किसी व्यक्ति विशेष के जीवन वृतांत को जीवनी कहते हैं। जीवनी का अंग्रेजी पर्याय “बायोग्राफी” है , हिंदी में इसे जीवन चरित्र कहते हैं। Show जीवनी क्या होता है?जीवनी में किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के जीवन के अन्तर्वाह्य स्वरूप का घटनाओं के आधार पर कलात्मक चित्रण रहता है। इससे उसके गुण दोषमय व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति होती है। सामान्यतः जीवनी में सारे जीवन में किए हुए कार्यों का वर्णन होता है पर इस नियम का पालन आवश्यक नहीं है। शिप्ले के अनुसार:-“जीवनी लेखक को अपने नायक के संपूर्ण जीवन अथवा उसके यथेष्ट भाग की चर्चा करनी चाहिए जीवनी में इतिहास साहित्य और व्यक्ति की त्रिवेणी होती है। परंतु इस में इतिहास की भांति घटनाओं का आंकलन नहीं होता इसमें मनुष्य के जीवन की व्याख्या एवं उसके व्यक्तिगत जीवन का अध्ययन प्रत्यक्ष और वास्तविक रुप से प्राप्त होता है।” उपन्यास, कहानी आदि में भी जीवन की व्याख्या तो होती है किंतु व परोक्ष और कल्पना मिश्रित होती है। वास्तविक जीवनी वही है जिसमें जीवन प्रमाणिक तथा सम्यक जानकारी पर आधारित हो। जीवनी लेखक को उन सभी तथ्यों की जानकारी होनी चाहिए, जिन्होंने उसके चरित्र नायक के जीवन पर प्रकाश डाला हो, घटनाओं को प्रस्तुत भी उसी क्रम में करना चाहिए जिस क्रम में विघटित हुए हो। जीवनी लेखकजीवनी लेखक अपने नायक के चरित्र में स्वाभाविकता लाने के लिए जीवन को क्रमशः अन्वेषित एवं उद्घाटित करना चाहिए अर्थात आरंभ से ही उसके केवल गुणों को ही नहीं वरन दोषों को भी तटस्थ भाव से वर्णन करना चाहिए। हमारे यहां जीवन चरित्र लिखने की विशेष परंपरा नहीं रही है व्यक्ति कालीन वार्ताओं नाभादास का ‘भक्तमाल‘ आदि ग्रंथों में जीवन संबंधी इतिवृत्त मिल जाते हैं। लेखनजीवन परिचय के लेखन का आरंभ 19वीं शताब्दी के अंत से होता है कार्तिक प्रसाद खत्री , भारतेंदु , राधाकृष्ण दास , बालमुकुंद गुप्त आदि इस युग के प्रसिद्ध जीवनी लेखक हैं। आज जीवनी साहित्य नायक को जीवन तथ्यों को वैज्ञानिक रूप से प्रस्तुत करता है। आज के प्रमुख जीवनीकारों की कृतियों में –
लेखकों के जीवन परिचय
कवियों के कवि परिचय
अन्य महत्वपूर्ण जीवन परिचय
हिन्दी के जीवन परिचय, साहित्यिक परिचय, या कवि परिचय विभिन्न हिंदी परीक्षाओं जैसे – यूपी बोर्ड, बिहार बोर्ड की दृष्टि से वहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। कवी एवं लेखकों के जीवन परिचय एवं रचनाओं में से अक्सर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते हैं। लखनऊ, जेएनएन। अमूमन विद्यार्थी हिंदी के पेपर में अधिक से अधिक शब्द लिखकर कॉपी भरने का प्रयास करते हैं। वह लंबे उत्तर लिखने कर अधिक अंक पाने की अपेक्षा रखते हैं। मगर, यह उनका भ्रम है। ऐसे में तय शब्द में ही उत्तर लिखें। इससे परीक्षा में टाइम मैनेजमेंट बेहतर रहेगा। कोई प्रश्न छूट न पाए इसका ध्यान रखना होगा। प्रश्न : हिंदी में अच्छे अंक प्राप्त करने के क्या उपाय हैं। उत्तर : गद्य-पद्य व संस्कृत दिग्दर्शिका के पाठों का अर्थ सही से समझें। लेखन में अशुद्धियां न हों। सभी प्रश्न हल करें। किताबी शब्दों को ज्यों का त्यों लिखने के बजाए अपनी भाषा में लिखें। प्रश्न : हिंदी में व्याख्या करने में दिक्कत आती है, क्या करूं। उत्तर : इस बार व्याख्या करने संबंधी प्रश्न नहीं आएंगे। पैराग्राफ से छांटकर प्रश्नों के उत्तर लिखने होंगे। प्रश्न : कक्षा दस में हूं। प्रमुख टॉपिक बताएं। उत्तर : मैथली शरण गुप्त, श्याम नारायण पांडेय, महादेवी वर्मा की जीवनी पढ़ें। भारत माता मंदिर, हल्दी घाटी, चींटी कविता व आरुणी श्वेत केतु संवाद का ठीक से अध्ययन करें। प्रश्न : हिंदी में संस्कृत दिग्दर्शिका समझ में नहीं आ रही है। उत्तर : संस्कृत समझने के लिए पहले कारक, विभक्ति, धातु रूप को पढ़ें। इसके बाद उसका अर्थ समझने की कोशिश करें। प्रश्न : किस लेखक-कवि का जीवन परिचय महत्वपूर्ण है। उत्तर : जय शंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सुमित्रा नंद पंत, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, पं. दीन दयाल उपाध्याय महत्वपूर्ण हैं। इनके बारे में अध्ययन कर लें। प्रश्न : मॉडल पेपर तमाम तैयार कर लिए, क्या पेपर में इसी से प्रश्न आ फंस जाएंगे। उत्तर : मॉडल प्रश्न पत्र ज्ञान वर्धन और अभ्यास के लिए होता है। इसके प्रश्न परीक्षा में आएंगे यह कंफर्म नहीं है। इसलिए किताब से भी रिवीजन करें। प्रश्न : पेपर में लेखक का जीवन परिचय कितने शब्दों में लिखना होगा। लखनऊ : जीवन परिचय 80 के करीब शब्दों में लिखना होगा। इसमें एक साथ पूरी गाथा लिखने के बजाए सब हेडिंग व प्वाइंटर में लिखें। प्रश्न : साहित्यिक परिचय में भी क्या जीवन परिचय लिखना होता है। उत्तर : बिल्कुल। साहित्यक परिचय में भी लेखक के जीवन के बारे में अवश्य लिखें। साथ ही ङ्क्षहदी साहित्य में उसके स्थान के बारे में भी जिक्र करें। प्रश्न : कक्षा 10 में हूं। दोहा की व्याख्या में दिक्कत आती है। उत्तर : दोहा को अच्छी तरह पढ़ो। उनका मूल अर्थ जानने की कोशिश करो। व्याख्या के लिए लिखित अभ्यास करो। प्रश्न : कक्षा 10 में हूं। निबंध लेखन में क्या ध्यान रखूं। उत्तर : निबंध के टॉपिक समझें। इसमें लिखने से पहले मुख्य बिंदु तय कर लें। हेडिंग डालकर हर बिंदु को 50 से 60 शब्दों में व्याख्या करें। प्रश्न : पत्र लिखने में क्या सावधानी बरतें। उत्तर : पत्र कैसा और किसे लिखना है यह तय होना चाहिए। कारण, आवेदन के पत्र का प्रारूप, शिकायत के पत्र का प्रारूप और प्रार्थना पत्र का प्रारूप अलग-अलग होता है। प्रश्न : हिंदी में प्रश्न बड़े आते हैं, कम समय में कैसे हल करें। उत्तर : अब बड़े प्रश्न नहीं रह गए। सभी की शब्द सीमा तय है। निबंध में भी शब्दों की सीमा कम कर दी गई है। तय शब्दों में ही उत्तर लिखें। प्रश्न : निबंध कैसे लिखें, कि अच्छे अंक मिलें। उत्तर : निबंध लिखने से पहले विषय के मुख्य बिंदु तय करें। हेडिंग डालकर उनकी व्याख्या करें। इसमें विषय कारण, समस्या और समाधान के सुझाव भी दें। प्रस्तावना अधिक लंबी न लिखें, तय शब्दों में सार समझाएं। इन पर फोकस कर पाएं स्कोर हिंदी का प्रश्न पत्र क और ख दो खंडों में होगा। इसमें खंड ख से व्याकरण के 27 अंक के प्रश्न होंगे। व्याकरण में नंबर पूरे मिलते हैं। ऐसे में छात्र इसे बेहतर तरीके से तैयार करें। वहीं पत्र लेखन छह नंबर, निबंध नौ नंबर को होगा। संस्कृत दिग्दर्शिका से गद्यांश व पद्यांश का संदर्भ सहित ङ्क्षहदी में अनुवाद सात-सात नंबर का आएगा। वहीं खंड-क से गद्यांश व पद्यांश पर आधारित 10-10 नंबर के दो प्रश्न होंगे। कुल सौ नंबर का प्रश्नपत्र होगा। साहित्यिक परिचय कैसे लिखे?प्रश्न : साहित्यिक परिचय में भी क्या जीवन परिचय लिखना होता है। उत्तर : बिल्कुल। साहित्यक परिचय में भी लेखक के जीवन के बारे में अवश्य लिखें। साथ ही ङ्क्षहदी साहित्य में उसके स्थान के बारे में भी जिक्र करें।
साहित्यिक परिचय क्या होता है?किंंतु, साहित्यिक परिचय में हमारा मुख्य उद्देश्य किसी साहित्यकार के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालना होता है। इसमें साहित्यकार के निजी जीवन से अधिक उसकी शिक्षा, साहित्य व साहित्यिक उपलब्धियाँ अधिक महत्वपूर्ण होती हैं।
महादेवी वर्मा का साहित्यिक परिचय कैसे लिखें?महादेवी वर्मा (२६ मार्च 1907 — 11 सितम्बर 1987) हिन्दी भाषा की कवयित्री थीं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तम्भों में से एक मानी जाती हैं। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है।
परिचय में क्या क्या आता है?पद परिचय के लिए आवश्यक संकेत क्या है?. संज्ञा- संज्ञा के भेद (जातीवेचक्, व्यक्तिवाचक, भाववाचक). लिंग – स्त्रीलिंग, पुलिंग. कारक तथा क्रिया के साथ संबंध. वचन- एकवचन, बहुवचन. सर्वनाम- सर्वनाम के प्रकार( पुरुषवाचक, प्रश्नवाचक , संबंधवाचक, निश्चयवाचक , अनिश्चयवाचक, निजवाचक). लिंग, वचन, कारक, क्रिया के साथ संबंध. विशेष्य- लिंग, वचन. |