नीचे लिखे काव्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
पुष्प-पुष्य से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं.
अपनै नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं,
द्वार दिखा दूँगा फिर उनको।
हैं मेरे वे जहाँ अनंत-
अभी न होगा मेरा अंत।
कवि को पुष्प कैसे दिखाई पड़ते हैं?
- खिले हुए
- सुगंधित
- आलसी, निद्रामय व उदासी मे ड़ुबे हुए
- आलसी, निद्रामय व उदासी मे ड़ुबे हुए
C.
आलसी, निद्रामय व उदासी मे ड़ुबे हुए
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पुष्प-पुष्य से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं.
अपनै नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं,
द्वार दिखा दूँगा फिर
उनको।
हैं मेरे वे जहाँ अनंत-
अभी न होगा मेरा अंत।
‘अनत’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त है?
- प्रकृति
- मनुष्य
- ईश्वर
- ईश्वर
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कविता का शीर्षक ‘ध्वनि’ इस शब्द से आप क्या समझते हैं?
ध्वनि शब्द का अभिप्राय है ‘आवाज’ इस कविता में ध्वनि शब्द अंतर्मन की पुकार हेतु प्रयोग किया गया है।
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नीचे लिखे काव्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
पुष्प-पुष्य से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं.
अपनै नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं,
द्वार दिखा दूँगा फिर उनको।
हैं मेरे वे जहाँ अनंत-
अभी न होगा मेरा अंत।
कवि की चाहत क्या है?
- वह अपने जीवन के आलस्य, निराशा व प्रमाद को दूर करना चाहता है।
- वह अपने अनंत से सप्राण भेंट करना चाहता है।
- वह अपने अंत से पूर्व अपने जीवन की आभा, सुषमा व कर्तव्य भावना को यशस्वी बनाकर चारों ओर फैलाना चाहता है।
- वह अपने अंत से पूर्व अपने जीवन की आभा, सुषमा व कर्तव्य भावना को यशस्वी बनाकर चारों ओर फैलाना चाहता है।
D.
वह अपने अंत से पूर्व अपने जीवन की आभा, सुषमा व कर्तव्य भावना को यशस्वी बनाकर चारों ओर फैलाना चाहता है।
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कवि ने प्रकति के साथ किस प्रकार अपने जीवन का तादाम्प जोड़ा है?
प्रकृति में वसंत के आगमन से ही बदलाव आ जाता है। चारों ओर वसंत की आभा, सुषमा, सौंदर्य व आहाद की अनुभूति होती है। उसे ऐसा लगता है कि ऐसे में सभी फूल व कलियों को खुलकर खिलना होगा इसलिए वह अपने हाथों के कोमल स्पर्श से सभी का आलस्य व प्रमाद दूर भगाना चाहता है और अनंतकाल तक खिलते रहने के लिए प्रेरित करता है। दूसरी ओर कवि के हृदय मैं भी अपने जीवन काल मैं कुछ कर दिखाने की इच्छा है। वह महसूस करता है कि उसके जीवन में भी वसंत का सुंदर आगमन हुआ है अर्थात् नई-नई चाह व नए उत्साह का संचार हुआ है । वह अभी उस अनंत से मिलन नहीं करना चाहता बल्कि अपने उद्देश्यपूर्ण कार्यों से वसंत की भाँति चारों ओर यश. कीर्ति और आनंद फैलाना चाहता है।
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नीचे लिखे काव्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर
दीजिए-
पुष्प-पुष्य से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं.
अपनै नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं,
द्वार दिखा दूँगा फिर उनको।
हैं मेरे वे जहाँ अनंत-
अभी न होगा मेरा अंत।
कवि पुष्पों को कैसे सुदंर बनाना चाहता है?
- वह उन्हें अपना स्पर्श देना चाहता है।
- उन्हें अनंत तक खिलाना चाहता है।
- वह उन्हें अपने जीवन के अमृत रस से सींचना चाहता है।
- वह उन्हें अपने जीवन के अमृत रस से सींचना चाहता है।
C.
वह उन्हें अपने जीवन के अमृत रस से सींचना चाहता है।
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