नात्सी सोच एक निरंकुश वहां बर्बर तानाशाही विचारधारा है। प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात जर्मनी में वर्साय की संधि द्वारा जो कठोर वह अपमानजनक व्यवहार किया गया, उसके परिणाम स्वरूप जर्मनी में नाजीवाद के नाम से एक तानाशाही राज्य स्थापित हो गया। इसका नेता हिटलर था। इसकी मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित थी- Show
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नात्सी सोच के खास पहलू इस प्रकार थे- (iii) कम्युनिस्ट हिटलर का कट्टर शत्रु था। 3 मार्च 1933 को जर्मनी में प्रसिद्ध विशेषाधिकार अधिनियम के माधयम से तानाशाही स्थापित कर दी गई। (iv) ट्रेड यूनियन पर पाबंदी लगा दी गई। (v) अर्थव्यवस्था, मीडिया, न्यायपालिका और सेना पर राज्य ने पूरी तरह से नियंत्रण स्थापित कर लिया। (vi) पूरे समाज को नात्सियों के हिसाब से नियंत्रित व्यवस्थित करने के लिए सुरक्षा दस्ते गठित किए गए। इसमें गेस्तापो, एस.एस. और सुरक्षा सेवा शामिल थे। अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। AgreeSolution : नात्सी सोच के खास पहलू निम्नलिखित हैं: नस्ली भेदभाव: नात्सी सोच के अनुसार नॉर्डिक जर्मन आर्य सबसे उन्नत नस्ल थी और केवल उन्हें ही इस धरती पर जीने का अधिकार था। बाकी नस्लों के लोगों का धरती पर से समूल नाश करना जरूरी था। नस्ली कल्पनालोक: ऐसे देश का निर्माण जहाँ केवल वांछित लक्षण वाले लोग ही रह सकेंगे। उस कल्पनालोक में खराब नस्लों (यहूदी, जिप्सी, आदि) और विकलांगों के लिए कोई स्थान नहीं था। युवाओं का प्रशिक्षण: नात्सियों का मानना था कि बचपन और युवावस्था में सही ढ़ंग से प्रशिक्षण देने से योग्य नागरिक तैयार किये जा सकते थे। इसे सुनिश्चित करने के लिए स्कूल के पाठ्यक्रम में बदलाव किये गये। किशोरावस्था से ही लड़कों को नात्सी संगठन के किसी न किसी अंग में भर्ती कर दिया जाता था। मातृत्व की परिकल्पना: एक ओर जहाँ लड़कों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने की बात होती थी, वहीं दूसरी ओर लड़कियों को इस बात के लिये तैयार किया जाता था कि भविष्य में उन्हें आदर्श माता किस तरह बनना है। औरतों की मुख्य जिम्मेदारी अधिक से अधिक बच्चे पैदा करना थी ताकि शुद्ध नस्ल के लोगों की आबादी बढ़ाई जा सके। इसके लिए बच्चों की संख्या के हिसाब से पुरस्कार भी दिये जाते थे। नात्सी सोच के खास पहलू क्या थे ?`?नात्सी सोच के खास पहलू इस प्रकार थे-
लोग देश के लिए हैं न कि देश लोगों के लिए। नाजी सोच सभी प्रकार की संसदीय संस्थाओं को समाप्त करने के पक्ष में थी और एक महान नेता के शासन में विश्वास रखती थी। यह सभी प्रकार के दल निर्माण व विपक्ष के दमन और उदारवाद, समाजवाद एवं कम्युनिस्ट विचारधाराओं के उन्मूलन की पक्षधर थी।
नात्सी सोच के खास पहलू कौन से थे नाजी समाज में औरतों की क्या भूमिका थी?Solution : 1) नात्सी समाज में औरतों को आर्य संस्कृति और नस्ल का ध्वजवाहक माना जाता था। 2) उनका कर्तव्य अच्छी माँ बनना, शुद्ध आर्य रक्त वाले बच्चों को जन्म देना और उनका पालन-पोषण करना है। 3) ऐसा पालन करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता था, उल्लंघन करने वाली महिलाओ को दण्डित किया जाता था।
नात्सी सोच के अनुसार अवांछित कौन लोग थे?(iii) नात्सी प्रचार के अनुसार यहूदी एक अवांछित नस्ल था जिसे ख़त्म कर दिया जाना चाहिए और वे इसमें सफल भी रहे। यहूदियों को शेष समाज से अलग-थलक कर दिया गया। (iv) नात्सी प्रचार में यहूदियों के प्रति ईसाई धर्म में मौजूद परंपरागत घृणा को भी एक आधार बनाया गया। ईसाइयों का आरोप था कि यहूदियों ने ही ईसा मसीह को मारा था।
79 सोच के खास पहलू कौन से थे?नाजी सोच सभी प्रकार की संसदीय संस्थाओं को समाप्त करने के पक्ष में थी और एक महान नेता के शासन में विश्वास रखती थी। 3. यह सभी प्रकार के दल निर्माण व विपक्ष के दमन और उदारवाद, समाजवाद एवं कम्युनिस्ट विचारधाराओं के उन्मूलन की पक्षधर थी। 4.
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