पर्यावरण तथा स्वास्थ्य रक्षा में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है - paryaavaran tatha svaasthy raksha mein soochana praudyogikee kee kya bhoomika hai


पर्यावरण जागरूकता में सूचना तकनीक की भूमिका


आधुनिक सूचना तकनीक ने फ्रैंसिस बेकन के कथन ‘Knowledge is Power’ को सच साबित कर दिखाया। सूचना तकनीक एक ऐसी तकनीक है, जो दुनिया में किसी भी व्यक्ति को, किसी भी समय, कहीं भी घटने वाली घटना या प्रसंग के बारे में संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराती है। सूचना तकनीक के जरिए घर बैठे ही पर्यावरण से संबंधित सभी जानकारियां आज जैसे किस क्षेत्र में कितना प्रदूषण है, वन्य जीवों की सुरक्षा के क्या इंतजाम है।

देश-विदेश में पर्यावरण संरक्षण हेतु क्या शोध किए जा रहे हैं, आदि प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही इन संवेदी उपग्रहों की सहायता से दुनिया भर में हो रही पर्यावरणीय घटनाओं जैसे-ओजोन क्षरण, प्राकृतिक प्रकोप, वन-विनाश इत्यादि से संबंधित सूचनाएं तुरंत ही संसार के विभिन्न भागों में पहुंच जाती हैं। इसके अलावा बहुत-सी छोटी-छोटी घटनाओं की पूर्व सूचना भी विश्व के कोने-कोने में पहुंचाई जा सकती है। आज एक आम व्यक्ति इंटरनेट और ई-मेल के जरिए किसी भी क्षेत्र की जानकारी प्राप्त कर सकता है। वर्तमान में पर्यावरण प्रबंधन में भी सूचना तकनीक अहम् भूमिका निभा नहीं है। आज जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन संबंधी जानकारियां सूचना तकनीक जैसे-रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट आदि के माध्यम से प्रसारित पर्यावरण नाटक, विज्ञापन आदि पर्यावरण के संबंध में जन-जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

पर्यावरणीय एवं वन मंत्रालय तथा भारत सरकार ने एक तंत्र की स्थापना की है, जिसे पर्यावरण सूचना-तंत्र कहा जाता है। इसका मुख्यालय राजधानी दिल्ली में स्थापित किया गया है। पर्यावरण सूचना तंत्र के द्वारा पर्यावरण संबंधी सभी जानकारियां जैसे-प्रदूषण के उपाय, नवीनीकरण ऊर्जा, मरुस्थलीकरण, जैव विविधता आदि के बारे में जानकारियों को हमेशा के लिए कंप्यूटर में संग्रहित किया जा सकता है। अतः वर्तमान युग में सूचना तकनीक इतनी विकसित हो गई है कि मानव-जीवन का कोई पहलू अब सूचना तकनीक से पृथक् नहीं है तथा सूचना तकनीक आधुनिक युग की सबसे अधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।


स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में सूचना तकनीक की भूमिका


देश के पास पहले से ही सूचना प्रौद्योगिकी और स्‍वदेशी उपग्रह संप्रेषण प्रोद्योगिकी का मजबूत आधार है, जिसमें प्रशिक्षित मानव संसाधन हैं। प्रयासों को आगे बढ़ाने से टेमिलमेडिसिन से देश के सबसे दूर-दराज के इलाकों में विशेषज्ञतापूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल की सुविधा मुहैया कराने में मदद मिलेगी। टेलिमेडिसिन से सतत् आयुर्विज्ञान शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रमों के प्रभावकारी संचालन के अलावा, विशेष रूप से हृदय रोग विज्ञान, विकृति विज्ञान, चर्म रोग विज्ञान और रेडियो विज्ञान के क्षेत्रों में टेलि-रोग निदान की सुविधाएं उपलब्‍ध कराने की संभावना है।

टेलिमेडिसिन: टेलिमेडिसिन को रोगी से संबंधित सूचना के आदान-प्रदान के लिए इलेक्‍ट्रोनिक संप्रेषण प्रौद्योगिकी के उपयोग और दूर-दराज के स्‍थानों में स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल सेवाओं की उपलब्‍धता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। वैश्विक टेलिमेडिसिन से स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल सेवाएं उपलब्‍ध कराने के अलावा अन्‍य कई लाभ प्राप्‍त हुए हैं। अब इसका उपयोग व्‍यापक तौर पर शिक्षा, अनुसंधान और डाटा प्रबंधन के लिए भी किया जा रहा है। किंतु, यह विरोधाभास है कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की विशेष रूप से सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में टेलिमेडिसिन का उपयोग अभी भी आरंभिक अवस्‍था में है।

स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में सूचना और संप्रेषण प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का उपयोग मोटे तौर पर चार क्षेत्रों में किया जा सकता है- शिक्षा, अनुसंधान, रेफरल और डाटा प्रबंधन।

  1. स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा: जब आईसीटी का उपयोग आयुर्विज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में किया जाएगा, तो संभवत: संपूर्ण भारत में उच्‍च गुणवत्‍ता की शिक्षा निर्बाध से प्राप्‍त होगी। 
  2. अस्‍पताल प्रबंधन प्रणाली: आमतौर पर यह अनुभव किया जाता है कि विशेष रूप से दूर-दराज के इलाकों में स्‍वास्‍थ्‍य प्रणालियों के कार्य-स्‍थलों में यथेष्‍ट प्रबंधन नहीं होता है। अस्‍पताल प्रबंधन प्रणाली का उपयोग करके मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्‍पतालों के प्रबंधन को काफी हद तक सुदृढ़ किया जा सकता है। 
  3. अस्‍पताल अनुसंधान: आईसीटी भारत में आयुर्विज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में व्‍यापक बदलाव लाकर चिकित्‍सा परिदृश्‍य को परिवर्तित करने में सक्षम है। यह पारंपरिक नैदानिक अनुसंधान से लेकर आधुनिक संश्‍लेषी जीव विज्ञान-आधारित अनुसंधान तक विस्‍तृत अवसर प्रदान करता है। कैंसर की रोकथाम, जांच, निदान और उपचार जैसी समस्‍याओं से संबंधित कार्य में अंतर-विषयी सहयोग से लाभ मिल सकता है। कुछ दशक पहले जब एमआरआई और न्‍युक्लियर इमेजिंग को मेडिसिन में एकीकृत कर दिया गया, तबसे चिकित्‍सकों को इस प्रकार के लाभ हासिल हुए हैं। 
  4. स्‍वास्‍थ्‍य और डाटा का प्रबंधन: स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में आईसीटी का निर्बाध रूप से उपयोग करने में इलेक्‍ट्रोनिक मेडिकल रिकॉर्ड (ईएमआर) एक मूलभूत पूर्व-शर्त है। चूंकि ईएमआर अनेक रूपों, आकार-प्रकार और फॉर्मेट में प्राप्‍त होता है, अत: सार्वभौमिक लाभ के लिए भारतीय चिकित्‍सक समुदाय को विशेष अधिदेश के साथ ईएमआर आधारित प्रणालियों का उपयोग करने के लिए ईएमआर को मानकीकृत करना चाहिए और आईसीटी प्‍लेटफॉर्म स्‍थापित करना चाहिए।

पर्यावरणीय स्वास्थ्य में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?

सूचना प्रौद्योगिकी का पर्यावरण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका मौसम के पूर्वानुमान के बारे में की जाती है। इसमें उपग्रह से सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं एवं सम्भावित मौसम का पूर्वानुमान प्राप्त किया जाता है। हमारा देश कृषि प्रधान है, अतः हमें वर्षा का समय मालूम करना अत्यावश्यक होता है।

स्वास्थ्य रक्षा में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?

स्वास्थ्य सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता से कम्प्यूटीकृत प्रणाली के माध्यम से उपभोक्ता (रोगी), चिकित्सा-प्रदाता, भुगतानकर्ता, गुणवत्ता की निगरानी करने वालों आदि के बीच सूचना का आदान-प्रदान किया जाता है। सन २००८ में एक अध्ययन में इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकार्ड को सर्वाधिक उपयोगी औजार के रूप में पाया गया था।

पर्यावरण सूचना प्रणाली क्या है इसके प्रमुख उद्देश्य लिखिए?

पर्यावरणीय सूचना न केवल पर्यावरण प्रबंधन संबंधी नीतियों को तैयार करने में भूमिका अदा करती है बल्कि यह निर्णय प्रक्रिया में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसका उद्देश्य पर्यावरण की सूरक्षा करना और जीवित प्रणियों के लिए बेहतर जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखना भी होता है।

हम अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण का संरक्षण कैसे कर सकते हैं?

पर्यावरण को बचाने के लिए सबसे पहले हमें पानी को प्रदूषित होने से बचाना होगा। कारखानों, सीवरेज और घरों की नालियों से निकले पानी को नदियों और समुद्र में जाने से रोकना होगा। वनों को नष्ट होने से बचाना होगा और लोगों को पौधारोपण के लिए प्रेरित करना होगा। प्लास्टिक की सामग्री और थैलियों के उपयोग को रोकना होगा।