हिंदी न्यूज़ धर्मParashurama Jayanti 2022: भगवान परशुराम ने अपने ही शिष्य कर्ण को क्यों दिया था श्राप? पढ़िए रोचक प्रसंग Show
Parashurama Jayanti 2022: भगवान परशुराम के कई महान शिष्य हुए हैं जिनसे उनका नाम दुनिया और ऊंचा हुआ है। महाभारत के कुछ प्रमुख पात्रों में रहे देवव्रत भीष्म, गुरु दोणाचार्य और अंगराज कर्ण का वर्णन भी परAlakha Singhलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीTue, 03 May 2022 08:45 AM Parashurama Jayanti 2022: भगवान परशुराम के कई महान शिष्य हुए हैं जिनसे उनका नाम दुनिया और ऊंचा हुआ है। महाभारत के कुछ प्रमुख पात्रों में रहे देवव्रत भीष्म, गुरु दोणाचार्य और अंगराज कर्ण का वर्णन भी परशुराम के शिष्यों के रूप में हुआ है। इनमें सबसे चर्चित शिष्यों में एक कर्ण का प्रसंग है जिसे परशुराम ने सभी विद्याएं सिखाने के बाद विद्या भूलने का श्राप दे डाला था। जानिए परशुराम ने क्यों दिया था कर्ण को श्राप? आज से 5-7 हजार साल पहले भारत में मुख्य रूप से गुरुकुलों में ही छात्रों को शिक्षा मिलती थी। तब शिक्षा मौखिक रूप से दी जाती है। लेकिन उस वक्त गुरुकुल परम्परा में छल-कपट न के बराबर होता था । जो व्यक्ति कहता था उस पर विश्वास कर लिया जाता था क्योंकि शिष्य के गुरु से झूठ बोलना महापाप माना जाता था। इसे नियत आचरण के खिलाफ गुरुद्रोह माना जाता था। Parashurama Jayanti 2022: दिव्य तीर्थों के संस्थापक भगवान परशुराम, जानिए कैसे 'राम' से बने 'परशुराम' लिहाज़ा जब कर्ण गुरु परशुराम के पास पहुंचा तो उसे यह बात पहले से मालूम थी कि गुरु परशुराम ने शस्त्रों का त्याग कर विद्या दान करते हैं। लेकिन वह सिर्फ ब्राह्मण कुमारों को ही शिक्षा देने का प्रण लिया था अन्य कुमारों को नहीं। अब अन्य वर्ग के लोग को क्यों विद्या नहीं देते थे तो उसका कारण था वह यह कि जब भीष्म द्वारा स्वयंवर में जीती गयी काशी की राजकुमारी अम्बा ने परशुराम से गुहार लगाई कि वे अपने शिष्य भीष्म को उससे विवाह की आज्ञा दें तब भीष्म ने बजाए गुरु आज्ञा मानने के उसकी अवहेलना कर अपनी प्रतिज्ञा निभाना उचित समझा था। भीष्म को इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था उनकी मृत्यु नहीं हो सकती थी , कोई गुरु अपने शिष्य को नहीं मार सकता क्योंकि गुरु शिष्य को पुत्र के समान माना जाता है। लेकिन इस प्रसंग में परशुराम को उम्मीद नहीं थी कि कोई शिष्य उनकी आज्ञा का उल्लंघन करेगा। परिणाम स्वरूप भीष्म से परशुराम ने युद्ध किया और फिर पराजित हुए , शिष्य से हारना गुरु के लिए बड़ी सुखद बात होती है। परशुराम अपने शिष्य के पराक्रम से प्रसन्न हुए किन्तु तब ही उन्होंने यह प्रण किया कि अब वह ब्राह्मणों के अतिरिक्त अन्य किसी कुल के विद्यार्थी को शिक्षा न देंगे । कर्ण
ने खुद को शूद्रपुत्र बताकर यानी असत्य कह कर उनकी शिक्ष्रा का लाभ लिया। लेकिन एक दिन जब परशुराम को अहसास हुआ कि कर्ण शूद्र नहीं एक क्षत्रिय पुत्र है तो उन्होंने कर्ण को असत्य बोलने को लेकर दंड देना आवश्यक समझाा। गुरु परशुराम ने कर्ण को श्राप दिया जब उसे उनके द्वारा दी गई विद्या की अत्यंत आवश्यकता होगी तो वह उसे भूल जाएंगे। यही कारण है कि कर्ण महाभारत में अर्जुन के खिलाफ ब्रह्मास्त्र का प्रयोग नहीं कर पाए और अंतता मारा गया था। हिंदी न्यूज़ धर्मMahabharat: कर्ण को जिससे मिला था सारा ज्ञान उसी ने दिया ऐसा श्राप कि बन गया उसकी मृत्यु का कारण कर्ण ने परशुराम से झूठ बोलकर धनुर्विद्या और शस्र की शिक्षा ली थी। परशुराम को जब झूठ का पता चला तो उन्होंने कर्ण से गुस्सा होकर श्राप दे दिया। श्राप की वजह से ही महाभारत के युद्ध में कर्ण का वध हुआ।Jayesh Jetawatलाइव हिंदुस्तान,नई दिल्लीSat, 30 Apr 2022 10:45 PM जब भी महाभारत की कथा सुनते हैं, तब कर्ण का जिक्र अवश्य आता है। कर्ण वैसे तो पांडवों की मां कुंती और सूर्यदेव का पुत्र था, लेकिन उसका पालन पोषण एक सारथी ने किया था। सुतपुत्र होने की वजह से उसे कई बार अपमान सहन करना पड़ा था। इस वजह से वह पांडवों से ईर्ष्या करता था और महाभारत युद्ध में कौरवों का साथ दिया था। कर्ण को बचपन से धनुर्धर बनने की इच्छा थी, मगर सुतपुत्र होने से कोई भी गुरु उसे शिक्षा नहीं देना चाहता था। कर्ण ने झूठ बोलकर परशुराम से शिक्षा तो ग्रहण कर ली लेकिन जब उन्हें असलियत पता चली तो श्राप दे दिया। पढ़ें कहानी- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कर्ण शस्त्र का ज्ञान लेने के लिए परशुराम के पास गए। परशुराम सिर्फ ब्राह्मणों को शस्त्र की शिक्षा देते थे। इसलिए कर्ण ने ब्राह्मण का वेश धारण कर लिया और परशुराम से झूठ कहा कि वह ब्राह्मण पुत्र है। परशुराम से कर्ण पर विश्वास कर लिया और उसे धनुर्विद्या का ज्ञान देने लगे। जैसे-जैसे समय बीतता गया कर्ण धनुर्विद्या में पारंगत होता गया। कम समय में उसने तीरंदाजी के कई इसे देखकर परशुराम भी प्रसन्न हुए और कर्ण उनका प्रिय शिष्य बन गया। एक बार परशुराम और कर्ण जंगल में अभ्यास कर रहे थे। बहुत देर तक अभ्यास करने के बाद थकान मिटाने के लिए दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ गए। परशुराम कर्ण की गोद में लेट गए। कुछ ही पलों में उन्हें गहरी नींद आ गई। तभी एक कीड़ा कर्ण के पैरों पर चढ़ गया और काटने लगा। कीड़ा धीरे-धीरे शरीर के ऊपरी हिस्से की ओर बढ़ रहा था। कर्ण अपने गुरु की निद्रा में खलल नहीं डालना चाहता था, इसलिए कोई हरकत नहीं की। उस कीड़े ने कर्ण के पूरे शरीर पर काट दिया लेकिन वह हिला तक नहीं। कुछ देर बाद जब परशुराम की नींद खुली तो कर्ण के शरीर पर काटने के निशान देखकर चौंक गए। उन्होंने कर्ण से इसका कारण पूछा। कर्ण ने पूरी बात बता दी। तब परशुराम के मन में शंका हुई। उन्होंने कर्ण से कहा कि तुम ब्राह्मण नहीं हो। ब्राह्मण को एक मच्छर भी काट जाए तो वो आवाज कर लेता है। मगर इतनी सहनशीलता सिर्फ क्षत्रिय में होती है। परशुराम ने कर्ण से उसकी असली पहचान पूछी। कर्ण ने अपनी असलियत के बारे में अपने गुरु को बता दिया। उसने कहा कि मैंने आपसे झूठ कहकर शिक्षा ग्रहण की, मैं सुतपुत्र हूं। मुझे माफ कर दें। ये सुनकर परशुराम को बहुत क्रोध आया। उन्होंने कहा कि तुमने मुझसे झूठ बोलकर शिक्षा ग्रहण की है। इसका तुम्हें दंड भुगतना होगा। परशुराम ने कर्ण को श्राप दिया कि उसने जो कुछ भी सीखा है, जब भी उसे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होगी तब वह उसका इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। जरूरत के वक्त तुम मेरे द्वारा सिखाए सभी मंत्र भूल जाओगे और वही तुम्हारे काल का कारण बनेगा। महाभारत के युद्ध के दौरान कर्ण ने कौरवों का साथ दिया। युद्ध के 17वें दिन कर्ण के रथ का पहिया जमीन में धंस गया। तभी उस समय अर्जुन ने दिव्यास्त्र निकाला और कर्ण पर वार किया। कर्ण उस समय निहत्था हो गया था। उसके पास दिव्यास्त्र का काट था लेकिन परशुराम के श्राप से वह सारी विद्या भूल गया। इस तरह कर्ण का मृत्यु हो गई। परशुराम जी ने कर्ण को क्या श्राप दिया था?परशुराम ने कर्ण को श्राप दिया कि उसने जो कुछ भी सीखा है, जब भी उसे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होगी तब वह उसका इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। जरूरत के वक्त तुम मेरे द्वारा सिखाए सभी मंत्र भूल जाओगे और वही तुम्हारे काल का कारण बनेगा। महाभारत के युद्ध के दौरान कर्ण ने कौरवों का साथ दिया।
कर्ण को श्राप क्यों मिला?बाण लगने से गाय की वही पर मौत हो जाती है। उस गाय का स्वामी एक ब्राह्मण होता है जो गाय की दुर्दशा देखकर कर्ण को वहीं पर श्राप दे देता है। श्राप में ब्राह्मण कहता है कि जिस तरह तुमने एक असहाय गाय को मारा है , ठीक उसी तरह ही एक दिन तुम्हारी भी मृत्यु होगी। आगे चलकर इन दोनों श्राप का प्रभाव महाभारत के युद्ध में नजर आया।
परशुराम ने कर्ण से क्या कहा?इस वजह से परशुराम ने दिया कर्ण को शाप
केवल आप ही ऐसे इंसान हैं, जिनकी मुझ पर कृपा हुई है। कर्ण की बातों से परशुरामजी का क्रोध शांत हुआ और कहा कि शाप तो वापस नहीं आ सकता लेकिन तुम जिस यश के लिए भाग रहे हो, वह तुमको जरूर मिलेगा और तुम महानतम धनुर्धर बनोगे। इसके बाद भगवान परशुराम ने कर्ण को अपना विजय धनुष प्रदान किया।
भगवान परशुराम ने कर्ण को विजय धनुष क्यों दिया?महाभारत के युद्ध में शल्य जब कर्ण के सारथी बनते हैं तब कर्ण ने विजय धनुष का उल्लेख किया है। विजय धनुष वही धनुष है जिससे भगवान परशुराम ने २१ बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन किया था इसलिए इसमें संदेह नहीं कि वह धनुष दिव्य और असाधारण था।
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