूप से मिलने लगी हैं। सभी प्रदेशों के व्यंजन सभी स्थानों पर मिलने लगे हैं, जबकि पहले यही प्रांत की विशेषता होते थे। ब्रेड जो पहले केवल अमीरों के घरों में ही आती थी, नाश्ते के रूप में लाखों-करोड़ों भारतीय घरों में सेंकी-तली जाती है। नई पीढ़ी पहले ही स्थानीय व्यंजनों के बारे में कम जानती थी लेकिन अब यह वर्ग नए व्यंजनों के बारे में अधिक जानता है। स्थानीय व्यंजन तो दिन-प्रतिदिन घटते जा रहे हैं।

शहरी जीवन की भागमभाग व महँगाई के कारण आज उन्हीं देशी-विदेशी व्यंजनों को अपनाया जा रहा है, जिन्हें बनाने पकाने की सुविधा हो। देश-विदेश के व्यंजनों का चलन होने से खानपान की एक मिश्रित संस्कृति बनी है। खानपान की दृष्टि से सभी प्रांत एक-दूसरे के पास-पास आए हैं। इससे राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिला है। कई व्यंजन जो सामान्य (UPBoardSolutions.com) रूप में मिला करते थे, वे आज पाँच सितारा होटलों में भी मिलने लगे हैं। उत्तर भारत की पूड़ियाँ, कचौड़ियाँ, जलेबियाँ व सब्जियों से बने समोसे अब बाजारों से गायब होते जा रहे हैं।

स्थानीय व्यंजनों को हम छोड़ते जा रहे हैं और पश्चिम के जो पदार्थ स्वाद, स्वास्थ्य और सरसता के लिए हैं, उन्हें अपनाते जा रहे हैं। स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार अति आवश्यक है। खानपान की मिश्रित संस्कृति से हम कई बार चीजों का वास्तविक स्वाद नहीं ले पाते। आज आधुनिकता के दौर में खानपान की मिश्रित संस्कृति बढ़ती जा रही है। हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम समयानुसार उसकी जाँच करते रहें।

प्रश्न-अभ्यास।

कुछ करने को
प्रश्न 1.
आपको जो व्यंजन अत्यधिक स्वादिष्ट लगता हो उसकी निर्माण विधि लिखिए तथा चित्र बनाइए?
उत्तर-विद्यार्थी स्वयं करें। उदाहरण के लिए नीचे एक व्यंजन (खीर) की निर्माण-विधि दी जा रही है, क्योंकि यह लगभग सभी बच्चों का पसंदीदा व्यंजन होता है।।

‘खास और प्रसिद्ध

आवश्यक सामग्री – चावल-100 ग्राम, शक्कर – 150 ग्राम, फुल क्रीम दूध-1 लीटर, काजू-1 बड़ा चम्मच (कटे हुए), किशमिश-1 बड़ा चम्मच, मखाने-1/2 कप (कटे हुए), इलायची-5 (पिसी हुई)।।

खीर बनाने की विधि – सबसे पहले चावल को पानी में एक घंटे के लिए भिगो दें। भीगने के बाद चावलों को एक बार धो ले। फिर उसे मिक्सर में दरदरा पीस लें। अब एक बड़े भगोने में दूध लेकर मीडियम आँच पर चढ़ाएँ। जब दूध उबलने लगे, तब उसकी आँच कम कर दें और उसमें पिसे हुए चावल डाल दें। दूध को थोड़ी-थोड़ी देर पर चलाते रहें। (UPBoardSolutions.com) 10 मिनट तक पकने के बाद दूध में चीनी, मेवा और इलायची डाल दें और धीमी आँच पर पकाएँ। जब चावल अच्छी तरह से पक जाए और मेवे मुलायम हो जाएँ, तब गैस बंद कर दें। अब आपकी खीर बनकर तैयार है। बस इसमें इलायची पाउडर मिलाएँ और थोड़ी ठंडी होने पर परोसें।

प्रश्न 2.
नोट – 
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
नोट – 
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 4.
फास्टफूड अब शहरों के अलावा गाँव के गली-मुहल्लों में भी मिलने लगा है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है अथवा लाभदायक। इस विषय पर कक्षा में वाद-विवाद कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी निम्न बिंदुओं पर फास्ट फूड पर कक्षा में विचार-विमर्श कर सकते हैं
फास्ट-फूड के फायदे – मिलने में सुविधाजनक, और समय की बचत।
फास्ट-फूड के नुकसान – मोटापे की समस्या, हृदय की बीमारी बढ़ने का खतरा, कैंसर का खतरा, डायबिटीज, तनाव, थकान, आदि बीमारियों का खतरा।

विचार और कल्पना

प्रश्न 1.
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
खानपान के निर्माण से लेकर भोजन ग्रहण करने तक की प्रक्रिया में स्वच्छता तथा सफाई की जो-जो बातें ध्यान देने योग्य हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर :
खाना बनाने से पहले, खाने से पहले, खाने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोना चाहिए। रसोई की साफ-सफाई विशेष तौर पर करनी चाहिए। सिंक, वॉश बेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए। खाने की किसी भी वस्तु को खुला नहीं छोड़ना चाहिए। कच्चे
और पके हुए खाने को अलग-अलग रखना चाहिए। खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बर्तनों, फ्रिज, ओवन आदि को भी साफ रखना चाहिए। कभी भी गीले बर्तनों को रैक में नहीं रखना चाहिए, न ही बिना सूखाए डिब्बों आदि के ढक्कन लगाकर रखना चाहिए। ताजी सब्जियों-फलों । का प्रयोग करना चाहिए। उपयोग में आने वाले मसाले, अनाजों तथा अन्य सामग्री का भंडारण भी सही तरीके से करना चाहिए तथा एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं पर तारीख अवश्य देखनी चाहिए।

बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, भोजन का उपयोग नहीं करना चाहिए। खाने को सही तापमान पर पकाना चाहिए और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट नहीं करने चाहिए। साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखना चाहिए। खाद्य पदार्थों को हमेशा ढककर रखना चाहिए और ताजा भोजन ही (UPBoardSolutions.com) खाना चाहिए। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करना चाहिए। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाना चाहिए।

खाना पकाने के लिए सोयाबीन, सनफ्लावर, मक्का या ऑलिव ऑइल के प्रयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए। खाने में शक्कर तथा नमक दोनों की मात्रा का प्रयोग कम से कम करना चाहिए। जंकफूड, सॉफ्ट ड्रिंक तथा आर्टिफिशियल शक्कर से बने जूस आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए। रात का खाना जितनी जल्दी हो, खा लेना चाहिए।

निबन्ध से

प्रश्न 1.
स्थानीय व्यंजनों को बनाने में कमी क्यों आई है ?
उत्तर :
एक प्रांत का व्यंजन दूसरे प्रांत में आसानी से मिल जाता है। ये विविध व्यंजन लोगों को आकर्षित करते हैं। इसलिए स्थानीय व्यंजनों की माँग कम होने लगी है। फलस्वरूप इन्हें बनाने में कमी आई है।

प्रश्न 2.
आजादी के बाद से नौकरियों-तबादलों का नया विस्तार हम किस रूप में देखते हैं ?
उत्तर :
आजादी के बाद उद्योग-धंधों, नौकरियों, तबादलों का जो एक नया विस्तार हुआ है, उसे हम इस रूप में देखते हैं कि उसके कारण खानपान की चीजें किसी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँची । हैं। बड़े शहरों के मध्यमवर्गीय स्कूलों में जब दोपहर के वक्त बच्चों के टिफिन-डिब्बे खुलते हैं तो उनसे विभिन्न प्रदेशों के व्यंजनों की खुशबू उठती है।

प्रश्न 3.
खानपाने के द्वारा राष्ट्रीय एकता का बीज किस प्रकार अंकुरित होगा।
उत्तर :
हम विभिन्न प्रांतों के निवासी खान-पान के माध्यम से भी एक-दूसरे के निकट आते हैं। और एक-दूसरे को जानते हैं। इस दृष्टि से देखें तो खान-पान की नई संस्कृति में हमें राष्ट्रीय एकता के लिए नए बीज मिल सकते हैं।

प्रश्न 4.
स्थानीय व्यंजनों के पुनरुद्धार की आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर :
विभिन्न प्रांतों के विविध व्यंजन आसानी से उपलब्ध हो जाने के कारण स्थानीय व्यंजनों को बनाने में कमी आती जा रही है। स्थानीय व्यंजन प्रांत विशेष की पहचान होंते हैं, वहाँ की संस्कृति के परिचायक होते हैं। उनका लुप्त होना दुर्भाग्यपूर्ण है। अतः प्रांतीय व्यंजन का पुनरुद्धार जरूरी है।

प्रश्न 5.
हम खानपान की मिश्रित संस्कृति का भरपूर आनन्द क्यों नही ले पा रहे हैं ?
उत्तर :
खान-पान की मिश्रित या विविध संस्कृति यूँ तो हमें कुछ चुनने का अवसर देती है, परंतु हम उसको लाभ प्रायः नहीं उठा रहे हैं। अक्सर प्रीतिभोजों और पार्टियों में एक साथ ढेरों चीजें रख दी जाती हैं (UPBoardSolutions.com) और हमें एक ही प्लेट में कई तरह के और कई बार तो बिलकुल विपरीत प्रकृति वाले व्यंजन परोस लेते हैं, जिसके कारण उनका स्वाद गड्डमड्ड हो जाता है और हम कई बार असली चीजों का असली और अलग स्वाद नहीं ले पाते।

प्रश्न 6.
खानपान की मिश्रित संस्कृति के लाभ तथा हानि लिखिए ?
उत्तर :
खान-पान की मिश्रित संस्कृति के लाभ – खानपान की मिश्रित संस्कृति के करण हम विविध प्रांतों के विविध व्यंजनों को खाने का आनंद ले पाते हैं। हमारे पास अब खाने की अनेक वेराइटी हैं और हम अपनी पसंदीदा वस्तुएँ आसानी से बाजार से प्राप्त कर सकते हैं या घर में भी बना सकते हैं। इससे हम एक ही खाद्य-पदार्थ को बार-बार खाने की बोरियत से बचे रहते हैं और भोजन के प्रति हमारी रुचि बनी रहती है। खान-पान की मिश्रित संस्कृति राष्ट्रीय एकता में भी सहायक है। जब विभिन्न प्रांतों के व्यक्ति एक-दूसरे के प्रांत का भोजन पसंद करने लगते हैं तो उनके बीच आत्मीयता उत्पन्न होती है। वे एक दूसरे की संस्कृति, रहन-सहन, भाषा-बोली आदि के तौर-तरीकों के प्रति भी आकर्षित होते हैं।

खान-पान की मिश्रित संस्कृति से हानियाँ-खान – 
पान की मिश्रित संस्कृति के कारण स्थानीय व्यंजनों को बनाने में कमी आई है। स्थानीय व्यंजन जो प्रांत विशेष की संस्कृति के परिचायक होते हैं, वे कहीं लुप्त हो रहे हैं। साथ ही उनकी गुणवत्ता में भी कमी आ रही है। खान-पान की मिश्रित संस्कृति के कारण कई बार हम व्यंजनों का सही स्वाद महीं ले पाते (UPBoardSolutions.com) क्योंकि खान-पान की मिश्रित संस्कृति के कारण अक्सर पार्टियों में एक साथ ढेरों व्यंजन रख दिए जाते हैं और लोग एक ही प्लेट में सारे व्यंजन परोस लेते हैं। जिससे उन सबका स्वाद गड्ड मेड्ड हो जाता है और हम किसी भी व्यंजन का स्वाद ठीक से नहीं ले पाते।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
सु, वि तथा प्र उपसर्गों का प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाइए।
उत्तर :
सु – सुविचार, सुव्यवस्थित
वि – विचार, विशेष
प्र – प्रकृति, प्रसार

प्रश्न 2.
जब किसी शब्द के अर्थ में विशेषता लाने के लिए उसी के समान दूसरा शब्द लगाया जाता है, तो उसे शब्द युग्म कहते हैं। युग्म का अर्थ होता है-जोड़ा। शब्द-युग्म कई प्रकार से बनाए जाते हैं (जैसे एक ही शब्द का दो बार प्रयोग करके, विलोम शब्दों, समानार्थी शब्दों से, सार्थक के निर्रथक शब्दों से। शब्द-युग्म बनाते समय दोनों शब्दों के बीच योजक चिन्ह () लगाया जाता है। जैसे-बार-बार, देशी-विदेशी। दिए गए शब्दों से उचित शब्द-युग्म बनाइएः
उत्तर :
वेश      –    वेश – भूषा,
हँसते    –   हँसते – हँसते,
स्वाद    –   स्वाद – स्वाद,
शहरी   –   शहरी – गंवई
अपना   –  अपना – पराया
नई       –   नई – नई
खान     –   खान – पान
लाल     –   लाल – पीला
घर       –   घर – घर

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स्थानीय व्यंजनों के प्रसार को प्रश्रय कैसे मिली?

Solution. आज़ादी के बाद उद्योग-धंधों, नौकरियों, तबादलों (स्थानांतरण) के कारण लोगों का एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में जाने से मिश्रित व्यंजन संस्कृति का विकास हुआ। उसके कारण भी खानपान की चीजें किसी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँची हैं।

स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार क्यों आवश्यक है?

वेहमारी संस्कृति की धरोहर हैं। उनसेहमारी पसंद, रुचच और पहचान होिी है। इसमलए भारिीय व्यंजनों का पुनरुद्धार आवश्यक है क्योंकक पजश्चमी प्रभाव के कारण अपना अजस्ित्व खोिेजा रहे हैं।

स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार होने के बाद वे क्या कहलाए?

इसी के साथ ध्यान देने की बात यह है कि 'स्थानीय' व्यंजनों का पुनरुद्धार भी ज़रूरी है जिन्हें अब 'एथनिक' कहकर पुकारने का चलन है।

स्थानीय व्यंजन का क्या अर्थ है?

उत्तर:- खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है कि वे व्यंजन जो स्थानीय आधार पर बनते थे। जैसे मुम्बई की पाव-भाजी, दिल्ली के छोले-कुलचे, मथुरा के पेड़े व आगरे के पेठे-नमकीन तो कहीं किसी प्रदेश की जलेबियाँ, पूड़ी और कचौड़ी आदि स्थानीय व्यंजनों का अत्यधिक चलन था और अपना अलग महत्त्व भी था।

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