स्थानीय व्यंजनों के पुनरुद्धार की आवश्यकता क्यों है? - sthaaneey vyanjanon ke punaruddhaar kee aavashyakata kyon hai?

विषयसूची

  • 1 खानपान की मिश्रित संस्कृति को समयानुसार जांचना क्यों आवश्यक है?
  • 2 दोपहर का टिफिन विभिन्न प्रदेशों को कैसे जुड़ जाता है?
  • 3 नई पीढ़ी को कहाँ के व्यंजनों को जानने का अवसर मिला है?
  • 4 उत्तर भारत की कौन सी संस्कृति पूरे भारत में फैल गई है?

खानपान की मिश्रित संस्कृति को समयानुसार जांचना क्यों आवश्यक है?

इसे सुनेंरोकेंस्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार अति आवश्यक है। खानपान की मिश्रित संस्कृति से हम कई बार चीजों का वास्तविक स्वाद नहीं ले पाते। आज आधुनिकता के दौर में खानपान की मिश्रित संस्कृति बढ़ती जा रही है। हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम समयानुसार उसकी जाँच करते रहें।

महिलाओं को नए व्यजं न क्यों पसंद है?

इसी के साथ ध्यान देने की बात यह है कि ‘स्थानीय’ व्यंजनों का पुनरुद्धार भी ज़रूरी है जिन्हें अब ‘एथनिक’ कहकर पुकारने का चलन है। ऐसे स्थानीय व्यंजन केवल पाँच सितारा होटलों के प्रचारार्थ नहीं छोड़ दिए जाने चाहिए।…खानपान की बदलती तस्वीर Class 7 MCQs Questions with Answers.

शब्दविलोम
सरसता नीरसता
अनुकूल प्रतिकूल

खानपान की बदलती तस्वीर पाठ में उत्तर भारत की कौन सी संस्कृति पूरे देश में फैल चुकी है?

इसे सुनेंरोकेंपिछले दस-पंद्रह वर्षों से हमारी खानपान की संस्कृति में एक बड़ा बदलाव आया है। इडली-डोसा-बड़ा-साँभर-रसम अब केवल दक्षिण भारत तक सीमित नहीं हैं। ये उत्तर भारत के भी हर शहर में उपलब्ध हैं और अब तो उत्तर भारत की ‘ढाबा’ संस्कृति लगभग पूरे देश में फैल चुकी है।

दोपहर का टिफिन विभिन्न प्रदेशों को कैसे जुड़ जाता है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर – दोपहर के समय मध्यमवगीय स्कूलों में लंच के समय सभी बच्चे जो अलग अलग राज्ों से आये होते है एकसाथ अपने घर के क्षिक्षिनो को एक साथ खोलते है तो इस तरह कई राज्ों के व्यंजनों की खुशबू आपस में क्षमलकर क्षमक्षित रूप से सभी प्रदेशो को जोड़ती है।

खानपान संस्कृति का मिश्रित रूप कैसे विकसित हुआ?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: यहाँ मिश्रित संस्कृति से लेखक का तात्पर्य विभिन्न प्रांतो व देशों के व्यंजनों के अलग-अलग प्रकारो का मिला जुला रूप है। उदाहरण के लिए आज एक ही घर में हमें दक्षिण भारतीय, उत्तर भारतीय व विदेशी व्यंजनों का मिश्रित रूप खाने में मिल जाता है। जैसे – कभी ब्रेड तो कभी पराठे, कभी सांभर-डोसा तो कभी राजमा जैसे व्यंजन।

खानपान की संस्कृति से कौन प्रभावित हुआ है और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न-24 देश में खानपान की संस्कृति में बदलाव के मुख्य कारण क्या है? उत्तर – आज़ादी के बाद उद्योग – धंधों, नौकरियों – तबादलों का जो एक नया विस्तार हुआ है, उसके कारण भी खान – पान की चीज़ें किसी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँचीं हैं। खानपान के नई तहज़ीब और नए व्यंजनों से लोग अवगत हुए है।

नई पीढ़ी को कहाँ के व्यंजनों को जानने का अवसर मिला है?

इसे सुनेंरोकेंनयी पीढ़ी को देश-विदेश के व्यंजनों को जानने का सुयोग मिला है- भले ही किन्हीं कारणों से और किन्हीं खास रूपों में (क्योंकि यह भी एक सच्चाई है कि वे विविध व्यंजन इन्हें निखालिस रूप में उपलब्ध नहीं हैं)।

स्थानीय व्यंजन किसे और क्यों कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: उत्तर:- खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है कि वे व्यंजन जो स्थानीय आधार पर बनते थे। जैसे मुम्बई की पाव-भाजी, दिल्ली के छोले-कुलचे, मथुरा के पेड़े व आगरे के पेठे-नमकीन तो कहीं किसी प्रदेश की जलेबियाँ, पूड़ी और कचौड़ी आदि स्थानीय व्यंजनों का अत्यधिक चलन था और अपना अलग महत्त्व भी था।

उत्तर भारत की कौन सी संस्कृति लगभग पूरे देश में फैल चुकी है?

इसे सुनेंरोकेंढाबा. संस्कृति लगभग पूरे देश में फैल चुकी है।

उत्तर भारत की कौन सी संस्कृति पूरे भारत में फैल गई है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: उत्तर भारत की ‘ढाबा’ संस्कृति लगभग पूरे देश में फैल चुकी है।

खानपान की चीजों का एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश को अधिक विस्तार कब हुआ?

इसे सुनेंरोकेंआज़ादी के बाद उद्योग-धंधों, नौकरियों-तबादलों का जो एक नया विस्तार हुआ है, उसके कारण भी खानपान की चीजें किसी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँची हैं। बड़े शहरों के मध्यवर्गीय स्कूलों में जब दोपहर के ‘टिफिन’ के वक्त बच्चों के टिफिन-डिब्बे खुलते हैं तो उनसे विभिन्न प्रदेशों के व्यंजनों की एक खुशबू उठती है।

खानपान की मिश्रित संस्कृति से कौन सी पीढ़ी सबसे अधिक प्रभावित हुई है और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न-21 खानपान की मिश्रित संस्कृति ने युवाओं को किस प्रकार प्रभावित किया है? उत्तर – खानपान की इस बदली हुई संस्कृति से सबसे अधिक प्रभावित नयी पीढ़ी हुई है, जो पहले के स्थानीय व्यंजनों के बारे में बाहर कम जानती है, पर कई नए व्यंजनों के बारे में बहुत-कुछ जानती है।

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर Textbook Exercise Questions and Answers.

HBSE 7th Class Hindi खानपान की बदलती तस्वीर Textbook Questions and Answers

निबंध से

Khan Pan Ki Badalti Tasveer Question Answer HBSE प्रश्न 1.
खान पान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है ? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें ।
उत्तर :
खान पान की संस्कृति से लेखक का मतलब यह है कि विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को मिश्रित स्वरूप में अपनाया जाता है। इसमें जल्दी तैयार होने वाले व्यंजन हैं। प्रीतिभोजों और पार्टियों में प्लेट में ढेर सारे व्यंजन रख लिए जाते हैं। इससे हम कई बार चीजों का असली स्वाद नहीं ले पाते। सभी चीजों का स्वाद गड्डमड्ड हो जाता है। हमारे घर में उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय दोनों प्रकार के व्यंजन तैयार होते हैं। अब खान पान की हमारी कोई एक विशेष संस्कृति नहीं रह गई है। हम सभी प्रकार की चीजें खाते हैं।

Khanpan Ki Badalti Tasveer Question Answer HBSE प्रश्न 2.
खानपान में बदलाव के कौन से फायदे हैं ? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों हैं ?
उत्तर :
खान पान में बदलाव के फायदे

  • अब हमें एक प्रकार का खाना नहीं पड़ता, बल्कि उसमें विविधता का समावेश हो गया है। हम बदल-बदल कर खाना खा सकते हैं।
  • राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने में मदद मिली है।
  • ‘फास्ट फूड’ तुरंत तैयार हो जाता है अत: समय की बचत होती है।

लेखक इस बदलाव को लेकर इसलिए चिंतित है क्योंकि अब स्थानीय खानों को लोग भूलते जा रहे हैं, वे बाजार से गायब हो रहे हैं। आधुनिकता के नाम पर हमने चीजें अपना ली हैं जो स्वाद और स्वास्थ्य की दृष्टि से हमारे अनुकूल नहीं हैं।

खानपान की बदलती तस्वीर प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 3.
खान पान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है?
उत्तर :
खान पान के मामले में स्थानीयता का यह अर्थ है कि वे व्यंजन जो स्थानीय आधार पर बनते थे। कहीं पूड़ियाँ-कचौड़ियाँ-जलेबी बनती धीं, मथुरा के पेड़े प्रसिद्ध थे तो आगरा का पेठा-नमकीन। इन चीजों का अपना विशेष महत्त्व एवं स्वाद था। अब इनका प्रचलन घटता चला जा रहा है। हाँ, पाँच सितारा होटल इन्हें ‘एथनिक’ कहकर परोसने लगे हैं।

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निबंध से आगे

Class 7 Hindi Chapter 14 HBSE खानपान की बदलती तस्वीर प्रश्न 1.
घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई बाजार से आती हैं ? इनमें से बाजार से आनेवाली कौन-सी चीजें आपके माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थी ?
उत्तर :
हमारे घर में निम्नलिखित चीजें पकती हैं – बाजार से आने वाली चीजें
दाल – समोसे
सब्जी – जलेबी
रोटी – पकौड़े
पूड़ी-कचौड़ी – बर्फी
खीर – खस्ता कचौड़ी
इनमें से जो चीजें माँ-पिताजी के बचपन में घर में बनती थींसमोसे, पकौड़े, बर्फी

खानपान की बदलती तस्वीर HBSE 7th Class प्रश्न 2.
यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिएउबालना, तलना, भूनना, सेंकना, दाल, भात, रोटी, पापड़ आलू, बैंगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला

भोजन कैसे पकाया स्वाद

उत्तर:

भोजन कैसे पकाया स्वाद
दाल उबालना स्वाद
भात उबालना नमकीन
रोटी सेंकना मीठा
पापड़ सेंकना मीठा
आलू उबालना नमकीन
बैंगन भूनना मीठा

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खान पान की बदलती तस्वीर HBSE 7th Class प्रश्न 3.
छोक, चावल, कड़ी
इन शब्दों में क्या अंतर है? समझाइए। इन्हें बनाने के तरीके विभिन प्रांतों में अलग-अलग हैं। पता करें कि आपके प्रांत में इन्हें कैसे बनाया जाता है।
उत्तर :
विद्यार्थी इनके बनाने के तरीक पता करे।

Class 7 Hindi Khanpan Ki Badalti Tasveer Question Answer HBSE प्रश्न 4.
पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुई तस्वीर का खाका खींचें तो इस प्रकार होगा
सन साठ का दशक – छोले-भटूरे
सन सत्तर का दशक – इडली, डोसा
सन अस्सी का दशक – तिब्बती (चीनी) खाना
सन नब्बे का दशक – पीजा, पाव भाजी

इसी प्रकार आप कपड़ों या पोशाकों की बदलती तस्वीर का खाका खींचिए।
सन साठ का दशक – सलवार-कुरता-साड़ी
सन सत्तर का दशक – चूड़ीदार पाजामा, टाइट कपड़े
सन अस्सी का दशक – पैंट, शर्ट, सूट
सन नब्बे का दशक – पैंट, जींस, टॉप।

Class 7 Hindi Chapter 14 Summary HBSE प्रश्न 5.
मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रांत का पारंपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन-सूची ( मेन्यू) बनाइए।
उत्तर :
हम उत्तर भारत के हैं और मेहमान दक्षिण भारत से आ रहे हैं। हम उन्हें अपने प्रांत का यह पारंपरिक भोजन कराना चाहेंगे

  • पूड़ी-आलू-मटर की सब्जी
  • बूंदी का रायता
  • आलू-गोभी की सब्जी
  • छोले
  • आम का अचार
  • सलाद
  • गाजर का हलवा।

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HBSE 7th Class Hindi खानपान की बदलती तस्वीर Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

Khan Pan Ki Badalti Tasvir HBSE 7th Class प्रश्न 1.
उत्तर भारत की कौन-सी संस्कृति पूरे भारत में फैल चुकी है?
उत्तर :
उत्तर भारत की ‘डान्बा संस्कृति’ लगभग पूरे देश में फैल चुकी है।

Class 7 Hindi Chapter 14 Pdf HBSE प्रश्न 2.
आजकल बड़े शहरों में किसका प्रचलन बढ़ गया है?
उत्तर :
आजकल बड़े शहरों में फास्ट फूड, चाइनीज नूडल्स, आलू-चिप्स का प्रचलन बढ़ गया है।

Class 7 Ch 14 Hindi HBSE खानपान की बदलती तस्वीर प्रश्न 3.
पहले ब्रेड कहाँ तक सीमित थी और अब कहाँ तक पहुंच चुकी है?
उत्तर :
पहले ब्रेड अंग्रेजी साहबों के ठिकानों तक सीमित थी और अब यह कस्बों के घरों तक जा पहुंची है।

Class 7 Chapter 14 Hindi HBSE खानपान की बदलती तस्वीर प्रश्न 4.
मथुरा-आगरा की कौन-सी चीजें प्रसिद्ध रही
उत्तर :
मथुरा के पड़े और आगरा का दालमोठ-पेठा प्रसिद्ध रहा है।

प्रश्न 5.
आजकल खान-पान की जो संस्कृति बनी है, इसका सकारात्मक पक्ष क्या है?
उत्तर :
इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि इसे गृहिणियाँ और काम-काजी महिलाएं जल्दी तैयार कर लेती हैं।

प्रश्न 6.
खान-पान की मिश्रित संस्कृति के कारण क्या गड़बड़ हो रही है?
उत्तर :
खान-पान की मिश्रित संस्कृति में खाने की चीजों का अलग-अलग स्वाद नहीं मिल पा रहा है।

स्थानीय व्यंजनों के पुनरुद्धार की आवश्यकता क्यों है? - sthaaneey vyanjanon ke punaruddhaar kee aavashyakata kyon hai?

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
दक्षिण भारत के कुछ व्यंजनों के नाम लिखिए।
उत्तर :
दक्षिण भारत के व्यंजन :
डोसा, इडली, बड़ा, रसमा

प्रश्न 2.
‘ढाबा’ संस्कृति से लेखक का क्या आशय है ?
उत्तर :
ढाबा संस्कृति से लेखक का यह आशय है कि सड़कों के किनारे बने ढाबों पर मिलने वाला खाना। ढाबों पर पंजाबी संस्कृति का खाना मिलता है। इसमें तंदूर की रोटियाँ, दाल, राजमा, कड़ी, चावल, अचार आदि होते हैं। तंदूर की रोटियों का अपना अलग ही स्वाद होता है।

प्रश्न 3.
‘टिफिन’ संस्कृति क्या है ?
उत्तर :
टिफिन में खाना रखकर ले जाना टिफिन संस्कृति है। स्कूलों के बच्चे टिफिन ले जाते हैं। दफ्तरों, कारखानों में काम करने वाले भी टिफिन ले जाते हैं या बने-बनाए खाने का टिफिन मंगाते हैं।

प्रश्न 4.
स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार क्यों आवश्यक है?
उत्तर :
अब धीरे-धीरे स्थानीय व्यंजन बाजारों और घरों से गायब होते चले जा रहे हैं। इससे हमारे खाने की पुरानी पहचान मिटती चली जा रही है। पांच सितारा होटल उन्हीं को ‘एथनिक’ कहकर पुकारने लगे हैं। अब इनके पुनः प्रचलित करने की -आवश्यकता है।

प्रश्न 5.
खान-पान की मिश्रित संस्कृति लेखक को अच्छी क्यों नहीं लगती?
उत्तर :
लेखक का कहना है कि इसमें चीजों का अलग और असली स्वाद नहीं आ पाता। सब गड्डमड्ड हो जाता है। कई बार प्लट म विपरीत प्रकृति के भोजन परास लिए जात है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रहता है।

स्थानीय व्यंजनों के पुनरुद्धार की आवश्यकता क्यों है? - sthaaneey vyanjanon ke punaruddhaar kee aavashyakata kyon hai?

खानपान की बदलती तस्वीर गिद्यांशों पर अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. पिछले दस-पंद्रह ……………….. नहीं रहे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. इस गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम बताइए।
2 खान-पान के बारे में क्या बताया गया है?
3. दक्षिण भारत के व्यंजन कौन-कौन से हैं?
4. उत्तर भारतीय भोजन में क्या-क्या होता है?
5. फास्ट फूड में क्या-क्या चीजें शामिल हैं?
उत्तर :
1.इस गद्यांश के पाठ का नाम है– खान-पान की बदलती हुई तस्वीर। लेखक का नाम- प्रयाग शुक्ला
2. खान-पान के बारे में यह बताया गया है कि पिछले 10-15 वर्षों में हमारी खान-पान की संस्कृति में बहुत बड़ा बदलाव आया है।
3. दक्षिण भारत के व्यंजन हैं-इडली, डोसा, बड़ा-साँभर, रसमा
4. उत्तर भारतीय व्यंजन हैं–रोटी-दाल-सब्जी-चावला
5. फास्ट फूड में ये चीजें शामिल हैं-नूडल्स, बर्गर।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. किस बात में बदलाव आया है?
(क) खान-पान की संस्कृति में
(ख) वेशभूषा में
(ग) सोचने-विचारने में
(घ) इन सभी में
उत्तर :
(क) खान-पान की संस्कृति में

2. ‘ढाबा संस्कृति’ कहाँ तक फैल चुकी है?
(क) दक्षिण भारत तक
(ख) उत्तर भारत तक
(ग) पूरे देश में
(घ) कहीं नहीं
उत्तर :
(ग) पूरे देश में

3. बड़े शहरों में किसका प्रचलन बढ़ा है?
(क) फास्ट फूड का
(ख) साँभर-डोसा का
(ग) दाल-रोटी का
(घ) खान-पान का
उत्तर :
(क) फास्ट फूड का

4. क्या चीज अब अजनबी नहीं रही?
(क) नूडल्स
(ख) दही-भल्ले
(ग) डोसा
(घ) छोले-भटूरे
उत्तर :
(क) नूडल्स

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2. खानपान की ……………………. दुःसाध्य है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. खान-पान की बदली संस्कृति का अधिक प्रभाव किस पर पड़ा है?
2. स्थानीय व्यंजनों की क्या दशा है?
3. इस गद्यांश में किन-किन स्थानीय व्यंजनों का उल्लेख हुआ है?
4. अब घरों में मौसम और ऋतुओं के अनुसार व्यंजन क्यों नहीं बन पाते?
उत्तर :
1. खान-पान की बदली हुई संस्कृति का सबसे अधिक प्रभाव नई पीढ़ी पर पड़ा है। यह स्थानीय व्यंजनों के बारे में बहुत कम जानती है।
2. स्थानीय व्यंजन घटकर कुछ चीजों तक ही सीमित रह गए हैं। लोग इन्हें भूलते जा रहे हैं।
3. इस गद्यांश में निम्नलिखित स्थानीय व्यंजनों के नाम आए हैं-

  • मुंबई की पाव-भाजी
  • दिल्ली के छोले-कुल्चे
  • मथुरा के पेड़े
  • आगरा का पेठा-नमकीन।

4. अब घरों में मौसम और ऋतुओं के अनुसार व्यंजन इसलिए नहीं बन पाते क्योंकि अब उन्हें इनको बनाने की फुरसत नहीं है। काम-काजी महिलाओं के लिए सामान तैयार करना और व्यंजन बनाना कठिन है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. खान-पान की बदली संस्कृति ने किसे अधिक प्रभावित किया है?
(क) नई पीढ़ी को
(ख) पुरानी पीढ़ी को
(ग) सभी को
(घ) किसी को नहीं
उत्तर :
(क) नई पीढ़ी को

2. मुंबई की क्या चीज़ प्रसिद्ध खान-पान में है?
(क) छोले-भटूरे
(ख) पाव-भाजी
(ग) दाल-रोटी
(घ) डोसा-वड़ा
उत्तर :
(ख) पाव-भाजी

3. खान-पान की चीजों की किस बात में फर्क आया
(क) स्वाद में
(ख) गुणवत्ता में
(ग) दोनों में
(घ) किसी में नहीं
उत्तर :
(ग) दोनों में

4. ‘दुःसाध्य’ शब्द का सही अर्थ है
(क) जिसे साधना कठिन हो
(ख) जो करने में कठिन हो
(ग) जिसे किया ही न जा सके
(घ) जिसे साधा जा सके
उत्तर :
(क) जिसे साधना कठिन हो

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3. हम खान-पान ……… रही है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. खान-पान की नई संस्कृति का क्या लाभ है?
2 स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार क्यों जरूरी है?
3. क्या-क्या चोरों घरों-बाजारों से गायब हो रही है?
4. किन चीजों को होटलों पर नहीं छोड़ देना चाहिए?
उत्तर :
1. खान-पान की नई संस्कृति का यह लाभ है कि इससे राष्ट्रीय एकता की भावना पनपती है। खान-पान की चीजों के अलावा अन्य बातों की ओर भी हमारा ध्यान जाएगा।
2. स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार इसलिए जरूरी है क्योंकि इनका प्रचलन निरंतर घटता चला जा रहा है। इनको जानना और अपनाना आवश्यक हो गया है।
3. ये चीरों घरों और बाजारों से गायब हो रही है-पूड़ियाँ, . कचौड़ियाँ-जलेबियाँ, मौसमी सख्ती से भरे समोसे।
4. स्थानीय व्यंजनों को ‘एथनिक’ के नाम पर पाँच सितारा होटलों के ऊपर नहीं छोड़ देना चाहिए।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. खान-पान की नई संस्कृति का लाभ है
(क) एक-दूसरे को जानते हैं।
(ख) राष्ट्रीय एकता स्थापित होती है
(ग) दूसरी चीजों की ओर भी ध्यान जाएगा।
(घ) उपर्युक्त सभी लाभ
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त सभी लाभ

2. किसका पुनरुद्धार जरूरी है?
(क) स्थानीय व्यंजनों का
(ख) नए व्यंजनों का
(ग) एथनिक का
(घ) किसी का नहीं
उत्तर :
(क) स्थानीय व्यंजनों का

3. ‘मौसमी सब्जियाँ’- रेखांकित शब्द क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) सर्वनाम
(ग) विशेषण
(घ) क्रिया
उत्तर :
(ग) विशेषण

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4. अचरज नहीं ………………… अनुकूलित हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. क्या बात अचरज नहीं है?
2. कड़वा सच क्या है?
3. नई खाद्य चीजें कैसी हैं?
उत्तर :
1. यह बात अचरज की नहीं है कि जो चीरों उत्तर भारत में गली-मुहल्लों की दुकानों पर आसानी से मिल जाया करती थीं, अब उन्हें खास दुकानों में तलाशना पड़ता
2. कड़वा सच यह है कि हमने आधुनिकता की होड़ में स्थानीय व्यंजनों के प्रयोग को छोड़ दिया है।
3. पश्चिम की नकल करते हुए हमने खाने-पीने की ऐसी बहुत-सी चीजें अपना ली हैं जो स्वाद और स्वास्थ्य की दृष्टि से हमारे अनुकूल नहीं हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. अब पहले की आम चीजों को कहाँ तलाशा जाता
(क) खास दुकानों में
(ख) गली-मुहल्लों में
(ग) सामान्य दुकानों में
(घ) कहीं नहीं
उत्तर :
(क) खास दुकानों में

2. ‘आधुनिकता’ में ‘ता’ क्या है?
(क) उपसर्ग
(ख) प्रत्यय
(ग) मूल शब्द
(घ) सामान्य शब्द
उत्तर :
(ख) प्रत्यय

3. ‘अनुकूलित’ में किस प्रत्यय का प्रयोग है?
(क) अ
(ख) कूल
(ग) इतर
(घ) लित
उत्तर :
(ग) इतर

4. इस पाठ के लेखक हैं
(क) प्रयाग शुक्ल
(ख) रमापति शुक्ल
(ग) आचार्य शुक्ल
(घ) प्रयाग शर्मा
उत्तर :
(क) प्रयाग शुक्ल

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खानपान की बदलती तस्वीर Summary in Hindi

खानपान की बदलती तस्वीर पाठ का सार

इस पाठ में लेखक ने खानपान के क्षेत्र में आए बदलाव का चित्रण किया है। पिछले 10-15 वर्षों में खानपान की संस्कृति में काफी बदलाव दिखाई दिया है। अब दक्षिण भारत के व्यंजन इडली-डोसा-बड़ा-साँभर-रसम पूरे उत्तर भारत में मिलते हैं और खाए भी जाते हैं। ‘ढाबा’ संस्कृति भी सभी जगह दिखाई देती है। उत्तर भारतीय खाना रोटी-दाल-साग भी सभी जगह उपलब्ध है। अब तो ‘फास्ट फूड’ का चलन भी खूब बढ़ चला है। इसमें बर्गर, नूडल्स चीजें शामिल हैं। अब गुजराती व्यंजन ढोकला-गाठिया भी देश के सभी भागों में स्वाद लेकर खाए जाते हैं। बंगाली मिठाइयाँ भी सभी शहरों में मिल जाती हैं।

अंग्रेजी राज में प्रचलित ब्रेड नाश्ते के रूप में लाखों-करोड़ों घरों में सेंकी-तली जा रही है। खानपान की इस बदलती संस्कृति ने नई पीढ़ी को सबसे अधिक प्रभावित किया है। मुंबई की पाव-भाजी और दिल्ली के छोले-कुल्चे की अपनी दुनिया है। अब मथुरा के पेड़े और आगरा के पेठे-नमकीन में वह बात नहीं रह गई है। अब इनकी गुणवत्ता में अंतर आ गया है। अब कामकाजी महिलाओं के लिए खरबूजे के बीज सुखाना और छीलना फिर उनसे व्यंजन तैयार करना कठिन हो गया है। अब तो देसी-विदेशी वे व्यंजन अपनाए जा रहे हैं जिन्हें बनाने पकाने में सुविधा होती हो।

कई बार व्यंजन पुस्तिकाओं के आधार पर तैयार किए जाते हैं। इसके कुछ सकारात्मक पक्ष भी हैं। आजादी के बाद अब ‘टिफिन’ संस्कृति का प्रचार बढ़ा है। स्कूली बच्चे टिफिन ले जाते हैं। खानपान की नई संस्कृति में राष्ट्रीय एकता के बीज भी मिल जाते हैं। अब स्थानीय व्यंजनों के पुनरुद्धार की भी जरूरत है। इन्हें पाँच सितारा होटलों के लिए ही नहीं छोड़ देना चाहिए। अब पूड़ियाँ-कचौड़ियाँ-जलेबियाँ स्थानीय बाजारों से गायब हो रही हैं। मौसमी सब्जियों से भरे समोसे भी नहीं मिल पाते।

हमने पश्चिम की नकल में खाने की ऐसी बहुत सी चीजें अपना ली हैं जो स्वाद, स्वास्थ्य और सरसता की दृष्टि से हमारे अनुकूल नहीं हैं। खानपान की मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीजों का सही स्वाद नहीं ले पाते हैं। प्रीतिभोजों में चीजों का स्वाद गड्डमड हो जाता है। खाने की चीजों के चुनाव में हम सही लाभ न उठाकर विपरीत प्रकृति वाले व्यंजन खा लेते हैं। खानपान की मिश्रित-विविध संस्कृति को जाँचते रहना आवश्यक है।

खानपान की बदलती तस्वीर शब्दार्थ

ढाबा = रोटी की दुकान (Dhaba)। चाइनीस = चीन देश का (Chines)। अजनबी = अपरिचित (Unknown)। स्थानीय = स्थान विशेष का (Local)। विज्ञापित = विज्ञापन में दिखाया गया (Advertised)। विविधता = अनेक रूप या विभिन्न, अनेकता (Diversity)। मसलन = जैसे, यथा (AS)। साहबी ठिकानों तक = समृद्ध (अमीर) लोगों के घरों तक (Prosperous people)। कस्बा = नगर या गाँव (Town, village)। गृहिणी = वे महिलाएँ जो कहीं नौकरी नहीं करती (House wife)। कामकाजी ” काम-काज करने वाली महिलाएँ (Working Ladies)। भागमभाग = भागदौड़, जीवन की, व्यस्तता (Busy life) मिश्रित = मिली-जुली (Mixed)। बोली-बानी = बोलचाल की भाषा (Speaking Language)। पुनरुद्धार = फिर से ऊपर उठाना या फिर से छुटकारा (Renovation)। प्रचारार्थ = प्रचार के लिए (For publicity)। दुर्भाग्य = बदकिस्मती (Bad luck)। दुर्गति = बुरी हालत (Bad condition)। अचरज = आश्चर्य (Surprise)। तलाश = खोजा, ढूँढा (Invention)। कड़वा = असली, वास्तविकता (Bitter)। विनिहित . रखा हुआ (Captured).

स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार क्यों आवश्यक है?

वेहमारी संस्कृति की धरोहर हैं। उनसेहमारी पसंद, रुचच और पहचान होिी है। इसमलए भारिीय व्यंजनों का पुनरुद्धार आवश्यक है क्योंकक पजश्चमी प्रभाव के कारण अपना अजस्ित्व खोिेजा रहे हैं।

स्थानीय व्यंजनों के पुनरुद्धार द्वारा बने व्यंजन क्या कहलाते है?

इसी के साथ ध्यान देने की बात यह है कि 'स्थानीय' व्यंजनों का पुनरुद्धार भी ज़रूरी है जिन्हें अब 'एथनिक' कहकर पुकारने का चलन है।

स्थानीय व्यंजनों क्यों ज़रूरी है?

स्थानीय व्यंजन केवल पाँच सितारा होटलों के प्रचारार्थ नहीं छोड़ दिए जाने चाहिए। पाँच सितारा होटलों में वे कभी-कभार मिलते रहें, पर घरों - बाज़ारों से गायब हो जाएँ तो यह एक दुर्भाग्य ही होगा। अच्छी तरह बनाई - पकाई गई पूड़ियाँ-कचौड़ियाँ-जलेबियाँ भी अब बाज़ारों से गायब हो रही हैं।

I स्थानीय व्यंजनों का महत्व आज के समय में क्यों ज़रूरी है?

उत्तर:- खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है कि वे व्यंजन जो स्थानीय आधार पर बनते थे। जैसे मुम्बई की पाव-भाजी, दिल्ली के छोले-कुलचे, मथुरा के पेड़े व आगरे के पेठे-नमकीन तो कहीं किसी प्रदेश की जलेबियाँ, पूड़ी और कचौड़ी आदि स्थानीय व्यंजनों का अत्यधिक चलन था और अपना अलग महत्त्व भी था।