नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?

प्रारम्भ में रेलवे का विकास नहीं हुआ था। उस समय नहरों का उपयोग सिंचाई के साथ-साथ मालवाहन के लिए भी किया जाता था। इंग्लैण्ड में कोयला नहरों के रास्ते ले जाया जाता था। नहरों के रास्ते माल ढोना सस्ता पड़ता था और समय भी कम लगता था। समय के साथ नहरों के रास्ते परिवहन में अनेक समस्याएँ दिखाई देनी लगी। नहरों के कुछ भागों में जलपोतों की अधिक संख्या के कारण परिवहन की गति धीमी पड़ गई। बाढ़ या सूखे के कारण इनके उपयोग का समय भी सीमित हो गया ऐसे में रेलमार्ग ही परिवहन का सुविधाजनक विकल्प दिखाई देने लगा।

Rajasthan Board RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति Important Questions and Answers. 

RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति 

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

प्रश्न 1. 
निम्न में से किस देश में प्रथम औद्योगिक क्रांति के दूरगामी प्रभाव हुए
(क) भारत 
(ख) ब्रिटेन
(ग) रूस
(घ) संयुक्त राज्य अमेरिका। 
उत्तर:
(ख) ब्रिटेन

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

प्रश्न 2. 
विश्व का प्रथम देश कौन-सा था, जिसने सर्वप्रथम आधुनिक औद्योगीकरण का अनुभव किया
(क) ब्रिटेन 
(ख) रूस 
(ग) चीन
(घ) भारत। 
उत्तर:
(क) ब्रिटेन 

प्रश्न 3. 
इंग्लैण्ड में सर्वप्रथम औद्योगिक क्रांति हुई
(क) वस्त्र उद्योग में 
(ख) लोहा उद्योग में 
(ग) कृषि उद्योग में 
(घ) जूट उद्योग में। 
उत्तर:
(क) वस्त्र उद्योग में 

प्रश्न 4. 
पावरलूम नामक मशीन का आविष्कार हुआ था
(क) सन् 1776 में 
(ख) सन् 1769 में 
(ग) सन् 1768 में । 
(घ) सन् 1787 में 
उत्तर:
(घ) सन् 1787 में 

प्रश्न 5. 
औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप नवीन विचारधारा का जन्म हुआ
(क) उपयोगितावाद 
(ख) समाजवाद 
(ग) पूँजीवाद 
(घ) व्यक्तिवाद। 
उत्तर:
(ख) समाजवाद 

प्रश्न 6. 
निम्न में से धमन भट्टी के आविष्कारक थे
(क) अब्राहम डर्बी प्रथम 
(ख) विलियम्स 
(ग) टॉयनवी 
(घ) जेम्सवाट। 
उत्तर:
(क) अब्राहम डर्बी प्रथम 

प्रश्न 7. 
1779 ई. में सैम्यूअल क्रॉम्टन द्वारा निर्मित मशीन थी
(क) उड़नतुरी करघे 
(ख) म्यूल 
(ग) वाटरफ्रेम 
(घ) भाप का इंजन। 
उत्तर:
(ख) म्यूल 

प्रश्न 8. 
जार्ज स्टीफेनसन का आविष्कार था
(क) रेडियो
(ख) टेलीविजन 
(ग) रेल इंजन 
(घ) मोटरकार। 
उत्तर:
(ग) रेल इंजन 

प्रश्न 9. 
पफिंग डेविल नामक इंजन के आविष्कारक थे
(क) रिचर्ड ट्रेविथिक 
(ख) जेम्सवाट
(ग) क्रॉम्टन 
(घ) थॉमस 
उत्तर:
(क) रिचर्ड ट्रेविथिक 

प्रश्न 10. 
निम्न में से नहर निर्माता कहलाता था
(क) जेम्स ब्रिडले 
(ख) जेम्स हरग्रीव्ज़ 
(ग) रिचर्ड आर्कराइट 
(घ) सैम्युअल क्रॉम्टन। 
उत्तर:
(क) जेम्स ब्रिडले 

प्रश्न 11. 
निम्न में किस उपन्यासकार ने अपने उपन्यास 'हार्ड टाइम्स' में एक काल्पनिक औद्योगिक नगर 'कोकटाउन' का वर्णन किया है
(क) लारेन्स ने 
(ख) चार्ल्स डिकन्स ने 
(ग) थॉमस हार्डी ने 
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) चार्ल्स डिकन्स ने 

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

प्रश्न 12. 
लुडिज्म नामक आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता थे
(क) नेड लुड 
(ख) पीटर लू
(ग) लारेन्स 
(घ) जेम्स हरग्रीब्ज। 
उत्तर:
(क) नेड लुड 

प्रश्न 13. 
निम्न में से किस वर्ष ब्रिटिश सरकार ने एक कानून बनाकर नौ वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों से कारखानों में कार्य करवाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था
(क) 1842 
(ख) 1849 ई.
(ग) 1819 ई. 
(घ) 1833 ई.। 
उत्तर:
(ग) 1819 ई. 

अति लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 
औद्योगिक क्रांति किसे कहा गया है?
उत्तर:
उत्पादन, परिवहन व संचार के माध्यमों में मशीनों के प्रयोग से आये तीव्र परिवर्तनों को औद्योगिक क्रांति कहा गया।

प्रश्न 2. 
प्रथम औद्योगिक क्रांति किसे कहा गया है ?
उत्तर;
ब्रिटेन में 1780 ई. के दशक से 1850 ई. के दशक के मध्य उद्योग और अर्थव्यवस्था का जो रूपान्तरण हुआ, उसे प्रथम औद्योगिक क्रांति कहा गया।

प्रश्न 3. 
ब्रिटेन में दूसरी औद्योगिक क्रांति कब आई? 
उत्तर:
लगभग 1850 के बाद। 

प्रश्न 4. 
औद्योगिक क्रांति शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किन विद्वानों द्वारा किया गया ? 
उत्तर:
फ्रांस के जॉर्जिस मिशले एवं जर्मनी के फ्राइड्रिक एंजेल्स द्वारा।

प्रश्न 5. 
टॉयनबी ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में कई व्याख्यान दिए। ये व्याख्यान उनकी मृत्यु के बाद एक पुस्तक में प्रकाशित हुए। उस पुस्तक का नाम बताइए।
उत्तर:
लेक्चर्स ऑन दि इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैण्ड : पॉपुलर एड्रसेज, नोट्स एंड अदर फ्रेंग्मेंट्स (इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति पर व्याख्यान : लोकप्रिय अभिभाषण, टिप्पणियाँ और अन्य अंश)। 

प्रश्न 6. 
सर्वप्रथम आधुनिक औद्योगीकरण का अनुभव किस देश में किया गया ?
अथवा 
औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम कहाँ हुई? 
उत्तर:
ब्रिटेन में। 

प्रश्न 7. 
सत्रहवीं शताब्दी में ब्रिटेन के तीन भाग कौन-कौन से थे ? 
उत्तर:

  1. इंग्लैण्ड
  2. वेल्स
  3. स्कॉटलैण्ड। 

प्रश्न 8. 
सत्रहवीं शताब्दी के अंत तक, ब्रिटेन में मुद्रा का प्रचलन किस प्रकार का होने लगा था ?
उत्तर:
सत्रहवीं सदी के अंत तक आते-आते ब्रिटेन में मुद्रा का प्रयोग विनिमय अर्थात् आदान-प्रदान के माध्यम के रूप में होने लगा था।

प्रश्न 9. 
मुद्रा विनिमय के प्रचलन से क्या लाभ हुआ ?
उत्तर;
मुद्रा विनिमय के प्रचलन से लोग अपनी कमाई, वस्तुओं की अपेक्षा मज़दूरी और वेतन के रूप में प्राप्त करने लगे।

प्रश्न 10. 
दि डेज़र्टेड विलेज़ (उजड़ा गाँव) नामक कविता के लेखक कौन हैं? 
उत्तर:
ओलिवर गोल्डस्मिथ। 

प्रश्न 11. 
ब्रिटेन का कौन सा-शहर बाजारों का केन्द्र था? 
उत्तर:
लंदन। 

प्रश्न 12. 
अमेरिका व एशिया में व्यापार करने वाली कम्पनियों के कार्यालय किस शहर में स्थित थे ? 
उत्तर:
लंदन में।

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

प्रश्न 13. 
ब्रिटेन की वित्तीय प्रणाली का प्रमुख केन्द्र कौन-सा बैंक था ? 
उत्तर:
बैंक ऑफ इंग्लैण्ड। 

प्रश्न 14. 
बैंक ऑफ इंग्लैण्ड की स्थापना कब हुई थी ? 
उत्तर:
1694 ई. में। 

प्रश्न 15. 
लोहा प्रगलन की प्रक्रिया के लिए किसका प्रयोग किया जाता था ? 
उत्तर:
काठ कोयले (चारकोल) का। 

प्रश्न 16. 
18वीं शताब्दी तक इंग्लैण्ड में किस किस्म के लोहे का उत्पादन होता था? 
उत्तर:
घटिया किस्म के लोहे का उत्पादन। 

प्रश्न 17. 
धमन भट्टी का आविष्कार कब व किसने किया ? 
उत्तर:
1709 ई. में अब्राहम डर्बी प्रथम ने। 

प्रश्न 18. 
धमन भट्टी में कोक के प्रयोग से क्या लाभ हुआ ? 
उत्तर:
कोक में उच्च ताप उत्पन्न करने की शक्ति थी। इसलिए भट्टियों को कोयले पर निर्भर नहीं रहना पड़ा। 

प्रश्न 19. 
ढलवाँ लोहे से पिटवाँ लोहे का सर्वप्रथम निर्माण किसने किया ? 
उत्तर:
द्वितीय डर्बी ने। 

प्रश्न 20. 
आलोड़न भट्टी व रोलिंग मिल का आविष्कार किसने किया? 
उत्तर:
हेनरी कोर्ट ने। 

प्रश्न 21. 
लौह उद्योग के विकास में जॉन विल्किनसन का योगदान बताइए।
उत्तर:
1770 ई. के दशक में जॉन विल्किनसन ने सर्वप्रथम लोहे की कुर्सियाँ, आसव व शराब की भट्टियों के लिए टंकियाँ व लोहे के समस्त प्रकार के पाइप बनाए।

प्रश्न 22. 
दुनिया में प्रथम लोहे का पुल कब और कहाँ बनाया गया? 
उत्तर:
1779 ई. में कोलब्रुकेडल में सेवन नदी पर दुनिया का पहला लोहे का पुल बनाया गया। 

प्रश्न 23. 
लौह उद्योग के विकास में तृतीय डर्बी का योगदान बताइए। 
उत्तर:
1779 ई. में तृतीय डर्बी ने विश्व में प्रथम लोहे का पुल कोलब्रुकडेल में सेवन नदी पर बनाया था। 

प्रश्न 24. 
फ्लाइंग शटल लूम का आविष्कार कब व किसने किया ? 
उत्तर:
1733 ई. में जॉन के. ने। 

प्रश्न 25. 
स्पिनिंग जैनी का आविष्कार कब व किसने किया ? 
उत्तर:
1765 ई. में जेम्स हरग्रीव्ज़ ने। 

प्रश्न 26. 
एक 'कताई मशीन' का नाम बताइए जिस पर एक अकेला व्यक्ति एक साथ कई धागे कात सकता था? 
उत्तर:
स्पिनिंग जैनी। 

प्रश्न 27. 
वॉटर फ्रेम का आविष्कार कब व किसने किया ? 
उत्तर:
1769 ई. में रिचर्ड आर्कराइट ने। 

प्रश्न 28. 
म्यूल क्या है ?
उत्तर:
म्यूल एक ऐसी मशीन का उपनाम था, जो 1779 ई. में सैम्यूअल क्रॉम्टन द्वारा बनाई गयी थी। इससे कता हुआ धागा बहुत मजबूत व अच्छा होता था।

प्रश्न 29. 
पावरलूम अर्थात् शक्तिचालित करघे का आविष्कार कब व किसने किया ? 
उत्तर:
1787 ई. में एडमंड कार्टराइट ने। 

प्रश्न 30. 
सूती वस्त्र उद्योग का प्रमुख कच्चा माल क्या था? 
उत्तर:
कपास। 

प्रश्न 31. 
भाप की शक्ति का प्रयोग सर्वप्रथम किन उद्योगों में किया गया? 
उत्तर:
खनन उद्योगों में।

प्रश्न 32. 
औद्योगीकरण में भाप की शक्ति का क्या महत्व था ?
उत्तर:
औद्योगीकरण में भाप की शक्ति उच्च तापमान पर दबाव उत्पन्न करती थी, जिससे अनेक प्रकार की मशीनें चलायी जा सकती थीं।

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

प्रश्न 33. 
माइनर्स फ्रेंड (खनक-मित्र) नामक भाप के इंजन का मॉडल कब व किसने बनाया? 
उत्तर:
1698 ई. में थॉमस सेवरी ने। 

प्रश्न 34. 
जेम्स वाट के भाप के इंजन के बारे में बताइए।
उत्तर:
1769 ई. में जेम्स वाट ने भाप का इंजन बनाया। इस इंजन से कारखानों में शक्तिचालित मशीनों को ऊर्जा प्राप्त होने लगी।

प्रश्न 35. 
सोहो फाउंडरी का निर्माण कब व किसने किया ? 
उत्तर;
1775 ई. में जेम्सवाट ने मैथ्यू वॉल्टन के सहयोग से बर्मिंघम में सोहो फाउंडरी का निर्माण किया। 

प्रश्न 36. 
प्रारम्भ में ब्रिटेन में नहरों का निर्माण क्यों किया गया ? 
उत्तर:
कोयले को शहरों तक ले जाने के लिए। 

प्रश्न 37. 
इंग्लैण्ड की प्रथम नहर का नाम बताइए। 
उत्तर:
वर्सली कैनाल। 

प्रश्न 38. 
वर्सली कैनाल का निर्माण कब व किसके द्वारा किया गया ? 
उत्तर:
1761 ई. में जेम्स ब्रिडली द्वारा। 

प्रश्न 39. 
वर्सली कैनाल के बन जाने से कोयला पर क्या प्रभाव पड़ा और क्यों?
उत्तर:
वर्सली कैनाल के बन जाने से कोयले की कीमत घटकर आधी रह गयी, क्योंकि अब कोयले की ढुलाई में समय और खर्चा में कमी आ गयी थी।

प्रश्न 40. 
बर्मिंघम शहर का विकास तीव्र गति से क्यों हुआ ?
उत्तर:
क्योंकि बर्मिंघम लंदन, ब्रिस्टल चैनल तथा मरसी व हंबर नदियों के साथ जुड़ने वाली नहर प्रणाली के मध्य में स्थित था।

प्रश्न 41. 
भाप से चलने वाला प्रथम रेल इंजन कब व किसने बनाया ? 
उत्तर:
भाप से चलने वाला प्रथम रेल इंजन 'रॉकेट' 1814 ई. में स्टीफेनसन ने बनाया था। 

प्रश्न 42. 
पफिंग डेविल का आविष्कार कब व किसने किया ? 
उत्तर:
1801 ई. में रिचर्ड ट्रेविथिक ने किया। 

प्रश्न 43. 
ब्लचर नामक रेल इंजन कब व किसने बनाया ? 
उत्तर:
1814 ई. में जार्ज स्टीफेनसन नामक रेलवे इंजीनियर ने। 

प्रश्न 44. 
इंग्लैण्ड में प्रथम रेल कब व किन शहरों के मध्य चलाई गयी ? 
उत्तर:
1825 ई. में स्टॉकटन व डार्लिंगटन शहरों के मध्य। 

प्रश्न 45. 
1833-37 ई. के छोटे रेलोन्माद के दौरान ब्रिटेन में कितने मील लम्बी रेल लाइन बनाई गयीं? 
उत्तर;
1833-37 ई. के छोटे रेलोन्माद के दौरान 1400 मील लम्बी रेल लाइन बनाई गयीं। 

प्रश्न 46. 
बड़े रेलोन्माद के दौरान ब्रिटेन में कितने मील लम्बी रेलवे लाइन बनाई गयीं? 
उत्तर:
1844-47 ई. में बड़े रेलोन्माद के दौरान 9,500 मील लम्बी रेल लाइन बनाई गयीं। 

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

प्रश्न 47. 
ब्रिटेन में कोयले की खानों में कार्य करना क्यों खतरनाक होता था?
उत्तर:
क्योंकि कई बार कोयला खानों की छतें धंस जाती थीं तथा अचानक वहाँ विस्फोट हो जाता था और चोटें लगना आम बात थीं।

प्रश्न 48. 
ब्रिटेन में कारखानों के मालिक बच्चों से काम लेना क्यों आवश्यक समझते थे ? 
उत्तर:
क्योंकि वे अभी से काम सीखकर वयस्क होने पर उनके लिए अच्छा काम कर सकें। 

प्रश्न 49. 
फ्रांस के साथ लम्बे समय तक चले युद्ध का इंग्लैण्ड पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:

  1. इंग्लैण्ड व यूरोप के मध्य होने वाला व्यापार अस्त-व्यस्त हो गया
  2. अनेक कारखानों के बंद होने से बेरोजगारी में वृद्धि हुई।

प्रश्न 50. 
1795 ई. के दो जुड़वाँ अधिनियम के अन्तर्गत ब्रिटेनवासियों पर क्या प्रतिबन्ध लगाए गए?
उत्तर:
लोगों को भाषण या लेखन द्वारा सम्राट, संविधान या सरकार के विरुद्ध घृणा या अपमान करने के लिए उकसाना अवैध घोषित किया गया और 50 से अधिक लोगों की अनधिकृत सार्वजनिक बैठकों पर रोक लगा दी गयी।

प्रश्न 51. 
कान-लॉज क्या था ?
उत्तर:
यह एक अनाज का कानून था, जिसके अन्तर्गत ब्रिटेन में विदेशों से सस्ते अनाज के आयात पर रोक लगा दी गयी थी।

प्रश्न 52. 
1790. ई. के दशक में ब्रिटेन में गरीबों का मुख्य भोजन क्या था ? 
उत्तर:
ब्रैड। 

प्रश्न 53. 
लूडिज्म नामक आन्दोलन कब व किसके नेतृत्व में चलाया गया ? 
उत्तर:
1811 से 1817 ई. के मध्य जनरल नेड लुड के नेतृत्व में। 

प्रश्न 54. 
लूडिज्म आन्दोलन के समर्थकों की मुख्य माँगें क्या थी ?
उत्तर:

  1. न्यूनतम मजदूरी
  2. नारी एवं बाल श्रम पर नियन्त्रण
  3. मशीनों के आविष्कारों से बेरोजगार हुए लोगों के लिए काम तथा 
  4. मजदूर संघ बनाने का अधिकार।

प्रश्न 55. 
पीटरलू नरसंहार कब हुआ ? 
उत्तर:
अगस्त 1819 ई. में। 

प्रश्न 56. 
अगस्त 1819 ई. में मैनचेस्टर के सेंट पीटर्स मैदान पर लोग क्यों एकत्रित हुए थे ?
उत्तर:
लोकतांत्रिक अधिकारों की माँग करने के लिए। 

प्रश्न 57. 
1819 ई. के कानून का मुख्य प्रावधान क्या था ? 
उत्तर:
9 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कारखानों में कार्य लेने पर रोक लगाना। 

प्रश्न 58. 
1833 ई. के अधिनियम के तहत सरकार द्वारा कारखानों में निरीक्षकों की नियुक्ति क्यों की गयी? 
उत्तर:
1833 ई. अधिनियम के प्रवर्तन व पालन को सुनिश्चित करने के लिए। 

प्रश्न 59. 
क्रिस्टल पैलेस कहाँ स्थित था ? 
उत्तर:
क्रिस्टल पैलेस लंदन के हाइड पार्क में स्थित था। 

प्रश्न 60. 
क्रिस्टल पैलेस के निर्माण में किस सामग्री का उपयोग किया गया ?
उत्तर:
क्रिस्टल पैलेस के निर्माण में बर्मिंघम में उत्पादित लोहे के फलकों में जड़ी शीशे की चादरों का उपयोग किया गया।

प्रश्न 61. 
लंदन के क्रिस्टल पैलेस में ब्रिटिश उद्योग की उपलब्धियों को दर्शाने के लिए विशाल प्रदर्शनी का आयोजन कब किया गया ?
उत्तर:
1851 ई. में। 

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA)

प्रश्न 1. 
औद्योगिक क्रांति से आपका क्या आशय है ?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति से आशय उद्योगों की प्राचीन, परम्परागत और धीमी गति को छोड़कर नये वैज्ञानिक और तीव्र गति से उत्पादन करने वाले यन्त्रों एवं मशीनों का प्रयोग किये जाने से है। यह क्रांति उन महान परिवर्तनों की द्योतक थी जो औद्योगिक प्रणाली के अन्तर्गत हुए। इस प्रकार उत्पादन के साधनों में आमूल-चूल परिवर्तन हो जाना ही औद्योगिक क्रान्ति कहलाती है। दूसरे शब्दों में, जब हाथ के स्थान पर बड़ी-बड़ी मशीनों द्वारा विशाल कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाने लगे, उसे ही औद्योगिक क्रांति कहा जाता है।

प्रश्न 2. 
द्वितीय औद्योगिक क्रांति क्या थी ? बताइए। 
उत्तर:
1850 ई. के पश्चात ब्रिटेन में रसायन व विद्युत जैसे नए औद्योगिक क्षेत्रों का जो विस्तार हुआ, उसे द्वितीय औद्योगिक क्रांति के नाम से जाना जाता है। इस अवधि में, ब्रिटेन जो पहले सम्पूर्ण विश्व में औद्योगिक शक्ति के रूप में अग्रणी था, जर्मनी व संयुक्त राज्य अमेरिका उससे आगे निकल गये।

प्रश्न 3. 
औद्योगिक क्रांति शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति शब्द का प्रयोग फ्रांस के विद्वान जार्जिस मिशले और जर्मनी के विद्वान फ्राइड्रिक एंजेल्स द्वारा किया गया। अंग्रेजी में इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम दार्शनिक एवं अर्थशास्त्री आरनॉल्ड टॉयनबी द्वारा उन परिवर्तनों का वर्णन करने के लिए किया गया, जो ब्रिटेन के औद्योगिक विकास में 1760 ई. और 1820 ई. के बीच हुए थे। इस सम्बन्ध में टॉयनबी ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में कई व्याख्यान दिए थे।

प्रश्न 4. 
सत्रहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में कैसी राजनीतिक व्यवस्था थी ?
उत्तर:
सत्रहवीं शताब्दी से ब्रिटेन राजनीतिक दृष्टि से सुदृढ़ और संतुलित साम्राज्य था। इसके तीनों भागों-

  1. इंग्लैण्ड
  2. वेल्स और
  3. स्कॉटलैण्ड पर एक ही राजतन्त्र अर्थात् सम्राट का एकछत्र शासन था।

दूसरे शब्दों में, सम्पूर्ण राज्य में एक ही कानून, एक ही मुद्रा प्रणाली और एक ही व्यापार व्यवस्था थी।

प्रश्न 5. 
इंग्लैण्ड की कृषि क्रांति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
18वीं शताब्दी में इंग्लैण्ड एक बड़े आर्थिक परिवर्तन के दौर से गुजरा था, जिसे बाद में 'कृषि-क्रांति' कहा गया। कृषि-क्रांति एक ऐसी प्रक्रिया थी जिसके द्वारा बड़े जमींदारों ने अपनी ही सम्पत्तियों के आसपास छोटे-छोटे खेत खरीद लिए थे। गाँवों की सार्वजनिक जमीनों पर कब्जा कर लिया था और अपनी बड़ी-बड़ी भू-सम्पदाएँ तथा फार्म हाउस बना लिए जिससे खाद्य उत्पादन में वृद्धि हुई।

प्रश्न 6. 
अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में हुई 'कृषि-क्रांति' का गाँव के लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
'कृषि-क्रांति' से भूमिहीन किसानों और गाँव की सार्वजनिक जमीनों पर अपने पशु चराने वाले चरवाहों एवं पशुपालकों को अपने गाँवों को छोड़कर कहीं और काम-धंधा तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ा। उनमें से अधिकांश लोग आस-पास के शहरों में चले गये।

प्रश्न 7. 
औद्योगिक क्रांति के इंग्लैण्ड में आरम्भ होने के किन्हीं दो कारणों को बताइए।
उत्तर:

  1. इंग्लैण्ड के पास मशीनीकरण में काम आने वाली प्रमुख सामग्रियाँ; जैसे-कोयला और लौह अयस्क बहुतायत में उपलब्ध थे।
  2. औद्योगिक उद्यम स्थापित करने और संचालन के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन 'बैंक ऑफ इंग्लैण्ड' तथा प्रांतीय बैंकों से उपलब्ध थे। 

प्रश्न 8. 
लौह प्रगलन के लिए काठ कोयले (चारकोल) के प्रयोग की क्या समस्याएँ थीं ? बताइए।
उत्तर:
लौह प्रगलन के लिए काठ कोयले (चारकोल) के प्रयोग की निम्नलिखित समस्याएँ थीं- 

  1. काठ कोयला लंबी दूरी तक ले जाते समय अक्सर टूट जाता था। 
  2. इसकी अशुद्धियों के कारण घटिया किस्म के लोहे का उत्पादन होता था। 
  3. लकड़ी के लिए वन काट दिए जाने के कारण काठ कोयला पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं था। 

प्रश्न 9. 
धातुकर्म उद्योग में क्रांति लाने का श्रेय किसे दिया जाता है?
अथवा 
अठारहवीं शताब्दी में लौह उद्योग के विकास का श्रेय किसे दिया जाता है और क्यों?
उत्तर:
लौह उद्योग के विकास का श्रेय श्रीपशायर के एक डर्बी परिवार को दिया जाता है। इस परिवार की तीन पीढ़ियों (दादा, पिता और पुत्र जो सभी अब्राहम डर्बी के नाम से जाने जाते थे) ने धातुकर्म उद्योग में क्रांति का सूत्रपात किया। 1709 ई. में प्रथम अब्राहम डर्बी ने धमन भट्टी का आविष्कार किया तथा द्वितीय अब्राहम डर्बी ने ढलवाँ लोहे से पिटवाँ लोहे का निर्माण किया। तृतीय अब्राहम डर्बी ने दुनिया का पहला लोहे का पुल बनाया। 

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

प्रश्न 10. 
उड़नतुरी करघे अथवा फ्लाइंग शटल के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
उड़नतुरी करघे अर्थात् फ्लाइंग शटल का आविष्कार जॉन के. के द्वारा 1733 ई. में किया गया था। इसकी सहायता से कम समय में अधिक चौड़ा कपड़ा बनाना सम्भव हो गया। इसके फलस्वरूप कताई की तत्कालीन रफ्तार से जितना धागा बनता था, उससे अधिक मात्रा में धागे की आवश्यकता होने लगी।

प्रश्न 11. 
स्पिनिंग जैनी के बारे में संक्षेप में बताइए। उत्तर-स्पिनिंग जैनी नामक मशीन का आविष्कार जेम्स हरग्रीब्ज़ ने 1765 ई. में किया था। इस मशीन में आठ तकुओं की व्यवस्था थी। इस प्रकार आठ मजदूरों का काम एक मशीन करने लगी। इसकी सहायता से काता गया सूत बारीक होता था परन्तु वह मजबूत नहीं होता था। इससे बुनकरों को उनकी आवश्यकता से अधिक तीव्रता से धागा मिलने लगा।

प्रश्न 12. 
1780 ई. के दशक में ब्रिटेन में कपास उद्योग की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
1780 ई. के दशक में ब्रिटेन में कच्चे माल के रूप में आवश्यक समस्त कपास का आयात करना पड़ता था तथा तैयार कपड़े का अधिकांश भाग निर्यात किया जाता था। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया के लिए इंग्लैण्ड के पास अपने उपनिवेश होना आवश्यक था। ताकि उपनिवेशों से भरपूर मात्रा में कपास मँगाई जा सके और फिर इंग्लैण्ड में उससे कपड़ा बनाकर उन्हीं उपनिवेशों के बाजारों में बेचा जा सके। इस प्रक्रिया ने साम्राज्यवाद को बढ़ावा दिया। यह उद्योग मुख्य रूप से कारखानों में काम करने वाली स्त्रियों तथा बच्चों पर निर्भर था।

प्रश्न 13. 
माइनर्स फ्रेंड क्या था ? इसमें क्या कमियाँ थीं ? 
उत्तर:
1698 ई. में थॉमस सेवेरी ने खानों से पानी बाहर निकालने के लिए भाप के इंजन का मॉडल बनाया, जिसे माइनर्स फ्रेंड अर्थात् खनक मित्र कहा गया। ये इंजन खानों की छिछली गहराइयों में धीरे-धीरे काम करते थे और अधिक दबाव हो जाने पर उनका वाष्पित्र (बॉयलर) फट जाता था।

प्रश्न 14. 
नहरोन्माद क्या था ? बताइए।
उत्तर:
इंग्लैण्ड में 1760 ई. से 1790 ई. के मध्य नहरें बनाने की 25 नई परियोजनाएं शुरू की गईं। 1788 ई. से 1796 ई. के काल में नहर निर्माण कार्य को और अधिक गति मिली। इस अवधि में नहर निर्माण की 46 नवीन परियोजनाओं को प्रारम्भ किया गया। अतः यह अवधि 'नहरोन्माद' के नाम से प्रसिद्ध हुई।

प्रश्न 15. 
फुफकारने वाला दानव (पफिंग डेविल) क्या था ? बताइए।
उत्तर:
1801 ई. में रिचर्ड ट्रेविथिक ने एक इंजन का निर्माण किया जो ट्रकों को कॉर्नवाल में उस खान के चारों ओर खींचकर ले जाता था जहाँ रिचर्ड काम करता था। इसी इंजन को पफिंग डेक्लि अर्थात् 'फुफकारने वाला दानव' नाम से पुकारा जाता था।

प्रश्न 16. 
ब्रिटेन में स्त्रियों और बच्चों को उद्योगों में पुरुषों से अधिक महत्व क्यों दिया जाता था?
उत्तर;
ब्रिटेन में उद्योगपति पुरुषों की अपेक्षा औरतों और बच्चों को काम पर लगाना अधिक पसन्द करते थे, क्योंकि एक तो उनकी मजदूरी कम थी और दूसरे वे अपने काम की खराब परिस्थितियों के बारे में भी बहुत कम शिकायत करते थे।

प्रश्न 17. 
ब्रिटेन में हुई औद्योगिक क्रांति के कोई दो सामाजिक परिणाम बताइये।
उत्तर:
(1) मशीनों द्वारा माल शीघ्र एवं सस्ता बनने लगा था, वहीं दूसरी ओर छोटे कारीगरों द्वारा हाथ से बनाया जा रहा माल महँगा होने के कारण नहीं बिकता था। इसलिए विवश होकर उन्हें अपना काम बन्द करना पड़ा और वे कारखानों में कामगार श्रमिक बन गए।

(2) अधिक उद्योगों के कारण मजदूरों की माँग बढ़ने लगी थी किन्तु मशीनों के आविष्कारों ने मजदूरी कम कर दी। अतः महिलाओं और बच्चों को भी घर का खर्च चलाने में सहयोग देने हेतु काम करना पड़ा। किन्तु उनकी मजदूरी पुरुषों की अपेक्षा कम थी, जबकि उनसे काम अधिक लिया जाता था।

प्रश्न 18. 
इंग्लैण्ड और फ्रांस तथा अन्य देशों के मध्य हुए युद्धों के क्या दुष्परिणाम निकले ? 
उत्तर:

  1. इंग्लैण्ड और यूरोप के मध्य चलने वाला व्यापार छिन्न-भिन्न हो गया। 
  2.  श्रमिकों और पूँजी के अभाव में कल-कारखानों को मजबूरन बन्द करना पड़ा। 
  3. कल-कारखानों के बन्द होने से बेरोजगारी की समस्या विकराल रूप से खड़ी हो गयी। 
  4. रोटी, माँस तथा अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतें बहुत बढ़ गयीं। 

प्रश्न 19. 
लुडिज्म आन्दोलन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
इंग्लैण्ड में जनरल नेड लुड के नेतृत्व में 1811 ई. से 1817 ई. के मध्य एक आन्दोलन चलाया गया जो न्यूनतम मजदूरी, नारी व बालश्रम पर नियन्त्रण, ट्रेड यूनियन बनाने की कानूनी मान्यता आदि बातों से सम्बधित था। इसे ही 'लुडिज्म आन्दोलन' कहा जाता है।

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

प्रश्न 20. 
'पीटरलू' नरसंहार के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
अगस्त 1819 ई. में 80,000 लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की माँग के लिए इंग्लैण्ड में स्थित मैनचेस्टर के 'सेन्ट पीटर्स मैदान' में शान्तिपूर्वक इकट्ठा हुए लेकिन सरकार ने 
बर्बरतापूर्वक उनका दमन कर दिया। इसे ही 'पीटरलू' नरसंहार के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 21. 
ब्रिटिश सरकार द्वारा मजदूरों की दशा सुधारने के लिए बनाए गए 1819 ई. के कानून के बारे में बताइए। 
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार द्वारा मजदूरों की दशा सुधारने के लिए 1819 ई. में एक कानून बनाया गया, जिसके अन्तर्गत नौ वर्ष से कम की आयु वाले बच्चों से कारखानों में काम करवाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। नौ से सोलह वर्ष की आयु वाले बच्चों से काम कराने की सीमा 12 घण्टे तक सीमित कर दी गई।

प्रश्न 22. 
ब्रिटिश सरकार द्वारा श्रमिकों के हितों की रक्षा हेतु बनाया गया 1833 ई. का अधिनियम क्या था ?
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार द्वारा श्रमिकों के हितों की रक्षा हेतु 1833 ई. में एक अधिनियम पारित किया गया जिसके अन्तर्गत नौ वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को केवल रेशम के कारखानों में काम पर लगाने की अनुमति दी गई। बड़े बच्चों के लिए काम के घण्टे सीमित कर दिए गए और कुछ कारखाना निरीक्षकों की व्यवस्था की गई, ताकि अधिनियम के प्रावधानों का उचित प्रकार से पालन कराया जा सके।

प्रश्न 23. 
लंदन में हुई 1851 की महत्वपूर्ण प्रदर्शनी के बारे में बताइए।
उत्तर:
1851 ई. में लंदन में विशेष रूप से निर्मित स्फटिक प्रासाद (क्रिस्टल पैलेस) में ब्रिटिश उद्योग की उपलब्धियों को दर्शाने के लिए एक विशाल प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसे देखने के लिए दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। इस प्रदर्शनी में कई राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA)

प्रश्न 1. 
औद्योगिक क्रांति का क्या अर्थ है ? इसके कारण उद्योगों में क्या परिवर्तन हुए ?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति का अर्थ- जब हाथ के स्थान पर मशीनों द्वारा बड़े-बड़े कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा जिसके फलस्वरूप उद्योग, व्यवसाय, परिवहन एवं संचार आदि क्षेत्रों में आमूलचूल परिवर्तन हुए, उन्हें ही 'औद्योगिक क्रांति' के नाम से जाना जाता है। अब घरेलू उत्पादन पद्धति का स्थान कारखाना पद्धति ने ले लिया, जहाँ बड़े पैमाने पर वस्तुओं का उत्पादन होने लगा। इस प्रकार, औद्योगिक क्षेत्र में परिवर्तन इतने बड़े और तीव्र गति से हुए कि उन्हें व्यक्त करने के लिए 'औद्योगिक क्रांति' शब्द का प्रयोग किया जाता है। औद्योगिक क्रांति के कारण उद्योगों में तीन महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए

  1. घरेलू उद्योग-धन्धों के स्थान पर कारखाना प्रणाली की शुरुआत हुई। 
  2. हाथ से कार्य करने के स्थान पर अधिकांश काम मशीनों के द्वारा होने लगा और
  3. छोटे कारीगरों एवं शिल्पकारों की अपेक्षा बड़े-बड़े पूँजीपति उद्योगों के स्वामी बन गये।

प्रश्न 2. 
ब्रिटेन में सम्पन्न हुई 'प्रथम औद्योगिक क्रांति' और 'द्वितीय औद्योगिक क्रांति' का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ब्रिटेन में 'प्रथम औद्योगिक क्रांति'-ब्रिटेन में 1780 के दशक से 1850 ई. के दशक के मध्य उद्योग और अर्थव्यवस्था का जो रूपान्तरण हुआ, उसे 'प्रथम औद्योगिक क्रांति' कहा गया। इस क्रांति के ब्रिटेन में दूरगामी प्रभाव हुए। ब्रिटेन में 'द्वितीय औद्योगिक क्रांति'-ब्रिटेन में 'द्वितीय औद्योगिक क्रांति' लगभग 1850 के दशक के पश्चात् आई। इस क्रांति में रसायन और विद्युत जैसे नये औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार हुआ। इस दौरान ब्रिटेन, जो पहले विश्व भर में औद्योगिक शक्ति के रूप में अग्रणी था, पिछड़ गया और जर्मनी व संयुक्त राज्य अमेरिका उससे आगे निकल गये।

प्रश्न 3. 
ब्रिटेन में ही सर्वप्रथम औद्योगिक क्रांति प्रारम्भ क्यों हुई ?
उत्तर:
ब्रिटेन पहला देश था, जिसने सर्वप्रथम औद्योगीकरण का अनुभव किया। यहाँ सम्पूर्ण राज्य में एक ही कानून व्यवस्था, एक ही मौद्रिक प्रणाली और एक ही बाजार व्यवस्था थी। इस बाजार व्यवस्था में स्थानीय प्राधिकरणों का कोई हस्तक्षेप नहीं था। 17वीं शताब्दी के अन्त तक मुद्रा का प्रयोग विनिमय अर्थात् आदान-प्रदान के माध्यम के रूप में व्यापक रूप से होने लगा था। इससे लोगों को अपनी आमदनी को खर्च करने के लिए अधिक विकल्प प्राप्त हो गये और वस्तुओं की बिक्री के लिए बाजार का भी विस्तार हो गया।

18वीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में एक कृषि क्रांति हुई, जिसमें बड़े जमींदारों ने छोटे किसानों की जमीन और सार्वजनिक जमीनों पर कब्जा कर लिया। परिणामस्वरूप उत्पादन बढ़ा किन्तु भूमिहीन, चरवाहों एवं पशुपालकों को रोजगार की तलाश में नगरों की ओर जाना पड़ा। इंग्लैण्ड सौभाग्यशाली था कि वहाँ उद्योगों में प्रयुक्त होने वाली सामग्री पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थी। इंग्लैण्ड में ही भाप की शक्ति का पता चला और उनके पास पर्याप्त भाप शक्ति थी। इसके अलावा नए-नए आविष्कारों के होने से ब्रिटेन में ही सर्वप्रथम औद्योगिक क्रांति हुई। 

प्रश्न 4. 
अठारहवीं शताब्दी में लंदन किस प्रकार एक महत्वपूर्ण शहर बन गया था ? 
उत्तर:
18वीं शताब्दी के अन्त तक आते-आते भूमण्डलीय व्यापार का केन्द्र इटली तथा फ्रांस के भूमध्य सागरीय बन्दरगाहों से हटकर हॉलैण्ड (नीदरलैण्ड) और ब्रिटेन के अटलांटिक बन्दगाहों पर आ गया था। इसके बाद तो लंदन ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए ऋणप्राप्ति के प्रधान स्रोत के रूप में 'एम्सटर्डम' का स्थान ले लिया। साथ ही लंदन, इंग्लैण्ड, अफ्रीका और वेस्टइंडीज के बीच स्थापित त्रिकोणीय व्यापार का केन्द्र बन गया। अफ्रीका और एशिया से व्यापार करने वाली कम्पनियों के कार्यालय भी लंदन में थे। इस प्रकार लंदन अठारहवीं शताब्दी का प्रमुख व्यापारिक केन्द्र बन गया।

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

प्रश्न 5. 
ब्रिटेन में बड़े-बड़े औद्योगिक उद्यम स्थापित करने में वहाँ की वित्तीय या बैंकिग प्रणाली ने किस प्रकार सहयोग दिया?
अथवा 
ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति लाने में वहाँ की वित्तीय या बैंकिग प्रणाली किस प्रकार कारगर सिद्ध हुई?
उत्तर:
ब्रिटेन की उत्तम बैंकिंग प्रणाली, जिसका केन्द्र बैंक ऑफ इंग्लैण्ड था, ने ब्रिटेन में औद्योगीकरण को बढ़ाया। सन् 1784 तक इंग्लैण्ड में 100 से अधिक प्रांतीय बैंक थे और अगले दस वर्षों में इनकी संख्या बढ़कर तीन गुनी हो गयी थी। 1820 के दशक तक, प्रांतों में 600 से अधिक बैंक थे और लंदन में तो 100 से अधिक बैंक थे। बड़े-बड़े उद्यम स्थापित करने लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन इन्हीं बैकों ने उपलब्ध कराये थे। यहाँ तक कि लदन अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए ऋण-प्राप्ति का प्रधान स्रोत बन चुका था। इस प्रकार अठारहवीं शताब्दी में बैंकिंग प्रणाली के विकसित तन्त्र ने ब्रिटेन में औद्योगीकरण को सहायता प्रदान की।

प्रश्न 6. 
इंग्लैण्ड औद्योगीकरण के समय किस प्रकार सौभाग्यशाली था? बताइए।
उत्तर:
इंग्लैण्ड औद्योगीकरण के समय इसलिए सौभाग्यशाली था कि वहाँ मशीनीकरण में काम आने वाली मुख्य सामग्रियाँ-कोयला और लौह-अयस्क पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थे। इसके अलावा वहाँ उद्योगों में काम आने वाले अन्य खनिज; जैसे-सीसा, ताँबा और राँगा (टिन) आदि भी पर्याप्त मात्रा में मिलते थे। यह भी ब्रिटेन का सौभाग्य ही था कि वहाँ एक ही 'द्रोणी-क्षेत्र' (Basin) भी था जिसमें उत्तम किस्म का कोयला और उच्च-स्तर का लौह खनिज साथ-साथ पाया जाता था। ये द्रोणी-क्षेत्र पत्तनों के पास ही थे, वहाँ ऐसे 5 तटीय कोयला-क्षेत्र थे जो अपने उत्पादों को सीधे ही जहाज़ों में लदवा सकते थे। चूँकि कोयला-क्षेत्र समुद्रतट के पास ही थे इसलिए जहाज़-निर्माण और नौपरिवहन का व्यवसाय भी पर्याप्त रूप से बढ़ा।

प्रश्न 7. 
18वीं शताब्दी में ब्रिटेन में लौह उद्योग के क्षेत्रों में हुई प्रगति को संक्षेप में बताइए। :
उत्तर:
18वीं शताब्दी में ब्रिटेन में लौह उद्योग के क्षेत्र में पर्याप्त प्रगति हुई, 1709 ई. में प्रथम अब्राहम डर्बी ने 'धमन भट्टी' का आविष्कार किया। जिसमें सर्वप्रथम कोक का इस्तेमाल किया गया। इन धमन भट्ठियों से जो पिघला हुआ लोहा निकलता था, उससे पहले की अपेक्षा अधिक बढ़िया और लम्बी ढलाई की जा सकती थी। इस प्रक्रिया में द्वितीय डर्बी ने 'ढलवाँ लोहे' से पिटवाँ लोहे का निर्माण किया जो कम भंगुर था। हेनरी कोर्ट ने आलोड़न भट्टी और बेलन मिल का आविष्कार किया, जिसमें परिशोधित लोहे की छड़ें तैयार करने के लिए भाप की शक्ति का प्रयोग किया जाता था।

अब लोहे से अनेकानेक उत्पाद बनाना संभव हो गया था। 1770 ई. के दशक में जोन विल्किनसन ने सर्वप्रथम लोहे की कुर्सियाँ, आसव और शराब की भट्टियों के लिए टंकियाँ और लोहे की नलियाँ (पाइप) बनाईं। 1779 ई. में तृतीय डर्बी ने विश्व में पहला लोहे का पुल कोलब्रुकडेल में सेवन नदी पर बनाया। विल्किनसन ने पेरिस को पानी की आपूर्ति के लिए 40 मील लम्बी पानी की पाइप लाइन पहली बार ढलवाँ लोहे से बनाई। इसके बाद लौह उद्योग कुछ विशेष क्षेत्रों में कोयला खनन और लोहा प्रगलन की मिली-जुली इकाइयों के रूप में केन्द्रित हो गया। सन् 1800 ई. से 1830 ई. की अवधि के दौरान ब्रिटेन के लौह उद्योग ने अपने उत्पादन में चौगुनी वृद्धि की।

प्रश्न 8. 
18वीं सदी के प्रारम्भिक वर्षों में ब्रिटेन में कपास की कताई और बुनाई के उद्योग कौन-कौन सी समस्याओं से ग्रासित थे? उनका क्या समाधान हुआ ?
उत्तर:
18वीं सदी के प्रारम्भिक वर्षों में ब्रिटेन में कपास की कताई और बुनाई के उद्योग कई समस्याओं से ग्रसित थे। इस काल में ब्रिटेन में कताई का काम इतनी धीमी गति एवं परिश्रम से किया जाता था कि एक बुनकर को व्यस्त रखने के लिए आवश्यक धागा कातने के लिए दस कातने वालों, विशेषकर स्त्रियों की आवश्यकता पड़ती थी। इसलिए कातने वाले दिनभर कताई के काम में व्यस्त रहते थे। इस समस्या के समाधान के लिए कताई एवं बुनाई की तकनीक के क्षेत्र में अनेक आविष्कार हुए, जिनके पश्चात् कच्ची रुई को कातकर उसका धागा बनाने एवं उससे कपड़ा बनाने की गति के मध्य पहले जो अन्तर था, अब वह समाप्त हो गया।

प्रश्न 9. 
1780 ई. के दशक में ब्रिटेन में कपास उद्योग किस प्रकार कई रूपों में ब्रिटिश औद्योगीकरण का प्रतीक बन गया? स्पष्ट कीजिए।
.अथवा 
ब्रिटेन के लिए कपास उद्योग की क्या विशेषताएँ थीं ?
उत्तर;
ब्रिटेन में कपास उत्पादन नहीं होता था, फिर भी अनेक आविष्कारों के बल पर यहाँ कपास उद्योग ने बहुत उन्नति की। 1780 ई. के दशक से कपास उद्योग कई रूपों में ब्रिटिश औद्योगीकरण का प्रतीक बन गया। इस उद्योग की दो प्रमुख विशेषताएँ थीं

  1. कच्चे माल के रूप में आवश्यक कपास आयात करना पड़ता था।
  2. जब आयातित कपास से कपड़ा तैयार हो जाता था तो उसका अधिकांश भाग निर्यात कर दिया जाता था।

इसके लिए ब्रिटेन के पास अपने उपनिवेश होना आवश्यक थे ताकि वह इन उपनिवेशों से कच्चा कपास प्रचुर मात्रा में मँगा सके और फिर ब्रिटेन में उससे कपड़ा बनाकर तैयार माल को उन्हीं उपनिवेशों के बाजारों में बेच सके।

प्रश्न 10. 
जेम्सवाट द्वारा किए गए आविष्कारों के बारे में बताइए।
उत्तर:
जेम्सवाट के आविष्कार केवल भाप के इंजन तक ही सीमित नहीं थे। उसने दस्तावेजों की नकल तैयार करने के लिए भी एक रासायनिक प्रक्रिया का आविष्कार किया। उसने नापने की एक इकाई बनाई थी, जो पुराने सर्वत्र शक्ति स्रोत 'घोड़े' की 'शक्ति' के साथ यांत्रिक शक्ति की तुलना पर आधारित थी। वाट की माप इकाई अर्थात् 'अश्व-शक्ति' एक घोड़े की एक मिनट में एक फुट (0.3 मीटर) तक 33000 पौंड (14969 किग्रा.) वजन उठाने की क्षमता के समकक्ष थी। अश्वशक्ति को विश्व में सर्वत्र यान्त्रिक ऊर्जा के सूचक के रूप में आज भी काम में लाया जाता है।

प्रश्न 11. 
वाष्य शक्ति का औद्योगिक क्रान्ति में योगदान बताइए।
उत्तर;
वाष्प शक्ति के योगदान की प्रक्रिया 1712 ई. में न्यूकॉमेन के द्वारा खानों से पानी निकालने के लिए 'वाष्प इंजन' के आविष्कार के साथ शुरू हुई थी। 1769 ई. में जेम्सवाट ने उसे अधिक उपयोगी बनाकर औद्योगिक क्षेत्र में वाष्प शक्ति के व्यापक उपयोग का मार्ग प्रशस्त किया। 1814 ई. में वाष्प शक्ति चालित रेल इंजन बनाकर यातायात के क्षेत्र में स्टीफेनसन ने क्रांति ला दी। अब मनुष्य और माल का आवागमन बहुत शीघ्रतम और सस्ता हो गया। इसी दौरान 1807 ई. में रॉबर्ट फुल्टन ने वाष्प शक्ति का प्रयोग नौकाचालन में करते हुए 'प्रथम वाष्प चालित नौका' बनाई जिसके कारण वाष्प शक्ति से चलने वाले विशाल जलयानों का निर्माण सम्भव हो सका और समुद्रीय परिवहन सस्ता एवं द्रुतगामी हो गया।

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

प्रश्न 12. 
18वीं शताब्दी में ब्रिटेन में हुए नहरों के विकास को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
18वीं शताब्दी में ब्रिटेन में नहरों का पर्याप्त विकास हुआ। ब्रिटेन में 1788 ई. से 1796 ई. के बीच नहरें बनाने की 46 नई परियोजनाएं शुरू की गईं। उसके बाद अगले 60 वर्षों में अनेक नहरों को बनाया गया। जिनकी लम्बाई कुल मिलाकर 4000 मील से अधिक थी। ब्रिटेन में प्रारम्भ में नहरें कोयले को शहरों तक ले जाने के लिए बनाई गईं। नहरों के मार्ग से जाने में समय व धन दोनों ही कम लगते थे। नहरें प्रायः बड़े-बड़े ज़मींदारों द्वारा अपनी जमीनों पर स्थित खानों, खदानों या जंगलों का मूल्य बढ़ाने के लिए बनाई जाती थीं। नहरों के आपस में जुड़ जाने से नए-नए शहरों में बाजार बन गए और उनका विकास हुआ। यूरोप में प्रथम नहर इंग्लैण्ड में बनाई गई जिसका नाम वर्सली कैनाल था। इसका निर्माण 1761 ई. में जेम्स ब्रिडली आद्योगिक क्रांति 317 द्वारा किया गया। इस नहर के निर्माण का केवल यही उद्देश्य था कि इसके द्वारा वर्सले के कोयला भण्डारों से शहर तक कोयला ले जाया जाए। इस नहर के बन जाने के बाद कोयले का मूल्य घटकर आधा हो गया।

प्रश्न 13. 
औद्योगिक क्रांति के कारण ब्रिटेनवासियों के जीवन में आए परिवर्तनों का संक्षेप में वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
औद्योगिक क्रान्ति के कारण ब्रिटेनवासियों के जीवन में निम्नलिखित परिवर्तन आए

  1. संयुक्त परिवारों का विघटन-मजदूर रोजगार की तलाश में गाँव छोड़कर नगरों में आ गए जिससे संयुक्त परिवार प्रथा विघटित होती चली गई। अब संयुक्त परिवार टूटने लगे।
  2. मजदूरों की दयनीय दशा-औद्योगिक क्रांति के बावजूद मजदूरों की दशा दयनीय बनी हुई थी। उनसे अधिक से अधिक काम लिया जाता था, परन्तु उन्हें मजदूरी बहुत कम दी जाती थी। मजदूरों को गन्दे मकानों में पशुओं की भाँति जीवन व्यतीत करना पड़ता था। 
  3. गन्दी बस्तियों में वृद्धि-कारखानों के आस-पास मजदूरों के परिवार बस गए थे। वे कच्चे-पक्के झोंपड़ों में रहने लगे। इससे गन्दी बस्तियों का जन्म हुआ।
  4. स्वास्थ्य की हानि-मजदूरों को कारखानों के गन्दे वातावरण में काम करना पड़ता था। कारखानों में शुद्ध वायु तथा प्रकाश का अभाव था। गन्दी बस्तियों में रहने तथा शुद्ध पेयजल की व्यवस्था न होने से मजदूर कई प्रकार की बीमारियों के शिकार बन जाते थे।
  5. जनसंख्या में वृद्धि-1750 ई. में इंग्लैण्ड में 50,000 से अधिक की जनसंख्या वाले नगरों की संख्या केवल दो थी, जो 1850 ई. में बढ़कर 29 हो गई।
  6. पूँजी में वृद्धि-औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप धनी लोगों ने उद्योग-धन्धों में पूँजी निवेश किया, जिससे उन्हें पर्याप्त लाभ हुआ और उनके धन में अत्यधिक वृद्धि हुई।
  7. बेरोजगारी की समस्या-घरेलू उद्योग-धन्धे नष्ट हो जाने से असंख्य लोग बेरोजगार हो गए। एक मशीन कई व्यक्तियों का कार्य कर सकती थी। परिणामस्वरूप घरेलू उद्योगों में लगे हुए श्रमिक बड़ी संख्या में बेरोजगार हो गए।

प्रश्न 14. 
ब्रिटेन में हुए औद्योगीकरण के समय श्रमिकों की औसत आयु के विषय में बताइए।
उत्तर:
1842 ई. में किये गये एक सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि श्रमिकों के जीवन की औसत आयु शहरों में रहने वाले अन्य किसी भी सामाजिक समूह के जीवन काल से कम थी। बर्मिंघम में यह 15 वर्ष, मैनचेस्टर में 17 वर्ष तथा डर्बी में 21 वर्ष थी। नये औद्योगिक नगरों में गाँव से आकर रहने वाले लोग ग्रामीणों क्षेत्रों की तुलना में काफी छोटी आयु में ही मर जाते थे। वहाँ पैदा होने वाले बच्चों में से आधे तो 5 वर्ष की आयु प्राप्त करने से पहले ही मर जाते थे। अधिकांशतः मौतें हैज़ा, टायफाइड और टी.बी जैसी महामारियों के कारण होती थीं। ।

प्रश्न 15. 
औद्योगीकरण के दौरान ब्रिटेन में किन-किन महामारियों के फैलने के कारण लोग मृत्यु के मुँह में चले जाते थे? इन महामारियों के फैलने का क्या कारण था?
उत्तर:
औद्योगीकरण के दौरान ब्रिटेन में अधिकांश मौतें हैज़ा, आंत्र शोथ (टाइफाइड) और क्षय रोग (टी.बी) जैसी संक्रामक महामारियों से होती थीं। 1832 ई. में तो हैजे का ऐसा भीषण प्रकोप हुआ, जिसमें 31,000 से अधिक लोग मर गये। बीमारियों के फैलने का कारण-औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप श्रमिकों ने अपने-अपने कारखानों के आस-पास अव्यवस्थित बस्तियों का निर्माण कर लिया था। यहाँ पर अनियोजित ढंग से मकान बने, जिनमें गन्दे पानी के निकास के साधन तक नहीं थे। साथ ही कारखानों के समीप ही बस्तियाँ होने के कारण वह गन्दगी और बीमारियों का केन्द्र बन गयीं। यहाँ हैज़ा, टायफाइड, टी.बी. आदि संक्रामक बीमारियों ने पैर पसारने शुरू कर दिए, जिन्होंने महामारियों का रूप धारण कर लिया। 19वीं शताब्दी के अन्तिम दशकों तक स्थिति यह थी कि नगर प्राधिकारी जीवन की इन भयंकर परिस्थितियों की ओर कोई ध्यान नहीं देते थे और इन बीमारियों के निदान और उपचार के बारे में चिकित्सकों या अधिकारियों को भी कोई जानकारी नहीं थी।

प्रश्न 16. 
ब्रिटेन में हुई औद्योगिक क्रांति का निम्न वर्ग की स्त्रियों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
ब्रिटेन में हुई औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप निम्न वर्ग की स्त्रियों के जीवन पर सकारात्मक एवं कुछ नकारात्मक प्रभाव पड़े। सकारात्मक प्रभावों में स्त्रियों को मजदूरी मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ तथा उनके आत्म-सम्मान में भी वृद्धि हुई। लेकिन इससे उन्हें लाभ कम हुआ और हानि अधिक हुई। स्त्रियों को कारखानों में 15-15 घण्टे तक कार्य करना पड़ता था। लेकिन उन्हें मजदूरी बहुत ही कम दी जाती थी। कारखानों का वातावरण बहुत ही दूषित और जोखिम भरा था। इसका स्त्रियों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। उनकी मृत्यु बहुत ही कम आयु में हो जाती थी। गर्भवती स्त्रियों तथा बच्चों को जन्म देने वाली स्त्रियों की दशा तो और भी खराब थी। अधिकांश बच्चे बीमार पैदा होते थे एवं कुछ पैदा होते ही मर जाते थे या फिर पाँच वर्ष की आयु तक ही पहुँच पाते थे।

प्रश्न 17. 
प्रसिद्ध उपन्यासकार चार्ल्स डिकन्स ने औद्योगीकरण की किस प्रकार आलोचना की है ? बताइए।
उत्तर:
प्रसिद्ध उपन्यासकार चार्ल्स डिकन्स (1812-70 ई.), औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप गरीबों के लिए जो भयंकर स्थिति उत्पन्न हुई उसका सम्भवतः सबसे कठोर समकालीन आलोचक था। उन्होंने अपने उपन्यास 'हार्ड टाइम्स' में एक काल्पनिक औद्योगिक नगर 'कोकटाउन' का बड़ा ही सटीक वर्णन किया है। उनके अनुसार "यह एक लाख ईंटों से बना नगर था, लेकिन उसकी ईंटों का रंग लाल तभी रह सकता था जब धुएँ और राख से उसे पोतकर बदरंग न कर दिया जाए। परन्तु हालात यह थे कि यह कस्बा अजीब लाल और काले रंग के मिश्रण से पुता था, मानो वह किसी खूखार आदमी का चेहरा हो।

यह मशीनों और उन लम्बी गगनचुम्बी चिमनियों का शहर था, जिनमें से धुएँ के साँपों की अटूट पंक्तियाँ कभी कुंडलित न होकर, लगातार निकलती रहती थीं। नगर में एक काली नहर थी और एक नदी भी थी, जिसका पानी बदबूदार रंजक गंदगी से भरकर बैंगनी रंग का हो गया था। वहाँ ढेरों इमारतें थीं जो उनके भीतर चलने वाली मशीनों के कारण हरदम काँपती रहती थीं और उनकी खिड़कियाँ हमेशा ही खड़कती रहती थीं और वहाँ भाप के इंजन का पिस्टन उकताहट के साथ ऊपर-नीचे होता रहता था, मानो किसी हाथी का सिर हो, जो अपने दुःखभरे पागलपन में आँखों को फाड़कर एक ही ओर देख रहा हो।"

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

प्रश्न 18. 
1790 ई. के दशक में ब्रिटेन में बुनकर हड़ताल पर क्यों चले गये ? बताइए।
उत्तर:
1790 ई. के दशक में बुनकरों के हड़ताल करने का मुख्य कारण उनके द्वारा अपने लिए न्यूनतम वैध मज़दूरी की माँग करना था। लेकिन जब ब्रिटिश संसद ने उनकी माँग को अस्वीकार कर दिया तो वे हड़ताल पर चले गए। इस पर ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी नीति अपनाते हुए हड़तालकर्मियों को तितर-बितर कर दिया। इससे निराश और क्रुद्ध होकर सूती कपड़े के बुनकरों ने लंकाशायर में पावरलूमों को नष्ट कर दिया। इसका कारण यह था कि वे अपना रोजगार छिन जाने के लिए इन विद्युत के करघों को ही जिम्मेदार मानते थे। नोटिंघम में ऊनी वस्त्र उद्योग में भी मशीनों के प्रयोग का प्रतिरोध किया गया। इसी प्रकार लैसेस्टरशायर और डर्बीशायर में भी मजदूरों ने विरोध प्रदर्शन किए।

प्रश्न 19. 
पीटरलू नरसंहार कब और क्यों हुआ था ? विस्तार से बताइए।
उत्तर:
इंग्लैण्ड में औद्योगीकरण के प्रारम्भिक वर्षों में श्रमजीवियों के पास उन कठोर कार्यवाहियों, जिनसे उनके जीवन में परिवर्तन हो रहा था, के खिलाफ़ अपना रोष व्यक्त करने के लिए न तो मत देने का अधिकार था और न ही कोई कानूनी तरीका। इसलिए अगस्त 1819 ई. में 80,000 लोग अपने लोकतान्त्रिक अधिकारों, जैसे-मताधिकार, राजनीतिक संगठन बनाने, सार्वजनिक सभाएँ करने, प्रेस की स्वतंत्रता आदि के लिए मैनचेस्टर के सेन्ट पीटर्स मैदान में शान्तिपूर्वक इकट्ठे हुए। लेकिन सरकार ने उनका बर्बरतापूर्वक दमन कर दिया जिसे पीटरलू नरसंहार के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 20. 
क्या औद्योगिक क्रांति को क्रांति कहना उचित होगा? तर्क देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सर्वप्रथम औद्योगिक क्रांति ब्रिटेन में हुई थी। इसमें औद्योगीकरण की क्रिया इतनी धीमी गति से होती रही कि इसे 'क्रांति' कहना ठीक नहीं होगा। इसके द्वारा पहले से ही विद्यमान प्रक्रियाओं को ही आगे बढ़ाया गया। इस प्रकार कारखानों में श्रमिकों का जमाव पूर्व की अपेक्षा अधिक हो गया एवं धन का प्रयोग भी पहले से अधिक व्यापक रूप से होने लगा। उन्नीसवीं शताब्दी के आरम्भ होने के एक लम्बे समय पश्चात भी इंग्लैण्ड के बड़े-बड़े क्षेत्रों में कोई कारखाना या खान नहीं थी। इसके अतिरिक्त यहाँ परिवर्तन भी क्षेत्रीय तरीके से हुआ। यह परिवर्तन मुख्य रूप से लंदन, मैनचेस्टर, बर्मिंघम या न्यूकैसल नगरों के चारों ओर ही था न कि सम्पूर्ण देश में। इसलिए 'क्रांति' शब्द को अनुपयुक्त माना गया।

प्रश्न 21. 
ब्रिटेन में हुई औद्योगिक क्रांति की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं ? बताइए।
उत्तर:
ब्रिटेन में हुई औद्योगिक क्रांति की प्रमुख विशेषताएँ-ब्रिटेन में हुई औद्योगिक क्रांति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

  1. ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित न रहकर उद्योगों पर निर्भर हो गई। अब कृषक कारखाना मज़दूर बन गए।
  2. घरेलू व्यवस्था का स्थान कारखाना प्रणाली ने ले लिया। बड़े-बड़े नगर बस गए और कारखाने स्थापित हुए। नगरों में काम मशीनों से होने लगा।
  3. औद्योगिक क्रांति के कारण बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना हुई, जिनमें हजारों लोग एक साथ काम करते थे। बड़े-बड़े कारखानों में 'फैक्ट्री पद्धति' अपनाई गई।
  4. औद्योगिक क्रांति का आधार वे मशीनें थीं, जिनके कारण कपड़ा उद्योग के उत्पादन में आश्चर्यजनक उन्नति हुई। हरग्रीब्ज़ और आर्कराइट की मशीनों ने इस उद्योग में क्रांति पैदा कर दी।
  5. औद्योगिक क्रांति के बावजूद मजदूरों की दशा दयनीय बनी हुई थी। उनसे अधिक से अधिक काम लिया जाता था परन्तु मज़दूरी बहुत ही कम दी जाती थी।

प्रश्न 22. 
औद्योगिक क्रांति के प्रमुख परिणामों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति के प्रमुख परिणाम-औद्योगिक क्रांति के प्रमुख परिणाम निम्नलिखित थे -

  1. औद्योगिक क्रांति के कारण उद्योग घरों के स्थान पर कारखानों में चलने लगे। फलस्वरूप वे लोग जो घरों में छोटे-छोटे उद्योग चलाते थे, उन्हें अपने उद्योग बंद करके कारखानों में मजदूरी करनी पड़ी।
  2. औद्योगिक क्रांति से पूर्व गाँवों में अधिकांश जनता कृषि पर निर्भर थी, परन्तु अब नगर आर्थिक जीवन के केन्द्र बन गए और गाँवों के किसान गाँवों को छोड़कर नगरों में बस गए।
  3. औद्योगिक क्रांति से उत्पादन में बहुत अधिक वृद्धि हुई फलस्वरूप वस्तुएँ सस्ती हो गईं। 
  4. नगरों की जनसंख्या के बढ़ने से आवास, स्वास्थ्य और सफाई की समस्याएँ उत्पन्न हो गईं। 
  5. औद्योगिक क्रांति का लगभग सम्पूर्ण लाभ उद्योगपतियों को मिला।
  6. कारखानों में मजदूरों को दूषित वातावरण में रहकर कई घंटों तक लगातार काम करना पड़ता था, परन्तु उनके वेतन बहुत ही कम थे। परिणामस्वरूप मजदूरों की दशा अत्यंत शोचनीय हो गई।
  7. थकावट को दूर करने के लिए मजदूरों को मनोरंजन के रूप में मद्यपान, जुआ, वेश्यावृत्ति आदि का सहारा लेना पड़ा। इसके फलस्वरूप उनका नैतिक पतन हुआ। 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. 
ब्रिटेन में ही सर्वप्रथम आधुनिक औद्योगीकरण का अनुभव क्यों किया गया ? विस्तारपूर्वक बताइए।
अथवा 
इंग्लैण्ड में ही सर्वप्रथम औद्योगिक क्रांति प्रारम्भ होने के पीछे क्या कारण थे ? विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ब्रिटेन (इंग्लैण्ड) में ही सर्वप्रथम औद्योगिक क्रांति प्रारम्भ होने के पीछे कारण-इंग्लैण्ड में ही सर्वप्रथम औद्योगिक क्रांति प्रारम्भ होने के निम्नलिखित कारण थे
(1) अनुकूल जलवायु-इंग्लैण्ड का लगभग प्रत्येक भाग समुद्र के निकट है। इसलिए वहाँ की जलवायु आर्द्र है जो कपड़ा उद्योग के लिए बड़ी लाभदायक होती है। यही कारण था कि सूती कपड़े का उद्योग सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में ही प्रारम्भ हुआ था।

(2) राजनीतिक स्थिरता-ब्रिटेन सत्रहवीं शताब्दी से राजनीतिक दृष्टि से सुदृढ़ एवं संतुलित था। वहाँ अन्य देशों की अपेक्षा राजनीतिक स्थिरता अधिक थी। ब्रिटेन में एक ही कानून व्यवस्था, एक ही मुद्रा तथा एक ही बाजार व्यवस्था थी, इस बाजार व्यवस्था में स्थानीय प्राधिकरणों का कोई हस्तक्षेप नहीं था।

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(3) मुद्रा का प्रयोग-सत्रहवीं सदी के अंत तक मुद्रा का प्रयोग विनिमय अर्थात् आदान-प्रदान के माध्यम के रूप में होने लगा था। तब तक बहुत से लोग अपनी कमाई को, वस्तुओं के स्थान पर मजदूरी और नगद वेतन के रूप में पाने लगे। इससे लोगों को अपनी आमदनी से खर्च करने के लिए अधिक विकल्प मिल गये और वस्तुओं की बिक्री के लिए बाजार का विस्तार हो गया।

(4) कृषि-क्रांति का होना-अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में 'कृषि-क्रांति' हुई। इसके फलस्वरूप बड़े-बड़े ज़मींदारों ने अपनी जमीनों के आस-पास छोटे-छोटे खेत खरीद लिए और गाँव की सार्वजनिक जमीनों को घेर लिया। इससे विवश होकर भूमिहीन किसान, चरवाहे और पशुपालक रोजगार की तलाश में शहरों में चले गये।

(5) जनसंख्या वृद्धि-इंग्लैण्ड की जनसंख्या में काफी वृद्धि हो गई थी, जिसके कारण वस्तुओं की माँग बहुत अधिक बढ़ गई थी। इसलिए ब्रिटेन के लोगों का ध्यान औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने की ओर गया।

(6) लोहे तथा कोयले का प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होना-ब्रिटेन में लोहे तथा कोयले की खाने पर्याप्त मात्रा में थीं। ये खानें एक-दूसरे के बिल्कुल समीप थीं। इन खानों की समीपता भी ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति के सर्वप्रथम होने का कारण बनी।

(7) व्यापार की उन्नति-ब्रिटेन में विदेशी व्यापार उन्नत अवस्था में था। लन्दन, इंग्लैण्ड, अफ्रीका और वेस्टइण्डीज के बीच स्थापित त्रिकोणीय व्यापार का केन्द्र बन गया था। अमेरिका और एशिया में व्यापार करने वाली कम्पनियों के कार्यालय भी लंदन में ही थे। ब्रिटेन अपने उपनिवेशों से कच्चा माल प्राप्त कर सकता था तथा वहीं अपना तैयार माल बेच सकता था।

(8) बैंकों का विकास-ब्रिटेन में बैंकों का विकास हो चुका था। 1694 ई. में बैंक ऑफ इंग्लैण्ड की स्थापना हो चुकी थी। यह देश की वित्तीय प्रणाली का केन्द्र था। 1784 ई. तक ब्रिटेन में लगभग 100 से अधिक प्रांतीय बैंक थे जो बढ़कर 1820 तक में 600 से भी अधिक हो गये और अकेले लंदन में ही 100 ही अधिक बैंक थे। जिनसे उद्योग-धन्धे स्थापित करने के लिए आवश्यक ऋण मिल जाता था।

(9) परिवहन का विकास-जलमार्गों द्वारा परिवहन स्थल-मार्ग की तुलना में सस्ता पड़ता था और उसमें समय भी कम लगता था। ब्रिटेन की नदियों के समस्त नौचालन के भाग समुद्र से जुड़े हुए थे। इसलिए नदी पोतों के द्वारा ढोया जाने वाला माल समुद्रतटीय जहाजों तक सरलता से ले जाया और सौंपा जा सकता था। अंग्रेजों के पास बहुत अच्छा समुद्री बेड़ा था, इससे उन्हें माल को लाने और ले-जाने में पर्याप्त सुविधा रहती थी। अच्छे समुद्री बेड़े के होने से भी औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम ब्रिटेन में ही आई।

(10) नये-नये वैज्ञानिक आविष्कार-18वीं शताब्दी में ब्रिटेन में अनेक.वैज्ञानिक हुए जिन्होंने कृषि, व्यवसाय, यातायात आदि क्षेत्रों में अनेक आविष्कार किये। इन आविष्कारों ने औद्योगिक क्रांति को सफल बनाने में योगदान दिया। इसके अतिरिक्त ब्रिटेन में ही भाप की शक्ति का पता चला और उनके पास पर्याप्त भाप-शक्ति थी।

(11) कुशल श्रमिकों की उपलब्धता-ब्रिटेन में कुशल श्रमिक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थे। यूरोप के कई देशों में आन्तरिक शान्ति का अभाव था। इसलिए वहाँ के अनेक कुशल श्रमिक भागकर ब्रिटेन आ गए थे।

(12) विचारों की स्वतंत्रता-ब्रिटेन के लोगों को विचारों की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त थी। उन पर ब्रिटिश सरकार की ओर से कोई प्रतिबन्ध न थे। अतः लोगों ने नई खोजें की जो औद्योगिक क्रांति का मुख्य कारण बनीं।

(13) औपनिवेशिक साम्राज्य-18वीं शताब्दी के अन्त तक ब्रिटेन ने एक विस्तृत औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित कर लिया था। ब्रिटेन इन उपनिवेशों से कच्चा माल प्राप्त कर सकता था एवं वहाँ अपने तैयार माल का विक्रय कर सकता था।

प्रश्न 2.
लोहे के प्रगलन में काठ कोयले के प्रयोग से क्या समस्याएँ थीं ? इन समस्याओं के समाधान हेतु किए गए प्रयासों का वर्णन कीजिए।
अथवा 
धातुकर्म उद्योग के विकास में डर्बी परिवार के योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लोहे के प्रगलन में काठ कोयले के प्रयोग से समस्याएँ-इंग्लैण्ड इस सन्दर्भ में भाग्यशाली था कि वहाँ मशीनीकरण में काम आने वाली मुख्य सामग्री-कोयला और लौह अयस्क तथा उद्योग में काम आने वाले खनिज-सीसा, ताँबा, राँगा, (टिन) आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थे। किन्तु 18वीं शताब्दी तक वहाँ इस्तेमाल करने योग्य लोहे का अभाव था। लोहा प्रगलन की प्रक्रिया के द्वारा ही लौह खनिज में से शुद्ध तरल-धातु के रूप में निकाला जाता था। प्राचीनकाल से काठ कोयले (चारकोल) का प्रयोग होता चला आ रहा था, किन्तु इस कार्य में कई समस्याएँ थीं

  1. ठ कोयला लम्बी दूरी तक ले जाने की प्रक्रिया में टूट जाता था, काठ कोयला अधिकतर चूरे के रूप में बदल जाता था, क्योंकि वह बहुत भुरभुरा होता था।
  2. इसके प्रयोग से अशुद्ध लोहे का ही उत्पादन होता था।
  3. यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होता था क्योंकि लकड़ी के लिए जंगलों को काट लिया गया था। 
  4. लकड़ी का कोयला आवश्यकतानुसार उच्च तापमान उत्पन्न नहीं कर सकता था। अतः लौह-अयस्क से लोहे की पूरी मात्रा अलग करना मुश्किल था। 

समस्या के समाधान हेतु किए गए प्रयास (धातुकर्म उद्योग में डर्बी परिवार का योगदान)-इस समस्या का समाधान कई वर्षों के प्रयत्न के पश्चात् श्रीपशायर के डर्बी परिवार, जो लौह-उस्ताद भी माने जाते थे, ने किया। इससे धातु कर्म उद्योग में क्रांति आ गई। इस क्रान्ति की शुरुआत 1709 ई. में प्रथम अब्राहम डर्बी के द्वारा 'धमन भट्टी' का आविष्कार करके की गयी जिसमें सर्वप्रथम कोक का इस्तेमाल किया गया। कोक में उच्च ताप उत्पन्न करने की शक्ति थी और वह पत्थर के कोयले से गन्धक और अपद्रव्य निकालकर तैयार किया जाता था। इस धमन भट्ठी के आविष्कार से काठ-कोयले पर निर्भरता समाप्त हो गई और इन धमन भट्ठियों से उत्पादित लोहा पहले की अपेक्षा अधिक बढ़िया था।

इस प्रक्रिया में कुछ और आविष्कारों द्वारा आगे और सुधार किया गया। द्वितीय डर्बी ने ढलवाँ लोहे से पिटवाँ लोहे का निर्माण किया जो कम भंगुर था। हेनरी कोर्ट ने आलोड़न भट्टी और बेलन मिल का आविष्कार किया, जिसमें परिशोधित लोहे से छड़ें तैयार करने के लिए भाप की शक्ति का प्रयोग किया जाता था। अब लोहे से विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाना संभव हो गया। 1770 ई. के दशक में जॉन विल्किनसन ने सर्वप्रथम लोहे की कुर्सियाँ, आसव और शराब की भट्टी के लिए टंकियाँ और लोहे की नलियों बनाईं। 1779 ई. में तृतीय डर्बी ने विश्व में पहला लोहे का पुल कोलबुकडेल में सेवन नदी पर बनाया। विल्किनसन ने पेरिस को पानी की आपूर्ति के लिए 40 मील लम्बी पानी की पाइप पहली बार ढलवाँ लोहे से बनाई। इसके बाद लौह उद्योग कुछ विशेष क्षेत्रों में कोयला खनन और लौह प्रगलन की मिली-जुली इकाइयों के रूप में केन्द्रित हो गया।

प्रश्न 3. 
ब्रिटेन में कपास की कताई व बुनाई के विषय में आप क्या जानते हैं ? यहाँ औद्योगीकरण के दौरान हुए इनके विकास की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
कपास की कताई और बुनाई-ब्रिटेन के लोग सदैव ऊन और सन (लिनन बनाने के लिए) से कपड़ा बुना करते थे। 17वीं शताब्दी से ब्रिटेन भारत से बड़ी मात्रा में सूती कपड़े की गाँठों का आयात करता रहा था। किन्तु भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा कुछ भागों में राजनीतिक नियन्त्रण स्थापित कर लिया गया तो इंग्लैण्ड ने कपड़े के साथ-साथ 'रूई' का भी आयात करना प्रारम्भ कर दिया, जिसकी इंग्लैण्ड में आने पर कताई की जाती थी और उससे कपड़ा बुना जाता था। ब्रिटेन में औद्योगीकरण के दौरान कताई और बनाई के क्षेत्र में हआ विकास-18वीं शताब्दी के प्रारम्भ में ब्रिटेन में कताई का काम अत्यंत धीमी गति और अधिक मेहनत से किया जाता था। 

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

एक ओर सूत कातने वाले लोग दिन:
भर कताई के काम में व्यस्त रहते थे, तो दूसरी ओर बुनकर लोग बुनाई के धागे के लिए अपना समय नष्ट करते रहते थे। परन्तु कालान्तर में कताई व बुनाई के क्षेत्र में अनेक आविष्कार हुए, जिसके फलस्वरूप कपास से धागा कातने और उससे कपड़ा बनाने की गति में जो अन्तर था, वह समाप्त हो गया। इस कार्य में और अधिक कुशलता लाने के लिए उत्पादन का काम घरों से हटकर कारखानों में चला गया। 

18वीं शताब्दी में ब्रिटेन में कताई और बुनाई के क्षेत्र में निम्नांकित आविष्कार हुए -

  1. उड़नतुरी करघे (फ्लाइंग शटल लूम)-1733 ई. में लंकाशायर निवासी जॉन के. ने उड़नतुरी करघे (फ्लाइंग शटल लूम) का आविष्कार किया।
  2. स्पिनिंग जैनी-1765 ई. में ब्लैकबर्न निवासी जेम्स हरग्रीव्ज़ ने 'स्पिनिंग ज़ैनी' नामक मशीन का आविष्कार किया।
  3. वाटर फ्रेम-1769 ई में रिचर्ड आर्कराइट ने 'वाटर फ्रेम' नामक सूत कातने की मशीन का आविष्कार किया।
  4. म्यूल-1779 ई. में सैम्यूअल क्राम्टन ने 'म्यूल' नामक मशीन का आविष्कार किया। इससे कता हुआ धागा बहुत मजबूत और श्रेष्ठ होता था।
  5. पावरलूम-1787 ई. में एडमंड कार्टराइट ने शक्ति से चलने वाले 'पावरलूम' नामक करघे का आविष्कार किया। इससे किसी भी प्रकार के धागे से बुनाई की जा सकती थी।

1780 ई. के दशक से कपास उद्योग कई रूपों में ब्रिटिश औद्योगीकरण का प्रतीक बन गया। इस उद्योग की दो प्रमुख विशेषताएँ थीं, जो अन्य उद्योगों में भी दिखाई देती थीं

  1. कच्चे माल के रूप में आवश्यक कपास आयात करना पड़ता था। 
  2. जब उससे कपड़ा तैयार हो जाता था तो उसका अधिकांश भाग निर्यात कर दिया जाता था।

इस सम्पूर्ण प्रक्रिया के लिए इंग्लैण्ड के पास अपने उपनिवेश होना जरूरी था जिससे कि इन उपनिवेशों से कच्ची कपास भरपूर मात्रा में मँगाई जा सके और फिर इंग्लैण्ड में उससे कपड़ा बनाकर उन्हीं उपनिवेशों के बाजारों में बेचा जा सके। यह उद्योग प्रमुख रूप से कारखानों में काम करने वाली स्त्रियों और बच्चों पर बहुत ज्यादा निर्भर था। इससे औद्योगीकरण के प्रारम्भिक काल की यह घिनौनी तस्वीर हमारे सामने आती है जिसमें स्त्रियों और बच्चों का शोषण होता था।

प्रश्न 4. 
ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति के अन्तर्गत हुए विभिन्न आविष्कारों की विस्तार से जानकारी दीजिए। 
उत्तर:
ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति के अन्तर्गत निम्नलिखित आविष्कार हुए
(1) फ्लाइंग शटल लूम-फ्लाइंग शटल लूम यानी 'उड़नतुरी करघे' का आविष्कार जॉन के. द्वारा 1733 ई में किया गया था। इसकी सहायता से कम समय में अधिक चौड़ा कपड़ा बनाना सम्भव हो गया। इसके फलस्वरूप कताई की तत्कालीन गति से जितना धागा बनता था उससे कहीं अधिक मात्रा में धागे की जरूरत होने लगी।

(2) स्पिनिंग जैनी-इस कताई मशीन का आविष्कार जेम्स हरग्रीव्ज़ ने किया था। उसके द्वारा 1765 ई. में बनाई इस मशीन से एक अकेला व्यक्ति एक साथ कई धागे कात सकता था। इस आविष्कार से बुनकरों को उनकी आवश्यकता से अधिक तेजी से धागा मिलने लगा। 

(3) वाटर फ्रेम-रिचर्ड आर्कराइट ने 1769 में इस मशीन का आविष्कार किया। इस मशीन द्वारा पहले से कहीं अधिक मजबूत धागा बनाया जाने लगा। इससे लिनन और सूती धागा दोनों मिलाकर कपड़ा बनाये जाने की अपेक्षा अकेले सूती धागे से ही विशुद्ध सूती कपड़ा बनाया जाने लगा।

(4) म्यूल-इसे सैम्यूअल क्रॉम्टन ने 1779 ई. में बनाया था। इससे कता हुआ धागा बहुत मजबूत और बढ़िया होता था। इसमें हरग्रीब्ज़ की जैनी और आर्कराइट के वाटर फ्रेम दोनों ही मशीनों के लाभ मिलने लगे।

(5) पावर लूम-एडमंड कार्टराइट ने 1787 ई. में शक्ति से चलने वाला पावरलूम नामक करघे का आविष्कार किया। 'पावरलूम' को चलाना अत्यन्त आसान था। जब भी धागा टूटता, वह अपने आप काम करना बन्द कर देता था। इससे किसी भी प्रकार के धागे से बुनाई की जा सकती थी।

(6) भाप का इंजन-सर्वप्रथम 1712 ई. में भाप के इंजन का आविष्कार थॉमस न्यूकॉमेन ने किया था। तत्पश्चात जेम्सवाट ने 1769 ई. में इसमें कई सुधार किए। इसके बाद इसकी उपयोगिता और भी बढ़ गई। वास्तव में यदि देखा जाए तो औद्योगिक क्रान्ति का आरम्भ ही जेम्स वाट के भाप के इंजन से हुआ।

(7) पफिंग डेविल-1801 ई. में रिचर्ड ट्रेविथिक ने एक इंजन का निर्माण किया जो ट्रकों को कार्नवाल में उस खान के चारों ओर खींचकर ले जाता था जहाँ रिचर्ड काम करता था। इसी इंजन को पफिंग डेविल अर्थात् 'फुफकारने वाला दानव' नाम से पुकारा जाता था।

(8) राकेट-यह पहला भाप से चलने वाला रेल का इंजन था। जिसे 'स्टीफेनसन का राकेट' कहा जाता था। स्टीफेनसन ने इसे 1814 ई. में बनाया।

(9) ब्लचर-1814 ई. में, एक रेलवे इंजीनियर जॉर्ज स्टीफेनसन ने एक रेल इंजन बनाया जिसे ब्लचर कहा जाता था। यह इंजन 30 टन भार 4 मील प्रतिघंटा की गति से एक पहाड़ी पर ले जा सकता था। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि 18वीं शताब्दी के दौरान लगभग 2600 आविष्कार हुए जिनमें से आधे से अधिक आविष्कार 1782 ई. से 1800 ई. की अवधि में ही हुए थे। इन आविष्कारों के कारण लौह उद्योग, कपास की कताई-बुनाई तथा रेलवे का बहुत अधिक विकास हुआ।

प्रश्न 5. 
18वीं शताब्दी में ब्रिटेन में भाप की शक्ति के क्षेत्र में हुए परिवर्तनों एवं आविष्कारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जब यह जानकारी प्राप्त हुई कि भाप अत्यधिक शक्ति उत्पन्न कर सकती है तो यह बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के लिए निर्णायक सिद्ध हुआ। द्रवचालित शक्ति के रूप में जल भी सदियों से ऊर्जा का प्रमुख स्रोत रहा है, लेकिन इसका प्रयोग कुछ विशेष क्षेत्रों, मौसमों और जलप्रवाह की गति के अनुसार सीमित रूप में ही किया जाता था। अब इसका प्रयोग एक अलग रूप में किया जाने लगा। भाप की शक्ति उच्च तापमानों पर दबाव पैदा करती थी, जिससे अनेक प्रकार की मशीनें चलाई जा सकती थीं। इसका अर्थ यह हुआ कि भाप की शक्ति ऊर्जा का अकेला ऐसा स्रोत था जो मशीनरी बनाने के लिए भी भरोसेमन्द और कम खर्चीला था। 18वीं शताब्दी में ब्रिटेन में भाप की शक्ति के क्षेत्र में निम्नलिखित परिवर्तन तथा आविष्कार हुए

(1) भाप के इंजन के मॉडल का आविष्कार-भाप की शक्ति का सर्वप्रथम उपयोग खनन उद्योगों में किया गया। खानों में अचानक पानी भर जाना भी एक जटिल समस्या थी। 1678 ई. में थॉमस सेवरी ने खानों से पानी बाहर निकालने के लिए 'माइनर्स फ्रेंड' (खनक-मित्र) नामक एक भाप के इंजन का मॉडल बनाया। यह इंजन छिछली गहराइयों में धीरे-धीरे कार्य करता था एवं अधिक दबाव हो जाने पर उसका बायलर फट भी सकता था।

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

(2) भाप के और इंजन का निर्माण- भाप का एक दूसरा इंजन 1712 ई. में थॉमस न्यूकॉमेन द्वारा बनाया गया। इसमें सबसे बड़ी कमी यह थी कि यह संघनन बेलन (कंडेन्सिंग सिलिंडर) के लगातार ठंडा होते रहने से इसकी ऊर्जा खत्म होती रहती थी।

(3) जेम्सवाट द्वारा भाप के इंजन का आविष्कार करना-भाप के इंजन का उपयोग 1769 ई. तक केवल कोयले की खानों में ही होता था, परन्तु जेम्सवाट ने इसका एक और प्रयोग खोज निकाला। जेम्सवाट ने एक ऐसी मशीन विकसित की जिससे भाप का इंजन केवल एक साधारण पम्प की अपेक्षा एक 'प्राइम मूवर' अर्थात प्रमुख चालक के रूप में काम देने लगा, जिससे कारखानों में शक्ति चालित मशीनों को ऊर्जा मिलने लगी।

(4) सोहो फाउण्डरी का निर्माण-एक धनी निर्माता मैथ्यू बॉल्टन की सहायता से जेम्स वॉट ने 1775 ई. में बर्मिंघम में 'सोहो फाउण्डरी' का निर्माण किया। 18वीं शताब्दी के अन्त तक जेम्सवाट के भाप इंजन ने द्रवचालित शक्ति का स्थान लेना प्रारम्भ कर दिया था।

(5) भाप के इंजन की तकनीकी का विकास-1800 ई. के बाद, अधिक हल्की और मजबूत धातुओं के उपयोग से अधिक सटीक मशीनों तथा औजारों के निर्माण से और वैज्ञानिक जानकारी के अधिक व्यापक प्रसार से, भाप के इंजन की प्रौद्योगिकी और अधिक विकसित हो गई। 1840 ई. में स्थिति यह थी कि ब्रिटेन में बने भाप के इंजन ही सम्पूर्ण यूरोप में आवश्यक ऊर्जा की 70 प्रतिशत से अधिक अश्व शक्ति का उत्पादन कर रहे थे।

प्रश्न 6. 
ब्रिटेन में नहरों व रेलों के विकास का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ब्रिटेन में नहरों का विकास-18वीं शताब्दी में ब्रिटेन में नहरों का पर्याप्त विकास हुआ। ब्रिटेन में 1760 ई. से 1790 ई. के बीच नहरें बनाने की नई 25 परियोजनाएँ तथा 1788 ई. से 1796 ई. के बीच 46 परियोजनाएं शुरू की गईं। ब्रिटेन में प्रारम्भ में नहरें कोयले को शहरों तक ले जाने के लिए बनाई गईं। इसका कारण यह था कि कोयले को उसके परिमाण और भार के कारण सड़क मार्ग से ले जाने में बहुत समय लगता था तथा उस पर बहुत अधिक धनराशि व्यय होती थी। वहीं दूसरी ओर कोयले को बजरों में भरकर नहरों के मार्ग से ले जाने में समय व धन दोनों ही कम लगते थे। नहरें प्रायः बड़े-बड़े ज़मींदारों द्वारा अपनी जमीनों पर स्थित खानों, खदानों या जंगलों का मूल्य बढ़ाने के लिए बनाई जाती थीं। नहरों के आपस में जुड़ जाने से नए-नए शहरों में बाजार बन गए और उनका विकास हुआ।

इंग्लैण्ड में बनाई गयी प्रथम नहर वर्सली कैनाल थी। इसका निर्माण 1781 ई. में जेम्स ब्रिडली द्वारा किया गया। इस नहर के निर्माण का केवल यही उद्देश्य था कि इसके द्वारा वर्सले के कोयला भण्डारों से शहर तक कोयला ले जाया जाए। इस नहर के बन जाने के बाद कोयले का मूल्य घटकर आधा हो गया। ब्रिटेन में रेलों का विकास-रेलवे के आविष्कार के साथ औद्योगीकरण की सम्पूर्ण क्रान्ति ने दूसरे चरण में प्रवेश कर लिया। 1801 ई. में रिचर्ड ट्रेविथिक ने एक इंजन का निर्माण किया जिसे 'पफिंग डेविल' यानी 'फुफकारने वाला दानव' कहते थे। यह इंजन ट्रकों को कॉर्नवाल में उस खान के चारों ओर खींचकर ले जाता था जहाँ रिचर्ड काम करता था। 1814 ई. में रेलवे के एक इंजीनियर जॉर्ज स्टीफेनसन ने एक रेल इंजन बनाया, जिसे 'ब्लचर' कहा जाता था। यह इंजन 30 टन भार 4 मील प्रति घण्टे की गति से एक पहाड़ी पर ले जा सकता था।

सर्वप्रथम 1825 ई. में स्टॉकटन और डार्लिंगटन शहरों के मध्य 9 मील लम्बा रेलमार्ग बनाया गया। इसके बाद 1830 ई. में लिवरपूल और मैनचेस्टर को आपस में रेलमार्ग द्वारा जोड़ दिया गया। अगले 20 वर्षों के दौरान रेल का 30 से 50 किमी प्रति घण्टे की रफ्तार से दौड़ना एक सामान्य बात हो गयी थी। 1830 से 1850 ई. के मध्य ब्रिटेन में रेल पथ कुल मिलाकर दो चरणों में लगभग 6000 मील लम्बा हो गया था -

  1. 1833-1837 ई. के मध्य 1400 मील लम्बी रेलवे लाइन बनाई गयी। इसे छोटा-रेलोन्माद कहा जाता है। 
  2. 844-1847 ई. के मध्य 9500 मील लम्बी रेल लाइन बनाने की मंजूरी दी गई। इसे 'बड़ा रेलोन्माद' कहा गया। 

इस सम्पूर्ण कार्य में कोयले और लोहे का भारी मात्रा में उपयोग किया गया। बड़ी संख्या में लोगों को काम पर लगाया गया और निर्माण तथा उद्योगों के क्रियाकलापों में तेजी लाई गयी। 1850 ई. तक इंग्लैण्ड के अधिकांश नगर व गाँव रेल मार्ग से जुड़ गए। ब्रिटेन में रेलवे के विकास के कारण यूरोप, उत्तरी अमेरिका और भारत से कच्चा माल बहुतायत में समुद्री मार्ग से लाकर उसे रेलवे के द्वारा ब्रिटेन के कारखानों तक आसानी से पहुँचाया जाने लगा। दूसरी तरफ इंग्लैण्ड के उद्योगों से तैयार माल भारत सहित विभिन्न ब्रिटिश बस्तियों और यूरोप के अन्य देशों को भेजा जाने लगा। फलस्वरूप ब्रिटेन में औद्योगिक विकास की दर बढ़ गई। अब ब्रिटेन दूर-दूर स्थित अपने उपनिवेशों को भी शीघ्रता से नियन्त्रित करने में सफल हुआ।

प्रश्न 7. 
ब्रिटेन में औद्योगीकरण का स्त्री कामगारों पर क्या प्रभाव पड़ा ? विस्तारपूर्वक बताइए।
उत्तर:
ब्रिटेन में औद्योगीकरण का स्त्री कामगारों पर प्रभाव-औद्योगिक क्रांति एक ऐसा समय था जब स्त्रियों के काम करने के तरीकों में महत्वपूर्ण परिवर्तन आये। गाँवों की स्त्रियाँ खेत में काम किया करती थीं और अपने पति के साथ प्रत्येक काम में सक्रिय भाग लेती थीं। वे पशुओं का पालन-पोषण करती थीं, लकड़ियाँ इकट्ठा करती थीं और अपने घरों में चरखे चलाकर सूत कातती थीं। कारखानों में काम करना इससे बिल्कुल भिन्न किस्म का होता था। वहाँ लगातार कई घण्टों तक एक ही प्रकार का कार्य कठोर अनुशासन में किया जाता था। ज्यों-ज्यों मशीनों का उपयोग बढ़ता गया। उद्योगपति पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों और बच्चों को अपने यहाँ काम पर लगाना अधिक पसंद करते थे क्योंकि एक तो उनकी मजदूरी कम होती थी और दूसरे वे अपने काम की घटिया परिस्थितियों के बारे में भी कम आक्रोशित होते थे।

1850 ई. के दशक में बटनों के निर्माण एवं व्यापार में काम करने वाले कुल मजदूरों में से दो-तिहाई स्त्रियाँ और बच्चे थे। पुरुषों को प्रति सप्ताह 25 शिलिंग मज़दूरी मिलती थी, जबकि उतने ही काम के लिए बच्चों को सिर्फ 1 शिलिंग और स्त्रियों को 7 शिलिंग मज़दूरी दी जाती थी। स्त्रियों और बच्चों को लंकाशायर और यार्कशायर नगरों के सूती कपड़ा उद्योग में बड़ी संख्या में काम पर लगाया जाता था। रेशम, फीते बनाने और बुनने के उद्योग-धन्धों तथा बर्मिंघम के धातु उद्योगों में स्त्रियों को ही अधिकांशतया नौकरी दी जाती थी।
स्त्रियों के कारखानों में काम करने की अपनी मजबूरी और विवशता थी, जिसके निम्न कारण थे

  1. वे अपनी कमाई से परिवार को चलाने में सहयोग करती थीं, क्योंकि केवल पुरुषों की कमाई से घर को चलाना उस काल में असम्भव था।
  2. कारखानों में काम करने के बाद मज़दूरी प्राप्त करके वे अपने आपको वित्तीय रूप से स्वतन्त्र अनुभव करती थीं। उनकी पुरुषों पर निर्भरता कम हो गई।
  3. काम करने की विवशता का एक कारण उनके आत्मसम्मान में वृद्धि था, क्योंकि प्रायः यह देखा जाता था कि परिवार में कमाने वाले व्यक्ति का चाहे वह पुरुष हो या स्त्री अलग ही सम्मान होता है और न कमाने वाले लोगों को कामचोर या फालतू माना जाता है।

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

प्रश्न 8. 
औद्योगीकरण के समय बच्चों को कारखानों में काम पर लगाना क्यों पसंद किया जाता था तथा इससे बच्चों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा? विस्तारपूर्वक बताइए।
उत्तर:
ग्रामीण गरीबों के बच्चों से घर या खेत में माता-पिता या सम्बन्धियों के निरीक्षण में काम कराया जाता था। जो समय, दिन और मौसम के अनुसार बदलता रहता था ताकि बच्चों पर काम का बोझ न पड़े। परिवार का खर्चा जब पुरुषों के वेतन से न चलने लगा तो बच्चों को भी कारखानों में काम करने को मजबूर होना पड़ा, जहाँ छोटी-सी गलती पर कठोर दण्ड भी दिया जाता था। उद्योगपति पुरुषों की अपेक्षा बच्चों को अपने यहाँ काम पर लगाना अधिक पसन्द करते थे क्योंकि एक तो उनकी मजदूरी अत्यन्त कम थी और दूसरे वे काम की घटिया परिस्थितियों में भी विरोध नहीं कर सकते थे क्योंकि बच्चे अज्ञानी होते थे। जहाँ पुरुषों को किसी काम का 25 शिलिंग मिलता था वहीं बच्चों को केवल एक शिलिंग ही मज़दूरी मिलती थी। 

बच्चों को काम पर लगाने की पसन्द होने का एक अन्य कारण कपास कातने की 'जैनी' जैसी मशीनों की बनावट थी जो इस तरह की बनाई गयी थी कि उनमें बच्चे ही अपनी फुर्तीली उँगलियों और उनकी कद-काठी के कारण आसानी से काम कर सकते थे। बच्चों को अक्सर कपड़ा मिलों में रखा जाता था क्योंकि वहाँ सटाकर रखी गयी मशीनों के बीच छोटे बच्चे आसानी से आ जा सकते थे। बच्चों से कई घण्टों तक काम लिया जाता था यहाँ तक कि उन्हें प्रत्येक रविवार को छुट्टी के दिन भी मशीनें साफ करने के लिए काम पर आना पड़ता था। इसके परिणामस्वरूप उनको ताजी हवा खाने का और व्यायाम करने का कभी भी मौका नहीं मिलता था। 

कई बार तो बच्चों के बाल मशीनों में फंस जाते थे या उनके हाथ कुचल जाते थे, यहाँ तक कि बच्चे काम करते-करते इतने थक जाते थे कि उन्हें नींद की झपकी आने पर वे मशीन में गिरकर मौत के आगोश में चले जाते थे। कपड़ा मिलों के अलावा बच्चों को कोयले की खानों, जो बहुत खतरनाक होती थीं, में भी काम पर रखा जाता था। कोयला खानों के मालिक कोयले के अंतिम छोरों को देखने के लिए बच्चों को भेजते थे, क्योंकि वहाँ सँकरे रास्तों में वयस्क नहीं जा सकते थे। छोटे बच्चों को कोयला खानों में 'ट्रैपर' एवं कोल बियरर्स के रूप में रखा जाता था। कारखानों के मालिक बच्चों से काम लेना बहुत जरूरी समझते थे, जिससे वे अभी से काम सीखकर बड़े होने पर उनके लिए अच्छा कार्य कर सकें।  ब्रिटेन के कारखानों के आँकड़े बताते हैं कि कारखानों के कुल श्रमिकों में से 50 प्रतिशत श्रमिक 10 वर्ष से छोटे, 28 प्रतिशत श्रमिक 14 वर्ष से कम उम्र के होते थे। इस प्रकार उपरोक्त वर्णित कारणों से मिल मालिक कपड़ा मिलों में बच्चों को काम पर लगाना पसंद करते थे। लेकिन इससे बच्चों का जीवन अत्यंत कष्टकारक हो गया था।

प्रश्न 9. 
18वीं व 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध मजदूरों के विरोध आन्दोलन का वर्णन कीजिए। क्या इनका ब्रिटिश सरकार पर कोई प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
18वीं व 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध मज़दूरों के विरोध आन्दोलन का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति-ब्रिटेन के कारखानों में कार्य करने की जटिल परिस्थितियों के विरुद्ध राजनीतिक विरोध लगातार बढ़ता जा रहा था। श्रमिक मताधिकार प्राप्त करने के लिए भी आंदोलन कर रहे थे। इसके प्रति सरकार ने दमनकारी नीति अपनायी और कानून बनाकर लोगों से विरोध प्रदर्शन का अधिकार छीन लिया। जुड़वाँ अधिनियम-1795 में ब्रिटेन की संसद ने दो जुड़वाँ अधिनियम पारित किए, जिसके अनुसार भाषण अथवा लेखन द्वारा सम्राट, संविधान या सरकार के विरुद्ध घृणा फैलाना अवैध घोषित कर दिया गया तथा 50 से अधिक लोगों द्वारा अनधिकृत रूप से सार्वजनिक बैठक करने पर रोक लगा दी गई।

परन्तु पुराने भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन चलता रहा। 'पुराना भ्रष्टाचार' शब्द का प्रयोग राजतंत्र और संसद के सम्बन्ध में किया जाता था। संसद के सदस्य जिनमें भू-स्वामी, उत्पादक और व्यवसायी लोग शामिल थे, श्रमिकों को वोट का अधिकार दिए जाने के खिलाफ़ थे। उन्होंने अनाज के कानून (कार्न लॉज) का समर्थन किया। इस कानून के अन्तर्गत विदेश से सस्ते अनाज के आयात पर तब तक  रोक लगा दी गई थी जब तक कि ब्रिटेन में इन अनाजों की कीमत में निश्चित स्तर तक वृद्धि न हो जाए।

ब्रैड के लिए दंगे-जैसे-जैसे ब्रिटेन के कारखानों में मजदूरों की संख्या बढ़ने लगी तो उनके भोजन के लिए भी समस्या बढ़ने लगी। इस काल में गरीबों का मुख्य भोजन ब्रैड ही था और इसके मूल्य पर ही उनके रहन-सहन का स्तर निर्भर करता था। जैसे ही ब्रैड की कीमतें बढ़ना प्रारम्भ हुईं मजदूरों का विरोध बढ़ता गया। उन्होंने आन्दोलन प्रारम्भ कर ब्रैड के भण्डारों पर अधिकार कर लिया तथा उन्हें मुनाफाखोरों द्वारा निर्धारित ऊँची कीमतों से काफी कम मूल्य में बेचना शुरू कर किया। यह कीमत सामान्य व्यक्ति के लिए उचित थी और नैतिक दृष्टि से भी सही थी।

ऐसे दंगे, विशेषकर 1795 ई. में इंग्लैण्ड तथा फ्रांस के बीच चलने वाले युद्ध के दौरान बार-बार हुए परन्तु वे 1840 के दशक तक जारी रहे। चकबंदी या बाड़ा पद्धति के विरुद्ध मजदूरों का आन्दोलन-ब्रिटेन के लोगों में चकबन्दी या बाड़ा-पद्धति के विरुद्ध भी बहुत अधिक असन्तोष था। इस पद्धति के अन्तर्गत 1770 ई. के दशक से छोटे-छोटे सैकड़ों खेत शक्तिशाली जमींदारों के बड़े फार्मों में मिला दिए गए। इस पद्धति से कई गरीब परिवार जैसे खेतिहर किसान, पशुपालक व चरवाहे बेरोजगार होने लगे और वे बुरी तरह प्रभावित हुए। उन्होंने उद्योगों में काम देने की मांग की।

बुनकरों द्वारा हड़ताल-वस्त्र उद्योग में मशीनों के आने के कारण हजारों की संख्या में हथकरघा बुनकर बेरोजगार हो गए। वे गरीबी में जीवन व्यतीत कर रहे थे क्योंकि वे मशीनों का मुकाबला नहीं कर सकते थे। 1790 ई. के दशक से बुनकर लोग अपने लिए न्यूनतम वैध मजदूरी की मांग करने लगे। परन्तु जब ब्रिटेन की संसद ने उनकी माँग को अस्वीकार कर दिया, तो वे हड़ताल पर चले गए। परन्तु सरकार ने दमनकारी नीति अपनाते हुए आन्दोलनकारियों को तितर-बितर कर दिया। इससे क्रुद्ध होकर सूती कपड़े के बुनकरों ने लंकाशायर में पावरलूमों को नष्ट कर दिया। इसका कारण यह था कि वे अपना रोजगार छिन जाने के लिए इन विद्युत के करघों को ही उत्तरदायी मानते थे। 

नोटिंघम में ऊनी वस्त्र उद्योग में भी मशीनों के प्रयोग का प्रतिरोध किया गया। इसी प्रकार लैसेस्टरशायर तथा डर्बीशायर में भी मजदूरों ने विरोध-प्रदर्शन किए। यार्कशायर में विरोध प्रदर्शन-यार्कशायर में ऊन कातने वालों ने शीयरिंग फ्रेम (ऊन कातने के ढाँचों) को नष्ट कर दिया। ये लोग अपने हाथों से भेड़ों के बालों की कटाई करते थे। 1830 ई. के दंगों में फार्मों में काम करने वाले श्रमिकों को भी अपना धंधा चौपट होता दिखाई दिया, क्योंकि भूसी से दाना अलग करने के लिए नयी थ्रेशिंग मशीन का प्रयोग शुरू हो गया था। दंगाइयों ने इन मशीनों को तोड़ डाला। परिणामस्वरूप नौ दंगाइयों को फाँसी का दंड दिया गया और 450 लोगों को कैदियों के रूप में आस्ट्रेलिया भेज दिया गया। लुडिज्म आन्दोलन-ब्रिटेन में जनरल नेड लूड के नेतृत्व में लुडिज्म नामक आन्दोलन चलाया गया। लुडिज्म के अनुयायियों की माँगें निम्नलिखित थीं -
(अ) न्यूनतम मजदूरी प्रदान की जाए
(ब) मशीनों के आविष्कार व प्रचलन से बेरोजगार हुए लोगों को काम दिया जाए। 
(स) कानूनी रूप से अपनी माँगें प्रस्तुत करने के लिए उन्हें मज़दूर संघ (ट्रेड यूनियन) बनाने का अधिकार दिया जाए। 
(द) महिला व बाल-श्रम पर नियन्त्रण स्थापित किया जाए। 

सेंट पीटर्स के मैदान में प्रदर्शन-औद्योगीकरण के प्रारम्भिक चरण में श्रमिकों के पास अपना क्रोध व्यक्त करने के लिए वोट देने का अधिकार था फलस्वरूप अगस्त 1819 ई. में 80,000 श्रमिक अपने लिए लोकतांत्रिक अधिकारों, जैसे-राजनीतिक संगठन बनाने, सार्वजनिक सभाएँ करने और प्रेस की स्वतंत्रता के अधिकारों की माँग करने हेतु मैनचेस्टर में सेंट पीटर्स मैदान में शान्तिपूर्वक इकट्ठे हुए। लेकिन सरकार ने उनका कठोरतापूर्वक दमन कर दिया। इसे पीटरलू नरसंहार कहा जाता है। ब्रिटेन की सरकार पर मजदूरों के विरोध का प्रभाव-ब्रिटेन की सरकार पर मजदूरों के विरोध आन्दोलन का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा, पीटरलू नरसंहार के बाद उदारवादी राजनीतिक दलों द्वारा ब्रिटिश संसद के निचले सदन 'हाउस ऑफ कॉमन्स' में प्रतिनिधित्व बढ़ाए जाने की आवश्यकता अनुभव की गई। 1824-25 ई. में जुड़वाँ अधिनियम को भी रद्द कर दिया गया।

प्रश्न 10. 
ब्रिटेन की सरकार ने उद्योगों में कार्य करने वाले मजदूरों की दशा सुधारने के लिए क्या-क्या कानूनी प्रयास किए? विस्तार से बताइए।
उत्तर:
ब्रिटेन की सरकार ने उद्योगों में कार्य करने वाले मजदूरों की दशा सुधारने के लिए निम्नलिखित कानूनों का निर्माण किया
(1) 1819 का कानून:
1819 ई. में ब्रिटेन की सरकार ने मजदूरों की दशा सुधारने के लिए एक कानून बनाया, जिसके अन्तर्गत नौ वर्ष से कम आयु वाले बच्चों से कारखानों में काम करवाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। नौ से सोलह वर्ष की आयु वाले बच्चों से काम कराने की सीमा 12 घण्टे तक सीमित कर दी गई परन्तु इस कानून में प्रमुख दोष यह था कि इस कानून का पालन कराने के लिए आवश्यक अधिकारों की व्यवस्था नहीं की गई। फलस्वरूप इस कानून का उत्तरी इंग्लैण्ड के मजदूरों ने विरोध किया।

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

(2) 1833 का अधिनियम:
ब्रिटेन की सरकार ने मजदूरों की दशा सुधारने के लिए 1833 में एक कानून बनाया। जिसके अन्तर्गत नौ वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को केवल रेशम के कारखानों में काम करने की अनुमति दी गई। बड़े बच्चों के लिए काम के घण्टे सीमित कर दिए गए और कुछ कारखाना निरीक्षकों की व्यवस्था की गई ताकि अधिनियम के प्रावधानों का उचित प्रकार से पालन कराया जा सके।

(3) 1847 का दस घण्टा विधेयक:
1847 ई. में ब्रिटेन की संसद ने एक दस घण्टा विधेयक पारित किया। इस कानून के अन्तर्गत पुरुष और स्त्रियों के लिए काम के घण्टे सीमित कर दिए गए। पुरुष श्रमिकों के लिए 10 घंटे का दिन निश्चित कर दिया गया। ये अधिनियम कपड़ा उद्योगों पर ही लागू होते थे, खनन उद्योगों पर नहीं। सरकार द्वारा स्थापित. 1842 के खान आयोग ने यह बताया कि 1833 ई. का अधिनियम लागू होने से खानों में काम करने की परिस्थितियाँ और अधिक खराब हो गई हैं। इससे बच्चों को पहले से कहीं अधिक संख्या में कोयला खानों में काम पर लगाया जाने लगा था।

(4) 1842 का खान व कोयला खान अधिनियम:
इस कानून के अन्तर्गत 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों और स्त्रियों से खानों में नीचे काम लेने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।

(5) 1847 का फील्डर्स फैक्ट्री अधिनियम:
इस अधिनियम के अन्तर्गत यह कानून बना दिया गया कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों और स्त्रियों से 10 घण्टे प्रतिदिन से अधिक कार्य न कराया जाये।

प्रश्न 11. 
औद्योगिक क्रांति के सकारात्मक परिणामों को बताइए। 
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति के सकारात्मक परिणाम-औद्योगिक क्रांति के सकारात्मक परिणाम निम्नलिखित थे -
(1) न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति-औद्योगिक क्रांति से पूर्व इंग्लैण्ड में प्राकृतिक संसाधनों का कोई अभाव नहीं था। इंग्लैण्ड इस मामले में सौभाग्यशाली था कि यहाँ लोहा, कोयला, ताँबा, सीसा, राँगा (टिन) प्रचुर मात्रा में पाये जाते थे परन्तु फिर भी मानव के प्रयोग के लिए चीजों का अभाव था। औद्योगिक क्रांति के बाद वहाँ भोजन, कपड़ा और मकान जैसी आवश्यक वस्तुओं का अभाव समाप्त हो गया तथा लोगों की आवश्यकताएँ काफ़ी हद तक पूरी हो गईं।

(2) नयी-नयी मशीनों का आविष्कार-औद्योगिक क्रान्ति से नयी-नयी मशीनों का आविष्कार हुआ। अतः उत्पादन में अधिक से अधिक मशीनों का प्रयोग करने से मानव को नीरस और थका देने वाले काम से मुक्ति मिल गयी तथा उत्पादन में भी वृद्धि हुई।

(3) यातायात तथा संचार क्षेत्र में विकास-औद्योगिक क्रांति से यातायात और संचार के साधनों के लिए नए-नए आविष्कार हुए तथा पुराने साधनों में सुधार किया गया। जैसे स्टीफेनसन ने भाप का इन्जन बनाया। लकड़ी की लाइनों के स्थान पर लोहे की लाइनें बिछाई गयीं। कुछ समय बाद भाप के इंजन के स्थान पर डीजल से चलने वाले इंजन आ गए जो अब विद्युत इंजनों के रूप में देखे जा सकते हैं। परिवहन के तीव्रगामी साधनों से समय और दूरी पर मानव ने विजय प्राप्त कर ली तथा सम्पूर्ण विश्व एक बड़े बाजार के रूप में परिवर्तित हो गया है।

(4) सुखी जीवन हेतु वस्तुओं का निर्माण-औद्योगिक क्रांति के कारण मानव के सुख और आराम की अनेक वस्तुओं का निर्माण होने लगा। अब ये वस्तुएँ बड़ी मात्रा में और कम कीमतों पर उपलब्ध होने लगी थीं, जिससे साधारण व्यक्ति भी इनका उपयोग करने में सक्षम हो गये।

(5) कारखानों की संख्या-औद्योगिक क्रांति का एक अच्छा परिणाम यह हुआ कि इससे कारखानों की संख्या में वृद्धि होने लगी और उनके लिए कच्चे माल की माँग बढ़ गई। फलस्वरूप माँग की पूर्ति के लिए कृषि में भी क्रांतिकारी सुधार किए गए।

(6) उत्पादन में वृद्धि-औद्योगिक क्रांति के अन्तर्गत मशीनों के प्रयोग से उत्पादन अधिक होने लगा। अब कामगारों के पास अतिरिक्त समय बचने लगा, जिसका उपयोग उन्होंने मनोरंजन के खेलों, सिनेमा और परिवार के साथ करना प्रारम्भ कर दिया। साथ ही खाली समय में शिक्षा, साहित्य, कला आदि विभिन्न प्रकार के कार्यों को करना भी शुरू कर दिया।

(7) बैंकिंग सेवाओं का विकास-औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप बैंकों का विकास हुआ। राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के बाजारों का विकास होने लगा। आयात-निर्यात के व्यापार में वृद्धि हुई, जिससे देशों में आपसी निर्भरता बढ़ गई। अब लोग एक-दूसरे को तथा उनकी सभ्यताओं और संस्कृतियों को समझने लगे।

(8) राजनीतिक शक्ति में वृद्धि-इस क्रांति के कारण इंग्लैण्ड विश्व का अग्रणी देश बन गया। उसका व्यापार इतना बढ़ गया कि उसके धन की अपार वृद्धि हुई और उसने विश्व में अपनी राजनीतिक शक्ति को इतना बढ़ा दिया कि भारत सहित सैकड़ों उपनिवेश बनाकर उसने अपना विशाल साम्राज्य स्थापित कर लिया।
निष्कर्ष-ब्रिटेन पर औद्योगिक क्रान्ति के बहुत अधिक सकारात्मक प्रभाव पड़े। इन प्रभावों से सम्पूर्ण विश्व भी अछूता नहीं रहा।

प्रश्न 12. 
औद्योगिक क्रांति के नकारात्मक परिणामों का वर्णन कीजिए।' 
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति के नकारात्मक परिणाम-औद्योगिक क्रांति के नकारात्मक परिणाम निम्नलिखित थे
(1) रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन-औद्योगिक क्रांति के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से लाखों लोग रोजगार की तलाश में शहरों की ओर आने लगे। गाँवों में छोटे-छोटे किसानों की भूमि और सार्वजनिक जमीनों पर बड़े भू-स्वामियों ने कब्जा कर लिया था और भूमिहीन किसानों तथा पशुपालकों को चारागाहों की कमी झेलनी पड़ी। फलतः वह रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर गये। 

(2) शहरी जनसंख्या में वृद्धि-रोजगार की तलाश में गाँव से लोगों के शहरों की ओर जाने से शहरों में भीड़ इतनी अधिक होने लगी कि लोगों को मूलभूत आवश्यकताओं की वस्तुओं को प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। आवास, स्वास्थ्य एवं सफाई, स्वच्छ पेयजल आदि की समस्याएँ बहुत जटिल हो गयीं। कारखानों के कारण प्रदूषण फैलने लगा तथा वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण के कारण अनेक संक्रामक बीमारियों ने महामारियों का रूप धारण कर लिया, जिनमें हजारों लोगों की जान चली गईं।

(3) श्रमिकों के शोषण में वृद्धि-कारखानों के मालिकों ने पुरुषों के स्थान पर स्त्रियों और बच्चों को काम पर रखना शुरू कर दिया क्योंकि उनकी मजदूरी पुरुषों की तुलना में बहुत कम थी और वे मालिकों के शोषण एवं काम करने की अमानवीय स्थितियों का भी विरोध नहीं करते थे। अतः स्त्रियों और बच्चों का शोषण होने लगा। बच्चों को तो रविवार को भी मशीनों की सफाई करने के लिए काम पर आना पड़ता था। फलतः उन्हें खुली हवा, व्यायाम और मनोरंजन का बिल्कुल भी समय नहीं मिलता था। कभी-कभी तो बच्चे थककर मशीनों में काम करते हुए सो जाते थे, जिससे उनके बाल मशीनों में चले जाते थे, हाथ मशीन में पिस जाते थे या कभी-कभी गिरकर उनकी मौत हो जाती थी।

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

(4) सामाजिक वर्गों का निर्माण-औद्योगिक क्रान्ति के कारण समाज दो वर्गों में बँट गया-एक कारखानों के मालिक और दूसरे मजदूर वर्ग। उस समय अमीर और गरीब की खाई और गहरी हो गई थी-एक अभिजात वर्ग और दूसरा सर्वहारा वर्ग। उद्योगपति दिन-प्रतिदिन अमीर एवं धनाढ्य होते चले गये और मजदूर और अधिक निर्धन हो गये। इस प्रकार औद्योगिक क्रान्ति के कारण सामाजिक विषमताएँ बढ़ती गईं और मालिक तथा मजदूर के मध्य सदैव चलने वाले संघर्ष का उदय हुआ।

(5) साम्राज्यवाद व उपनिवेशवाद को बढ़ावा-औद्योगिक क्रांति ने साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद को बढ़ावा दिया। विश्व में तनाव एवं अशान्ति बढ़ गई और मानवता को प्रथम एवं द्वितीय विश्वयुद्ध का सामना करना पड़ा, जिसमें बहुत बड़ी जन एवं धन की क्षति हुई।

(6) घरेलू व कुटीर उद्योगों का नष्ट होना-औद्योगिक क्रांति के कारण घरेलू एवं कुटीर उद्योग नष्ट हो गये। बड़े-बड़े कारखानों में तैयार माल अधिक सस्ता और टिकाऊ होता था। इसलिए घरेलू-कुटीर उद्योग उनका सामना न कर सके और समाप्त हो गये।

(7) बेरोजगारी में वृद्धि-औद्योगिक क्रांति के कारण मशीनों का आविष्कार होने से अनेक मजदूरों का काम अकेली एक मशीन करने लगी जिसके कारण बहुत से मजदूर बेकार हो गये। अब वे रोजगार की तलाश में दर-दर भटकने लगे।

(8) प्रदूषण एवं महामारियों का प्रकोप-औद्योगिक क्षेत्रों में मजदूरों के गन्दे वातावरण, दूषित पर्यावरण, अशुद्ध पेयजल, गन्दी बस्तियों में रहने के कारण अनेक महामारियाँ; जैसे-चेचक, हैज़ा, क्षयरोग फैलने लगीं। 1832 में हैज़े के भीषण प्रकोप से 31,000 से अधिक लोगों का मरना इसका एक उदाहरण है। 

(9) मजदूरों के जीवन की औसत अवधि में कमी-वेतनभोगी मजदूरों के जीवन की औसत अवधि शहरों में रहने वाले उच्च सामाजिक वर्गों की तुलना में बहुत कम हो गई। 1842 के सर्वेक्षण के अनुसार, बर्मिंघम में यह 15 वर्ष, मैनचेस्टर में 17 वर्ष तथा डर्बी में 21 वर्ष थी। 19वीं शताब्दी के अन्तिम दशकों में नगर-प्राधिकारी जीवन की इन भयंकर परिस्थितियों की ओर कोई ध्यान नहीं देते थे। मजदूरों के स्वास्थ्य की देखभाल करने और बीमारियों का उपचार करने के सम्बन्ध में चिकित्सकों या अधिकारियों को कोई जानकारी नहीं थी।

(10) अनेक सामाजिक बुराइयों का जन्म-औद्योगिक क्रांति के कारण भोग-विलास की वस्तुओं का बड़ी मात्रा में उत्पादन होने लगा। लोग सुन्दर चमकीले वस्त्र पहनने लगे। सौन्दर्य प्रसाधनों; जैसे-साबुन, क्रीम, पाउडर आदि का प्रयोग बहुत बढ़ गया। धन की अधिकता के कारण धनी लोगों का नैतिक पतन हो गया। धन के प्रति लालच बढ़ गया। लोग भोग-विलासी हो गये। शराब आदि नशे की वस्तुओं का सेवन करने लगे और जुए जैसी बुराई का जन्म हो गया। फलस्वरूप सम्पन्न परिवारों में वासना एवं व्यभिचार बढ़ गया। अतः समाज में अनेक बुराइयों का उद्भव होने लगा।

(11) भविष्य के युद्धों के लिए मार्ग प्रशस्त-औद्योगिक क्रांति के कारण अब कच्चे माल की आवश्यकता व तैयार माल को बेचने के लिए अपने देश के बाहर के बाजारों की आवश्यकता पड़ी, जिससे उपनिवेशवाद को बढ़ावा मिला। इससे भविष्य के युद्धों के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ। इंग्लैण्ड तथा फ्रांस के बीच अनेक युद्ध इसी कारण हुए थे।

प्रश्न 13. 
1780 ई. के दशक से 1820 ई. के दशक के मध्य ब्रिटेन में हुए औद्योगिक विकास को औद्योगिक क्रांति कहना कहाँ तक तर्कसंगत है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
1780 ई. के दशक से 1820 के दशक के मध्य ब्रिटेन में हुए औद्योगिक विकास को औद्योगिक क्रांति की संज्ञा देना तर्कसंगत नहीं है क्योंकि कुछ विद्वानों का यह मत था कि ब्रिटेन में औद्योगीकरण की क्रिया इतनी मंद गति से होती रही कि इसे क्रांति की संज्ञा देना उचित प्रतीत नहीं होता है। यद्यपि इस क्रांति के परिणामस्वरूप कारखानों में मजदूरों की संख्या अवश्य ही बहुत अधिक बढ़ गई एवं धन का प्रयोग पहले से अधिक व्यापक रूप से होने लगा। इस सम्बन्ध में विद्वानों ने निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किए हैं -
(1) खानों तथा कारखानों का अभाव-19वीं शताब्दी प्रारम्भ होने के एक लम्बे समय पश्चात् तक भी इंग्लैण्ड के बड़े-बड़े क्षेत्रों में कोई भी खान या कारखाने नहीं थे। इंग्लैण्ड में औद्योगिक विकास मुख्य रूप से लंदन, मैनचेस्टर, बर्मिंघम व न्यूकैसल आदि नगरों के आस-पास ही हुआ था परन्तु यह परिवर्तन सम्पूर्ण देश में नहीं हुआ। इसलिए इसे
औद्योगिक क्रांति शब्द की संज्ञा देना उपयुक्त नहीं है। 

(2) लौह एवं कपास उद्योगों में हुए विकासों को क्रांतिकारी कहना अनुचित-कुछ विद्वानों का मत है कि 1780 ई. के दशक तक लौह व कपास उद्योग में हुए विकास को क्रांतिकारी कहना अनुचित है। सूती वस्त्र उद्योग में नई मशीनों के कारण जो उल्लेखनीय विकास हुआ, वह एक ऐसे कच्चे माल पर आधारित था जो इंग्लैण्ड में बाहर से आयात किया जाता था। यह कच्चा माल कपास था, इसी प्रकार तैयार माल भी दूसरे देशों को विशेषकर भारत को निर्यात किया जाता था। धातु से निर्मित मशीनें तथा भाप की शक्ति तो उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक दुर्लभ रहीं। ब्रिटेन के आयात और निर्यात में 1780 ई. के दशक से जो तीव्र गति से बढ़ोत्तरी हुई उसका कारण यह था कि अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के कारण उत्तरी अमेरिका के साथ व्यापार में जो रुकावट आ गयी थी, अब वह व्यापार पुनः प्रारम्भ हो गया।

(3) 1815-20 ई. के पश्चात औद्योगीकरण का दिखाई देना-1780 ई. के दशक से 1820 ई. के दशक के बीच औद्योगिक विकास को औद्योगिक क्रांति की संज्ञा देना तर्कसंगत नहीं मानने वाले विद्वानों का मत था कि ब्रिटेन में सतत् औद्योगीकरण 1815-20 ई. से पहले की बजाय बाद में दिखाई दिया था। 1820 ई. के पश्चात् लाभदायक निवेश का स्तर धीरे-धीरे बढ़ने लगा, 1840 के दशक तक कपास, लोहा और इन्जीनियरिंग उद्योगों में आधे से भी कम औद्योगिक उत्पादन होता था। तकनीकी उन्नति केवल इन्हीं उद्योगों में ही नहीं हुई बल्कि वह कृषि उपकरणों एवं मिट्टी के बर्तन बनाने जैसे अन्य उद्योग-धन्धों में भी देखी जा सकती थी।

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

मानचित्र सम्बन्धी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. 
विश्व के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए

  1. वह देश जहाँ सर्वप्रथम औद्योगिक क्रांति हुई
  2. लंदन
  3. औद्योगिक क्रांति शब्द का प्रयोग करने वाले विद्वान एवं उनसे सम्बन्धित देश।

उत्तर:
(1) ब्रिटेन
(3) जार्जिस मिशले (फ्रांस) तथा फ्रॉइड्रिक एंजेल्स (जर्मनी)

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?

प्रश्न 2. 
ब्रिटेन के रेखा मानचित्र में लौह और कोयला उत्पादन क्षेत्रों को दर्शाइए।
उत्तर

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?

प्रश्न 3. 
सूती वस्त्र उत्पादन से सम्बन्धित निम्नलिखित नगरों एवं स्थानों को दिये गये मानचित्र पर दर्शाइए -
(क) लंदन
(ख) न्यूकैसल
(ग) मैनचेस्टर
(घ) लिसेस्टर
(ङ) ग्लॉसगो
(च) बर्मिंघम। 
उत्तर:

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?


विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. 
कृषि क्रांति सर्वप्रथम किस देश में हुई ?
(क) इंग्लैण्ड
(ख) फ्रांस 
(ग) स्पेन
(घ) जर्मनी। 
उत्तर:
(क) इंग्लैण्ड

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

प्रश्न 2. 
औद्योगिक क्रांति का प्रारम्भ कहाँ से हुआ ?
(क) फ्रांस
(ख) ग्रेट-ब्रिटेन 
(ग) इटली 
(घ) जर्मनी। 
उत्तर:
(ख) ग्रेट-ब्रिटेन 

प्रश्न 3. 
1787 ई. में पावरलूम का आविष्कार किसने किया था ?
(क) ऐली ह्वीटली ने 
(ख) एडमंड कार्टराइट ने 
(ग) हरग्रीव्ज़ ने 
(घ) क्रॉम्पटन ने। 
उत्तर:
(ख) एडमंड कार्टराइट ने 

प्रश्न 4. 
औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप प्रादुर्भाव हुआ
(क) पूँजीवाद का 
(ख) आधुनिक युग का 
(ग) फासिज्म का 
(घ) नागरिक क्रान्ति का। 
उत्तर:
(ख) आधुनिक युग का 

प्रश्न 5. 
औद्योगिक क्रांति का प्रारम्भ किस उद्योग-धन्धे से हुआ- 
(क) ऊनी वस्त्र उद्योग 
(ख) यातायात 
(ग) लोहा उद्योग 
(घ) सूती वस्त्र उद्योग। 
उत्तर:
(घ) सूती वस्त्र उद्योग। 

प्रश्न 6. 
औद्योगिक क्रांति की शुरुआत यूरोप के किस देश में सबसे पहले हुई ?
(क) फ्रांस
(ख) जर्मनी
(ग) इटली 
(घ) इंग्लैण्ड। 
उत्तर:
(घ) इंग्लैण्ड। 

प्रश्न 7. 
इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति ने संक्रमण के चरमोत्कर्ष को निरूपित किया
(क) पूँजीवाद से समाजवाद की ओर
(ख) सामंतवाद से पूँजीवाद की ओर 
(ग) दासता से सामंतवाद की ओर
(घ) समाजवाद से बाजार समाजवाद की ओर। 
उत्तर:
(ख) सामंतवाद से पूँजीवाद की ओर 

प्रश्न 8. 
यूरोप में औद्योगिक क्रांति का आविर्भाव मुख्यत:
1. उत्पाद प्रक्रमों के देहातों में स्थापन के कारण हुआ। 
2. गैर कृषि उत्पादन के एक छत (कारखाना) के अंदर आने की वजह से गिल्डों की गिरावट के कारण हुआ। 
3. उत्पादन प्रक्रम में व्यापारी-पूँजीवादियों की बढ़ती भूमिका के कारण हुआ।
(क) 1, 2, व 3 
(ख) 2 व 3 
(ग) 1 व 3 
(घ) केवल 2. 
उत्तर:
(ख) 2 व 3 

प्रश्न 9. 
1750 ई. में किस देश में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई-
(क) जर्मनी
(ख) फ्रांस 
(ग) इंग्लैण्ड 
(घ) इटली।। 
उत्तर:
(ग) इंग्लैण्ड 

प्रश्न 10. 
स्पिनिंग जैनी का आविष्कार किसने किया
(क) जेम्स प्रिसेंप 
(ख) जेम्सवाट 
(ग) सैम्यूअल क्रॉम्पटन 
(घ) जेम्स हरग्रीब्ज़ 
उत्तर:
(घ) जेम्स हरग्रीब्ज़ 

प्रश्न 11. 
किस आन्दोलन में स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा का नारा दिया गया था
(क) रसियन आन्दोलन
(ख) अमेरिकन आन्दोलन 
(ग) इटालियन आन्दोलन
(घ) फ्रेंच आन्दोलन। 
उत्तर:
(घ) फ्रेंच आन्दोलन। 

प्रश्न 12. 
स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा के नारे का सम्बन्ध किस देश की क्रांति से है
(क) रूस
(ख) अमेरिका 
(ग) इंग्लैण्ड 
(घ) फ्रांस।। 
उत्तर:
(घ) फ्रांस।। 

प्रश्न 13. 
निम्नलिखित में से कौन-से संकेत शब्द फ्रांसीसी क्रांति से सम्बन्धित हैं-
(क) अधिकार, समानता और न्याय ।
(ख) स्वाधीनता, समानता और न्याय 
(ग) अधिकार, स्वाधीनता और समानता 
(घ) स्वाधीनता, समानता और बन्धुत्व।
उत्तर:
(घ) स्वाधीनता, समानता और बन्धुत्व।

नहर और रेलवे के सापेक्षिक लाभों को वर्णित कीजिए औद्योगिक क्रान्ति की शुरूआत सर्वप्रथम ब्रिटेन में क्यों हुई? - nahar aur relave ke saapekshik laabhon ko varnit keejie audyogik kraanti kee shurooaat sarvapratham briten mein kyon huee?
 

प्रश्न 14. 
फ्रांसीसी क्रांति का नारा था
(क) प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं
(ख) स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्वता 
(ग) इंकलाब जिन्दाबाद
(घ) सारे मजदूर एक हो जाओ। 
उत्तर:
(ख) स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्वता 

प्रश्न 15. 
वाटरलू कहाँ स्थित है ?
(क) स्पेन
(ख) बेल्जियम 
(ग) फ्रांस 
(घ) इंग्लैण्ड। 
उत्तर:
(ख) बेल्जियम