रामायण हिंदुओ का वो पवित्र ग्रंथ है जिसकी गाथाओं का प्रमाण आज भी असल दुनिया में देखा जा सकता है। रामायण से जुड़ी ऐसी ही एक अहम जगह है रामेश्वरम। रामेश्वरम, रामायण में बताई गई ऐसी कई जगहें में से एक है जिन्हें आज तीर्थ मान कर हर रोज़ हजारों श्रद्धालु सिर झुकाते हैं। रामेश्वरम वही जगह है जहाँ से श्री राम ने लंका जाने के लिए राम सेतु बनाने की शुरुआत की थी। Show
रामेश्वरम के दर्शनीय स्थलतमिल नाडु के पंबन द्वीप पर बना हुआ रामेश्वरम, राज्य से पंबंन पुल के ज़रिए जुड़ता है। भारत के सबसे दक्षिणी छोर पर बसा हुआ ये शहर भारत से श्रीलंका जाने के लिए सबसे करीबी जगह भी है।अहम मंदिरों और तीर्थ स्थलों के अलावा यहाँ कई खूबसूरत समुद्रतट भी हैं। यानी रामेश्वरम तीर्थ यात्रा को साथ लेते हुए फैमिली वेकेशन के लिए बढ़िया जगह है। रामेश्वरम मंदिर यात्रा: तीर्थ के लिएरामेश्वरम का पौराणिक इतिहास, इसे एक तीर्थ स्थल के तौर पर स्थापित करता है। साथ ही ये जगह चार धामों में से एक है। इसलिए हर रोज़ यहाँ हज़ारों श्रद्धालु अपनी तीर्थ यात्रा को पूरा करने पहुँचते हैं। रामनाथस्वामी मंदिररामनाथस्वामी मंदिर रामेश्वरम का सबसे बढ़ा आकर्षण है। इस मंदिर में ही 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक स्थापित है। रामायण के अनुसार, श्रीराम और माता सीता ने लंका से लौटने के बाद अपनी गलतियों और पापों से मुक्ति के लिए यहाँ पर शिवलिंग स्थापित कर भगवान शिव की उपासना की थी। माना जाता है आज भी मंदिर के गर्भ गृह में वही शिवलिंग मौजूद है। श्रेय: सुदर्सन गोपालन रामेश्वरम का ये मंदिर धार्मिक तौर पर तो महत्वपूर्ण है ही लेकिन वास्तुकला के नज़रिए से भी बेहद नायाब है। इस मंदिर का गलियारा दुनिया में मौजूद सभी मंदिरों में सबसे बड़ा है। द्रविड़ वास्ततुकला में बना इस मंदिर में 1212 खंबे हैं जो 30 फुट उँचें हैं। पंचमुखी हनुमान मंदिर रामानाथस्वामी मंंदिर से 2 कि.मी. दूर बना पंचमुखी हनुमान मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए बेहद अहम है। जैसा नाम से ही ज़ाहिर है, यहाँ पर पाँच मुखों वाले हनुमान की पूजा की जाती है। माना जाता है कि यहीं पर हनुमान ने पहली बार अपना पंचमुखी रूप धारण किया था। मंदिर परिसर में ही तैरता हुआ पत्तथर भी मौजूद है। लोग मानते हैं ये वही पत्थर है जो राम सेतु बनाते वक्त इस्तेाल किया गया था। धनुषकोडी मंदिर
1964 के चक्रवात और 2004 की सुनामी में तबाह होने के बाद धनुषकोडी मंदिर वैसे तो आज खंडहर के रूप में ही खड़ा है लेकिन इसका धार्मिक ऐतिहास इसे आज भी महत्वपूर्ण बनाता है। रामेश्वरम यात्रा के इस अहम स्थान के बारे में माना जाता है कि यहीं पर विभिषण ने रावण को हराने के लिए श्री राम के साथ गठबंधन किया था और युद्ध के बाद यहीं विभिषण का राज्यभिषेक भी हुआ था। इसके साथ ही रामेश्वरम तीर्थ यात्रा पर जडा तीर्थम, लक्ष्मण तीर्थम विलोंदी तीर्थ और जटायू तीर्थ मंदिर भी कुछ ऐसे स्थान हैं जिनका ज़िर्क रामायण में पाया जाता है, तो इन्हें भी अपनी सूची में शामिल कर लें। रामेश्वरम यात्रा: घूमने-फिरने के लिएरामेश्वरम में प्राकृतिक खूबसूरती और अजूबे देखने के लिए ऐसी कई जगहें हैं जहाँ आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ अच्छा वक्त बिता सकते हैं। पंबंन पुल श्रेय: प्रभु शंकर चेन्नई एक्सप्रेस फिल्म में दिखाए जाने के बाद ये पुल और भी मश्हूर हो गया है। समुद्र के बीच से गुज़रता ये पुल पंबंन द्विप को भारत की ज़मीन से जोड़ता है। इस पुल से आप चारों ओर फैले हिंद महासागर को देख सकते हैं। आप पंबन रोड ब्रिज से सफर कर रहे हैं तो साथ ही बने रेलवे पुल को भी देख सकते हैं और अगर ट्रेन से रामेश्वरम का सफर कर रहे तो इस रेलवे पुल का नज़ारा देखकर डर, रोमांच और हैरानी सभी अनुभव एक साथ महसूस करेंगे। राम सेतु/ ऐडम्स ब्रिज श्रेय: चरित गुनरत्ना रामायण के एक अहम अध्याय का प्रमाण मिलता है रामेश्वरम के राम सेतु पर। माना जाता है पानी के नीचे बनी लाइम स्टोन की एक संरचना वही सेतु है जिसे भगवान श्री राम की सेना ने लंका पहुँचने के लिए बनाया था। इस संरचना को देखने के लिए वैसे तो हवाई यात्रा की ज़रूरत पड़ती है, लेकिन आप यहाँ से राम सेतु का कुछ हिस्से के साथ बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के संगम का अद्भुत नज़ारा ले सकते हैं। आर्यमान बीच रामेश्वरम में यात्रा का एक दिन वॉटर स्पोर्ट्स और दिलकश नज़ारों के लिए आर्यमान बीच ज़रूर जाएँ। यहाँ पैरासेलिंग, विंड सर्फिंग और स्पीड बोटिंग जैसे खेलों का मज़ा ले सकते हैं। साथ ही यहाँ बच्चों के लिए चिल्ड्रन्स पार्क भी है। आर्यमान बीच तमिल नाडु के कुछ सबसे खूबसूरत समुद्र तटों में से एक है। धनुषकोडी 2 बार प्राकृतिक आपदा झेल चुका धनुषकोडी अपने समुद्रतट और खंडहर के लिए पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। माना जाता है धनुषकोडी से ही राम सेतु बनने की शुरूआत हुई थी। कैसे पहुँचे रामेश्वरम?हवाई यात्रा: रामेश्वरम का अपना हवाई अड्डा नहीं है। यहाँ पहुँचने के लिए मदुरै या तुतीकोरिन एयरपोर्ट सबसे करीबी हवाई अड्डा है। यहाँ से आप बस या टैक्सी के ज़रिए आसानी से रामेश्वरम पहुँच सकते हैं। रेल यात्रा: रामेश्वरम रेलवे नेटवर्क के ज़रिए देश की लगभग सभी शहरों से जुड़ा हुआ है। आप कहीं से भी रामेश्वरम रेलवे स्टेशन के लिए रेल पकड़ सकते हैं। सड़क यात्रा: रोड के ज़रिए भी रामेश्वरम दक्षिण भारत के शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। मदुरै, तंजावूर और चेन्नई से आपको रामेश्वरम के लिए सीधी बसें मिल जाएँगी। आप चाहे तो किराए पर टैक्सी भी कर सकते हैं। रामेश्वरम जाने का सही समयरामेश्वरम यात्रा के लिए सबसे सही समय है अक्टूबर से अप्रैल के बीच। इस वक्त मौसम सुहाना और ठंडा रहता है। दूसरे महीनों में यहाँ जाएँगे तो चिल-चिलाती गर्मी या मॉनसून में भारी बारिश झेलनी पड़ सकती है। अगर आप इस पौराणिक शहर को घुम कर आ चुके हैं, तो Tripoto पर अपनी यात्रा के बारे में लिखें और जानकारी बाकी यात्रियों के साथ साझा करें।रामेश्वरम धाम कब जाना चाहिए?रामेश्वरम दर्शनीय स्थल जाने का सही समय
पर सबसे उचित समय है अक्टूबर से अप्रैल के दौरान। हांलाकि जुलाई से सितंबर तक बारिश का मौसम रहता है पर इस दौरान भी नज़ारा आनंदमयी होता है। अगर आपको बारिश से कुछ खास दिक्कत नहीं है तो आप कभी भी यहाँ आ सकते हैं।
रामेश्वरम जाने में कितना खर्चा आता है?रामेश्वरम मंदिर में दर्शन करने के बाद आप पंचमुखी हनुमान मंदिर, श्री कलाम मेमोरियल, साक्षी हनुमान मंदिर, नंबू नयागी मंदिर, धनुषकोडी आदि जगहों को विजिट जरूर करें। इन सभी जगहों को घूमने के लिए आप बस, टैक्सी या ऑटो हायर कर सकते हैं। इन सभी जगहों को आप टैक्सी या ऑटो के माध्यम से ₹ 1000-1200 में विजिट कर सकते हैं।
रामेश्वरम मंदिर कितने बजे खुलता है?तमिलनाडु राज्य में स्थित यह रामेश्वरम मंदिर सुबह 4:30 बजे खुलता एवं दोपहर 1:00 बजे बंद हो जाता है। फिर पुनः दोपहर 3:00 बजे खुलता एवं रात 9:00 बजे बंद हो जाता है। इसी समय के बीच इस रामेश्वरम मंदिर में सभी प्रकार की गतिविधियां की जाती है।
दिल्ली से रामेश्वरम जाने में कितना समय लगता है?Train Details
00407 - Rameswaram - Delhi Safdarjung Special, सप्ताह के 1 दिन RMM (धनुषकोडी) से DSJ (दिल्ली सफदरजंग) तक चलती है। 00407 mail express ट्रेन, धनुषकोडी से 01:00 बजे निकलती है और 08:30 बजे दिल्ली सफदरजंग पहुँचती है। 00407 ट्रेन, कुल 67hr 30min में यह सफ़र तय करती है एवं यात्रा के दौरान 7 स्टेशनों पर रुकती है।
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