संकष्टी चतुर्थी व्रत कैसे किया जाता है? - sankashtee chaturthee vrat kaise kiya jaata hai?


माघ मास के कृष्ण पक्ष को आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी, माघी चतुर्थी या तिल चौथ कहा जाता है। बारह माह के अनुक्रम में यह सबसे बड़ी चतुर्थी मानी गई है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना सुख-सौभाग्य की दृष्टि से श्रेष्ठ है


कैसे करें संकष्टी गणेश चतुर्थी :-

* चतुर्थी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

* इस दिन व्रतधारी लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
* श्रीगणेश की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर रखें।

* तत्पश्चात स्वच्छ आसन पर बैठकर भगवान गणेश का पूजन करें।

संकष्टी चतुर्थी व्रत कैसे किया जाता है? - sankashtee chaturthee vrat kaise kiya jaata hai?

* फल, फूल, रौली, मौली, अक्षत, पंचामृत आदि से श्रीगणेश को स्नान कराके विधिवत तरीके से पूजा करें।
* गणेश पूजन के दौरान धूप-दीप आदि से श्रीगणेश की आराधना करें।

* श्री गणेश को तिल से बनी वस्तुओं, तिल-गुड़ के लड्‍डू तथा मोदक का भोग लगाएं। 'ॐ सिद्ध बुद्धि सहित महागणपति आपको नमस्कार है। नैवेद्य के रूप में मोदक व ऋतु फल आदि अर्पित है।'

* सायंकाल में व्रतधारी संकष्टी गणेश चतुर्थी की कथा पढ़े अथवा सुनें और सुनाएं।
* तत्पश्चात गणेशजी की आरती करें।

* विधिवत तरीके से गणेश पूजा करने के बाद गणेश मंत्र 'ॐ गणेशाय नम:' अथवा 'ॐ गं गणपतये नम: की एक माला (यानी 108 बार गणेश मंत्र का) जाप अवश्य करें।

* इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को दान करें। तिल-गुड़ के लड्डू, कंबल या कपडे़ आदि का दान करें।
जीवन के समस्त कष्टों का निवारण करने वाली संकष्टी गणेश चतुर्थी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है।

- राजश्री कासलीवाल

आज भाद्रपद मास की संकष्टी गणेश चतुर्थी है। चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी ही हैं। मान्यतानुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रतधारी श्री गणेश पूजन के बाद चंद्रमा को जल अर्पित करके उनका दर्शन करते हैं और चंद्रमा के दर्शन के बाद ही गणेश चतुर्थी व्रत को पूर्ण माना जाता है।

आज संकष्टी चतुर्थी के साथ कजरी तीज और बहुला चौथ पर्व भी मनाया जा रहा है। भगवान श्री गणेश का पूजन दिन के समय करने का विधान है, इसलिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत आज ही रखा जाएगा। यह तिथि बुधवार को होने के कारण श्री गणेश का पूजन अधिक फलदायी हो गया है क्योंकि बुधवार का दिन श्री गणेश को समर्पित है तथा आज गणेश पूजन करके बुध ग्रह को मजबूत किया जा सकता है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से व्यक्ति के सभी संकट मिट जाते हैं और जीवन में धन, सुख और समृद्धि आती है। इसके बाद व्रतधारी पारण करके व्रत को पूर्ण करते है। इस दिन किए गए व्रत-उपवास और पूजा-पाठ से यश, वैभव, सुख-समृद्धि, धन, कीर्ति, ज्ञान और बुद्धि में अतुलनीय वृद्धि होती है। श्रीगणेश शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं...।
जानते हैं संकष्टी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...

इस दिन क्या करें, पढ़ें विधि-

श्री गणेश चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।

इसके बाद घर के मंदिर में गणेश प्रतिमा को गंगा जल और शहद से स्वच्छ करें।

सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, जनेऊ, प्रसाद आदि चीजें एकत्रित करें।

धूप-दीप जलाएं।

'ॐ गं गणपते नमः मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें। मंत्र जाप 108 बार करें।

गणेश जी के सामने व्रत करने का संकल्प लें और पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें। व्रत में फलाहार, पानी, दूध, फलों का रस आदि चीजों का सेवन किया जा सकता है।

गणपति की स्‍थापना के बाद इस तरह पूजन करें-

- सबसे पहले घी का दीपक जलाएं। इसके बाद पूजा का संकल्‍प लें।

- फिर गणेश जी का ध्‍यान करने के बाद उनका आह्वन करें।

- इसके बाद गणेश को स्‍नान कराएं। सबसे पहले जल से, फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) और पुन: शुद्ध जल से स्‍नान कराएं।

- गणेश के मंत्र व चालीसा और स्तोत्र आदि का वाचन करें।

- अब गणेश जी को वस्‍त्र चढ़ाएं। अगर वस्‍त्र नहीं हैं तो आप उन्‍हें एक नाड़ा भी अर्पित कर सकते हैं।

- इसके बाद गणपति की प्रतिमा पर सिंदूर, चंदन, फूल और फूलों की माला अर्पित करें।

- अब बप्‍पा को मनमोहक सुगंध वाली धूप दिखाएं।

- अब एक दूसरा दीपक जलाकर गणपति की प्रतिमा को दिखाकर हाथ धो लें। हाथ पोंछने के लिए नए कपड़े का इस्‍तेमाल करें।

- अब नैवेद्य चढ़ाएं। नैवेद्य में मोदक, मिठाई, गुड़ और फल शामिल हैं।

- इसके बाद गणपति को नारियल और दक्षिण प्रदान करें।

- आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की शुभ चतुर्थी की कथा करें।

- अब अपने परिवार के साथ गणपति की आरती करें। गणेश जी की आरती कपूर के साथ घी में डूबी हुई एक या तीन या इससे अधिक बत्तियां बनाकर की जाती है।

- इसके बाद हाथों में फूल लेकर गणपति के चरणों में पुष्‍पांजलि अर्पित करें।

- अब गणपति की परिक्रमा करें। ध्‍यान रहे कि गणपति की परिक्रमा एक बार ही की जाती है।

- इसके बाद गणपति से किसी भी तरह की भूल-चूक के लिए माफी मांगें।

- पूजा के अंत में साष्टांग प्रणाम करें।

पूजा के बाद घर के आसपास जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। गाय को रोटी या हरी घास दें। किसी गौशाला में धन का दान भी कर सकते हैं।

रात को चंद्रमा की पूजा और दर्शन करने के बाद व्रत खोलना चाहिए।

भविष्य पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी की पूजा और व्रत करने से हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। गणेश पुराण के अनुसार इस व्रत के प्रभाव से सौभाग्य, समृद्धि और संतान सुख मिलता है। शाम को चंद्रमा निकलने से पहले गणपति जी की एक बार और पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का फिर से पाठ करें। अब व्रत का पारण करें।

संकष्टी चतुर्थी के मुहूर्त

संकष्टी चतुर्थी व्रत 25 अगस्त, बुधवार को। चतुर्थी तिथि का आरंभ शाम 4.18 मिनट से शुरू होगी तथा अगले दिन यानी गुरुवार, 26 अगस्त को शाम 5.13 मिनट पर चतुर्थी समाप्त होगी। अत: संकष्टी चतुर्थी व्रत पर श्री गणेश का पूजन विशेष आज ही किया जाएगा। आज चंद्रोदय रात्रि 8.47 पर होगा और चंद्रमा के अस्त का समय 26 अगस्त को प्रात: 08.24 मिनट पर है।

संकष्टी चतुर्थी का व्रत कैसे करते हैं?

संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन व्रती प्रातः काल स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. उसके बाद पापनाशक श्री गणेश जी की पूजा करें. पूजा के दौरान श्री गणेशजी को तिल, गुड़, लड्डू, दूर्वा और चंदन अर्पित करें तथा मोदक का भोग लगाएं. अब श्री गणेश जी की स्तुति और मंत्रों का जाप करें.

संकष्टी में क्या खाना चाहिए?

इस दिन व्रत रखा जाता है और और चंद्र दर्शन के बाद उपवास तोड़ा जाता है। व्रत रखने वाले जातक फलों का सेवन कर सकते हैं। साबूदाना की खिचड़ी, मूंगफली और आलू भी खा सकते हैं। मान्‍यता है कि संकष्टी चतुर्थी संकटों को खत्म करने वाली चतुर्थी है।

गणेश चतुर्थी का उपवास कैसे करते हैं?

इस तिथि को गणेश चतुर्थी व्रत कहते हैं।.
गणेश चतुर्थी पर स्नान के बाद लाल वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। ... .
श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें। ... .
चतुर्थी पर गणेशजी के सामने दीपक जलाएं। ... .
पूजा पूरी होने के बाद भक्तों को प्रसाद वितरित करें और गणेशजी से दुख दूर करने की प्रार्थना करें।.

गणेश चतुर्थी पर क्या खाया जाता है?

Ganesh Chaturthi 2022 : गणेश चतुर्थी पर व्रत रखने का मन बना रहे हैं, तो ऐसे मेंटेन करें अपना एनर्जी लेवल 31 अगस्‍त को गणेश चतुर्थी है. इस दिन लोग धूमधाम से गणपति बप्‍पा को अपने घर लेकर आते हैं. तमाम लोग गणेश चतु‍र्थी के दिन व्रत भी रखते हैं.