सीखने में अभिप्रेरणा का क्या महत्व है स्पष्ट करें? - seekhane mein abhiprerana ka kya mahatv hai spasht karen?

सीखने में अभिप्रेरणा का क्या महत्व है स्पष्ट करें? - seekhane mein abhiprerana ka kya mahatv hai spasht karen?
सीखने में अभिप्रेरणा का क्या महत्व है? What is the importance of motivation in learning?
सीखने में अभिप्रेरणा का क्या महत्व है, विवेचना कीजिए।

सीखने में अभिप्रेरणा का महत्व सर्वाधिक होता है क्योंकि प्रेरणा विहिन क्रिया में छात्र रूचि नहीं लेते हैं। यह छात्र के अन्तःकरण को प्रेरित कर अधिगम की प्रक्रिया को सरल एवं प्रभावी बना देता है। सीखने में प्रेरणा का महत्व इस रूप में है।

(1) बाल व्यवहार में परिवर्तन:- शिक्षक प्रशंसा, निन्दा, पुरस्कार, भर्त्सना आदि कृत्रिम प्रेरकों का बुद्धिमानी से प्रयोग करके बालकों के व्यवहार को परिवर्तित कर सकता है।

(2) चरित्र निर्माण में सहायता:- शिक्षक बालकों को उत्तम गुणों और आदर्शों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर सकता है। इस प्रकार वह उनके चरित्र निर्माण में सहायता दे सकता है।

(3) ध्यान केन्द्रित करने में सहायता:- प्रेरणा छात्र को ध्यान केन्द्रित करने में मदद करती है। क्रो एण्ड क्रो के अनुसार, शिक्षक बालकों को प्रेरित करके उन्हें अपने ध्यान को पाठ्यक्रम पर केन्द्रित करने में सहायता दे सकता है।

(4) मानसिक विकास:- क्रो एण्ड क्रो के अनुसार ‘प्रेरक छात्र को अपनी सीखने की क्रियाओं में प्रोत्साहन देते हैं अतः शिक्षक छात्रों को प्रेरित करते हुए अपने ज्ञानवर्धन से उन्हें परामर्श एवं मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हुए मानसिक विकास के लिए प्रेरित करते हैं।

(5) रूचि का विकास:- पायसन ने लिखा है- अभिप्रेरणा छात्र में रूचि उत्पन्न करने की कला है अतः शिक्षक प्रेरणा का प्रयोग करके बालकों में कार्य या अध्ययन के प्रति रूचि का विकास कर सकता है इस प्रकार वह उनके लिए ज्ञान प्राप्त करने का कार्य सरल बना सकता है।

(6) अनुशासन की भावना का विकासः- प्रेरणा छात्रों में अनुशासन की भावना का भी विकास करती है। मानव या छात्र का विकास अनुशासन के माध्यम से ही पूर्ण होता है। प्रेरणा अनुशासन हीनता की समस्या का समाधान कर सकती है

(7) सामुदायिक भावना का विकास:- शिक्षक बालकों को सामुदायिक कार्यों में भाग लेने के लिए प्रेरित करके उनमें सामुदायिक भावना और सामाजिक गुणों का विकास कर सकता है, इस प्रकार वह उनको समाज के अच्छे और उपयोगी सदस्य बनने का प्रशिक्षण दे सकता है।

(8) स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना का विकास:- क्रो एण्ड क्रो के अनुसार शिक्षक बालकों में प्रतियोगिता की भावना विकसित कर एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का वातावरण तैयार कर उनके ज्ञान के स्तर को बहुत व्यापक स्वरूप प्रदान कर सकता है।

(9) व्यक्तिगत विभिन्नताओं के अनुसार प्रगतिः- साइमन के अनुसार प्रेरक व्यक्ति को उस क्रिया को चुनने में सहायता देते हैं जिसे करने की उसकी इच्छा होती है | अतः शिक्षक उचित प्रेरकों का प्रयोग करके, बालकों को अपनी इच्छानुसार कार्य या विषय का चुनाव करने में योग दे सकता है इस प्रकार वह उनको अपनी व्यक्तिगत विभिन्नताओं के अनुसार प्रगति करने का अवसर दे सकता है।

प्रेरणा, शिक्षा प्रक्रिया का मुख्य आधार और सीखने का ऐसा शक्तिशाली साधन है जिसका प्रयोग करके शिक्षक बालकों को उनके साध्य तक पहुँचा सकता है, उनकी क्रियाओं की दिशा को मोड़ सकता है और उनके व्यवहार में वांछनीय परिवर्तन कर सकता है इसीलिए कुप्पु स्वामी ने लिखा है कि हमारे विद्यालय में सीखने के लिए। | वास्तविक और स्थायी प्रेरकों को प्रदान किये जाने के प्रयास की आवश्यकता है।

IMPORTANT LINK

  • राजनीति विज्ञान का अन्य समाज विज्ञानों से सम्बन्ध एवं उनका प्रभाव
  • असमानता के विषय में रूसो के विचार | Rousseau’s views on inequality in Hindi
  • सामाजीकृत अभिव्यक्ति विधि की परिभाषा एवं प्रक्रिया
  • राज्य के विषय में कौटिल्य के विचार | Kautilya’s thoughts about the state
  • मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ | मूल्यांकन की विशेषताएँ |  मूल्यांकन के उद्देश्य | मूल्यांकन के सिद्धान्त | मूल्यांकन के उपकरण या विधाएँ
  • न्याय की परिभाषा, रूप, विशेषताएं एवं अधिकार | Definition, Form, Characteristics and Rights of Justice in Hindi
  • मौलिक कर्त्तव्य का सम्प्रत्यय विकसित करने के लिए कौनसी शिक्षण सामग्री का प्रयोग की जानी चाहिए?
  • राजनीति विज्ञान के शिक्षण हेतु एक पाठ योजना तैयार कीजिए। 
  • B.ED Political Science Lesson Plan | राजनीति विज्ञान के शिक्षण हेतु पाठ योजना | हरबर्ट की पंचपदी के चरण
  • योजना विधि के पद | योजना विधि के गुण | योजना विधि के दोष 
  • इकाई योजना के शिक्षक पद | इकाई विधि से लाभ | इकाई विधि से दोष 
  • अभिनयात्मक विधि | एकल अभिनय की रूपरेखा | अभिनय के प्रकरण | अभिनय के लाभ एंव दोष
  • समस्या समाधान विधि | problem solving method in Hindi
  • वाद-विवाद विधि का अर्थ | वाद-विवाद का संचालन | वाद-विवाद का मूल्यांकन | वाद-विवाद विधि के गुण एंव दोष
  • परम्परागत राजनीति विज्ञान के अनुसार राजनीति विज्ञान का क्षेत्र
  • शैक्षिक उद्देश्यों से आप क्या समझते हैं? ब्लूम के अनुदेशनात्मक उद्देश्य का वर्गीकरण
  • नागरिकता के विषय पर अरस्तू के विचार | Aristotle’s thoughts on citizenship in Hindi
  • आधुनिक राजनीति विज्ञान के अनुसार राजनीति विज्ञान का क्षेत्र
  • राजनीति विज्ञान का विद्यालय पाठ्यक्रम में महत्व
  • सामाजिक न्याय के विषय में अम्बेडकर के विचार
  • परम्परागत राजनीति विज्ञान के विद्वानों के अनुसार राजनीति विज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा
  • मानवाधिकार का विकास तथा उसकी आवश्यकता
  • सामाजिक न्याय की अवधारणा का विकास करने हेतु अध्यापक कथन को तैयार कीजिये।
  • मानवाधिकार के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए संक्षेप में विषय-वस्तु की सूची तैयार कीजिए।
  • सामाजीकृत अभिव्यक्ति विधि के दोष तथा प्रभावी बनाने हेतु किन सुझावों को ध्यान में रखना चाहिए।
  • वार्षिक योजना की विशेषताएँ | Features of Annual Plan in Hindi
  • वार्षिक योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us:

You may also like

About the author

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

सीखने की प्रक्रिया में अभिप्रेरणा का क्या महत्व है?

अभिप्रेरणा सीखने की प्रक्रिया का एक सशक्त माध्यम है। इस प्रक्रिया द्वारा व्यक्ति जीवन के सामाजिक, प्राकृतिक एवं वैयक्तिक क्षेत्र में अभिप्रेरणा द्वारा ही सफलता की सीढ़ी तक पहुँच जाता है। यदि उसके लिए उपयुक्त परिस्थितियों का निर्माण नहीं हो पाता, तो अभिप्रेरणा का उत्पन्न होना सन्देहप्रद रह जाता है।

अभिप्रेरणा में शिक्षक की क्या भूमिका है?

शिक्षक एक नियन्त्रणकर्ता तथा एक आदर्श व्यक्ति का निर्वहन करता है । "शिक्षक कभी भी आदेशक के जैसा व्यवहार नही करता । वह एक मार्गदर्शक, प्रेरक, आदर्श अभिभावक होता है । वह अपने विद्यार्थी में यह भावना उत्पन्न करता है कि उसका कार्य महत्त्वपूर्ण है, उसके सीखने की प्रक्रिया से ही पूर्णता प्राप्त होती है ।

अभिप्रेरणा के अधिगम पर क्या प्रभाव पड़ता है?

प्रेरणा इन 'इच्छाओं और आन्तरिक प्रेरकों तथा क्रियाशीलता की सामूहिक शक्ति के फलस्वरूप है। उच्च प्रेरणा हेतु उच्च इच्छा चाहिए जिससे अधिक ऊर्जा उत्पन्न हो और गतिशीलता उत्पन्न हो। अभिप्रेरणा द्वारा व्यवहार को अधिक दृढ़ किया जा सकता है। फ्रेण्डसन के अनुसार-''सीखने में सफल अनुभव अधिक सीखने की प्रेरणा देते हैं।''

प्रेरणा का शैक्षिक महत्व क्या है?

प्रेरणा के अभाव मे शिक्षा की प्रक्रिया में वांछनीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत कठिनाई होती है। अभिप्रेरणा इन लक्ष्यों को प्राप्त करने का मार्ग सुगम एवं सरल बनाती है। छात्रों को उचित प्रेरक उचित परिस्थितियां प्रदान कर उनकी शिक्षा प्रक्रिया को सरल एवं गतिशील बनाया जा सकता है।