Show
भारत ने जब अपना पहला परमाणु परीक्षण 1974 में किया तो सारी दुनिया उसकी इस उपलब्धि पर चौंक गई.18 मई 1974 में भारत में पोखरण में जो कुछ किया, उससे दुनिया चौंक गई. किसी को अंदाज ही नहीं था कि भारत चुपचाप इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेगा. उस दिन भारत ने सफलतापूर्वक पहली बार परमाणु परीक्षण किया था. जिसने उसे उन देशों की कतार में लाकर खड़ा कर दिया, जो परमाणु ताकत से संपन्न थे.अधिक पढ़ें ...
आज से 47 साल पहले भारत ने पहला परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था. इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने ये करिश्मा कर दिखाया था. भारत के इस परीक्षण को जहां इंदिरा गांधी ने शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण करार दिया तो दूसरी तरफ पूरी दुनिया भारत के इस काम पर चौंक गई. किसी को अंदाज भी नहीं था कि भारत में परमाणु ताकत हासिल करने की उपलब्धि हासिल कर लेगा. हालांकि इसके बाद अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगाते हुए परमाणु सामग्री और ईधन की आपूर्ति रोक दी थी. उस समय अमेरिका पूरी तरह से पाकिस्तान के साथ खड़ा था. बांग्लादेश के रूप में आधा हिस्सा पास से निकल जाने के बाद पाकिस्तान बुरी तरह भारत से खीझा हुआ था. वहीं अमेरिका भारत के गुटनिरपेक्ष सिद्धांत से चिढ़ा बैठा था. साथ ही पाकिस्तान तोड़कर बांग्लादेश बनवाने का भारत का कदम भी अमेरिका को रास नहीं आया था. ऐसे में जब भारत ने गुप्त रूप से चले परमाणु कार्यक्रम के बाद वर्ष 1974 में पोखरण में पहली बार परमाणु परीक्षण किया, तो सारी दुनिया के चौंकने वाला कदम था. इस ऑपरेशन का नाम Smiling Buddha (बुद्ध मुस्कराए) रखा गया था. जीप के कारण परीक्षण में हुई देरी वक्त निकल रहा था और जीप स्टार्ट न होने पर सेठी दो किमी दूर कंट्रोल रूम तक चलकर पहुंचे थे. इसके पूरे घटनाक्रम के चलते परीक्षण का समय 5 मिनट बढ़ा दिया गया. भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इतने गुप्त तरीके से देश के परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाया कि खुद उनके मंत्रिमंडल को इसकी भनक नहीं थी. यहां तक की रक्षा मंत्री जगजीवनराम भी इस बारे में कुछ नहीं जानते थे. वैज्ञानिक राजा रमन्ना के हाथ में थी प्रोजेक्ट की कमान इंदिरा ने मौखिक इजाजत ही दी थी हालांकि जवाहर लाल नेहरू ने भी 60 के दशक में कोशिश की थी कि भारत परमाणु संपन्न हो जाए लेकिन तब ऐसा नहीं हो पाया था. देश के रक्षा मंत्री को बाद में इसकी जानकारी हुई इंदिरा गांधी सरकार ने इस ऑपरेशन में बस 75 वैज्ञानिकों को लगा रखा था. भारतीय सेना के प्रमुख जनरल जी.जी. बेवूर और इंडियन वेस्टर्न कमांड के कमांडर ही सेना के वो लोग थे, जिन्हें होने वाले इस ऑपरेशन की जानकारी थी. उस समय भारत के रक्षा मंत्री जगजीवन राम थे लेकिन इंदिरा गांधी ने उन्हें भी परमाणु प्रोजेक्ट के बारे में कुछ नहीं बताया था. ना ही आखिरी समय में भी उन्हें इसमें शामिल किया गया. जब सफल परमाणु परीक्षण हो गया तो उन्हें इसके बारे में पता चल पाया.इसे भारत के इतिहास के सबसे सीक्रेट ऑपरेशन्स में से एक माना जाता है. एक किताब में दावा किया गया है कि तत्कालीन रक्षामंत्री जगजीवन राम को भी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उन्हें इस बारे में तभी पता चला जब ये ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा हो गया.undefined ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी | Tags: Indira Gandhi, Nuclear weapon FIRST PUBLISHED : May 18, 2021, 08:59 IST सन 1974 के प्रथम पोखरण परमाणु परीक्षण के प्रमुख वैज्ञानिक कौन थे?भारत में परमाणु कार्यक्रम की नींव रखने का श्रेय डॉ होमी जहांगीर भाभा को जाता है, पर डॉ राजा रामन्ना का योगदान भी इस कार्य में कम नहीं है। 18 मई, 1974 में देश के पहले सफल परमाणु परीक्षण कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाने के लिए राजा रामन्ना को याद किया जाता है।
पोखरण में परमाणु परीक्षण कब किया गया?11 से 13 मई 1998 को राजस्थान को पोखरण में परमाणु परीक्षण किया गया. 11 मई को तीन विस्फोट और 13 मई को दो और धमाके. टेस्ट का नाम ऑपरेशन शक्ति (Operation Shakti) था. इसमें जो ऊर्जा पैदा हुई थी वो 45 किलोटन टीएनटी थी.
18 मई 1974 को भारत ने प्रथम परमाणु परीक्षण कहाँ किया गया?वर्ष 1974 में 18 मई का दिन एक ऐसी अहम घटना के साथ इतिहास में दर्ज है, जिसने भारत को दुनिया के परमाणु संपन्न देशों की कतार में खड़ा कर दिया। भारत ने आज ही के दिन राजस्थान के पोखरण में अपना पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण (Nuclear Test India 1974) किया था। इस परीक्षण को स्माइलिंग बुद्धा (Smiling Buddha) का नाम दिया गया था।
पोखरण परीक्षण के समय भारत के प्रधानमंत्री कौन थे?किंतू राश्ट्र के इस महान उपलब्धि के सामने लोगों को अपने घरो के टुटने से इतनी चिंता नहीं हुई जितनी प्रसन्नता इस महान सफलता से हुई। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी २० मई को बुद्ध-स्थल पहुंचे। वही प्रधानमंत्री ने देश को एक नया नारा दिया'जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान'। सभी देशवासी प्रधान मंत्री के साथ-साथ गर्व से भर उठे।
|