निम्न में कौन दीर्घ स्वर नहीं है? - nimn mein kaun deergh svar nahin hai?

Correct Answer - Option 2 : ई

'ई' दीर्घ स्वर है। अन्य विकल्प असंगत है। 

अन्य विकल्प:

 शब्द

स्वर का प्रकार 

अ 

ह्रस्व स्वर

उ 

ह्रस्व स्वर

ह्रस्व स्वर

स्वर के भेद -स्वर के दो भेद होते है-
(i) मूल स्वर (ii) संयुक्त स्वर

मूल स्वर के तीन भेद होते है-
(i) ह्स्व स्वर (ii) दीर्घ स्वर (iii)प्लुत स्वर

ह्रस्व स्वर

जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है उन्हें ह्स्व स्वर कहते है।

ह्स्व स्वर चार होते है- अ आ उ ऋ।

दीर्घ स्वर

वे स्वर जिनके उच्चारण में ह्रस्व स्वर से दोगुना समय लगता है, वे दीर्घ स्वर कहलाते हैं।

दीर्घ स्वर सात होते है- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।

प्लुत स्वर

जिस स्वर के उच्चारण में तिगुना समय लगे, उसे 'प्लुत' कहते हैं।

इसका चिह्न (ऽ) है। इसका प्रयोग अकसर पुकारते समय किया जाता है।

जैसे- सुनोऽऽ, राऽऽम, ओऽऽम्।

वर्ण

वह सबसे छोटी ध्वनि जिसके और टुकड़े नहीं किए जा सकते, वर्ण कहलाती है।

जैसे- अ, ई, व, च, क, ख् इत्यादि।

हिंदी भाषा में वर्ण दो प्रकार के होते है- (1)स्वर (vowel) (2) व्यंजन (Consonant)

(1)स्वर (vowel) 

वे वर्ण जिनके उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती, स्वर कहलाता है।

हिंदी वर्णमाला में 16 स्वर है
जैसे- अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अः ऋ ॠ ऌ ॡ।

(2) व्यंजन (Consonant)

जिन वर्णो को बोलने के लिए स्वर की सहायता लेनी पड़ती है उन्हें व्यंजन कहते है।

क् से ह् तक हिन्दी वर्णमाला में कुल 33 व्यंजन हैं।

जैसे- क, ख, ग, च, छ, त, थ, द, भ, म इत्यादि।

Correct Answer - Option 3 : इ

इ : दीर्घ स्वर नहीं है।

  • दीर्घ मतलब बड़ा या गुरु अर्थात बड़ी मात्रा : आ, ई, ऊ
  • हस्व/लघु/ छोटा : इ, अ, उ

मूल स्वर के भेद

मूल स्वर के तीन भेद होते है -
(i) ह्स्व स्वर(ii) दीर्घ स्वर(iii)प्लुत स्वर

  • (i)ह्रस्व स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है उन्हें ह्स्व स्वर कहते है।
  • ह्स्व स्वर चार होते है -अ आ उ ऋ।
    • 'ऋ' की मात्रा (ृ) के रूप में लगाई जाती है तथा उच्चारण 'रि' की तरह होता है।
  • (ii)दीर्घ स्वर :-वे स्वर जिनके उच्चारण में ह्रस्व स्वर से दोगुना समय लगता है, वे दीर्घ स्वर कहलाते हैं।
  • सरल शब्दों में- स्वरों उच्चारण में अधिक समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते है।
    • दीर्घ स्वर सात होते है -आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
  •  दीर्घ स्वर दो शब्दों के योग से बनते है।
    • जैसे- आ =(अ +अ )
    • ई =(इ +इ )
    • ऊ =(उ +उ )
    • ए =(अ +इ )
    • ऐ =(अ +ए )
    • ओ =(अ +उ )
    • औ =(अ +ओ )

(iii)प्लुत स्वर :-वे स्वर जिनके उच्चारण  में दीर्घ स्वर से भी अधिक समय यानी तीन मात्राओं का समय लगता है, प्लुत स्वर कहलाते हैं।
सरल शब्दों में- जिस स्वर के उच्चारण में तिगुना समय लगे, उसे 'प्लुत' कहते हैं।

इसका चिह्न (ऽ) है। इसका प्रयोग अकसर पुकारते समय किया जाता है। जैसे- सुनोऽऽ, राऽऽम, ओऽऽम्।

वर्णों के समुदाय को ही वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी वर्णमाला में 52 वर्ण हैं। उच्चारण और प्रयोग के आधार पर हिन्दी वर्णमाला के दो भेद किए गए हैं:

(क) स्वर

(ख) व्यंजन

उच्चारण के समय की दृष्टि से स्वर के चार भेद किए गए हैं:

  1. ह्रस्व स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में कम-से-कम समय लगता हैं उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं। ये चार हैं- अ, इ, उ, ऋ। इन्हें मूल स्वर भी कहते हैं।
  2. दीर्घ स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से दुगुना समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ दीर्घ स्वर के उदाहरण है।
  3. संयुक्त स्वर - दो भिन्न प्रकृति (विजातीय) स्वरों के मिलने से जो स्वर बनते है, उन्हें संयुक्त स्वर कहते है।
  4. प्लुत स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में दीर्घ स्वरों से भी अधिक समय लगता है उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं। प्रायः इनका प्रयोग दूर से बुलाने में किया जाता है।

स्वरों के बदले हुए स्वरूप को मात्रा कहते हैं स्वरों की मात्राएँ निम्नलिखित हैं:

स्वर मात्राएँ शब्द

अ × कम

आ ा काम

इ ि किसलय

ई ी खीर

उ ु गुलाब

ऊ ू भूल

ऋ ृ तृण

ए े केश

ऐ ै है

ओ ो चोर

औ ौ चौखट

अ वर्ण (स्वर) की कोई मात्रा नहीं होती। व्यंजनों का अपना स्वरूप निम्नलिखित हैं:

क् च् छ् ज् झ् त् थ् ध् आदि।

अ लगने पर व्यंजनों के नीचे का (हल) चिह्न हट जाता है। तब ये इस प्रकार लिखे जाते हैं:

क च छ ज झ त थ ध आदि।

जिन वर्णों के पूर्ण उच्चारण के लिए स्वरों की सहायता ली जाती है वे व्यंजन कहलाते हैं। अर्थात् व्यंजन बिना स्वरों की सहायता के बोले ही नहीं जा सकते। ये संख्या में 33 हैं। इसके निम्नलिखित तीन भेद हैं:

इन्हें पाँच वर्गों में रखा गया है और हर वर्ग में पाँच-पाँच व्यंजन हैं। हर वर्ग का नाम पहले वर्ग के अनुसार रखा गया है जैसे:

  • क वर्ग- क् ख् ग् घ् ङ्
  • च वर्ग- च् छ् ज् झ् ञ्
  • ट वर्ग- ट् ठ् ड् ढ् ण् (ड़् ढ़्)
  • त वर्ग- त् थ् द् ध् न्
  • प वर्ग- प् फ् ब् भ् म्

ये निम्नलिखित चार हैं: य् र् ल् व्

ये निम्नलिखित चार हैं- श् ष् स् ह्

वैसे तो जहाँ भी दो अथवा दो से अधिक व्यंजन मिल जाते हैं वे संयुक्त व्यंजन कहलाते हैं, किन्तु देवनागरी लिपि में संयोग के बाद रूप-परिवर्तन हो जाने के कारण इन तीन को गिनाया गया है। ये दो-दो व्यंजनों से मिलकर बने हैं। जैसे-क्ष=क्+ष अक्षर, ज्ञ=ज्+ञ ज्ञान, त्र=त्+र नक्षत्र कुछ लोग क्ष् त्र् और ज्ञ को भी हिन्दी वर्णमाला में गिनते हैं, पर ये संयुक्त व्यंजन हैं। अतः इन्हें वर्णमाला में गिनना उचित प्रतीत नहीं होता।

इसका प्रयोग पंचम वर्ण के स्थान पर होता है। इसका चिन्ह (ं) है। जैसे- सम्भव=संभव, सञ्जय=संजय, गङ्गा =गंगा।

इसका उच्चारण ह् के समान होता है। इसका चिह्न (ः) है। जैसे-अतः, प्रातः।

जब किसी स्वर का उच्चारण नासिका और मुख दोनों से किया जाता है तब उसके ऊपर चंद्रबिंदु (ँ) लगा दिया जाता है। यह अनुनासिक कहलाता है। जैसे-हँसना, आँख। हिन्दी वर्णमाला में ११ स्वर तथा ३३ व्यंजन गिनाए जाते हैं, परन्तु इनमें गृहित वर्ण(चार) ड़्, ढ़् अं तथा अः जोड़ने पर हिन्दी के वर्णों की कुल संख्या ४८ हो जाती है।

जब कभी व्यंजन का प्रयोग स्वर से रहित किया जाता है तब उसके नीचे एक तिरछी रेखा (्) लगा दी जाती है। यह रेखा हल कहलाती है। हलयुक्त व्यंजन हलंत वर्ण कहलाता है। जैसे- वन्

दीर्घ स्वर कौन नहीं है?

अ, इ, उ, लृ, और ऋ ये ह्रस्व स्वर हैं। * जिन वर्णों पर अधिक जोर दिया जाता है, वे दीर्घ कहलाते हैं, और उनकी मात्रा २ होती है। आ, ई, ऊ, ॡ, ॠ ये दीर्घ स्वर हैं।

दीर्घ स्वर कौन कौन से हैं लिखिए?

दीर्घ स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से दुगुना समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ दीर्घ स्वर के उदाहरण है। संयुक्त स्वर - दो भिन्न प्रकृति (विजातीय) स्वरों के मिलने से जो स्वर बनते है, उन्हें संयुक्त स्वर कहते है।

दीर्घ स्वर कितने है?

ह्रस्व स्वर : जिन स्वरों के बोलने में अन्य स्वरों की अपेक्षा कम समय लगता है उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं । ह्रस्व स्वरों की संख्या 4 है – अ, इ, उ, ऋ । इन्हें मूल स्वर भी कहते हैं। इनके उच्चारण में एक मात्रा का समय लगता है।

निम्नलिखित में से कौन सा स्वर नहीं है?

ञ , स्‍वर नहीं है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही उत्तर विकल्प 4) ञ होगा । वह सबसे छोटी ध्वनि जिसके और टुकड़े नहीं किए जा सकते, वर्ण कहलाती है।