प्लास्टर काटने के बाद क्या करें किन बातों का ध्यान रखें? - plaastar kaatane ke baad kya karen kin baaton ka dhyaan rakhen?

प्लास्टर काटने के बाद क्या करे, फ्रैक्चर के बाद भौतिक चिकित्सा, Fracture physiotherapy in Hindi, पैर का प्लास्टर कटने के बाद क्या करें, प्लास्टर काटने के बाद

दुर्भाग्य से कई बार दुर्घटना का शिकार होकर कई लोगों की हड्डियां टूट (Bone Fracture) हो जाती है। ऐसे में लोगों के दिमाग में सवाल आता है कि हड्डी टूटने के बाद क्या करें। तो इसका सबसे आसान जवाब है कि जैसे ही आपको लगे की हड्डी टूट गई है, सबसे पहले हड्डी के विशेषज्ञ के पास जाए। उसके बाद डॉक्टर मरीज की स्थिति को देखते हुए इलाज तय करते हैं। फिर प्लास्टर या ज़रूरत के हिसाब से सर्जरी करते हैं।

हड्डी टूटने की स्थिति में एक डॉक्टर के साथ-साथ एक फिजियोथेरेपिस्ट की भी भूमिका काफी अहम हो जाती है। हड्डी टूटने के बाद मरीज को सर्जरी या प्लास्टर करवानी पड़ती है। प्लास्टर या सर्जरी की वजह से मरीज की बहुत सारी एक्टिविटी बंद हो जाती है। इसका सीधा प्रभाव उसके शरीर पर पड़ने लगता है तथा नुकसान होने के खतरे बढ़ जाते हैं। इसी को कम करने तथा व्यक्ति को स्वस्थ रखने के लिए हड्डी टूटने के बाद फिजियोथेरेपी (Physiotherapy after fracture in hindi) बहुत अहम हो जाती है।

हड्डी टूटने के बाद तथा प्लास्टर होने के बाद एक फिजियोथेरेपिस्ट कई तरीके से मरीज की मदद करता है। आमतौर से फिजियोथैरेपिस्ट का काम यह होता है कि वह मरीज के नॉर्मल रेंज ऑफ मोशन को बनाए रखें। फंक्शनल मोबिलिटी को बनाए रखें। इसके लिए विगत फिजियोथेरेपिस्ट अलग अलग तरीके के एक्सरसाइज मरीज को देते हैं।

हड्डी टूटने के बाद फिजियोथेरेपी के कई अलग-अलग चरण होते हैं। फिजियोथेरेपी की भूमिका हड्डी टूटने के बाद हॉस्पिटल से ही शुरू हो जाती है तथा यह प्लास्टर कटने के बाद तक चलता है।

फ्रैक्चर के बाद फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका – Starting Physical Therapy after Fracture

हड्डी टूटने के बाद अस्पताल में फिजियोथेरेपी – Physiotherapy after Fracture In the Hospital

हड्डी टूटने के केस में फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका अस्पताल से ही शुरू हो जाती है। सबसे पहले वह मरीज की स्थिति को देखते हुए मरीज को यह बताते हैं कि अब आगे कैसे रहना है। उदाहरण के तौर पर अगर मरीज का पैर या Ankle Fracture हुआ है। तो ऐसी स्थिति में अस्पताल में ही फिजियोथैरेपिस्ट यह सिखाते हैं कि assistive device की मदद से बिना प्लास्टर या टूटे हड्डी को नुकसान पहुंचाए कैसे चल सकते हैं। तथा अपने जरूरी काम कैसे कर सकते हैं।

साथ ही इस समय कई बारी चीजें समझाई जाती है जैसे की हड्डी टूटने के बाद प्रभावित पैर के जॉइंट को कैसे सुरक्षित रखना है। उस पर कब भार देना है तथा बाकी जरूरी काम कैसे करना है, यह सब बातें बताई जाती है।

अगर मरीज को किसी ऐसे फ्रैक्चर से गुजर ना पड़ रहा है जिससे कि उसका चलना फिरना अब पूरी तरीके से खत्म हो गया है, तो ऐसी स्थिति में फिजियो थेरेपी की शुरुआत अस्पताल से ही हो जाती है। तथा यहां मरीज के सभी जॉइंट को एक्टिव रखने की कोशिश की जाती है। इसके लिए अलग-अलग एक्सरसाइज दिए जाते हैं। साथ ही यह देखा जाता है कि फ्रैक्चर किस हिस्से का हुआ है तथा उसी आधार पर मरीज को आवश्यक सुझाव दिए जाते हैं।

हड्डी टूटने के बाद घर पर फिजियोथेरेपी – Physiotherapy after Fracture at Home in Hindi

Post bone fracture physiotherapy in Hindi

हड्डी टूटने के बाद घर पर भी फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका लगभग वही होती है जो अस्पताल में होती है। लेकिन यहां मरीज की स्थिति को देखते हुए एक्सरसाइज बताए जाते हैं। साथ ही इस बात पर भी ध्यान दिया जाता है कि मरीज का जॉइंट कितनी तेजी से जुड़ रहा है तथा मरीज कोई ऐसा काम तो नहीं कर रहा है जिससे कि हीलिंग पर कोई असर पड़े।

कुल मिलाकर शुरुआती स्टेज में यानी हड्डी टूटने के बाद अस्पताल में तथा घर पर फिजियोथैरेपिस्ट की भूमिका तभी बहुत ज्यादा है जब मरीज पूरी तरीके से बिस्तर पर है। अन्य मामलों में फिजियोथेरेपिस्ट मरीज को उसकी स्थिति के हिसाब से सलाह दे देता है। तथा उसी हिसाब से मरीज बाकी चीजें करने की कोशिश करता है।

● प्लास्टर कटने तथा फ्रैक्चर के बाद भौतिक चिकित्सा – Physiotherapy after fracture in Hindi

अक्सर लोगों के जेहन में सवाल आता है कि प्लास्टर कटने के बाद क्या करना चाहिए, या प्लास्टर काटने के बाद क्या करे (Plaster Katne ke baad kya kren). प्लास्टर काटने के बाद क्या करना चाहिए इसका जवाब ये है कि तुरंत फिर अच्छे फिजियोथेरेपिस्ट से संपर्क करना चाहिए। प्लास्टर काटने के बाद क्या करें या पैर का प्लास्टर कटने के बाद क्या करें, यह आपको आगे विस्तार स बता रहे हैं।

अगर फ्रैक्चर के बाद मरीज का प्लास्टर कट गया है, तब इसके बाद फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका काफी अहम हो जाती है।

प्लास्टर कटने के बाद आमतौर से मरीज कई तरह की समस्याओं से गुजरता है। प्लास्टर कटने के बाद सूजन हो जाना, दर्द रहना, उस हिस्से में कमजोरी महसूस होना, जॉइंट में अकड़न यानी है कड़ापन आ जाना, यह सब आम बात है। और यह अक्सर मामले में होता ही है। अब यहां से फिजियोथैरेपिस्ट की भूमिका शुरू होती है।

प्लास्टर कटने के बाद फिजियोथेरेपिस्ट मुख्य रूप से निम्नलिखित चीज़ों के लिए इलाज करते हैं –

रेंज ऑफ मोशन सामान्य करने के लिए
दर्द कम करने के लिए
स्वेलिंग कम करने के लिए
फ्लेक्सिबिलिटी लाने के लिए
मसल गर्त सामान्य करने के लिए
सूजन कम करने के लिए
सामान्य रूप से चलने और सामान्य जीवन जीने लायक बनाने के लिए

लंबे समय तक प्लास्टर लगे होने की वजह से ज्वाइंट रेंज ऑफ मोशन कम हो जाता है। साथ ही अक्सर जॉइंट बिल्कुल कड़े हो जाते हैं। उदाहरण के लिए अगर व्यक्ति के कोहनी का फ्रैक्चर हुआ है तथा वह प्लास्टर लगाया था प्लास्टर कटने के बाद कोहनी के पास से हाथ को पूरी तरीके से मोड़ना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसा ऐसा लगातार प्लास्टर लगे होने की वजह से जॉइंट मोमेंट ना होने की वजह से होता है।

फिजियोथैरेपिस्ट विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हुए मांसपेशियों के करापन को कम करते हैं। तथा मरीज को फिर से सामान्य बनाते हैं।

इसी तरह अगर मरीज के घुटने के आसपास फ्रैक्चर हुआ है तो इस स्थिति में भी लगातार प्लास्टर होने की वजह से प्लास्टर कटने के बाद मरीज पैर नहीं पूड पाता है। ऐसे में उसका जन जीवन बुरी तरीके से प्रभावित होता है। इस केस में भी फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका काफी अहम हो जाती है। लगातार एक्सरसाइज तथा विभिन्न तकनीक का उपयोग करते हुए फिजियोथेरेपिस्ट मरीज के जॉइंट को ठीक करता है। ताकि मरीज सामान्य जीवन जी सके।

कुल मिलाकर शुरुआती दौर में फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका बहुत ज्यादा नहीं है। लेकिन प्लास्टर कटने के बाद फिजियोथैरेपिस्ट की भूमिका बहुत ज्यादा हो जाती है। बेहतर फिजियोथेरेपी कराए बिना हड्डी टूटने तथा प्लास्टर कटने के बाद मरीज का सामान्य जीवन में वापस आना काफी मुश्किल होता है। क्योंकि अगर इलाज नहीं करवाया जाए तो कुछ समय बाद ज्वाइंट डिफॉरमेटी हो जाती है। जिससे मरीज आम जीवन नहीं जी पाता है। इसलिए हड्डी टूटने के बाद फिजियोथेरेपी का महत्व काफी अधिक है।

अगर किसी व्यक्ति का हड्डी कुछ ऐसे तरीके से टूट गया है जहां उसे प्लास्टर की बजाय सर्जरी की जरूरत है, तो ऐसी स्थिति में भी फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका फिर अस्पताल से ही काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। अस्पताल से ही कुछ दिनों बाद से फिजियोथेरेपी शुरू कर देता है ताकि मरीज को आगे दिक्कत ना हो।

● फ्रैक्चर के बाद भौतिक चिकित्सा कितने दिन करवाने पड़ सकते हैं – Physiotherapy Duration after Fracture

फ्रैक्चर के बाद भौतिक चिकित्सा कितने दिनों तक करवाना पड़ सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि किस जॉइंट की हड्डी टूटी है। तथा प्लास्टर की वजह से कौन सा जॉइन प्रभावित हुआ है। उसी आधार पर Physiotherapy Treatment Duration कम या ज्यादा हो सकता है।

अलग-अलग मरीजों में रिकवरी अलग-अलग होती है। ऐसे में एक सटीक समय देना काफी मुश्किल होता है। आमतौर से अगर किसी व्यक्ति के हाथ में फ्रैक्चर हुआ है तथा तो ऐसी स्थिति में हाथ के जॉइंट रेंज ऑफ़ मोशन को ठीक करने में Elbow Joint Contracture को कम करने के लिए 1 से 2 महीने का समय लग सकता है। इसी तरह घुटने में या जांग की हड्डी टूटने के बाद Joint Range of Motion लाने में 3 से 4 महीने तक का भी समय लग सकता है।

तो आर्टिकल में हमने बताया है कि हड्डी टूटने के बाद क्या किया जाता है तथा हिंदी में फ्रैक्चर के बाद भौतिक चिकित्सा यानी हड्डी टूटने के बाद फिजियोथेरेपी किस तरीके से की जाती है। इस बारे में आपके कोई सवाल है तो नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

पैर का प्लास्टर कटने के बाद क्या करें?

प्लास्टर लगने के बाद की सावधानियां यदि उंगलियों में सूजन आ जाए /उनका रंग बदलना शुरू हो जाए / ज़्यादा तेज दर्द हो या उंगली चलाने में दिक़्क़त हो तो फ़ौरन अपने डॉक्टर से मिलें। हाथ को हमेशा ऊँचा उठाकर रखें। यदि हाथ को लटकाकर रखेंगे तो उंगलियों में सूजन आने का डर रहता है और इससे उंगलियाँ अकड़न भी आ जाती है।

प्लास्टर कटने के बाद क्या लगाना चाहिए?

फ्रैक्चर वाले हिस्से को पानी से बचाएं। पानी के संपर्क में आने से स्थिति बिगड़ जाती है। प्लास्टर में खुजली होने पर नुकीली चीज का प्रयोग ना करें। प्लास्टर के अन्दर कोई चीज ना डालें।

प्लास्टर काटने के कितने दिन बाद चल सकते हैं?

कच्चा पट्‌टा 15 दिनों के लिए चढ़ाया जाता है। 15 दिन बाद स्थिति देखकर पक्का पट्‌टा 45 दिन के लिए चढ़ाते हैं। धार.

पैर की हड्डी टूटने पर कितने दिन में जुड़ती है?

इसमें पूरी तरह ठीक होने में आमतौर पर 8-12 हफ़्तों का समय लग सकता है।

Toplist

नवीनतम लेख

टैग