NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 2 - राजस्थान की रजत बूँदें वितान भाग-1 हिंदी (Rajasthan ki Rajat Bunden)पृष्ठ संख्या: 20 Show
अभ्यास 1. राजस्थान में कुंई किसे कहते हैं? इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है? उत्तर राजस्थान में वर्षा के जल को एकत्रित करने के लिए कुंई का निर्माण किया जाता है| जब वर्षा अधिक मात्रा में होता है तो वह मरुभूमि में रेत की सतह में समा जाता है और धीरे-धीरे रिसकर कुंई में जमा हो जाता है| जिस स्थान में कुंई की खुदाई की जाती है, उस स्थान को ईंट और चूने द्वारा पक्का कर दिया जाता है| कुंई की गहराई सामान्य कुओं की तरह ही होती है लेकिन इसके व्यास में बहुत अंतर होता है| सामान्य कुओं का व्यास पन्द्रह से बीस हाथ का होता है जबकि कुंई का व्यास चार या पाँच हाथ का होता है| 2. दिनोंदिन बढ़ती पानी की समस्या से निपटने में यह पाठ आपकी कैसे मदद कर सकता है तथा देश के अन्य राज्यों में इसके लिए क्या उपाय हो रहे हैं? जानें और लिखें? उत्तर हमारे देश में दिनोंदिन पानी की समस्या बढ़ती जा रही है| देश के कई ऐसे राज्य हैं जहाँ इस समस्या से निपटने के लिए अनेक उपाय किए जा रहे हैं| प्रस्तुत पाठ में जल संरक्षण के उपाय के बारे में बताया गया है| भारत के ऐसे बहुत क्षेत्र हैं जहाँ लोगों को पानी लाने के लिए दस किलोमीटर से भी अधिक दूरी तय करके जाना पड़ता है| इन क्षेत्रों में कुंई का निर्माण करके इस समस्या से निजात पाया जा सकता है| जहाँ कुंई का निर्माण न किया जा सके, वहाँ घर की छतों और आँगन में वर्षा जल को संग्रहित किया जा सकता है| राजस्थान के अतिरिक्त दक्षिण भारत के कई राज्यों में भी जल संरक्षण के उपाय किए जा रहे हैं| जल संरक्षण के लिए दक्षिण भारत के राज्य जैसे- तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में विशाल पथरीले जलाशयों में पानी एकत्रित किया जाता है| इस प्रकार वहाँ की सरकारों द्वारा भी जल संरक्षण के लिए किए जाने वाले प्रयासों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है| उत्तर पहले चेजारों का विशेष ध्यान रखना समाज की परंपरा थी| काम पूरा होने पर विशेष भोज का आयोजन किया जाता था| उनकी विदाई के समय तरह-तरह की भेंट दी जाती थी| चेजारो के साथ गाँव का संबंध वर्ष भर तक जुड़ा रहता था| उन्हें तीज-त्योहारों, विवाह जैसे मंगल अवसरों पर नेग, भेंट दी जाती थी और फसल आने पर खलिहान में उनके नाम से अनाज का एक अलग ढेर भी लगता था| वर्तमान में उन्हें सिर्फ मजदूरी देकर ही काम करवाने का रिवाज आ गया है| काम पूरा होने के बाद उनके साथ कोई संबंध नहीं रखा जाता है| 4. निजी होते हुए भी सार्वजनिक क्षेत्र में कुंइयों पर ग्राम समाज का अंकुश लगा रहता है| लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? उत्तर राजस्थान के जिन क्षेत्रों में कुंइयों का प्रचलन है, वहाँ हरेक की अपनी-अपनी कुंई है| उससे पानी लेने का उनका निजी हक़ है| लेकिन इनका निर्माण गाँव-समाज की सार्वजनिक जमीन किया जाता है| उस जगह बरसने वाला पानी ही बाद में वर्ष-भर नमी की तरह सुरक्षित रहेगा और इसी नमी से साल-भर कुंइयों में पानी भरेगा| नमी की मात्रा वहाँ हो चुकी वर्षा से तय होती है| उस क्षेत्र में बनने वाली हर नई कुंई का अर्थ है, पहले से तय नमी का बँटवारा| इसलिए निजी होते हुए भी सार्वजनिक क्षेत्र में कुंइयों पर ग्राम समाज का अंकुश लगा रहता है| 5. कुंई निर्माण से संबंधित निम्न शब्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करें- पालरपानी, पातालपानी, रेजाणीपानी| उत्तर मरुभूमि समाज के लिए उपलब्ध पानी को तीन रूपों में बाँटा गया है: • पहला रूप है पालरपानी| यह सीधे बरसात से मिलने वाले पानी को कहा जाता है| यह धरातल पर बहता है और इसे नदी, तालाब आदि में रोका जाता है| • पानी का दूसरा रूप पातालपानी कहलाता है| यह वही भूजल है जो कुओं में से निकाला जाता है| • पालरपानी और पातालपानी के बीच पानी का तीसरा रूप है, रेजाणीपानी| धरातल से नीचे उतरा लेकिन पाताल में न मिल पाया पानी रेजाणी है| रेजाणीपानी खड़िया पट्टी के कारण पातालीपानी से अलग बना रहता है| राजस्थान की रजत बूँदें पाठ के आधार पर बताइए कि कुईं का दूसरा नाम क्या है?पाठ के आधार पर बताइए। उत्तर : जो लोग कुंई खोदते हैं, उन्हें चेजारे कहा जाता है। राजस्थान के गाँवों में चेजारों को विशेष स्थान प्राप्त था। कुंई खोदने के पश्चात उन्हें गाँव वालों द्वारा बहुत मान-सम्मान दिया जाता था।
राजस्थान की रजत बूँदें पाठ के आधार पर बताइए कि कुईं का निर्माण कहाँ संभव है?उत्तर – राजस्थान में खड़िया पत्थर की पट्टी पर ही कुंइयों का निर्माण किया जाता है। कुंई का निर्माण ग्राम-समाज की सार्वजनिक जमीन पर होता है, परंतु उसे बनाने और उससे पानी लेने का हक उसका अपना हक है। सार्वजनिक जमीन पर बरसने वाला पानी ही बाद में वर्ष-भर नमी की तरह सुरक्षित रहता है।
राजस्थान की रजत बूँदें पाठ के आधार पर बताइए कि पहले चेजारो का सम्मान किस प्रथा के अंतर्गत और कब तक किया जाता था?कुंई खुदने पर चेलवांजी को विदाई के समय तरह-तरह की भेंट दी जाती थी। इसके बाद भी उनका संबंध गाँव से जुड़ा रहता था। प्रथा के अनुसार कुंई खोदने वालों को वर्ष भर सम्मानित किया जाता था। उन्हें तीज-त्योहारों में, विवाह जैसे मंगल अवसरों पर नेग, भेंट दी जाती थी।
राजस्थान की रजत बूंदें से क्या तात्पर्य है?पाठ सारांश यह पाठ राजस्थान की रजत बूंदे अनुपम मिश्र द्वारा लिखा गया है इसमें राजस्थान के मरुस्थल में पाई जाने वाली कुईं के बारे में बताया गया है जिसका उपयोग पानी संग्रक्षण के लिए किया जाता है । इसमें घेलवांजी कुईं का निर्माण कर रहे है जो तीस -पैंतीस गहरी खोदने पर कुई का घेरा संकरा हो जाता है।
|