रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसान- ये गलती न करें | रुद्राक्ष पहनने के नियम, लाभ व हानि Show
हर हर महादेव, जै जै शिव शंकर, काँटा लगे न कंकर, हो प्याला तेरे नाम का पिया। मैं मर जाउंगी, मैं मिट जाउंगी- जो तूने मुझे थाम लिया। हे शंभु बाबा, मेरे भोलेनाथ, तीनों लोक में तू ही तू। प्यारे भक्तों, स्वागत है आपका आपकी अपनी इस SanskritExam. Com वेबसाइट में। आज हम आपके साथ कुछ खास महत्वपूर्ण विषय लेकर आए हैं। जी हाँ, आज हम बात करने वाले हैं रुद्राक्ष की, रुद्राक्ष क्या है, रुद्राक्ष की उत्पत्ति की कथा, रुद्राक्ष कब और कैंसे पहनें, रुद्राक्ष पहनने के नियम, रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसान इत्यादि रुद्राक्ष की विभिन्न रहस्यमयी जानकारी हम आपके साथ साझा कर रहे हैं। आजकल की अंधीदौड़ में लोग मानो रुद्राक्ष को फैशन सा बनाने लग गये हों, जिसको भी देखो, गले से लेकर हाथ पांव सब जगह रुद्राक्ष पहनकर अपने को शिवभक्त सा मान रहे हैं। रुद्राक्ष साक्षात् भगवान शंकर ही हैं। सोचिए, जरा देवों के देव महादेव भगवान शंकर इतनी आसानी से और इस फैशन के साथ धारण करना उचित है। कदापि नहीं, ऐंसी स्थिति में रुद्राक्ष पहनने से भारी भरकम नुकसान भी हो सकते हैं। रुद्राक्ष पहनने के बहुत सारे फायदे (लाभ) हैं। वहीं गलत रूप से पहना गया रुद्राक्ष भयंकर नुकसान का कारण भी बन सकता है। आइये, जानते हैं- रुद्राक्ष की पूरी कहानी व जानकारी एवं रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसान। रुद्राक्ष क्या होता है- Rudraksha Kya Haiरुद्राक्ष साक्षात् आदिदेव महादेव प्रलयकर्ता भगवान शंकर का अंश है। दूसरे शब्दों में कहें तो रुद्राक्ष साक्षात् शिव ही है। रुद्राक्ष शब्द प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा रचित, देवों की वाणी संस्कृत भाषा का एक दिव्य शब्द है। रुद्र+अक्ष- इन दो शब्दों से मिलकर रुद्राक्ष बनता है। रुद्र का मतलब होता है- भगवान शंकर और अक्ष का मतलब- नेत्र होता है। इस प्रकार रुद्राक्ष का अर्थ होता- भगवान शंकर का नेत्र। रुद्राक्ष भगवान शंकर का साक्षात् तीसरा नेत्र है। अतः रुद्राक्ष को धारण करने से पहले बहुत सारी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। आपको रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसान एवं रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम भी अवश्य जानने चाहिए। आइये, रुद्राक्ष की उत्पत्ति की कथा क्या है, संक्षेप में यह भी जान लीजिए। (यदि आप दुर्लभ एक मुखी रुद्राक्ष खरीदना चाहते हों तो यहाँ आपको आसानी से मिल जाएगा।) रुद्राक्ष की उत्पत्ति की कथा- रहस्यमयीएक समय की बात है। राजा दक्ष के यज्ञ में उनकी पुत्री (माँ) सती ने अपनी देह भस्म कर दी थी। सती माता के भस्म हो जाने पर तीनों लोकों के स्वामी भगवान शंकर दुःख के महासागर में डूब गये और सती का मृत शरीर चारों ओर घुमाने लगे। सती ही शक्ति है और शक्ति ही शिव है। शक्ति के बिना शिव- शव के समान है। अतः इस घटना के परिणामस्वरूप बाद में भगवान शंकर अत्यंत दुःख की अवस्था में जाकर विरक्त हो गये और घोर समाधि में बैठ गये। भगवान शिव अनन्त काल तक समाधि में रहने के बाद संसार पर एक बहुत बड़ी विपत्ति आ गयी। एक समय त्रिपुरासुर के हाहाकार से तीनों लोक भयभीत हो गये थे। त्रिपुरासुर को मारने का कोई उपाय नहीं था। तब प्रजापिता ब्रह्मदेव व जगत्पालक श्रीहरि भगवान विष्णु सहित सभी देवता भगवान शंकर के पास गये। सभी का कल्याण करने वाले भूतनाथ आदिदेव महादेव भोलेनाथ शंकर अनन्त काल से अपनी समाधि में लीन थे। देवताओं ने भगवान शंकर की बहुत स्तुति की। इस प्रकार भगवान शंकर अपनी समाधि से जाग गये व अपनी आदि शक्ति सती के पूर्व स्मरण में आँख खोलते ही भगवान शंकर के नेत्र से आँसू टपकने लगे। ये आँसू जहाँ जहाँ गिरे, तत्काल उन जगहों पर रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन हो गये। भगवान शंकर की आँखों के आंसू के कारण इन वृक्षों का नाम रुद्राक्ष पड़ गया। रुद्राक्ष वास्तव में भगवान शंकर का साक्षात् प्रतिरूप है। यह भगवान शंकर का तीसरा नेत्र है। धरती लोक पर ये रुद्राक्ष वरदान के रूप में अमर हो गये। रुद्राक्ष के दाने धारण कर व रुद्राक्ष की माला पहनकर भगवान शिव अनन्त की कृपा होती है। आजकल यह रुद्राक्ष लोग फैशन के रूप में भी धारण करते हैं जो कि सही नहीं है। रुद्राक्ष धारण करने के बहुत नियम हैं, किस मुखी का रुद्राक्ष- कौन धारण करे? रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसान आदि बहुत सी बातें आपको अवश्य जाननी चाहिए। आइये, जानते हैं- रुद्राक्ष से जुड़ी इन सभी बातों को। रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसानरुद्राक्ष पहनना साक्षात् भगवान शिव को धारण करने जैंसा है। अतः रुद्राक्ष पहनने से पहले व पहनने के बाद कुछ विशेष नियमों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। विज्ञान (Science) भी रुद्राक्ष की चमत्कारिता को स्वीकार करता है। रुद्राक्ष पहनने से भगवान शिव की विशेष कृपा होती है। कुण्डली के दोष दूर होते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक का होता है। अलग अलग रुद्राक्ष अलग अलग कामनाओं की पूर्ति करता है। जैंसे कि
इस प्रकार इन चौदह मुखी रुद्राक्षों में हर एक रुद्राक्ष का अपना अलग महत्व है। रुद्राक्ष पहनने के बहुत सारे फायदे हैं लेकिन यही रुद्राक्ष व्यक्ति के जीवन में महान संकट भी ला सकता है। यदि इसे नियमपूर्वक न पहना जाए। रुद्राक्ष पहनने वाले को मदिरा पान, शराब, मीट मांस आदि का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। यह बात स्वयं भगवान शंकर ने देवताओं को बताई। आइये, पहले रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसान जानते हैं। रुद्राक्ष पहनने के फायदे- Rudraksha Pahanne Ke Faydeरुद्राक्ष पहनने से असंख्य लाभ (फायदे) होते हैं। इस बात में कोई भी संदेह नहीं है। विज्ञान तक भी इस बात को स्वीकार करता है। रुद्राक्ष पहनने से शीघ्र ही मन शान्त होता है व आकर्षक फैलता है। रुद्राक्ष पहनने के कुछ विशेष फायदे निम्नलिखित हैं।
रुद्राक्ष पहनने के नुकसानएक ओर रुद्राक्ष पहनने से जहां अनेकों फायदे होते हैं। वहीं दूसरी ओर रुद्राक्ष पहनने से बहुत सारे नुकसान भी हो सकते हैं। नुकसान के बहुत सारे कारण हैं। जैंसे कि रुद्राक्ष को सही विधि से धारण न करना, रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियमों का पालन न करना, अपने अनुसार गलत मुखी रुद्राक्ष धारण कर देना आदि। अतः रुद्राक्ष पहनते वक्त एवं पहनने के बाद इसके नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए। अन्यथा रुद्राक्ष पहनने के नुकसान हो सकते हैं। गलत विधि से रुद्राक्ष पहनने के निम्न नुकसान हो सकते हैं।
रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम- रुद्राक्ष पहनने के नियमरुद्राक्ष पहनने से पहले व रुद्राक्ष पहनने के बाद कुछ विशेष नियमों का पालन अवश्य करें। रुद्राक्ष पहनने से पहले अथवा पहनने के बाद निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखें।
Click - सनातन धर्म व मंत्रों से जुड़े रहस्य जानें। Click- सम्पूर्ण पूजन, हवन, मंत्र, तंत्र, वास्तु आदि सीखें Click- ज्योतिष सीखें- कुण्डली, कालसर्प दोष, राशिफल आदि 5 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसानपांच मुखी रुद्राक्ष विशेष फल देने वाला होता है। यह तनाव को दूर करता है। मानसिक शांति प्रदान करता है। एक्सीडेंट जैंसी दुर्घटनाओं से रक्षा करता है। पांच मुखी रुद्राक्ष धन प्राप्ति के लिए भी विशेष लाभदायक माना जाता है। पाँच मुखी रुद्राक्ष के अनेको फायदे हैं। गलत विधि से पहना गया पांच मुखी रुद्राक्ष- बुद्धि व मानसिक स्थिति को कमजोर बना सकता है। ऐंसी स्थिति में व्यक्ति को नुकसान हो सकता है। अतः रुद्राक्ष पहनने के नियमों का विशेष ध्यान रखें। करियर के अनुसार कौन-सा रुद्राक्ष पहनने से होगा लाभअलग अलग व्यक्ति को अलग अलग रुद्राक्ष धारण करने का निर्देश दिया जाता है। ज्योतिष में भी राशि के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने की बात कही है। यदि आपका करियर (व्यवसाय) किसी तकनीकी क्षेत्र से जुड़ा हुआ है तो आपके लिए 7, 8, 9, 10 एवं 11 मुखी रुद्राक्ष बेहतरीन है। यदि आपका व्यवसाय होटल आदि से जुड़ा हुआ हो तो आपको एक मुखी, 13 या 14 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। एक मुखी रुद्राक्ष मिलना सबसे ज्यादा दुर्लभ है। एक मुखी रुद्राक्ष पहनने से आश्चर्यजनक लाभ होते हैं। यदि आप शुद्ध Original रुद्राक्ष घर बैठे मंगवाना चाहते हैं तो नीचे 1 से लेकर चौदह मुखी रुद्राक्ष ओर्डर लिंक दिया गया है। आसानी से आप इसे घर बैठे मंगवा सकते हैं। एक मुखी रुद्राक्ष व अन्य रुद्राक्ष 👇 Natural 1 Mukhi Rudraksha 01.349 grams एक मुखी रुद्राक्ष या कोई भी रुद्राक्ष मंगवाने के लिए यहाँ क्लिक करें- रुद्राक्ष खरीदें रुद्राक्ष पहनने के संबंध में सवाल- FAQsहमारे दर्शकों द्वारा रुद्राक्ष पहनने को लेकर कुछ सवाल पूछे गये हैं। जिनका जवाब नीचे स्पष्ट किया गया है। यदि आपका भी कोई सवाल हो तो आप हमें नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं।
उत्तर- रुद्राक्ष पहनने के बाद शराब और मांस का भक्षण बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। ऐंसा करने से भयंकर नुकसान होता है।
उत्तर- कुछ लोग रुद्राक्ष को हाथ पर पहनते हैं तो कुछ सिर पर। रुद्राक्ष को गले पर ही धारण करना चाहिए। गले पर रुद्राक्ष पहनने से भगवान शिव की असीम कृपा होती है।
उत्तर- भगवान शिव के सच्चे भक्त, ब्रह्मचारी, पतिव्रता स्त्री, शराब व मदिरा आदि से दूर रहने वाले शिव के भक्त ही रुद्राक्ष पहन सकते हैं।
उत्तर- स्त्री रुद्राक्ष पहन सकती है लेकिन स्त्री को रुद्राक्ष पहनते वक्त विभिन्न नियमों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। स्त्री को पीरियड के दौरान रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। व्यभिचार करने वाली स्त्री को रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। शिव की भक्ति करने वाली पतिव्रता नारी रुद्राक्ष पहन सकती है।
उत्तर- जैंसे कि हमने आपको बताया कि रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक पाए जाते हैं। इन चौदह मुखी रुद्राक्षों को अलग अलग संज्ञा भी दी गयी है। महिलाओं को अपने सुखमय जीवन हेतु- गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
उत्तर- रुद्राक्ष को सोमवार के दिन अथवा शिवरात्रि के दिन धारण करना चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसे सिद्ध अर्थात् अभिमंत्रित अवश्य करना चाहिए। इन्हें भी देखें 👇👇
जय शिव शंकर, जय माँ गौरा। प्यारे पाठकों, आज के इस आर्टिकल में हमने आपको- रुद्राक्ष की उत्पत्ति कथा, रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसान, रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम, 5 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसान इत्यादि रुद्राक्ष से जुड़ी विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। हमें उम्मीद है कि रुद्राक्ष से जुड़े सभी सवाल आपके स्पष्ट हो गये होंगे। धन्यवाद। रुद्राक्ष पहनकर क्या नहीं करना चाहिए?रुद्राक्ष को तुलसी की माला की तरह की पवित्र माना जाता है। इसलिए इसे धारण करने के बाद मांस-मदिरा से दूरी बना लेना चाहिए। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि रुद्राक्ष को कभी भी श्मशान घाट पर नहीं ले जाना चाहिए। इसके अलावा नवजात के जन्म के दौरान या जहां नवजात शिशु का जन्म होता है वहां भी रुद्राक्ष ले जाने से बचना चाहिए।
रुद्राक्ष कितने दिन में असर दिखाता है?रुद्राक्ष कितने दिनों में दिखाता है असर? सिद्ध किया गया रुद्राक्ष का चमत्कारिक प्रभाव केवल 7 दिनों में ही असर दिखाने लगता है.
रुद्राक्ष पहनने के क्या नियम है?रुद्राक्ष पहनने के नियम. रुद्राक्ष कलाई, गले और ह्रदय पर ही पहना जाता है। ... . हाथ पर 12, गले पर 36 और ह्रदय पर 108 दाने धारण किए जाते हैं।. रुद्राक्ष का एक दाना भी धारण किया जा सकता है, पर दाना ह्रदय तक, लाल धागे में लटका होना चाहिए।. इसे धारण करने का सबसे शुभ मुहूर्त शिवरात्रि, सावन का महीना या सोमवार का दिन माना जाता है।. क्या स्त्रियों को रुद्राक्ष धारण करना चाहिए?अनिष्ट ग्रहों की शांति हेतु रुद्राक्ष धारण की अहम् भूमिका होती है। रुद्राक्ष को लाल रेशमी धागे में धारण करने से अनिष्ट ग्रहों के दुष्प्रभावों में कमी आती है। सामान्यत: महिलाओं को रुद्राक्ष धारण करने की परंपरा नहीं है केवल साध्वियां ही रुद्राक्ष धारण करती देखी गई हैं।
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