विषयसूची खानपान की मिश्रित संस्कृति को समयानुसार जांचना क्यों आवश्यक है?इसे सुनेंरोकेंस्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार अति आवश्यक है। खानपान की मिश्रित संस्कृति से हम कई बार चीजों का वास्तविक स्वाद नहीं ले पाते। आज आधुनिकता के दौर में खानपान की मिश्रित संस्कृति बढ़ती जा रही है। हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम समयानुसार उसकी जाँच करते रहें। महिलाओं को नए व्यजं न क्यों पसंद है? इसी के साथ ध्यान देने की बात यह है कि ‘स्थानीय’ व्यंजनों का पुनरुद्धार भी ज़रूरी है जिन्हें अब ‘एथनिक’ कहकर पुकारने का चलन है। ऐसे स्थानीय व्यंजन केवल पाँच सितारा होटलों के प्रचारार्थ नहीं छोड़ दिए जाने चाहिए।…खानपान की बदलती तस्वीर Class 7 MCQs Questions with Answers.
खानपान की बदलती तस्वीर पाठ में उत्तर भारत की कौन सी संस्कृति पूरे देश में फैल चुकी है? इसे सुनेंरोकेंपिछले दस-पंद्रह वर्षों से हमारी खानपान की संस्कृति में एक बड़ा बदलाव आया है। इडली-डोसा-बड़ा-साँभर-रसम अब केवल दक्षिण भारत तक सीमित नहीं हैं। ये उत्तर भारत के भी हर शहर में उपलब्ध हैं और अब तो उत्तर भारत की ‘ढाबा’ संस्कृति लगभग पूरे देश में फैल चुकी है। दोपहर का टिफिन विभिन्न प्रदेशों को कैसे जुड़ जाता है?इसे सुनेंरोकेंउत्तर – दोपहर के समय मध्यमवगीय स्कूलों में लंच के समय सभी बच्चे जो अलग अलग राज्ों से आये होते है एकसाथ अपने घर के क्षिक्षिनो को एक साथ खोलते है तो इस तरह कई राज्ों के व्यंजनों की खुशबू आपस में क्षमलकर क्षमक्षित रूप से सभी प्रदेशो को जोड़ती है। खानपान संस्कृति का मिश्रित रूप कैसे विकसित हुआ? इसे सुनेंरोकेंAnswer: यहाँ मिश्रित संस्कृति से लेखक का तात्पर्य विभिन्न प्रांतो व देशों के व्यंजनों के अलग-अलग प्रकारो का मिला जुला रूप है। उदाहरण के लिए आज एक ही घर में हमें दक्षिण भारतीय, उत्तर भारतीय व विदेशी व्यंजनों का मिश्रित रूप खाने में मिल जाता है। जैसे – कभी ब्रेड तो कभी पराठे, कभी सांभर-डोसा तो कभी राजमा जैसे व्यंजन। खानपान की संस्कृति से कौन प्रभावित हुआ है और क्यों? इसे सुनेंरोकेंप्रश्न-24 देश में खानपान की संस्कृति में बदलाव के मुख्य कारण क्या है? उत्तर – आज़ादी के बाद उद्योग – धंधों, नौकरियों – तबादलों का जो एक नया विस्तार हुआ है, उसके कारण भी खान – पान की चीज़ें किसी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँचीं हैं। खानपान के नई तहज़ीब और नए व्यंजनों से लोग अवगत हुए है। नई पीढ़ी को कहाँ के व्यंजनों को जानने का अवसर मिला है?इसे सुनेंरोकेंनयी पीढ़ी को देश-विदेश के व्यंजनों को जानने का सुयोग मिला है- भले ही किन्हीं कारणों से और किन्हीं खास रूपों में (क्योंकि यह भी एक सच्चाई है कि वे विविध व्यंजन इन्हें निखालिस रूप में उपलब्ध नहीं हैं)। स्थानीय व्यंजन किसे और क्यों कहा जाता है? इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: उत्तर:- खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है कि वे व्यंजन जो स्थानीय आधार पर बनते थे। जैसे मुम्बई की पाव-भाजी, दिल्ली के छोले-कुलचे, मथुरा के पेड़े व आगरे के पेठे-नमकीन तो कहीं किसी प्रदेश की जलेबियाँ, पूड़ी और कचौड़ी आदि स्थानीय व्यंजनों का अत्यधिक चलन था और अपना अलग महत्त्व भी था। उत्तर भारत की कौन सी संस्कृति लगभग पूरे देश में फैल चुकी है? इसे सुनेंरोकेंढाबा. संस्कृति लगभग पूरे देश में फैल चुकी है। उत्तर भारत की कौन सी संस्कृति पूरे भारत में फैल गई है?इसे सुनेंरोकेंAnswer: उत्तर भारत की ‘ढाबा’ संस्कृति लगभग पूरे देश में फैल चुकी है। खानपान की चीजों का एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश को अधिक विस्तार कब हुआ? इसे सुनेंरोकेंआज़ादी के बाद उद्योग-धंधों, नौकरियों-तबादलों का जो एक नया विस्तार हुआ है, उसके कारण भी खानपान की चीजें किसी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँची हैं। बड़े शहरों के मध्यवर्गीय स्कूलों में जब दोपहर के ‘टिफिन’ के वक्त बच्चों के टिफिन-डिब्बे खुलते हैं तो उनसे विभिन्न प्रदेशों के व्यंजनों की एक खुशबू उठती है। खानपान की मिश्रित संस्कृति से कौन सी पीढ़ी सबसे अधिक प्रभावित हुई है और क्यों? इसे सुनेंरोकेंप्रश्न-21 खानपान की मिश्रित संस्कृति ने युवाओं को किस प्रकार प्रभावित किया है? उत्तर – खानपान की इस बदली हुई संस्कृति से सबसे अधिक प्रभावित नयी पीढ़ी हुई है, जो पहले के स्थानीय व्यंजनों के बारे में बाहर कम जानती है, पर कई नए व्यंजनों के बारे में बहुत-कुछ जानती है। Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर Textbook Exercise Questions and Answers. निबंध से Khan
Pan Ki Badalti Tasveer Question Answer HBSE प्रश्न 1. Khanpan Ki Badalti Tasveer Question Answer HBSE प्रश्न 2. लेखक इस बदलाव को लेकर इसलिए चिंतित है क्योंकि अब स्थानीय खानों को लोग भूलते जा रहे हैं, वे बाजार से गायब हो रहे हैं। आधुनिकता के नाम पर हमने चीजें अपना ली हैं जो स्वाद और स्वास्थ्य की दृष्टि से हमारे अनुकूल नहीं हैं। खानपान की बदलती तस्वीर प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 3. निबंध से आगे Class 7 Hindi Chapter 14 HBSE खानपान की बदलती तस्वीर प्रश्न 1. खानपान की बदलती तस्वीर HBSE 7th Class प्रश्न 2.
उत्तर:
खान पान की बदलती तस्वीर HBSE 7th Class प्रश्न 3. Class 7 Hindi Khanpan Ki Badalti Tasveer Question Answer HBSE प्रश्न 4. इसी प्रकार आप कपड़ों या पोशाकों की बदलती तस्वीर का खाका खींचिए। Class 7 Hindi Chapter 14 Summary HBSE प्रश्न 5.
HBSE 7th Class Hindi खानपान की बदलती तस्वीर Important Questions and Answersअति लघुत्तरात्मक प्रश्न Khan Pan Ki Badalti Tasvir HBSE 7th Class
प्रश्न 1. Class 7 Hindi Chapter 14 Pdf HBSE प्रश्न 2. Class 7 Ch 14 Hindi HBSE खानपान की बदलती तस्वीर प्रश्न 3. Class 7 Chapter 14 Hindi HBSE खानपान की बदलती तस्वीर प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. लघुत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. खानपान की बदलती तस्वीर गिद्यांशों पर अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न 1. पिछले दस-पंद्रह ……………….. नहीं रहे। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न : बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. किस बात में बदलाव आया है? 2. ‘ढाबा संस्कृति’ कहाँ तक फैल चुकी
है? 3. बड़े शहरों में किसका प्रचलन बढ़ा है? 4. क्या चीज अब अजनबी नहीं रही? 2. खानपान की ……………………. दुःसाध्य है। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
4. अब घरों में मौसम और ऋतुओं के अनुसार व्यंजन इसलिए नहीं बन पाते क्योंकि अब उन्हें इनको बनाने की फुरसत नहीं है। काम-काजी महिलाओं के लिए सामान तैयार करना और व्यंजन बनाना कठिन है। बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. खान-पान की बदली संस्कृति ने किसे अधिक प्रभावित किया है? 2. मुंबई की क्या चीज़ प्रसिद्ध खान-पान में है? 3.
खान-पान की चीजों की किस बात में फर्क आया 4. ‘दुःसाध्य’ शब्द का सही अर्थ है 3. हम खान-पान ……… रही है। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न : बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. खान-पान की नई संस्कृति का लाभ है 2. किसका पुनरुद्धार जरूरी है? 3. ‘मौसमी सब्जियाँ’- रेखांकित शब्द क्या है? 4. अचरज नहीं ………………… अनुकूलित हैं। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न : बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. अब पहले की आम चीजों को कहाँ तलाशा जाता 2.
‘आधुनिकता’ में ‘ता’ क्या है? 3. ‘अनुकूलित’ में किस प्रत्यय का प्रयोग है? 4. इस पाठ के लेखक हैं खानपान की बदलती तस्वीर Summary in Hindiखानपान की बदलती तस्वीर पाठ का सार इस पाठ में लेखक ने खानपान के क्षेत्र में आए बदलाव का चित्रण किया है। पिछले 10-15 वर्षों में खानपान की संस्कृति में काफी बदलाव दिखाई दिया है। अब दक्षिण भारत के व्यंजन इडली-डोसा-बड़ा-साँभर-रसम पूरे उत्तर भारत में मिलते हैं और खाए भी जाते हैं। ‘ढाबा’ संस्कृति भी सभी जगह दिखाई देती है। उत्तर भारतीय खाना रोटी-दाल-साग भी सभी जगह उपलब्ध है। अब तो ‘फास्ट फूड’ का चलन भी खूब बढ़ चला है। इसमें बर्गर, नूडल्स चीजें शामिल हैं। अब गुजराती व्यंजन ढोकला-गाठिया भी देश के सभी भागों में स्वाद लेकर खाए जाते हैं। बंगाली मिठाइयाँ भी सभी शहरों में मिल जाती हैं। अंग्रेजी राज में प्रचलित ब्रेड नाश्ते के रूप में लाखों-करोड़ों घरों में सेंकी-तली जा रही है। खानपान की इस बदलती संस्कृति ने नई पीढ़ी को सबसे अधिक प्रभावित किया है। मुंबई की पाव-भाजी और दिल्ली के छोले-कुल्चे की अपनी दुनिया है। अब मथुरा के पेड़े और आगरा के पेठे-नमकीन में वह बात नहीं रह गई है। अब इनकी गुणवत्ता में अंतर आ गया है। अब कामकाजी महिलाओं के लिए खरबूजे के बीज सुखाना और छीलना फिर उनसे व्यंजन तैयार करना कठिन हो गया है। अब तो देसी-विदेशी वे व्यंजन अपनाए जा रहे हैं जिन्हें बनाने पकाने में सुविधा होती हो। कई बार व्यंजन पुस्तिकाओं के आधार पर तैयार किए जाते हैं। इसके कुछ सकारात्मक पक्ष भी हैं। आजादी के बाद अब ‘टिफिन’ संस्कृति का प्रचार बढ़ा है। स्कूली बच्चे टिफिन ले जाते हैं। खानपान की नई संस्कृति में राष्ट्रीय एकता के बीज भी मिल जाते हैं। अब स्थानीय व्यंजनों के पुनरुद्धार की भी जरूरत है। इन्हें पाँच सितारा होटलों के लिए ही नहीं छोड़ देना चाहिए। अब पूड़ियाँ-कचौड़ियाँ-जलेबियाँ स्थानीय बाजारों से गायब हो रही हैं। मौसमी सब्जियों से भरे समोसे भी नहीं मिल पाते। हमने पश्चिम की नकल में खाने की ऐसी बहुत सी चीजें अपना ली हैं जो स्वाद, स्वास्थ्य और सरसता की दृष्टि से हमारे अनुकूल नहीं हैं। खानपान की मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीजों का सही स्वाद नहीं ले पाते हैं। प्रीतिभोजों में चीजों का स्वाद गड्डमड हो जाता है। खाने की चीजों के चुनाव में हम सही लाभ न उठाकर विपरीत प्रकृति वाले व्यंजन खा लेते हैं। खानपान की मिश्रित-विविध संस्कृति को जाँचते रहना आवश्यक है। खानपान की बदलती तस्वीर शब्दार्थ ढाबा = रोटी की दुकान (Dhaba)। चाइनीस = चीन देश का (Chines)। अजनबी = अपरिचित (Unknown)। स्थानीय = स्थान विशेष का (Local)। विज्ञापित = विज्ञापन में दिखाया गया (Advertised)। विविधता = अनेक रूप या विभिन्न, अनेकता (Diversity)। मसलन = जैसे, यथा (AS)। साहबी ठिकानों तक = समृद्ध (अमीर) लोगों के घरों तक (Prosperous people)। कस्बा = नगर या गाँव (Town, village)। गृहिणी = वे महिलाएँ जो कहीं नौकरी नहीं करती (House wife)। कामकाजी ” काम-काज करने वाली महिलाएँ (Working Ladies)। भागमभाग = भागदौड़, जीवन की, व्यस्तता (Busy life) मिश्रित = मिली-जुली (Mixed)। बोली-बानी = बोलचाल की भाषा (Speaking Language)। पुनरुद्धार = फिर से ऊपर उठाना या फिर से छुटकारा (Renovation)। प्रचारार्थ = प्रचार के लिए (For publicity)। दुर्भाग्य = बदकिस्मती (Bad luck)। दुर्गति = बुरी हालत (Bad condition)। अचरज = आश्चर्य (Surprise)। तलाश = खोजा, ढूँढा (Invention)। कड़वा = असली, वास्तविकता (Bitter)। विनिहित . रखा हुआ (Captured). स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार क्यों आवश्यक है?वेहमारी संस्कृति की धरोहर हैं। उनसेहमारी पसंद, रुचच और पहचान होिी है। इसमलए भारिीय व्यंजनों का पुनरुद्धार आवश्यक है क्योंकक पजश्चमी प्रभाव के कारण अपना अजस्ित्व खोिेजा रहे हैं।
स्थानीय व्यंजनों के पुनरुद्धार द्वारा बने व्यंजन क्या कहलाते है?इसी के साथ ध्यान देने की बात यह है कि 'स्थानीय' व्यंजनों का पुनरुद्धार भी ज़रूरी है जिन्हें अब 'एथनिक' कहकर पुकारने का चलन है।
स्थानीय व्यंजनों क्यों ज़रूरी है?स्थानीय व्यंजन केवल पाँच सितारा होटलों के प्रचारार्थ नहीं छोड़ दिए जाने चाहिए। पाँच सितारा होटलों में वे कभी-कभार मिलते रहें, पर घरों - बाज़ारों से गायब हो जाएँ तो यह एक दुर्भाग्य ही होगा। अच्छी तरह बनाई - पकाई गई पूड़ियाँ-कचौड़ियाँ-जलेबियाँ भी अब बाज़ारों से गायब हो रही हैं।
I स्थानीय व्यंजनों का महत्व आज के समय में क्यों ज़रूरी है?उत्तर:- खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है कि वे व्यंजन जो स्थानीय आधार पर बनते थे। जैसे मुम्बई की पाव-भाजी, दिल्ली के छोले-कुलचे, मथुरा के पेड़े व आगरे के पेठे-नमकीन तो कहीं किसी प्रदेश की जलेबियाँ, पूड़ी और कचौड़ी आदि स्थानीय व्यंजनों का अत्यधिक चलन था और अपना अलग महत्त्व भी था।
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