परमात्मा का दूसरा नाम क्या है? - paramaatma ka doosara naam kya hai?

प्रेम का दूसरा नाम है परमात्मा

कार्यालय संवाददाता, हाथरस : सावन कृपाल रुहानी मिशन शाखा गौशाला पर बृज किशोर अग्रवाल द्वारा सूफी संत दर्शन सिंह महाराज की रुहानी गजल सुनाकर वातावरण भक्ति मय कर दिया। आगरा से आये अमर सिंह ने बताया कि परम पिता परमात्मा की कृपा से वह मानव चोला मिला। इस चोला में हम अच्छा बुरा विवेक का इस्तेमाल करते हैं। मगर हम यहां लोभ-मोह अहंकार में यह श्रेष्ठ योनि को बरबाद कर रहे हैं। यह मानव जीवन बार-बार नहीं मिलने वाला, जिन्होंने सतगुरु की शारणा ले ली है वह धन्य हैं। जिन्होंने नाम की दीक्षा लेकर उस परमात्मा से लगन लगा ली है परमात्मा हम से कही दूर नहीं है। वह हमसे सबसे करीब है। बस उसे देखने वाली आंख चाहिए। अपना दिल साफ करों, किसी के प्रति द्वेष अब नहीं सबसे प्रेम हो क्योंकि वह परमात्मा सब किसी में हैं सिर्फ आपका नहीं अगर किसी को दुख पहुंचाओंगे तो वह आपसे दूर हो जायेंगे। प्रेम का दूसरा नाम परमात्मा हैं सभी से प्रेम करों वह अपने आप प्रसन्न हो जायेंगे। सहयोग में अरुन अग्रवाल, प्रदीप ग्रोवर, अमर सिंह आदि उपस्थित थे। निरंजन लाल डब्बू ने सभी का आभार प्रकट किया। वहीं संत कृपाल आश्रम में निशुल्क शारीरिक जांच व परामर्श शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें डा. अलोक एन पाठक ने 61 मरीजों की आधुनिक उपकरणों से फिजियोथिरेपी द्वारा उपचार किया गया। हर माह के दूसरे रविवार को शिविर लगाया जायेगा।

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परमात्मा का असली नाम क्या है?

परमात्मा का असली नाम ओम बताते हुए इसे संसार को बनाने वाला, उसका पालन करने वाला तथा संहार करने वाला बताया। इस मौके पर संयोजक डा. ओमवीर सिंह, डा. हरपाल सिंह, वशिंबर मलिक, ब्रह्म सिंह, रामबली राणा, रामपाल प्रधानाचार्य, विजय कुमार, देवेन्द्र सिंह, सत्यपाल सिंह, उमेश शर्मा, सुभाष शर्मा आदि थे।

सबसे बड़ा परमात्मा का नाम क्या है?

परम ब्रह्म अर्थात एकाक्षर ब्रह्म। परम अक्षर ब्रह्म। वह परम ब्रह्म भगवान सदाशिव है।

गीता के अनुसार परमात्मा कौन है?

जहां तक श्रीमद् भगवद् गीता का प्रश्न है, परम सत्य तो श्रीभगवान श्रीकृष्ण हैं और इसकी पुष्टि पद-पद पर होती है। परमात्मा साकार है या निराकार, इस पर सामान्य विवाद चलता है।

कलयुग का परमात्मा कौन है?

सतयुग, द्वापर युग तथा त्रेता युग में तप और ध्यान से प्रभु की प्राप्ति होती थी परंतु कलियुग में तप और तपस्या करना किसी के वश में नहीं हैं तो क्या कलियुग में परमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती? कलियुग में प्रभु की प्राप्ति बहुत ही आसान हैं।