पहले और आज के पहनावे में क्या अंतर है - pahale aur aaj ke pahanaave mein kya antar hai

मनुष्य ने हजारों सालों की विकास यात्रा की है। इस विकास यात्रा के दौरान पहले और आज के समय में बहुत परिवर्तन आ गया है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि पुराने जमाने के लोग और आज के लोगों में क्या अंतर है।

1.समय की कमी, व्यस्त जीवनशैली

पहले और आज के पहनावे में क्या अंतर है - pahale aur aaj ke pahanaave mein kya antar hai

पुराने और आज के जमाने में जो सबसे बड़ा अंतर- समय का है। पुराने जमाने के लोगों के पास काफी समय होता था। वो अन्य लोगो से मिलते, बात करते थे, पर आज के समय तो सभी लोग व्यस्त रहते हैं। सभी लोग कहते हैं कि अभी बिजी हैं। वे मुश्किल से अपने रिश्तेदारों, मित्रों और दूसरे लोगों से बात करने का मौका निकाल पाते हैं। आजकल की लाइफ वास्तव में बहुत बिजी हो गई है। सब लोग अपने कामों में लगे रहते हैं। किसी के पास दूसरे से बात करने का वक्त ही नहीं है।

2. भौतिक वस्तुओ के पीछे भागते लोग

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आज मनुष्य प्रकृति (कुदरत) से दूर चला गया है। वह बहुत ही चीजों के पीछे अंधी दौड़ में लगा हुआ है। आजकल के लोग सिर्फ पैसे, धन दौलत, गाड़ी, कार, बंगले की बात करते पाए जाते हैं। हर व्यक्ति को टीवी, कूलर, एसी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, डिश वॉशर जैसी सुविधाएं चाहिए। इस तरह  कहा जा सकता है कि आज का मनुष्य बिना साधनों के नहीं जी सकता है। वह दो कदम भी पैदल नहीं चलना चाहता है। उसे कार या मोटरबाइक चाहिए होती है।

3. खान- पान में बदलाव हुआ है

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हमारे पिताजी, दादाजी के जमाने में लोग सेहतमंद खाना खाते थे। हरी सब्जियां, फल, मेवे, दूध, घी जैसे पौष्टिक भोजन का सेवन करते थे। पर आज की पीढ़ी तो स्वाद के फेर में पड़ गई है। आज नूडल्स, पिज्जा, मैगी, बर्गर जैसे हजारों फास्ट फूड आइटम्स आपको बिकते हुए दिख जाएंगे। आज की पीढ़ी खाने में सेहत को नहीं स्वाद को प्राथमिकता देती है। जबकि पहले का समय ऐसा नहीं था।

4.पहनावे में हुआ है बड़ा बदलाव

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पुराने और नए जमाने के लोगों में पहनाने (फैशन) में बड़ा फर्क देखने को मिलता है। 1947 में जब देश आजाद हुआ था उस समय भारत में अधिकतर पुरुष धोती कुर्ता पहनते थे। महिलाये साड़ी पहनती थी। महिलाओं ने साड़ियां पहन कर ही भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया था। पर आजकल पहनावा (फैशन) पूरी तरह से बदल गया है। आजकल के नौजवान जींस, टी शर्ट, शर्ट पैंट जैसे आधुनिक कपड़े पहनना पसंद करते हैं। लड़कियां सलवार सूट भी नहीं पहनना चाहती। वे जींस टॉप जैसे आधुनिक कपड़ों को पहनती हैं।

5. तकनीक का खूब विकास हुआ है

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नए पुराने और नए जमाने में तकनीक (Technique) ने खूब विकास किया है। जहां पहले बिजली का बड़ा आभाव रहता था। रोज कई घंटे बिजली जाती थी, वहीं आजकल देश के जादातर हिस्सों में 24 घंटे बिजली आती है। घर घर में इनवर्टर लगा हुआ है। हर क्षेत्र में तकनीक का विकास हुआ है।

भारत के हर व्यक्ति के हाथ में आज मोबाइल फोन देखने को मिलता है। लोग अपने पर्स में नगदी लेकर नहीं चलते। एटीएम कार्ड, डेबिट- क्रेडिट लेकर चलते हैं जिससे किसी भी खरीद का भुगतान कर सकते हैं। इसके साथ ही डिजिटल लेनदेन (Digital Transaction) प्रचलित हो गया है। आज देश के घर घर में कंप्यूटर टेलीविजन, फ्रिज जैसे उपकरण पाए जाते हैं जिससे हमारा जीवन आसान हुआ है। अब पहले की तरह चिट्टियां लिखने का जमाना खत्म हो गया है।

पुराने समय में एक चिट्ठी भेजने में ही 5 से 10 दिन लग जाते थे पर आजकल तो सभी लोग वीडियो कॉलिंग करने लगे हैं। जीमेल, व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम (सोशल मीडिया) जैसी इंटरनेट सुविधाओं का लाभ उठाकर आज किसी भी व्यक्ति से कुछ सेकंड में संपर्क किया जा सकता है। तकनीक ने हमारा जीवन आसान बना दिया है

6. लोगों में खर्च करने की प्रवृत्ति बढ़ी है

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पुरानी और नई पीढ़ी में बड़ा अंतर है यह कि पुराने समय के लोग पैसे को बचा कर रखते थे। वह फिजूल खर्च नहीं करते थे, और ना ही पिछले समय में फिजूलखर्ची के साधन थे। पर आज का समय तो पूरी तरह से भौतिकतावाद में रंग गया है। आजकल आपको टीवी, फोन, कम्प्यूटर, इंटरनेट में हजारों विज्ञापन दिखाए जाते हैं जो आपको खर्च करने को प्रेरित करते हैं।

इसके साथ ही आजकल की युवा पीढ़ी कमाती भी खूब है और खर्च भी खूब करती है। क्रेडिट कार्ड जैसी सुविधाएं शुरू हो गई हैं जो पैसा ना होने पर भी खर्च करने का मौका देती है। कहना गलत नही होगा कि आजकल का नौजवान कमाता कम और खर्च अधिक करता है।

7. संयुक्त से एकल होते परिवार

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पुराने समय में जहां दादा दादी, भाई बहन, चाचा ताऊ, भैया भाभी सभी एक ही परिवार में रहा करते थे वहीं आज एकल परिवार का चलन बढ़ गया है। आजकल इस तरह की परिस्थितियां बन गई है कि जादातर संयुक्त परिवार टूट चुके हैं और एकल परिवार बन गये है जिसमें पति पत्नी और उनके दो बच्चे होते हैं। इसके बहुत से कारण भी हैं।

आजकल लोग बेहतर जिंदगी पाने के लिए अपने गांव को छोड़कर शहर, महानगर में आ जाते हैं जिस कारण परिवार तेजी से एकाकी हो रहे हैं। संयुक्त परिवार में कई प्रकार के फायदे होते थे। कोई मुसीबत या समस्या आने पर उसका हल तुरंत ही निकल जाता था। पर एकांकी परिवार की वजह से आजकल के बच्चे अपने दादा दादी नाना नानी पहचान नहीं पाते हैं।

8. धार्मिक परम्पराये बनी हुई है

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पुराने और नए जमाने में जो चीज नहीं बदली है वह है धार्मिक मान्यताएं। पुराने जमाने के लोकगीत बहुत धार्मिक हुआ करते थे और आज के लोग भी बहुत धार्मिक होते हैं। सुबह उठकर मंदिर जाना, पूजा प्रार्थना करना, व्रत रखना, शाम को पूजा पाठ आज भी लोग करते हैं। ईश्वर में आज भी उनकी आस्था बनी हुई है।

9. महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है

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पुराने जमाने में जहां महिलाओं पर अनेक प्रकार के अत्याचार होते थे, कई प्रकार की पाबंदियां थी। उन्हें घर से अकेले नहीं निकलने दिया जाता था। पूरे कपड़े पहनने पर जोर दिया जाता था। बाहर नौकरी करने पर रोक थी। यह सारी चीजें बहुत हद तक खत्म हो गई है। आज की स्त्रियां खुले वातावरण में सांस ले रही हैं। वह आजादी से अपनी जिंदगी जी रही है। वे शिक्षा, विज्ञान, बिजनेस, फिल्म, खेल जैसे सभी क्षेत्रों में उन्नति कर रही हैं। आजकल की स्त्रियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समाज का निर्माण कर रही है। इस तरह यह कहा जा सकता है कि वर्तमान में महिलाओं की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है

10. अंधविश्वास में कमी आयी है

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प्राचीन काल में जहां मनुष्य विभिन्न प्रकार के अंधविश्वासों में विश्वास करता था। जैसे- काली बिल्ली के रास्ता काटने पर वहां से ना गुजरना, छींक आ जाने पर घर से बाहर न जाना आदि। इस प्रकार के बहुत से अंधविश्वास पुराने जमाने में लोग मानते थे। पर आजकल यह लगभग खत्म हो गए हैं आजकल लोग विज्ञान को अधिक मानने लगे हैं।

पहले और आज के पहनावे में क्या अंतर आया है?

पहले कभी भी बोलने के समय से पहले हो सकता है लेकिन आज के पहनावे का मतलब है बोलने के समय से ठीक पहले

भारत का पहनावा क्या है?

पुरुषों के लिए, पारंपरिक कपड़े अचकन/शेरवानी गलाला, बन्ध्गल, लुंगी, कुर्ता, अँगरखा, जामा और धोती या पायजामा हैं। साथ ही, हाल ही में पैंट और शर्ट पारंपरिक भारतीय पोशाक के रूप में भारत सरकार द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।

पहनावे के इतिहास से आप क्या समझते हैं?

अठारहवीं सदी में जनवादी क्रांतियों और पूँजीवादी विकास के पहले यूरोप के ज़्यादातर लोग क्षेत्रीय वेशभूषा धारण करते थे और उनके कपड़ों का रंग-रूप उनके इलाके में उपलब्ध कपड़े की किस्म और कीमत से भी तय होता था।