नात्सी सोच के खास पहलू क्या है? - naatsee soch ke khaas pahaloo kya hai?

नात्सी सोच एक निरंकुश वहां बर्बर तानाशाही विचारधारा है। प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात जर्मनी में वर्साय की संधि द्वारा जो कठोर वह अपमानजनक व्यवहार किया गया, उसके परिणाम स्वरूप जर्मनी में नाजीवाद के नाम से एक तानाशाही राज्य स्थापित हो गया। इसका नेता हिटलर था। इसकी मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित थी-

  1. राज्य सर्वोच्च है। नाजीवाद के अनुसार – लोग राज्य के लिए हैं, ना कि राज्य लोगों के लिए।”
  2. यह साम्यवाद, समाजवाद वह उदारवाद को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता है।
  3. यह युद्ध को उचित ठहराता था और शक्ति के प्रयोग की सराहना करता था।
  4. नाजीवाद सभी प्रकार की संसदीय संस्थानों को समाप्त करने के पक्ष में था और एक महान नेता के नेतृत्व में विश्वास रखता था।
  5. नाजीवाद जर्मन की सैनिक शक्ति को बनाना चाहता था और उसे विश्व की महान शक्ति के रूप में देखना चाहता था।
  6. नाजीवाद जर्मनी साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था और उन सभी बस्तियों को वापस लेना चाहता था जो प्रथम विश्वयुद्ध से पूर्व जर्मन के अधीन थी।
  7. नाजीवाद यहूदियों का कट्टर विरोधी था। उसकी धारणा थी कि यहूदी स्वार्थी तथा धन के लोभी हैं। उन्हीं के कारण ही जर्मनी को प्रथम विश्व युद्ध में पराजय का मुंह देखना पड़ा था।
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नात्सी सोच के खास पहलू इस प्रकार थे-
⦁    नाजी दल जर्मनी को अन्य सभी देशों से श्रेष्ठ मानता था और पूरे विश्व पर जर्मनी का प्रभाव जमाना चाहता था।
⦁    इसने युद्ध की सराहना की तथा बल प्रयोग को यशोगान किया।
⦁    इसने जर्मनी के साम्राज्य विस्तार और उन सभी उपनिवेशों को जीतने पर ध्यान केन्द्रित किया जो उससे छीन लिए गए थे।
⦁    ये लोग ‘शुद्ध जर्मनों एवं स्वस्थ नॉर्डिक आर्यों के नस्लवादी राष्ट्र का सपना देखते थे और उन सभी का खात्मा चाहते थे जिन्हें वे अवांछित मानते थे।
⦁    नाजियों की दृष्टि में देश सर्वोपरि है। सभी शक्तियाँ देश में निहित होनी चाहिए। लोग देश के लिए हैं न कि देश लोगों के  लिए।
⦁    नाजी सोच सभी प्रकार की संसदीय संस्थाओं को समाप्त करने के पक्ष में थी और एक महान नेता के शासन में विश्वास रखती थी।
⦁    यह सभी प्रकार के दल निर्माण व विपक्ष के दमन और उदारवाद, समाजवाद एवं कम्युनिस्ट विचारधाराओं के उन्मूलन की पक्षधर थी।
⦁    इसने यहूदियों के प्रति घृणा का प्रचार किया क्योंकि इनका मानना था कि जर्मनों की आर्थिक विपदा के लिए यही लोग जिम्मेदार थे।

(iii) कम्युनिस्ट हिटलर का कट्टर शत्रु था। 3 मार्च 1933 को जर्मनी में प्रसिद्ध विशेषाधिकार अधिनियम के माधयम से तानाशाही स्थापित कर दी गई।

(iv) ट्रेड यूनियन पर पाबंदी लगा दी गई।

(v) अर्थव्यवस्था, मीडिया, न्यायपालिका और सेना पर राज्य ने पूरी तरह से  नियंत्रण स्थापित कर लिया।

(vi) पूरे समाज को नात्सियों के हिसाब  से नियंत्रित व्यवस्थित करने के लिए सुरक्षा दस्ते गठित किए गए। इसमें गेस्तापो, एस.एस. और सुरक्षा सेवा शामिल थे।

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Solution : नात्सी सोच के खास पहलू निम्नलिखित हैं: नस्ली भेदभाव: नात्सी सोच के अनुसार नॉर्डिक जर्मन आर्य सबसे उन्नत नस्ल थी और केवल उन्हें ही इस धरती पर जीने का अधिकार था। बाकी नस्लों के लोगों का धरती पर से समूल नाश करना जरूरी था। नस्ली कल्पनालोक: ऐसे देश का निर्माण जहाँ केवल वांछित लक्षण वाले लोग ही रह सकेंगे। उस कल्पनालोक में खराब नस्लों (यहूदी, जिप्सी, आदि) और विकलांगों के लिए कोई स्थान नहीं था। युवाओं का प्रशिक्षण: नात्सियों का मानना था कि बचपन और युवावस्था में सही ढ़ंग से प्रशिक्षण देने से योग्य नागरिक तैयार किये जा सकते थे। इसे सुनिश्चित करने के लिए स्कूल के पाठ्यक्रम में बदलाव किये गये। किशोरावस्था से ही लड़कों को नात्सी संगठन के किसी न किसी अंग में भर्ती कर दिया जाता था। मातृत्व की परिकल्पना: एक ओर जहाँ लड़कों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने की बात होती थी, वहीं दूसरी ओर लड़कियों को इस बात के लिये तैयार किया जाता था कि भविष्य में उन्हें आदर्श माता किस तरह बनना है। औरतों की मुख्य जिम्मेदारी अधिक से अधिक बच्चे पैदा करना थी ताकि शुद्ध नस्ल के लोगों की आबादी बढ़ाई जा सके। इसके लिए बच्चों की संख्या के हिसाब से पुरस्कार भी दिये जाते थे।

नात्सी सोच के खास पहलू क्या थे ?`?

नात्सी सोच के खास पहलू इस प्रकार थे- लोग देश के लिए हैं न कि देश लोगों के लिए। नाजी सोच सभी प्रकार की संसदीय संस्थाओं को समाप्त करने के पक्ष में थी और एक महान नेता के शासन में विश्वास रखती थी। यह सभी प्रकार के दल निर्माण व विपक्ष के दमन और उदारवाद, समाजवाद एवं कम्युनिस्ट विचारधाराओं के उन्मूलन की पक्षधर थी।

नात्सी सोच के खास पहलू कौन से थे नाजी समाज में औरतों की क्या भूमिका थी?

Solution : 1) नात्सी समाज में औरतों को आर्य संस्कृति और नस्ल का ध्वजवाहक माना जाता था। 2) उनका कर्तव्य अच्छी माँ बनना, शुद्ध आर्य रक्त वाले बच्चों को जन्म देना और उनका पालन-पोषण करना है। 3) ऐसा पालन करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता था, उल्लंघन करने वाली महिलाओ को दण्डित किया जाता था।

नात्सी सोच के अनुसार अवांछित कौन लोग थे?

(iii) नात्सी प्रचार के अनुसार यहूदी एक अवांछित नस्ल था जिसे ख़त्म कर दिया जाना चाहिए और वे इसमें सफल भी रहे। यहूदियों को शेष समाज से अलग-थलक कर दिया गया। (iv) नात्सी प्रचार में यहूदियों के प्रति ईसाई धर्म में मौजूद परंपरागत घृणा को भी एक आधार बनाया गया। ईसाइयों का आरोप था कि यहूदियों ने ही ईसा मसीह को मारा था।

79 सोच के खास पहलू कौन से थे?

नाजी सोच सभी प्रकार की संसदीय संस्थाओं को समाप्त करने के पक्ष में थी और एक महान नेता के शासन में विश्वास रखती थी। 3. यह सभी प्रकार के दल निर्माण व विपक्ष के दमन और उदारवाद, समाजवाद एवं कम्युनिस्ट विचारधाराओं के उन्मूलन की पक्षधर थी। 4.