प्राकृतिक असंतुलन का परिणाम क्या होगा? - praakrtik asantulan ka parinaam kya hoga?

पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है,
मानव प्रकृति को नष्ट कर रहा है।
आज पर्यावरण असंतुलन का सबसे बड़ा कारण है ,
मनुष्य द्वारा किया जाने वाला प्रदूषण है।

मानव द्वारा नदियों में गिराया जाता है गंदा जल,
उसी जल को पीकर रोग ग्रस्त होते सभी जन।
मानव द्वारा लगाए गए कल-कारखाने से निकलती विषैली गैसें,
जिससे थम रही हैं लोगों की जीवन की सांसे।

लोग सड़क पर कूड़ा कचरा फेंक रहे हैं,
उसी कचरे से उत्पन्न कीटाणु हमें बीमार कर रहे हैं।
आज लोगों ने फिर किया अपना जीवन असुरक्षित,
जिन वृक्षों से होता था हमारा जीवन रक्षित।

आज उन्ही पर मानव ने चलवाई है आरी,
वृक्षों की अंधाधुंध कटाई है जारी।
इसी कारण वायुमंडल में आक्सीजन कम हो रही है,
और कार्बनडाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है।

अगर मानव को करना है अपना जीवन सुरक्षित,
तो पहले करना होगा पर्यावरण को संरक्षित।
अधिक से अधिक करो वृक्षारोपण,
तो शुद्ध होगा ये वातावरण।

'पर्यावरण बचाओ अभियान'की करो शरुआत,
'वृक्ष लगाओ,जीवन बचाओ'जन-जन तक पहुँचे ये बात।
लक्ष्मी का है यही निवेदन,
बनाए रखना पर्यावरण संतुलन।

 लक्ष्मी गुप्ता
रुदौली अयोध्या (उ०प्र)

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प्रकृति के असंतुलन के परिणाम क्या हुए?

प्रकृति में आए असंतुलन का कारण निरंतर पेड़ों का कटना,समुद्र को बाँधना,प्रदूषण और बारूद की विनाश लीला है। जिसके कारण भूकंप,अधिक गर्मी,वक्त-बेवक्त की बारिश,अतिदृष्टी,साइकलोन आदि और अनेक बिमारियाँ प्रकृति में आए असंतुलन का परिणाम है।

प्राकृतिक असंतुलन का कारण क्या है?

पर्यावरण के असंतुलन के दो प्रमुख कारण हैं । एक है बढ़ती जनसंख्या और दूसरा बढ़ती मानवीय आवश्यकताएं तथा उपभोक्तावृत्ति । इन दोनों का असर प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ता है और उनकी वहनीय क्षमता लगातार कम हो रही है । पेड़ों के कटने, भूमि के खनन, जल के दुरूपयोग और वायु मंडल के प्रदूषण ने पर्यावरण को गभीर खतरा पैदा किया है ।

मानव और प्राकृतिक असंतुलन के कारण कौन कौन सी समस्याएँ पैदा हुई?

अनुक्रम.
2.1 जल प्रदूषण.
2.2 वायु प्रदूषण.
2.3 ध्वनि प्रदूषण.
2.4 भूमि प्रदूषण.
2.5 जनसंख्या वृद्धि और पर्यावरण की गुणवत्ता.

प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने से मनुष्य की जीवन शैली पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?

प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने से अनेकों प्राकृतिक आपदा मनुष्य के जीवन को कठिन बना देती है। उन्होंने इस अवसर पर सभी से अधिक से अधिक पेड़ लगाने तथा एक जिम्मेदार नागरिक के रुप में पर्यावरण के प्रति अपने दायित्वों को दिन प्रतिदिन निभाने तथा एनटीपीसी रिहन्द को हरा भरा रखने पर बल दिया।

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