नवाब साहब ने लेखक को क्या खाने की निमंत्रण दिया? - navaab saahab ne lekhak ko kya khaane kee nimantran diya?

Home » Class 10 » Hindi » Kshitij » लखनवी अंदाज़ – पठन सामग्री और भावार्थ Chapter 12 Class 10 Hindi

Contents

  • 1 लेखक-परिचय 
  • 2 पाठ की रूपरेखा 
    • 2.1 शब्दार्थ 
  • 3 पाठ का सार 

लेखक-परिचय 

यशपाल हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार, कहानीकार एवं निबंधकार हैं। उनका जन्म वर्ष 1903 में पंजाब के फिरोज़पुर छावनी में हुआ। यशपाल की प्रारंभिक शिक्षा काँगड़ा में हुई। उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज से बी.ए. किया। यहीं क्रांतिकारियों के संपर्क में आकर असहयोग आंदोलन में भाग लिया तथा चंद्रशेखर आज़ाद, भगतसिंह व सुखदेव के साथ कार्य किया, जिसके कारण उन्हें कई बार जेल जाना पढ़ा। उन्होंने कई बार विदेशों में भ्रमण किया।

यशपाल जी ने आम आदमी की आर्थिक दुर्दशा, उसके जीवन की विडंबनाओं को अपनी कहानियों के माध्यम से प्रकट किया है। उनकी रचनाएँ समाज में फैली विषमता व रूढ़ियों पर प्रहार करती हैं। उनकी प्रमुख कहानियाँ हैं-पिंजरे की उड़ान, ज्ञानदान तर्क का तूफ़ान, फूलों का कुर्ता आदि। अमिता, झूठा सच, दिव्या उनके प्रमुख उपन्यास हैं। सिहावलोकन’ उनकी प्रमुख आत्मकथा है। उनका ‘झूठ-सच’ उपन्यास भारत के विभाजन की त्रासदी का मार्मिक दस्तावेज है। ‘मेरी, तेरी उसकी बात’ पर यशपाल को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। यशपाल जी अपनी रचनाओं में सहज, सरल व आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग करते हैं, जिसके कारण उनकी शैली वर्णनात्मक ब चित्रात्मक है। यशपाल जी की मृत्यु वर्ष 1976 में हो गई थी।

पाठ की रूपरेखा 

लेखक ने उस सामंती वर्ग की बनावटी जीवन-शैली पर कटाक्ष किया है, जो वास्तविकता से बेख़बर कृत्रिम जीवन जीने में विश्वास करता है। ऐसा वर्ग सामान्य जनजीवन से कोसों दूर रहते हुए स्वयं को विशिष्ट श्रेणी का सदस्य मानता है। ऐसा नहीं है कि आज समाज में सामंती वर्ग या उस मानसिकता के व्यक्ति नहीं हैं। वे तो हर काल में रहते आए हैं। आज के समय में भी इस परजीवी संस्कृति (सामंती वर्ग की बनावटी शैली) के वाहकों को समाज में देखा जा सकता है। प्रस्तुत व्यंग्य इस बात को प्रमाणित करने के लिए लिखा गया है कि बिना किसी विचार के कहानी नहीं लिखी जा सकती, लेकिन इसे अवश्य ही एक स्वतंत्र एवं मौलिक रचना के रूप में पढ़ा जा सकता है।

शब्दार्थ 

मुफ़स्सिल- नगर के इर्द-गिर्द के स्थान फूँकार- सीटी की आवाज़ निकालना  नई कहानी-वर्ष 1960 के आस-पास लिखी गई कहानी आदाब-अर्ज़-अभिवादन करने का एक ढंग
उतावली-जल्दबाज़ी निर्जन-खाली सफ़ेदपोश-भला इंसान किफ़ायत-मितव्ययिता
एकांत-अकेला पालथी मारे-टाँगें मोड़कर  विघ्न-बाधा गवारा-अरुचिकर
 प्रतिकूल – विपरीत अपदार्थ वस्तु-सामान्य चीज़  संगति-मेल-मिलाप  मँझले दर्जे-दूसरे दर्जे
 कनखियों-तिरछी नज़र  भाव-परिवर्तन-भावों का बदलना  गुमान-घमंड  लथेड़ लेना-शामिल करना
एहतियात-सावधानी  करीने से-तरीके से  बुरक दी-छिड़क दी स्फुरण-हिलना
 रसास्वादन-आनंद  प्लावित-पानी भर जाना पनियाती-रसीलीः मेदा-आमाशय
तलब महसूस होना-इच्छा होना सतृष्ण-प्यासी वासना-कामना/इच्छा तसलीम-सम्मान में
सिर खम कर लेना-सिर झुकाना  तहज़ीब-सभ्यता  तहज़ीब-सभ्यता नफ़ासत-स्वच्छता
 नज़ाकत-कोमलता  नफ़ीस-बढ़िया  एब्स्ट्रैक्ट- सूक्ष्म या अमूर्त  उदर-पेट
 तृप्ति-संतुष्टि  लज़ीज़-स्वादिष्ट सकील- आसानी से न पचने वाला ज्ञान- चक्षु-ज्ञानरूपी आँखें

पाठ का सार 

लेखक कोई नई कहानी लिखने हेतु व उस विषय के बारे में सोचने के लिए एकांत चाहता था। इसलिए उसने सेकंड क्लास का टिकट ले लिया। साथ ही, उसकी इच्छा यह भी थी कि वह रेल की खिड़की से मार्ग में आने वाले प्राकृतिक दृश्यों को देखकर कुछ सोच सके।जिस डिब्बे में लेखक चढ़ा, उसमें पहले से ही एक नवाब साहब पालथी मारे बैठे हुए थे। उनके सामने दो ताज़े खीरे तौलिए पर रखे हुए थे। लेखक के उस डिब्बे में चढ़ने पर नवाब साहब ने कोई उत्साह नहीं दिखाया। लेखक को लगा कि नवाब साहब उसके इस डिब्बे में आने से इसलिए खुश नहीं हैं, क्योंकि किसी सफ़ेदपोश के सामने खीरे जैसी साधारण खाद्य सामग्री खाने में उन्हें संकोच हो रहा था।

जब बहुत देर हो गई तो नवाब साहब को लगा कि वह खीरे किस प्रकार खाएँ तब हारकर उन्होंने लेखक को खीरा खाने का निमंत्रण दिया, जिसे लेखक ने धन्यवाद सहित ठुकरा दिया। लेखक द्वारा खीरा खाने के लिए मना करने पर नवाब साहब ने खीरों के नीचे रखे हुए तौलिए को झाड़कर सामने बिछाया, सीट के नीचे से लोटा उठाकर दोनों खीरों को खिड़की से बाहर धोया और तौलिए से पोंछ लिया। इसके बाद ज़ेब से चाकू निकालकर दोनों खीरों के सिर काटे, उन्हें घिसकर उनका झाग निकाला और बहुत एहतियात (सावधानीपूर्वक) से छीलकर खीरों की उन को फाँकों से तौलियो पर सजाया। यह सब करने के बाद उन्होंने उन फाँकों पर जीरा-मिला नमक और लाल मिर्च की सुर्खी बुरक दी। यह सब देखकर लेखक एवं नवाब साहब दोनों के मुँह में पानी आ रहा था | यह सब करने के बाद नवाब साहब ने एक बार फिर से लेखक को खीरा खाने का निमंत्रण दिया। खीरा खाने की इच्छा होते हुए भी लेखक ने नवाब साहब का प्रस्ताव यह कहकर ठुकरा दिया कि उनका मेदा कमज़ोर है।

तब नवाब साहब ने फाँकों को सूँघा, स्वाद का आनंद लिया और उन फाँकों को एक-एक करके खिड़की से बाहर फेंक दिया। इसके बाद लेखक की ओर देखते हुए तौलिए से हाथ और होंठ पोंछ लिए। लेखक को लगा जैसे वह उससे कह रहे हैं कि यह है खानदानी रईसों का तरीका ! इसके बाद लेखक को नवाब साहब के मुँह से भरे पेट की ऊँची डकार का स्वर भी सुनाई दिया। यह सब देखकर लेखक सोचने लगा कि जब खीरे की सुगंध और स्वाद की कल्पना मात्र से पेट भर जाने की डकार आ सकती है, तो बिना विचार, घटना और पात्रों के, लेखक की इच्छा मात्र से “नई कहानी” क्‍यों नहीं बन सकती। 

Mrs. Shilpi Nagpal is a post-graduate in Chemistry and an experienced tutor who has been teaching students since 2007. She specialises in tutoring science subjects for students in grades 6-12. Mrs. Nagpal has a proven track record of success, and her students have consistently achieved better grades and improved test scores. She is articulate, knowledgeable and her passion for teaching shines through in her work with students.

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