सत्यानाशी का कुल कौन सा है? - satyaanaashee ka kul kaun sa hai?

सत्यानाशी दिखने में एक बहुत ही सुंदर पौधा है। इसका नाम बेशक सत्यानाशी हो, लेकिन आयुर्वेद की दृष्टि से यह बहुत ही काम का पौधा है। यह एक जड़ी-बूटी है जो पीलिया, डायबिटिज, आंख, सांस आदि की बीमारियों को ठीक करने में मदद करती है। यह वनस्पति हिमालयी क्षेत्रों में ज्यादा पाई जाती है। हालांकि इसे समूचे भारत में सड़कों के किनारे शुष्क क्षेत्रों में अधिक देखा जाता है। इस पौधे पर कांटे अधिक होते हैं। फूल पीले रंग के होते हैं। फूलों के अंदर श्यामले रंग के बीज होते हैं।  सत्यानाशी को स्वर्णक्षीरी भी कहते हैं क्योंकि इसको तोड़ने पर पीले रंग का दूध निकलता है। सत्यानाशी में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-माइक्रोबायल गुण पाए जाते हैं। जो कब्ज, लिवर, बुखार आदि में लाभदायक होते हैं। सत्यानाशी के और क्या फायदे हैं, आइए जानते हैं विस्तार से।

सत्यानाशी के विभिन्न नाम

हिंदी में इसे सत्यानाशी, उजर कांटा, अंग्रेजी में प्रिकली पॉपी, मैक्सिन पॉपी, संस्कृत में कटुपर्णी कहा जाता है। सत्यानाशी को पंचांग कहा जाता है। इसके पत्ते, फूल, जड़, तने की छाल सभी काम में आते हैं। यह वनस्पति मैदानी भागों में पाई जाती है।

सत्यानाशी के फायदे (argemone mexicana benefits)

सत्यानाशी के फायदे निम्न हैं-

1. खांसी में फायदेमंद

सत्यानाशी को पंचांग कहा जाता है। इसकी जड़ भी आयुर्वदिक दृष्टि से बहुत उपयोगी है। जिन लोगों को खांसी या सांस संबंधी परेशानियां होती हैं, वे लोग सत्यानाशी (Yellow Thistle) का प्रयोग कर सकते हैं। खांसी से छुटकारा पाने के लिए सत्यानाशी की जड़ को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं। इस काढ़े को सुबह-शाम पीने से खांसी चली जाती है। इस काढ़े को हमने घर पर भी प्रयोग किया है।

2. पेट का दर्द करे ठीक

पेट में दर्द किसी भी वजह से हो सकता है। कई बार यह गलत खानपान की वजह से होता है। कई बार गैस बनने से भी। सत्यानाशी में दूध भी निकलता है। इसके दूध में घी की थोड़ी मात्रा मिलाकर पीने से परेशानी से आराम मिलता है।

3. पीलिया में फायदेमंद

पीलिया रोग में शरीर पीला पड़ जाता है। सबसे पहला लक्षण आंखों पर दिखाई देता है। इस रोग से बचने के लिए आप सत्यानाशी तेल में गिलोय का रस मिला लें। इस मिश्रण का सेवन करने से पीलिया रोग खत्म होता है।

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4. त्वचा को निखारे

त्वचा पर एक्ने, झाईयां, आंखों के नीचे डार्क सर्कल, पिंपल जैसी तमात परेशानियों को सत्यानाशी ठीक करता है। सत्यानाशी में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। जिससे त्वचा पर जो भी बैक्टीरिया से संबंधित परेशानियां होती हैं, उनसे छुटकारा मिलता है।

5. मधुमेह में दिलाए आराम

मधुमेह आज की बढ़ती बीमारी है। इससे निपटने के लिए लोग कई तरह के उपाय अपनाते हैं। तमाम दवाएं खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि येलो थिसल के पत्ते इस रोग में बहुत लाभदायक हैं। यह ब्लड शुगर को नियंत्रित रखता है। इस वजह से मधुमेह की परेशानी में आराम मिलता है।

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6. पेशाब संबंधी परेशानियों को भगाए

जिन लोगों को पेशाब संबंधी परेशानियां जैसे पेशाब रुक-रुक कर आना, पेशाब में जलन, पेशाब करने में दिक्कत आदि परेशानियों से छुटकारा दिलाता है सत्यानाशी का पौधा। इस सत्यानाशी के पौधे का काढ़ा बनाकर पीने पेशाब संबंधी परेशानियों में फायदा मिलता है।

7. सूजन ठीक करे

सत्यानाशी (Uses of satyanashi) को कटैया भी कहा जाता है। जिन लोगों को किसी भी वजह से सूजन की समस्या हो जाती है तो उनके लिए यह बहुत लाभदायक है। सूजन से छुटकारा पाने के लिए कटैया को अच्छे से कूटकर जिस जगह सूजन है, वहां लगा लें। इससे सारी सूजन खत्म हो जाती है। पेट या पेड़ू या शरीर के किसी भी हिस्से पर सूजन आ जाए तो इस सत्यानाशी का प्रयोग किया जा सकता है। यह सभी वे उपाय हैं जो हमारे बुजुर्ग या हमारे माता-पिता इन्हें इस्तेमाल कर चुके हैं।

सत्यानाशी सड़कों पर आराम से दिख जाता है। जब इसमें फूल आते हैं तो यह बहुत ही सुंदर दिखता है। इस पर बेशक कांटे होते हैं, पर यह एक आयुर्वेदिक औषधि है। जिसका उपयोग मनुष्य के लिए लाभदायक है।

इसे सुनेंरोकेंखांसी के इलाज के लिए कंटकारी सबसे बेहतरीन जड़ी बूटी है। गर्म प्रभाव और कसैले स्‍वाद के कारण कटेरी कफ और वात को ठीक करने का गुण रखती है। ये प्राकृतिक रूप से पाचन में सुधार लाकर पाचन तंत्र को मजबूत करती है। सांस से जुड़े विकारों को दूर करने के लिए व्‍यापक रूप से कटेरी का इस्‍तेमाल किया जाता है।

कंटकारी का उपयोग कैसे करें?

इसे सुनेंरोकेंकंटकारी का प्रयोग खूनी बवासीर में सहायक है। गठिया में दर्द और सूजन को कम करने के लिए कटेरी का पेस्‍ट जोड़ों पर लगाया जाता है। जड़ और बीज अस्थमा, खांसी और सीने में दर्द होने पर कटेरी को एक एक्‍पेक्‍टोरेंट के रूप में उपयोग किया जाता है। खांसी का इलाज करने के लिए कटेरी की जड़ का काढ़ा शहद के साथ दिया जाता है।

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सत्यानाशी का फूल खाने से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंफूलों के अंदर श्यामले रंग के बीज होते हैं। सत्यानाशी को स्वर्णक्षीरी भी कहते हैं क्योंकि इसको तोड़ने पर पीले रंग का दूध निकलता है। सत्यानाशी में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-माइक्रोबायल गुण पाए जाते हैं। जो कब्ज, लिवर, बुखार आदि में लाभदायक होते हैं।

सत्यानाशी कितने प्रकार की होती है?

सत्यानाशी के किसी भी अंग को तोड़ने से उसमें से स्वर्ण सदृश, पीतवर्ण (पीले रंग) का दूध निकलता है, इसलिए इसे स्वर्णक्षीरी भी कहते है।…विभिन्न भाषाओं में नाम

अंग्रेजी मेंArgemone mexicana (Mexican poppy, Mexican prickly poppy, flowering thistle, cardo or cardosanto)राजस्थान मेंकण्टालियो घास

सत्यानाशी के बीज कैसे होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंइसके पत्तों व फूलों से पीले रंग का दूध निकलता है, इसलिए इसे ‘स्वर्णक्षीरी’ यानी सुनहरे रंग के दूध वाली कहते हैं। उपयोग : इसकी जड़, बीज, दूध और तेल को उपयोग में लिया जाता है। इसका प्रमुख योग ‘स्वर्णक्षीरी तेल’ के नाम से बनाया जाता है। यह तेल सत्यानाशी के पंचांग (सम्पूर्ण पौधे) से ही बनाया जाता है।

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सत्यानाशी का कुल कौन सा है?

Poppiesसत्यानाशी / परिवार

सत्यानाशी का पेड़ कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंभड़भाड़, सत्यानाशी या घमोई (वानस्पतिक नाम:Argemone mexicana) एक अमेरिकी वनस्पति है, लेकिन भारत में यह सब स्थानों पर पैदा होती है। सत्यानाशी के किसी भी अंग को तोड़ने से उसमें से स्वर्ण सदृश, पीतवर्ण (पीले रंग) का दूध निकलता है, इसलिए इसे स्वर्णक्षीरी भी कहते है।

भटकटैया का पौधा कैसे होता है?

इसे सुनेंरोकेंभटकटैया एक छोटा कांटेदार पौधा जिसके पत्तों पर भी कांटे होते हैं। इसके फूल नीले रंग के होते हैं और कच्‍चे फल हरित रंग के लेकिन पकने के बाद पीले रंग के हो जाते हैं। बीज छोटे और चिकने होते हैं। भटकटैया की जड़ औषध के रूप में काम आती है।

सत्यानाशी क्या है?

भड़भाड़, सत्यानाशी या घमोई (वानस्पतिक नाम:Argemone mexicana) एक अमेरिकी वनस्पति है, लेकिन भारत में यह सब स्थानों पर पैदा होती है। सत्यानाशी के किसी भी अंग को तोड़ने से उसमें से स्वर्ण सदृश, पीतवर्ण (पीले रंग) का दूध निकलता है, इसलिए इसे स्वर्णक्षीरी भी कहते है।

सत्यानाशी की जड़ खाने से क्या होता है?

इसके दूध, पत्ते के रस, बीज के तेल से घाव और कुष्ठ रोग में लाभ होता है। इसकी जड़ (satyanashi ki jad)का लेप करने से सूजन ठीक होती है। सत्यानाशी का प्रयोग कर आप बुखार, नींद ना आने की परेशानी, पेशाब से संबंधित विकार, पेट की गड़बड़ी आदि में भी फायदा (satyanashi ke fayde) ले सकते हैं।

सत्यानाशी का प्रयोग कैसे करें?

इसके पौधे का इस्तेमाल पीलिया मरीजों के लिए किया जाता है. सत्यानाशी तेल की 8-10 बूंदों को गिलोय के रस में मिलाएं और पी लें. आंखों से संबंधित समस्याओं में सत्यानाशी लाभकारी है. यह आंखों के सूखेपन, ग्लूकोमा को ठीक करने में मदद करता है.

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