साखियाँ शब्द का क्या अर्थ होता है? - saakhiyaan shabd ka kya arth hota hai?

‘साखियाँ’ शब्द क्या अर्थ देता है?

  • दूसरों को ज्ञान देना।
  • प्रत्यक्ष ज्ञान का अनुभव करके सीख देना।
  • किसी के द्वारा ज्ञान देना।
  • किसी के द्वारा ज्ञान देना।


B.

प्रत्यक्ष ज्ञान का अनुभव करके सीख देना।

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मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेनेवाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है?


जग में बैरी कोइ नहीं, जो मन सीतल होय। 
या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।।

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तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं’-उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।


‘तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं’ इस उदाहरण से कबीर कहना चाहते हैं कि महत्त्व सदा मुख्य वस्तु का होता है जैसे हम तलवार लेना चाहें तो उसकी धार देखकर उसका मोल भाव करेंगे उसका म्यान कितना भी सुंदर क्यों न हो उसकी ओर हम ध्यान नहीं देते। ठीक वैस ही जैसे साधु-संतों के ज्ञान की महत्ता होती है उनकी जाति से किसी को कोई सरोकार नहीं होता।

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पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति है ‘मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिर, यह तो सुमिरन नाहिं’ के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?


‘मनुवाँ तो दहूँ दिसि फिरै, यह तौ सुमिरन नाहिं’ इस पंक्ति के माध्यम से कबीर ने कहना चाहा है कि हमारा मन भक्ति के समय यदि दसों दिशाओं की ओर घूमता रहता हैं, ईश्वर के स्मरण मैं एकाग्रचित्त नहीं होता तो ऐसी भक्ति व्यर्थ है।

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कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।


कबीर के दोहे में घास का विशेष अर्थ है क्योंकि इसमें उन्होंने पैरों के नीचे रौंदी जाने वाली घास के बारे में कहा है कि हमें कभी उसे निर्बल या कमजोर नहीं समझना चाहिए क्योंकि उसका छोटा-सा तिनका भी यदि आँख में पड जाए तो कष्टकर होता है। इस घास का वास्तविक संदेश यह है कि हमें समाज में रहने वाले छोटे से छोटे व्यक्ति काे भी कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए, क्योंकि यदि वह शक्ति प्राप्त कर ले तो हमें गहरा आघात पहुंचा सकता है।

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“ या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।”
“ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।”
इन दोनों पक्तियों में ‘आपा’ को छोड़ देने या खो देने की बात की गई है। ‘आपा’ किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है? क्या ‘आपा’ स्वार्थ के निकट का अर्थ देता है या घमंड का?


“या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।”
“ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।”
इन दोनों पंक्तियों में ‘आपा’ शब्द का प्रयोग घमंड अर्थात् अंहकार के लिए प्रयुक्त हुआ है।
पहली पंक्ति में कबीर का कहना है कि मनुष्य को अपने स्वभाव से अहंकार को त्याग देना चाहिए ताकि सभी उस पर कृपाभाव रखें।
दूसरी पंक्ति में कबीर का कहना है कि अपने मन के अहंकार को त्याग कर हम ऐसी मीठी वाणी बोलनी चाहिए कि सभी हमारी ओर आकर्षित हो जाएं।

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‘साखियाँ’ शब्द क्या अर्थ देता है? दूसरों को ज्ञान देना। प्रत्यक्ष ज्ञान का अनुभव करके सीख देना। किसी के द्वारा ज्ञान देना। किसी के द्वारा ज्ञान देना।


B.

प्रत्यक्ष ज्ञान का अनुभव करके सीख देना।

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कबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है? ज्ञात कीजिए।


कबीर के दोहों को साखी कहा जाता है क्योंकि ‘साखी’ शब्द का एक अर्थ है ‘प्रत्यक्ष रूप से ‘अर्थात् उन्हींने समाज में जैसा देखा वैसा ही कहा। वे समाज में फैली कुरीतियों, जातीय भावनाओं और बाह्य आडंबरों को समाप्त करना चाहते थे इसीलिए अपने दोहों मे भी कबीर ने यही सीख देनी चाही है कि हमें साधु के ज्ञान को प्राप्त करना चाहिए, उनके जातीय स्वरूप को जानने की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। यदि कोई अपशब्द कहे तो मौन रहना चाहिए क्यौंकि हमारे द्वार भी अपशब्द कहे जाने पर उनकी संख्या बढ़ेगी। ईश्वर प्राप्ति हेतु एकाग्रचित्त होकर भक्ति करनी चाहिए। किसी को निर्बल नहीं समझना चाहिए एव हमें अपने स्वभाव को निर्मल और शांत बनाना चाहिए।

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आपके विचार में आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में क्या कोई अंतर हो सकता है? स्पष्ट करें।


आपा और आत्मविश्वास-आपा का अर्थ है अहंकार जबकि आत्मविश्वास का अर्थ है अपने ऊपर विश्वास, जिसके बल पर मनुष्य बड़ी-से-बड़ी मुश्किल पर भी काबू पा जाता है।
आपा और उत्साह-आपा का अर्थ है अहंकार जबकि उत्साह का अर्थ है किसी काम को करने का जोश; उमंग या खुशी व साहस से आगे बढ़ने की इच्छा।

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बोलचाल की क्षेत्रीय विशेषताओं के कारण शब्दों के उच्चारण में परिवर्तन होता है जैसे वाणी शब्द बानी बन जाता है। मन से मनवा, मनुवा आदि हो जाता है। उच्चारण के परिवर्तन से वर्तनी भी बदल जाती हैं। नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं उनका वह रूप लिखिए जिससे आपका परिचय हो।
ग्यान, जीभि, पाऊँ. तलि, आँखि, बरी।


ग्यान - ज्ञान जीभि - जीभ
पाऊँ - पाँव तलि - तले, नीचे
आँखि - आँख बरी - बड़ी।

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सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर एकसमान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते हैं, एकसमान होने के लिए आवश्यक क्या है? लिखिए।


कबीर की निम्न साखी समाज में सभी को समान मानने का उपदेश देती है-
कबीर घास न नींदिए, जो पाऊँ तलि होइ।
उड़ि पड़ै जब आँखि मैं, खरी दुहेली होइ।।
एक समान होने के लिए आवश्यक है कि समाज के अमीर-गरीब, ऊँच-नीच, जातीय व वर्गो के आधार पर बने भेदभाव सब समाप्त हो जाएँ। सभी धर्मो को समान महत्त्व दिया जाएँ। सभी केवल अपने स्वार्थ पूर्ति हेतु नहीं बल्कि परोपकार की भावना से जीवन व्यतीत करें।

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साखियाँ शब्द का अर्थ क्या है?

Solution : कबीर की साखियाँ यह सन्देश देती हैं कि हमें साधु जन की जाति न पूछकर उससे ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए। किसी को अपशब्द नहीं कहने चाहिए। मन को एकाग्र करके ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए। पाखण्डों से बचना चाहिए।

कबीर की साखियाँ का क्या अर्थ है?

आधुनिक देशी भाषाओं में विशेषत: हिंदी निर्गुण संतों में साखियों का व्यापक प्रचार निस्संदेह कबीर द्वारा हुआ। गुरुवचन और संसार के व्यावहारिक ज्ञान को देने वाली रचनाएँ साखी के नाम से अभिहित होने लगीं। कबीर ने कहा भी है, साखी आँखी ज्ञान की

या आपा को डारि दे दया करै सब कोय यहाँ आपा का शाब्दिक अर्थ क्या है?

गलती करने में कोई गलती नहीं है ।