नागार्जुन का जीवन परिचय नागार्जुन का जीवन परिचय एवं रचनाएं Nagarjun ka jeevan parichay nagarjun ka jeevan parichay hindi Biography of nagarjun कविता
नागार्जुन का जीवन परिचय एवं रचनाएं
नागार्जुन का जीवन परिचय नागार्जुन का जीवन परिचय एवं रचनाएं Nagarjun ka jeevan parichay nagarjun ka jeevan parichay hindi Biography of nagarjun बाबा वैद्यनाथ मिश्र नागार्जुन जी की कविताएं - आधुनिक हिन्दी साहित्य के सशक्त कवि,कहानीकार,उपन्यासकार एवं निबंध लेखक बैद्यनाथ मिश्र "यात्री" जी का जन्म सन १९११ में अपने ननिहाल में बिहार के सतलखा नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता तरौनी गाँव के रहने वाले थे जोकि दरभंगा (बिहार) में है। काशी के संस्कृत विद्यालय से व्याकरण का अध्ययन करने के बाद इन्होने कलकत्ता में साहित्याचार्य तक संस्कृत का अध्ययन किया। श्रीलंका में रहते हुए इन्होने पाली भाषा तथा बौद्ध -दर्शन का अध्ययन किया। यायावर स्वभाव तथा मनमौजीपन नागार्जुन के व्यक्तित्व की विशेषता है। लंका में नागार्जुन जी सन १९३६ से १९३८ तक दो बर्ष रहे।
नागार्जुन ने सम्पूर्ण भारत का अनेक बार भ्रमण किया था। नागार्जुन जी ने मैथिली और हिन्दी में रचनायें लिखी है । वे अपनी मातृभाषा मैथिली में "
यात्री" के उपनाम से लिखते थे। बंगला और संस्कृत में भी आप ने कविताये लिखी है। सन १९३५ में हिन्दी -मासिक "दीपक" का संपादन किया था। सन १९४२-४३ में विश्व बंधू (साप्ताहिक )का संपादन किया। नागार्जुन राजनितिक गतिविधियो से भी निरंतर जुड़े रहे थे। इस सिलसिले में उन्हें अनेक बार जेल भी जाना पड़ा था।
प्रगतिशील चेतना के कलाकार
नागार्जुन प्रगतिशील चेतना के कलाकार थे,इसलिए उनकी कविता में उनका युग अपनी सम्पूर्णता से ध्वनित हुआ
है। नागार्जुन की कविता के विषय में सुप्रसिद्ध आलोचक रामविलास शर्मा ने लिखा है - "
जहा मौत नही है ,बुढापा नही है ,जनता के असंतोष और राज्य सभाई जीवन का संतुलन नही है ,वह कविता है नागार्जुन की । ढाई पसली के घुमन्तु जीव ,दमे के मरीज ,गृहस्थी का भार-फिर भी क्या ताकत है । और कवियों में जहा छायावादी कल्पनशीलता प्रबल हुई है ,नागार्जुन की छाया वादी काव्य-शैली कभी की ख़त्म हो चुकी है । अन्य कवियों में जहा रहस्यवाद और यथार्थवाद को लेकर द्वंद है ,नागार्जुन का व्यंग और पैना हुआ है ,क्रांतिकारी आस्था और अडिग हुई है,उनके यथार्थ -चित्रण में अधिक विविधता और प्रौढ़ता आई है । उनकी कविताये लोक संस्कृति के इतना नजदीक है कि उसी का एक विकसित रूप मालुम होती है किंतु वे लोकगीत से भिन्न है ,सबसे पहले अपनी भाषा खड़ी बोली के कारण, उसके बाद अपनी प्रखर राजनीतिक चेतना के कारण,और अंत में बोल-चाल की भाषा की गति और लय को आधार मानकर नए-नए प्रयोगों के कारण। हिन्दी भाषा ....किसान और मजदूर जिस तरह की भाषा समझते और बोलते है ,उसका निखरा हुआ काव्यमय रूप नागार्जुन के यहाँ है । "
नागार्जुन की कविता सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हुई कविता है । वे धरती, जनता और श्रम के गीत गाने वाले कलाकार है :
नागार्जुन कौन से वाद के कवि हैं?
परिचय नागार्जुन जी ( 30 जून, 1911 - 5 नवंबर, 1998) प्रगतिवादी विचारधारा के लेखक और कवि हैं।
क्या नागार्जुन छायावादी कवि है?
नागार्जुन हिन्दी और मैथिली दोनों भाषाओं में कविता लिखते थे। उन्हें मैथिली का साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला था। आधुनिक काल में छायावाद के बाद अत्यंत सशक्त साहित्यांदोलन प्रगतिवाद है।
कवि नागार्जुन ने मैथिली भाषा में कौन सी कविता लिखी थी?
नागार्जुन ने मैथिली भाषा में 'यात्री' नाम से लेखन किया है।
नागार्जुन की काव्य रचना कौन सी है?
रचनाएँ- युगधारा, प्यासी-पथराई आँखें, सतरंगे पंखोंवाली, तुमने कहा था, तालाब की मछलियाँ, हजार-हजार बाँहोंवाली, पुरानी जूतियों का कोरस, भस्मांकुर (खण्डकाव्य), बलचनमा, रतिनाथ की चाची, नयी पौध, कुम्भीपाक, उग्रतारा (उपन्यास), दीपक, विश्वबन्धु (सम्पादन) ।