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गुरु रविदास के भक्त राजस्थान में जुलूस निकालते हुए गुरु रविदास जयंती, माघ महीने में पूर्णिमा (माघ पूर्णिमा) के दिन पर मनाया जाने वाला गुरु रविदास का जन्मदिवस है।[1] यह रैदास पंथ धर्म का वार्षिक केंद्र बिंदु है। जिस दिन अमृतवाणी गुरु रविदास जी को पढ़ी जाती है, और गुरु के चित्र के साथ नगर में एक संगीत कीर्तन जुलूस निकाला जाता है। इसके अलावा श्रद्धालु पूजन करने के लिए नदी में पवित्र डुबकी लगाते हैं, उसके बाद भवन में लगी उनकी छवि पूजी जाती है। हर साल, श्री गुरु रविदास जन्म स्थान मंदिर, सीर गोवर्धनपुर, वाराणसी में एक भव्य उत्सव के अवसर पर दुनिया भर से लाखों श्रद्धालुओं आते है। यह त्यौहार 2020 में 9 फरवरी को थी, और 2021 में 27 फरवरी को मनाई जायेगी।[2] जन्म[संपादित करें]रविदास जी का जन्म सीर गोवर्धनपुर गाँव में हुआ था।[3] वे कबीर जी के समकालीन थे, और अध्यात्म पर कबीर जी के साथ कई संवाद उपलब्ध हैं।[4] जयंती[संपादित करें]रविदास के जन्म को रविदास जयंती के रूप में मनाया जाता है। जातिवाद और आध्यात्मिकता के खिलाफ काम करने के कारण रविदास पूजनीय हैं।[5][6] वह एक आध्यात्मिक व्यक्ति थे।[7] इस दिन, उनके अनुयायी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। फिर, वे अपने जीवन से जुड़ी महान घटनाओं और चमत्कारों को याद करके अपने गुरु रविदास जी से प्रेरणा लेते हैं। उनके भक्त उनके जन्म स्थान पर जाते हैं और रविदास जयंती पर उनका जन्मदिन मनाते हैं। महत्व[संपादित करें]रविदास जयंती, रविदास जी के जन्म का प्रतीक है। रविदास जी जाति प्रथा के उन्मूलन में प्रयास करने के लिए जाने जाते हैं।[8] उन्होंने भक्ति आंदोलन में भी योगदान दिया है, और कबीर जी के अच्छे दोस्त के रूप में पहचाने जाते हैं। रैदास पंथ का पालन करने वाले लोगों में रविदास जयंती का एक विशेष महत्व है, इसमे न केवल रविदास जी का अनुसरण करने वाले लोग, बल्कि अन्य लोग जो किसी भी तरह से रविदास जी का सम्मान करते हैं, जैसे कुछ कबीरपंथियों, सिखों और अन्य गुरुओं के अनुयायी, भी शामिल हैं। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
संत रविवास जी बहुत ही धार्मिक स्वभाव के व्यक्ति थे. इन्होंने आजीविका के लिए अपने पैतृक कार्य को अपनाते हुए हमेशा भगवान की भक्ति में हमेशा ही लीन रहा करते थे. आज 16 फरवरी को रविदास जयंती मनाई जा रही है.संत रविदास जी का जन्म माघ पूर्णिमा तिथि के दिन हुआ था और इस साल 16 फरवरी को गुरु रविदास जयंती मनाई जा रही है. गुरु रविदास (Guru Ravidas Jayanti 2022) 15वीं और 16वीं शताब्दी के भक्ति आंदोलन (Bhakti Movement) के एक रहस्यवादी कवि संत थे और उन्होंने रविदासिया धर्म की स्थापना की थी. रविदास जयंती उनके जन्म के उपलक्ष्य में मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि गुरु रविदास ने कई भजन लिखे थे, उनमें से कुछ का जिक्र सिख धर्म की पवित्र पुस्तक, गुरु ग्रंथ साहिब में मिलता है. संत रविदास ने अपने विचार और रचनाओं से समाज की बुराइयां दूर करने में अहम भूमिका निभाई थी. यह भी पढ़ें: कौन थे दीप सिद्धू? जिनकी सड़क हादसे में हुई मौत देशभर में आय यानि 16 फरवरी को गुरु रविदास जयंती मनाई जा रही है. बता दें कि यह दिन उत्तर भारत में धूम-धाम से मनाया जाता है, जिसमें पंजाब (Punjab), हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh), हरियाणा (Haryana) और चंडीगढ़ (Chandigarh) शामिल हैं. हालांकि संत रविदास के जन्म को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है और माना जाता है कि गुरु रविदास का जन्म 1377 में वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था. हिंदी पंचांग के अनुसार, माघ माह में पूर्णिमा (Poornima) तिथि को संत रविदास जयंती मनाई जाती है. संत रविदास जी का जन्म माघ पूर्णिमा तिथि के दिन हुआ था. यह भी पढ़ें: अधेड़ उम्र के इस शख्स ने एक ट्रिक अपनाई और 14 महिलाओं से कर डाली शादी, जानें कैसे? धर्म में था अधिक विश्वास संत रविवास जी बहुत ही धार्मिक स्वभाव के व्यक्ति थे. इन्होंने आजीविका के लिए अपने पैतृक कार्य को अपनाते हुए हमेशा भगवान की भक्ति में हमेशा ही लीन रहा करते थे. संत रविदास जी, जिन्होंने भगवान की भक्ति में समर्पित होने के साथ अपने सामाजिक और पारिवारिक कर्त्तव्यों का भी बखूबी निर्वहन किया. संत रविदास ने लोगों को प्रेम से रहने और खुशहाली बांटने की शिक्षा दी थी. वे लोगों को हमेशा धर्म पर चलने की शिक्षा देते थे. संत रविदास जी के पिताजी का नाम रघू और माताजी का नाम घुरविनिया था. यह भी पढ़ें: Box Office पर टकराएंगे आमिर-अक्षय, इन बड़े एक्टर्स की भी हो चुकी है BO भिड़ंत कहा जाता है कि गुरु रविदास से प्रभावित होकर मीराबाई ने उन्हें अपना गुरु मान लिया था. राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में मीरा के मंदिर के सामने एक छोटी छतरी बनी है, जिसमें संत रविदास के पद चिन्ह दिखाई देते है. आज के दिन लोग संत रविदास को आदर्श मानकर लोग उनकी पूजा करते हैं. यह भी पढ़ें: जानिए किस वजस से अधिक लोगों को होती है डायबिटीज की बीमारी, ये होते है लक्षण रविदास जयंती कब और क्यों मनाई जाती है?संत रविदास जयंती हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने की पूर्णिमा पर मनाई जाती है। इस बार ये दिन मंगलवार, 19 फरवरी को है। इस वर्ष उनका 642 वां जन्मदिवस मनाया जा रहा है। संत रविदास जी का जन्म वाराणसी के पास के गांव में हुआ था।
रविदास जयंती का अर्थ क्या है?माघी पूर्णिमा के ही दिन संत रविदासजी की जयंती मनाई जाती है। इस तिथि पर संत रविदास जी की पूजा अर्चना, शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं और भजन कीर्तन कर संत रविदास को याद किया जाता है। रविदास जी को रैदास जी के नाम से भी जाना जाता है। संत रविदास का ' मन चंगा तो कठौती में गंगा' बहुत ही लोकप्रिय कहावत है।
रविदास का नाम रविदास क्यों पड़ा?कई पुरानी पांडुलिपियों में उन्हें रायादास, रेदास, रेमदास और रौदास के नाम से भी जाना गया है। कहते हैं कि माघ मास की पूर्णिमा को जब रविदास जी ने जन्म लिया वह रविवार का दिन था जिसके कारण इनका नाम रविदास रखा गया। उनका जन्म माघ माह की पूर्णिमा को हुआ था। इस वर्ष 27 फरवरी 2021 को उनकी जयंती मनाई जाएगी।
रविदास जी क्या कार्य करते थे?रविदास भारत में 15वीं शताब्दी के एक महान संत, दर्शनशास्त्री, कवि, समाज-सुधारक और ईश्वर के अनुयायी थे। वो निर्गुण संप्रदाय अर्थात् संत परंपरा में एक चमकते नेतृत्वकर्ता और प्रसिद्ध व्यक्ति थे तथा उत्तर भारतीय भक्ति आंदोलन को नेतृत्व देते थे।
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