नन्ही चिड़िया अपनी माँ से क्या कहती है? - nanhee chidiya apanee maan se kya kahatee hai?

'माँ मेरी बाट देखती होगी'-नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि हमारी जिंदगी में माँ का क्या महत्त्व है?

हमारे जीवन में माँ का स्थान सर्वोपरि है। माँ सभी मूल्यवान संपत्ति से अधिक मूल्यवान है। माँ अपने बच्चें की खुशी में खुश होती है तथा बच्चों के किसी भी प्रकार के कष्ट से भावुक हो जाती है। माँ हमें जन्म देती है, हमारा पालन-पोषण करती है तथा सुख या दुःख में हमारा साथ नहीं छोड़ती। हम माँ के ऋण से कभी भी मुक्त नहीं हो सकते। इसी तरह का स्नेह चिड़िया तथा उसकी माँ का भी था। इसी कारण चिड़िया बार-बार माँ को स्मरण करके उसके पास जाने की जिद कर रही थी।

Concept: गद्य (Prose) (Class 7)

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प्रश्न 9-4. कहानी के अंत में नन्हीं चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लगा? चालीस-पचास या इससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

उत्तर : कहानी के अंत में नन्हीं चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर मुझे ख़ुशी महसूस हुई। इस कारण ही वह अपने माँ के पास वापस पहुँच पाई नहीं तो माधवदास के पिंजरों में सदा के लिए कैद हो जाती। अगर ऐसा होता तो वह स्वछंद होकर उड़ नहीं पाती। उसे सारी जिंदगी कैद में गुजारना पड़ता और वह माधवदास के लिए बस एक मन बहलाने का सामान बन रह जाती जो कि बहुत बुरा होता चूँकि स्वतंत्रता सभी को प्रिय है।

प्रश्न 9-5. 'माँ मेरी बाट देखती होगी' - नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि हमारी ज़िंदगी में माँ का क्या महत्त्व है?

उत्तर : माँ का हमारे जीवन बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। वो हमें जन्म देती हैं, हमारा पालन-पोषण करती हैं और दुनिया के बुरे-भले चीज़ों से अवगत कराती हैं। वह सुख-दुःख में भी हमारा साथ नही छोड़तीं। वही बच्चे की पहली दोस्त और अध्यापिका भी होती है।

प्रश्न 9-6. इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहेंगे और क्यों?

उत्तर : इस कहानी का एक और शीर्षक 'सच्चा सुख' भी रख सकते हैं क्योंकि यहाँ धन-दौलत वाले व्यक्ति को सुखी ना बताकर एक चिड़िया को सुखी दिखाया है जिसके पास अपना परिवार है।

प्रश्न 9-1. इस कहानी में आपने देखा कि वह चिड़िया अपने घर से दूर आकर भी फिर अपने घोंसले तक वापस पहुँच जाती है। मधुमक्खियों, चींटियों, ग्रह-नक्षत्रों तथा प्रकृति की अन्य विभिन्न चीज़ों में हमें एक अनुशासनबद्धता देखने को मिलती है। इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप आपको कहाँ-कहाँ देखने को मिलता है? उदाहरण देकर बताइए।

उत्तर : इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप हमें कई जगह देखने को मिलता है जैसे रोज सुबह सूरज का खिलना और शाम को अस्त होना, चन्द्रमा का रात में आना, तारों का रात में टिमटिमाना, ऋतू में परिवर्तन आदि।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 9 चिड़िया की बच्ची (जैनेंद्र कुमार) are part of NCERT Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 9 चिड़िया की बच्ची (जैनेंद्र कुमार).

Board CBSE
Textbook NCERT
Class Class 7
Subject Hindi Vasant
Chapter Chapter 9
Chapter Name चिड़िया की बच्ची (जैनेंद्र कुमार)
Number of Questions Solved 11
Category NCERT Solutions

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

                                                                         (पृष्ठ 73-74)

कहानी से

प्रश्न 1.
किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था?
उत्तर
माधवदास की बड़ी संगमरमर की कोठी, सुंदर बगीचा, रहने के ठाठ-बाट, चिड़िया को कहना कि तेरा सोने का पिंजरा बनवा दूंगा, मेरे पास ढेर सोना, कई कोठियाँ, बगीचे व दास-दासियाँ हैं-दर्शाता है कि उसका जीवन संपन्नता से परिपूर्ण था।
उसका अपने आप में यह सोचना कि सब कुछ प्राप्त करके भी जीवन में खालीपन है। पूरे घर में उसका. अकेले रहना, चिड़िया को अपने बगीचे में रहने के लिए मजबूर करना ताकि सुंदर चिड़िया को बार-बार देख सके व उसका चहचहाना सुन सके-दर्शाता है कि इतनी सुख-सुविधाएँ होने पर भी वह सुखी नहीं था।

प्रश्न 2.
माधवदास क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है? क्या माधवदास निःस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
माधवदास चाहता है कि वह सुंदर चिड़िया उसके बगीचे में ही रह जाए इसलिए उसे बार-बार कहता है कि बगीचा तुम्हारा ही है।

माधवदास यह बात नि:स्वार्थ भावना से नहीं कहता, वास्तव में वह उसे बातों में फँसाकर अपने नौकर द्वारा पिंजरे में कैद करवाना चाहता था। वह चाहता था कि चिड़िया सदा के लिए उसके पास ही रह जाए।

प्रश्न 3.
माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र में चिड़िया की ज़िद का कोई तुक न था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
माधवदास बार-बार चिड़िया को सोने के पिंजरे व सुख-सुविधाओं को प्रलोभन दे रहे थे लेकिन इसके विपरीत चिड़िया की सुख-सुविधाएँ प्रकृति में निहित थी। हवा, धूप और फूल ही उसकी धन संपत्ति थी। माँ परिवार और घर उसके लिए सबसे अधिक सुखदायी थे। उसे तो स्वच्छंदता ही पसंद है। उसे माधवदास के सुंदर बगीचे में रहना भी पसंद नहीं है। उसे सोना-चाँदी से कुछ लेना-देना नहीं था। वह अपने परिवार से अलग नहीं होना चाहती। शाम होते-होते माँ के पास जाने की जल्दी होती है। वह प्रकृति में स्वतंत्र होकर विचरण करना चाहती है। बंधन में रहना उसका स्वभाव नहीं। यही कारण था कि वह माधवदास की बातों को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी।

वहीं दूसरी तरफ़ माधवदास स्वार्थ से संसारिक सुखों में लिप्त रहने वाले मनुष्य थे। प्रकृति उनके लिए सिर्फ मनोरंजन के साधन थे। उनके लिए धन दौलत और ताकत संसार की मूल्यवान वस्तुएँ थीं। जिससे वे संसार को वश में करना चाहते थे। इन कारणों से वह चिड़िया के ज़िद को मूर्खतापूर्ण समझ रहे थे।

प्रश्न 4.
कहानी के अंत में संन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लगा? चालीस-पचास या इससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर
कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगा क्योंकि माधवदास उसे अत्यधिक प्रलोभन देता है कि वह उसके पास रह जाए, पर चिड़िया नहीं मानती। अंत में वह उसे अपने नौकर से पकड़वाना चाहता है लेकिन चिड़िया भाग निकली। यदि चिड़िया न भागती तो सदा के लिए उसके पंजे में फँस जाती और कभी अपनी माँ से न मिल पाती।

प्रश्न 5.
‘माँ मेरी बाट देखती होगी’-नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि हमारी जिंदगी में माँ का क्या महत्त्व है?
उत्तर
हर बच्चे के जीवन में माँ का अत्यधिक महत्त्व होता है। वह दुख में, सुख में सदा माँ का साथ चाहता है, माँ की गोद उसे सबसे सुरक्षित स्थान प्रतीत होती है। लाख प्रलोभन क्यों न दिए जाएँ बच्चा कभी भी माँ का साथ नहीं छोड़ता। इस कहानी में जैनेंद्र कुमार ने भी यही दर्शाना चाहा है कि मनुष्य तो मनुष्य पक्षी भी माँ का साथ चाहते हैं। जब चिड़िया को माधवदास के घर देर होने लगती है तो रह-रहकर वह यही कहती है कि माँ इंतजार करती होगी।

प्रश्न 6.
इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर-
इस कहानी का दूसरा शीर्षक हो सकता है उड़ गई चिड़िया’ क्योंकि कहानी के अंत में चिड़िया सचमुच सेठ माधवदास के पंजे से आने से बच जाती है। पहले उसे फँसाने के लिए लालच और तरह तरह के छल प्रपंच का सहारा लिया गया। लेकिन अंत में चिड़िया चलाकी से उसके पहुँच से बाहर होकर उड़ गई। अतः मेरे अनुसार इस कहानी के लिए ‘चिड़िया उड़ गई’ शीर्षक उपयुक्त है।

कहानी से आगे

प्रश्न 1.
इस कहानी में आपने देखा कि वह चिड़िया अपने घर से दूर आकर भी फिर अपने घोंसले तक वापस पहुँच जाती है। मधुमक्खियों, चींटियों, ग्रह-नक्षत्रों तथा प्रकृति की अन्य विभिन्न चीजों में हमें एक अनुशासनबद्धता देखने को मिलती है। इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप आपको कहाँ-कहाँ देखने को मिलता है? उदाहरण देकर बताइए।
उत्तर
मनुष्य-सारा दिन बाहर रहने के बाद कोई भी मनुष्य अपने घर आकर ही आराम महसूस करता है।
फूल-डाली पर कली से फूल बनने तक की प्रक्रिया, फिर मुरझाना व डाल से गिर जाना।
पशु-पशु भी सारा दिन घूमने के बाद गोधूलि के समय अपने बछड़े-बच्चों के पास लौट आते हैं।

प्रश्न 2.
सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे? आपको अधिक प्रिय क्या होगा-‘स्वाधीनता’ या प्रलोभनों वाली पराधीनता? ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता। नीचे दिए गए कारणों को पढ़े और विचार करें।
(क) क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति स्वयं दुखी होता है, वह किसी को सुखी नहीं कर सकता।
(ख) क्योंकि पराधीन व्यक्ति सुख के सपने देखना ही नहीं चाहता।
(ग) क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का अवसर नहीं मिलता।
उत्तर-
आज़ादी सबको प्रिय होती है। सारी सुख-सुविधाओं के बावजूद प्रलाभनों वाली गुलामी कोई स्वीकार कर सकता। छात्र विचार करके देखे कि ऐसा क्यों होता है।

अनुमान और कल्पना

• आपने गौर किया होगा कि मनुष्य, पशु, पक्षी-इन तीनों में ही माँएँ अपने बच्चों का पूरा-पूरा ध्यान रखती हैं। प्रकृति की इस अद्भुत देन का अवलोकन कर अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
ममत्व और वात्सल्य की भावना केवल प्राणीमात्र में ही पाई जाती है। जन्म देने वाली माँ व जन्म लेने वाले शिशु में एक स्वाभाविक संबंध होता है। यही कारण है कि मनुष्य, पशु, पक्षी इन तीनों में ही माँएँ अपने बच्चों का पूरा-पूरा ध्यान रखती हैं।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
पाठ में पर शब्द के तीन प्रकार के प्रयोग हुए हैं-
(क) गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी।
(ख) कभी पर हिलाती थी।
(ग) पर बच्ची काँप-काँपकर माँ की छाती से और चिपक गई।
तीनों ‘पर’ के प्रयोग तीन उद्देश्यों से हुए हैं। इन वाक्यों का आधार लेकर आप भी ‘पर’ का प्रयोग कर ऐसे तीन वाक्य बनाइए जिनमें अलग-अलग उद्देश्यों के लिए ‘पर’ के प्रयोग हुए हों।
उत्तर

  1. पर-स्थान
    बंदर पेड़ पर बैठा है।
  2. पर-पंख
    पर्वतों पर फैले बादल ऐसे प्रतीत हो रहे थे जैसे पक्षी ने अपने पूर फैलाए हों।
  3. पर-लेकिन
    मैंने तो पुस्तक खरीदी थी पर न जाने कहाँ खो गई है।

प्रश्न 2.
पाठ में तैंने, छनभर, खुश करियो-तीन वाक्यांश ऐसे हैं जो खड़ी बोली हिंदी के वर्तमान रूप में तूने, क्षणभर, खुश करना लिखे-बोले जाते हैं लेकिन हिंदी के निकट की बोलियों में कहीं-कहीं इनके प्रयोग होते हैं। इस तरह
के कुछ अन्य शब्दों की खोज कीजिए।
उत्तर-
करियो – कीजिए
मन्नै – मैंने, मुझे
आ गयी – आ जाओ
बारी – तुम्हारी
छोरा – लड़का

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नन्ही चिड़िया को माँ क्या करने को कहती है?

'माँ मेरी बाट देखती होगी'-नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि हमारी जिंदगी में माँ का क्या महत्त्व है? उत्तर – माँ का हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान हैं। माँ जैसा इस दुनिया में कोई नहीं होता ।

चिड़िया ने माँ के बारे में क्या कहा?

चिड़िया ने माँ के बारे में क्या कहा? Answer: चिड़िया ने कहा कि उसकी माँ उसे बहुत प्यार करती है और वह उसका इंतजार करती है।

चिड़िया की बच्ची की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

यदि इस कहानी का सुखद अंत न होता तो जीवन भर नन्हीं चिड़िया को पिंजरे में रहना पड़ता। वह कभी स्वछंदता की उड़ान न भर पाती और न ही अपनी माँ से मिल पाती। अत: नन्हीं चिड़िया का लालच में न फँसना और सुरक्षित भाग निकलना यह भी बताता है कि स्वतंत्रता से अमूल्य कुछ भी नहीं है।

माँ मेरी बाट देखती होगी इसका आशय क्या है?

माँ की शीतल छाया में बैठकर वह अपने सुख-दुःख की जब तक बातें नहीं कर लेता तब तक उसका मन चैन नहीं पाता है। पशु-पक्षी भी माँ का साथ चाहते हैं। इसीलिए जब नन्ही चिड़िया को माधवदास के घर देर होने लगती है तो वह भी रह-रहकर यही कहती है कि माँ मेरी बाट देखती होगी