समुद्र तट की सैर पर निबंध - samudr tat kee sair par nibandh

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सागर-तट की सैर

Sagar Tat ki Sair

                गत् सप्ताह मैं क्न्याकुमारी के सागर-तट पर बैठा था। सागर-तट का दृश्य मुझे बहुत लुभा रहा था। समुद्र-तट पर कई छोटे जहाज खड़े थे। वे सभी का ध्यान आकर्षित कर रहे थे। सायंकाल का समय था। सुरज डूबने को था। इससे पहले आसमान में लालिमा छा गई थी। डूबते सूरज का रंग क्षण-क्षण परिवर्तित हो रहा था। यह दृश्य मन को बड़ा ही अच्छा प्रतीत हो रहा था।

                तभी सागर-तट पर कुछ मछुआरों की हलचल सुनाई पड़ी। सामने की ओर देखा तो मछलियों का अंबार लगा था। मछुआरे ठीक-ठीक मछलियों को छाँटकर एक ओर कर रहे थे। कुछ व्यापारी भी वहाँ खड़े थे। संभवतः वे उन मछलियों को खरीदने के लिए आए थे। मछलियों का मोल-भाव चल रहा था।

                सैलानियों की भीड़ बढ़ती चली जा रही थी। नारियल-पानी, भेल-पूरी बेचनेवाले आ गए थे। कुछ बालक सीपियों को लेकर आ गए थे। सैलानी उनसे चीजें खरीद रहे थे। सागर-तट पर काफी रौनक हो चली थी।

                सागर-तट पर बालू-रेत खूब चमक रही थी। बालू-कण अपनी श्यामल-श्वेत आभा बिखेर रहे थे। बालू-रेत पर आड़ी-तिरछी रेखाएँ साँप की तरह प्रतीत हो रही थीं। इस रेत पर बैठना अत्यंत सुखद प्रतीत हो रहा था।

                तभी किसी काॅलेज के युवक-युवतियों का एक दल आया। वे सभी मस्ती के मूड में थे। उनके हाथों में वाद्य यंत्र थे। वे खूब नाच-गा रहे थे। उनके आते ही सारा वातावरण रंगीन हो उठा, चारों ओर चहल-पहल दिखाई देने लगी। मेरे मन की निराशा दूर हो गई तथा मैं भी उनकी गतिविधियों में रूचि लेने लगा।

                सागर-तट पर बैठे हुए मैं इतना तल्लीन हो गया कि समय का कुछ पता ही नहीं चला। साँझ का झुट-पुट घिर आया था, आकाश में तारे  निकलने को थे। हवा में ठंडक थी, मन खुश था।

                सागर-तट पर बैठने का अनुभव बड़ा ही अलग किस्म का होता है। यही प्रकृति का सौंदर्य अपने चरम पर होता है। विशेषकर सांयकाल पानी पर डूबते सूरज का दृश्य अनोखी आभा दर्शाता प्रतीत होता है। समुद्र के जल मंे रंगों का क्षण-क्षण मंे परिवर्तन होता है, कभी श्वेतमा तो कभी डूबते सूरज की पीतिमा। सब कुछ मिलाकर सतरंगी इन्द्रधुनष की छटा बिखर जाती है। मैं यह सारा मनोहारी दृश्य अपनी आँखों में पी रहा था। मेरे ऊपर एक अजीब किस्म की मस्ती चढ़ी हुई थी मैं आनंद-सागर में गोते लगा रहा था।

                सागर-तट पर बालू रेत फैली हुई थी। इसके कण रजत-कणों का भ्रम उत्पन्न करते थे। समुद्र में एक स्टीमर भी चल रहा था। वह सवारियों को इधर से उधर ले जा रहा था। कुछ मनचले युवक मस्ती के मूड में थे और खूब नाच-गा रहे थे।

                सागर-तट पर पानी की लहरें खूब टकरा रहीं थी। उसकी तरंगें अपने अस्तित्व का उद्घोष करती जान पड़ रहीं थीं। सागर-तट पर सैलानियों की खूब चहल-पहल रहती है। खाने-पीने की चीजें भी यहाँ खूब बिकती हैं। मैंने भी सागर-तट पर भेल-पूरी खाने का आनंद लिया।

June 12, 2018Hindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment Hindi Essay, Hindi essays

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समुद्र तट की सैर पर निबंध - samudr tat kee sair par nibandh

Essay on sea shore in hindi : डूबते सूर्य को देखने का नजारा बड़ा ही खूबसूरत होता है। खासकर यदि समुद्र के किनारे बैठकर डूबते सूर्य को देख रहे हो।

Sea Shore हमारे से ही लोगो के आकर्षण का केंद्र रहा है, इसी वजह से Schools में परीक्षा के दौरान कई बार Sea shore Eassy in hindi मिला होगा।

इसलिए आज हम आपको इस विषय पर एक अच्छा सा Eassy तैयार करके दे रहे हैं, जिसे आप किसी भी परीक्षा में उपयोग कर सकते हैं।

प्रस्तावना.

कुछ प्राकृतिक नजारे बहुत ही खास होते हैं, जिन्हें देखने के बाद बार बार देखने का दिल करता है। ऐसा ही एक प्राकृतिक नजारा Sea shore के करीब दिखता है।

खुले मैदान में बैठकर जब हम खुले नीले आकाश और समुद्र को एक साथ देखते हैं तो प्रकृति की खूबसूरती का एहसास सही मायने में उस वक़्त होता है।

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  • What is Sea Shore? Sea Shore क्या है?
  • Sea Shore के प्रकार (Types of Sea Shore).
    • Sea Shore के प्रकार निम्नलिखित है:-
    • समुद्री किनारा बनने का तरीका.
    • समुद्र तट पर इंसानो की निर्भरता.

समुद्र कोई भी उस का किनारा हमेशा ही खास होता है। समुद्र के किनारे पर कई लोग अपने पूरे परिवार के साथ वक़्त बिताने जाते हैं।

वहाँ बैठते हैं और प्राकृतिक खूबसूरती का लुत्फ उठाते हैं।

What is Sea Shore? Sea Shore क्या है?

Sea Shore को तट रेखा भी कहा जाता है। यही वह लकीर है जो समुद्र को जमीन से अलग करके रखती है। हर सागर, महासागर या तालाब के किनारे एक तट रेखा जरूर होती है, जो उसके पानी को एक निश्चित सीमा के अंदर रोककर रखती है।

Sea Shore के प्रकार (Types of Sea Shore).

समुद्री किनारे कई प्रकार के होते हैं। समुद्री किनारा किस प्रकार का होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि समुद्र के किनारे की भूसंरचना किस तरह तरह की है।

यदि यह बहुत अधिक पथरीली है तो इसमे पत्थर अधिक होंगे। वही रेतीली होने पर रेत की मात्रा अधिक होगी।

Sea Shore के प्रकार निम्नलिखित है:-

चट्टानी किनारा.

अधिक समुद्री किनारा चट्टानी ही होता है। इसमे कई तरह के पत्थर शामिल होते हैं। इन चट्टानों के निर्माण कई वर्षों के प्राकृतिक प्रक्रिया के कारण होता है, जिसकी वजह से यह इतने मजबूत होते हैं कि समुद्र की तेज लहरों की ऊर्जा को रोक सकते हैं और आगे नही बढ़ने देते हैं।

इस तरह के चट्टानी किनारे कई तरह के समुद्री जीवों का आश्रय होते हैं। समुद्री जीवों के साथ साथ इसमे कई तरह की समुद्री वनस्पतियां भी फलती फूलती हैं।

जब समुद्री लहरे दूर से किनारे तक आती है तो अपने साथ कई तरह खनिज प्रदार्थ लेकर आती है जिससे इन जीवों को भोजन और पौधों को पोषण मिलता है।

खोखली चट्टाने.

कई समुद्र इस तरह के होते हैं जिनके किनारे किसी मजबूत चट्टान से न बनकर खोखली चट्टानों से मिलकर बना होता है। ये चट्टाने इतनी खोखली होती है कि इनके अंदर समुद्र का पानी भर जाता है।

समुद्री पानी के साथ बहकर कई जीव और वनस्पतियां भी आती है। जब यह पानी इन खोखली चट्टानों के अंदर जाता है तो ये जीव भी पानी के साथ अंदर चले जाते हैं लेकिन पानी बाहर आ जाता है, जबकि वो जीव उन्ही चट्टानों के अंदरूनी भाग में फस जाते हैं।

इस तरह ये चट्टाने कई तरह के जीवों का घर होती है।

बालूई या मिट्टीदार किनारा.

कई समुद्री किनारे इस प्रकार के होते हैं जो या तो बालूई होते हैं या फिर मिट्टीदार होते हैं। कई नदियाँ जब समुद्र से मिलती हैं तो वो अपने साथ काफी मिट्टी भी लेकर आती हैं। इस वजह से किनारों में मिट्टी जमा हो जाती है, जो बहकर समुद्र के किनारे फैल जाती है।

बालूई समुद्री किनारा सबसे ज्यादा लोकप्रिय किनारा है, जहाँ लोग आसानी से आ जा सकते हैं और समुद्र की लहरों के आनंद उठा सकते हैं।

समुद्री किनारा बनने का तरीका.

समुद्री किनारे जिन तीन तरीको से बनते हैं वो निम्नलिखित है:-

धरती के अंदर की प्लेटों के हिलने से.

हमारी पृथ्वी कई चीजों से बनी है। खासकर यदि इसके अंदरूनी भाग की बात करें तो यहां तरल रूप से पिघली चट्टाने मौजूद हैं जिनके ऊपर प्लेट तैरती रहती हैं।

जब ये प्लेट एक दूसरे से दूर जाने लगती हैं तो वहां पर धरती फट जाती है और समुद्र का निर्माण हो जाता है। ठीक इसी ही घटना आज से करोड़ो साल पहले हुई थी जब प्लेटों की गति के कारण महाद्वीपों का निर्माण हुआ था।

इसी दौरान वर्तमान समुद्रों का निर्माण भी हुआ था। प्लेटों की गति के कारण कुछ भाग काफी ऊंचा उठ गया, और आज उसी भाग को हम Sea Shore कहते हैं।

ग्लेशियर के कारण.

Sea Shore के निर्माण में ग्लेशियर का भी योगदान है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि आज पृथ्वी का जो स्वरूप है वैसा पहले नही था।

हिमयुग के दौरान पृथ्वी पूरी तरह बर्फ से ढकी हुई थी। हवाएं भी अपने साथ बर्फ लेकर बहती हैं। उसी दौरान बर्फ की ऊंची ऊंची चोटियां बनी, जिनके नीचे चट्टाने होती थी।

लेकिन फिर धीरे धीरे पृथ्वी गर्म होने लगी। तापमान बढ़ने के कारण जमी बर्फ पिघलने लगी और फिर यही चट्टाने सामने आ गई, जिन्हें Sea Shore कहते हैं।

समुद्र के सतह में हुए बदलाव से.

पिछले कुछ सालों में समुद्र ही सतह में काफी ज्यादा बदलाव देखने को मिल रहा है। ग्लेशियर पिघल रही है जिसका पानी भी समुद्र के स्तर को उठा रहा है। ऐसी वजह कही कर तटरेखा डूब रही है तो कही पर नई तटरेखा का निर्माण भी हो रहा है।

पौधों का जीवन

Sea Shore के आसपास कई तरह के पौधे पनपते हैं। कुछ छोटे होते हैं, कुछ बड़े होते हैं। लेकिन इसकी खास बात यह होती है कि ये पानी को स्टोर करने वाली कोशिकाओं का निर्माण नही करते।

क्योंकि इन्हें पानी को स्टोर करने की जरूरत नही पड़ती है। पौधे किस प्रकार के होंगे यह इस बात पर निर्भर करता है कि समुद्री किनारा किस प्रकार का है।

कुछ समुद्री किनारे रेतीले और मिट्टी वाले होते हैं। वहां पौधों का पनपना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि वहां की सतह में एक स्थिरता नही रहती है।

जबकि चट्टानी Sea Shore में पौधों के जन्म लेने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि यहां मिट्टी, पानी और एक स्थिर तरह मिल जाती है।

समुद्री पौधों का जन्म लेना और विकास करना मौसम पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है। उत्तरी गोलार्द्ध में पौधों का विकास गर्मी के मौसम में होता है।

समुद्री पौधों को भी कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जैसे कि किनारे पर लगे पौधे कभी नमकीन पानी मे रहते हैं तो काफी वक्त तक हवा के संपर्क में रहते हैं।

ऐसे पौधे, जमीनी पौधों की तुलना में एक अलग तरीके से जीवन जीते हैं।

जीव-जंतु.

She shore में कई तरह के समुद्री जीव भी रहते हैं। लेकिन जरूरी नही होता है कि हर समुद्र के तट पर एक ही तरह के जीव हों।

She shore पर किस तरह के जीव रह सकते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि किनारा, रेतीला है, मिट्टीयुक्त है या फिर चट्टानी है।

यह भी संभावना होती है कि एक तरह के जीव की कई अलग अलग प्रजाति अलग अलग तट पर रह रहे हो। तट पर रहने वाले जीवों को तीन भागों में बांटा जा सकता है-

  • सबसे बाहरी हिस्से में रहने वाले जीव
  • Sea Shore के बीच मे रहने वाले जीव
  • Sea shore के आखिरी हिस्से में रहने वाले जीव

सभी तलछटी जीवों की जिंदगी कब खत्म हो जाए इसका कोई भरोसा नही होता है। समुद्र एक तेज लहर उन्हें अपने साथ बहाकर भी ले जाती है।

इसलिए ये जीव चट्टानों से काफी मजबूती से चिपके रहते हैं।

समुद्र तट पर इंसानो की निर्भरता.

समुद्री किनारों पर इंसान हमेशा ही निर्भर रहा है। पहले यातायात के लिए समुद्री मार्गों का बहुत अधिक उपयोग होता था। इसलिए किनारों के पास सभी लोग रहने की की कोशिश करते थे।

ऐसा अनुमान है कि 2025 तक करीब ⅔ आबादी समुद्री किनारों के पास रहना चाहेगी।

हम इंसान निम्नलिखित चीजों के इन किनारों पर निर्भर है:-

भोजन.

आज इंसान बड़ी भारी संख्या में समुद्री भोजन को पसंद करता है और बड़े चाव से खाता है। कई लोगो के रोजगार का जरिया ये समुद्री जीव होते हैं। समुद्र में पाए जाने वाले कई तरह के जीव जैसे कि केकड़े, मसल्स, क्लैम, सीप, झींगा, मछली, कछुए और कछुए के अंडे सभी इंसानों के द्वारा खाए जाते हैं।

आज मछली उत्पादन का बिज़नेस कई लोगों के आमदनी का साधन बना हुआ है।

यातायात.

आज भले ही लोग यातायात के लिए जलीय मार्ग की जगह हवाई मार्ग को चुनते हों लेकिन व्यापार की दृष्टि से समुद्र बहुत महत्वपूर्ण है। आज न्यूयार्क, टोक्यो, हांगकांग, लंदन जैसे महत्वपूर्ण शहरों से व्यापार करना है तो समुद्री मार्ग बहुत अहम है। ऐसे में तटों का महत्व काफी ज्यादा बढ़ जाता है।

ऊर्जा के लिए.

हाई टाइड और लो टाइड का उपयोग करके समुद्र से ऊर्जा भी उत्पन्न की जाती है। कई जगहों पर इसका बहुत ज्यादा उपयोग हो रहा है। दुनियाँ का पहला टाइडल स्टेशन फ्रांस में 1966 में लगाया गया था।

इसके बाद कई देश ने इसी तर्ज पर टाइडल स्टेशन लगाए।

मिनिरल्स.

समुद्री तटों पर मिनिरल और मेटल का भंडार रहता है। इसलिए हर देश का Sea shore पर विशेष ध्यान रहता है। यहां पर मौजूद चट्टानों की भी कुछ खास विशेषता होती है, जो कि बाकी चट्टानों में नही मिलती है।

इस वजह से इन चट्टानों के उपयोग भी हम लोग अपनी जरूरत के हिसाब से करते हैं।

घूमने की जगह.

समुद्र का किनारा हमेशा से ही लोगो को काफी आकर्षित करता रहा है। खासकर ऐसे किनारे जो रेतीले होते हैं। काफी ज्यादा संख्या में लोग बीच मे जाते हैं और वहां की प्राकृतिक खूबसूरती का मजा लेते हैं।

इन बीच के आसपास काफी होटल्स बनी होती है जहाँ रुका भी जा सकता है। इस तरह यह भी कहा जा सकता है कि रोजगार के नए मौके यहां पर खुलते हैं।

निष्कर्ष.

Sea Shore का हमारे जीवन मे न सिर्फ एक गहरा प्रभाव रहा है बल्कि साथ मे प्रकृति को एक नया रंग देने में भी समुद्री किनारे बहुत अहम माने जाते रहे हैं। यातायात से लेकर रोजगार तक के लिए मनुष्य इन पर निर्भर रहा है और आगे भी रहेगा।

समुद्र तट क्या होता है?

समुद्री तट (1) एक तरफ रेत का मैदान - दूसरी तरफ अनन्त सागर। इस जगह साल भर, दिन भर लहरें चलती रहती हैं, कभी ऊँची-ऊँची, कभी छोटी-छोटी लहरें। लहरें तट पर टकराती रहती हैं।

तताँरा के साथ समुद्र तट पर क्या घटना घटित हुई स्पष्ट कीजिए?

Solution : तताँरा दिनभर खूब मेहनत करने के पश्चात् समुद्र के तट पर टहलने निकल गया। शाम <br> का वक्त था, और समुद्र से ठंडी हवाएँ आ रही थी। पंछियों की चहचहाट की आवाज़ धीरे-धीरे <br> कम हो रही थी। डुबते हुए सूरज की किरणें भी समुद्र के पानी पर पड़कर सतरंगी छटा को <br> बिखेर रही थी।

समुद्र तट क्या बनाते हैं?

समुद्र तटों और उनके गठन वे मुख्य रूप से बनते हैं रेत जमा नदियों, नालों या बुलेवार्ड से आ रहा है। पानी के घिसने के कारण हमें चट्टानें, गोले और मूंगे के अवशेष भी मिले हैं। लहरें समुद्र तट पर रेत जमा करने के प्रभारी हैं। El लहर द्वारा उत्पादित जल की गति है हवा की क्रिया।

समुद्र के तट पर बसे नगरों में अधिक ठंड और अधिक गमी क्यों नहीं पडती?

उत्तर : समुद्र तट के आसपास के इलाकों को पानी अपने आसपास का तापमान न अधिक बढ़ने देता है औरअधिक घटने देता हैयहाँ का तापमान समशीतोष्ण अर्थात् सुहावना बना रहता हैयही कारण है कि समुद्र तट पर बसे नगरों मेंअधिक सर्दी पड़ती है औरअधिक गर्मी।