संविधान के अनुच्छेद 243-य क में यह उपबन्ध है कि नगरपालिकाओं के लिये कराए जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार कराने का और उन सभी निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण ,निदेशन और नियंत्रण संविधान के अनुच्छेद 243 ट के अन्तर्गत गठित राज्य निर्वाचन आयोग में निहित होगा । अनुच्छेद 243- ट के अनुसार राज्य निर्वाचन आयेग में राज्यपाल द्वारा नियुक्त एक राज्य निर्वाचन आयुक्त होगा , राज्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से उसी रीति से और उन्हीं आधारों पर हटाया जा सकेगा जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के मामले में निर्धारित है। राज्य निर्वाचन आयुक्त की सेवा शर्तों में नियुक्ति के पश्चात् उसके लिए अलाभकारी परिवर्तन नहीं किए जायेंगे । यह भी उपबन्ध है कि जब राज्य निर्वाचन आयोग ऐसे अनुरोध करे तब उसे अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए राज्यपाल द्वारा आवश्यक कर्मचारी उपलब्ध कराये जाएँगे । Show
उक्त प्रावधानों के अन्तर्गत मध्यप्रदेश शासन , सामान्य प्रशासन विभाग की अधिसूचना दिनांक 1 फरवरी ,1994 द्वारा राज्य निर्वाचन अयोग का गठन किया गया । आयोग में राज्य निर्वाचन आयुक्तों कि पदावधि निम्नानुसार है :- मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग का गठन, उद्देश्य एवं कार्यमध्य प्रदेश राज्य मुख्य सूचना आयुक्त
मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग का गठन
मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग के उद्देश्य
राज्य सूचना आयोग का गठन
मध्यप्रदेश में राज्य सूचना आयोग का गठन राज्य सरकार की अधिसूचना क्रमांक एफ-11-11/05/1/9 दिनांक 22 अगस्त, 2005 द्वारा किया गया है। सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 15 के अनुसार राज्य सूचना आयोग में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा राज्य सूचना आयुक्तों की संख्या जो कि 10 से अधिक नहीं होगी, आवश्यकता अनुसार रखी जा सकेगी। मध्य प्रदेश राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के नाम और उनका कार्यकालमध्य प्रदेश के प्रथम राज्य मुख्य सूचना आयुक्त श्री टी.एन.श्रीवास्तव
मध्य प्रदेश के द्वितीय राज्य मुख्य सूचना आयुक्त श्री पद्मपाणि तिवारी
मध्य प्रदेश के तीसरे राज्य सूचना आयुक्त श्री इकबाल अहमद
मध्य प्रदेश चौथे मुख्य सूचना आयुक्त श्री के.डी. खान
मध्य प्रदेश पाँचवें मुख्य सूचना आयुक्त श्री अरविन्द कुमार शुक्ला
मुख्य सूचना आयुक्त / सूचना आयुक्त के नियुक्ति मानदंड एवं तरीका
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 15(3) में विहित है कि राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा निम्नलिखित से मिलकर बनी किसी समिति की सिफारिश पर की जाएगी:-
स्पष्टीकरण- शंकाओं को दूर करने के प्रयोजनों के लिए यह घोषित किया जाता है कि जहां विधान सभा में विपक्षी दल के नेता को उस रूप में मान्यता नहीं दी गई है, वहां विधान सभा में सरकार के विपक्षी एकल सबसे बड़े समूह के नेता को विपक्षी दल का नेता समझा जाएगा। सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 15(5)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 15(6)
मुख्य सूचना आयुक्त की सेवा शर्त एवं पदावधिसूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 16सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 16 में विहित है कि:-
सूचना आयुक्त की सेवा शर्त एवं पदावधि
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 16 में विहित है कि:-
राज्य सूचना आयोग की शक्तियाँ और कृत्य
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 18, 19 एवं 20 में आयोग की शक्तियां एवं कृत्य विहित किये गए हैं:- धारा-18 शिकायत: (1) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य सूचना आयोग का यह कर्तव्य होगा कि वह निम्नलिखित किसी ऐसे व्यक्ति से शिकायत प्राप्त करे और उसकी जांच करे - (क) जो, राज्य लोक सूचना अधिकारी को, इस कारण से अनुरोध प्रस्तुत करने में असमर्थ रहा है कि इस अधिनियम के अधीन ऐसे अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है या, राज्य सहायक लोक सूचना अधिकारी ने इस अधिनियम के अधीन सूचना या अपील के लिए धारा 19 की उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट राज्य लोक सूचना अधिकारी अथवा ज्येष्ठ अधिकारी या, राज्य सूचना आयोग को उसके आवेदन को भेजने के लिए स्वीकार करने से इंकार कर दिया है (ख) जिसे इस अधिनियम के अधीन अनुरोध की गई कोई जानकारी तक पहुंच के लिए इंकार कर दिया गया है ; (ग) जिसे इस अधिनियम के अधीन विनिर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर सूचना के लिए या सूचना तक पहुंच के लिए अनुरोध का उत्तर नहीं दिया गया है ; (घ) जिससे ऐसी फीस की रकम का संदाय करने की अपेक्षा की गई है, जो वह अनुचित समझता है या समझती है ; (ङ) जो यह विश्वास करता है कि उसे इस अधिनियम के अधीन अपूर्ण, भ्रम में डालने वाली या मिथ्या सूचना दी गई है ; और (च) इस अधिनियम के अधीन अभिलेखों के लिए अनुरोध करने या उन तक पहुंच प्राप्त करने से सम्बन्धित किसी अन्य विषय के सम्बन्ध में ; (2) जहां राज्य सूचना आयोग का यह समाधान हो जाता है कि उस विषय में जांच करने के लिए युक्तियुक्त आधार हैं, वहां वह उस सम्बन्ध में जांच आरंभ कर सकेगा।
(3) राज्य सूचना आयोग को, इस धारा के अधीन किसी मामले में जांच करते समय वही शक्तियां प्राप्त होंगी, जो निम्नलिखित मामलों के सम्बन्ध में सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) के अधीन किसी वाद का विचारण करते समय सिविल न्यायालय में निहित होती हैं, अर्थात्:- (क) किन्ही व्यक्तियों को समन करना और उन्हें उपस्थित कराना तथा शपथ पर मौखिक या लिखित साक्ष्य देने के लिए और दस्तावेज या चीजें पेश करने के लिए उनको विवश करना ; (ख) दस्तावेजों के प्रकटीकरण और निरीक्षण की अपेक्षा करना ; (ग) शपथपत्र पर साक्ष्य को अभिग्रहण करना ; (घ) किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रतियां मंगाना ; (ङ) साक्षियों या दस्तावेजों की परीक्षा के लिए समन जारी करना ; और (च) कोई अन्य विषय, जो विहित किया जाए। (4) यथास्थिति, संसद् या राज्य विधान-मण्डल के किसी अन्य अधिनियम में अंतर्विष्ट किसी असंगत बात के होते हुए भी, राज्य सूचना आयोग इस अधिनियम के अधीन किसी शिकायत की जांच करने के दौरान, ऐसे किसी अभिलेख की परीक्षा कर सकेगा, जिसे यह अधिनियम लागू होता है और जो लोक प्राधिकारी के नियंत्रण में है और उसके द्वारा ऐसे किसी अभिलेख को किन्हीं भी आधारों पर रोका नहीं जाएगा। धारा-19 अपील: (1) ऐसा कोई व्यक्ति, जिसे धारा 7 की उपधारा (1) या उपधारा (3) के खंड (क) में विनिर्दिष्ट समय के भीतर कोई विनिश्चय प्राप्त नहीं हुआ है या जो, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी के किसी विनिश्चय से व्यथित है, उस अवधि की समाप्ति से या ऐसे किसी विनिश्चय की प्राप्ति से तीस दिन के भीतर ऐसे अधिकारी को अपील कर सकेगा, जो प्रत्येक लोक प्राधिकरण में, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी की पंक्ति से ज्येष्ठ पंक्ति का है: परन्तु ऐसा अधिकारी, तीस दिन की अवधि की समाप्ति के पश्चात् अपील को ग्रहण कर सकेगा, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि अपीलार्थी समय पर अपील फाइल करने में पर्याप्त कारण से निवारित किया गया था। (2) जहां अपील धारा 11 के अधीन, यथास्थिति, किसी केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या किसी राज्य लोक सूचना अधिकारी द्वारा पर व्यक्ति की सूचना प्रकट करने के लिए किये गए किसी आदेश के विरुद्ध की जाती है वहां सम्बन्धित पर व्यक्ति द्वारा अपील, उस आदेश की तारीख से तीस दिन के भीतर की जाएगी। (3) उपधारा (1) के अधीन विनिश्चय के विरुद्ध दूसरी अपील उस तारीख से, जिसको विनिश्चय किया जाना चाहिए था या वास्तव में प्राप्त किया गया था, नब्बे दिन के भीतर केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग को होगी: परन्तु यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग नब्बे दिन की अवधि की समाप्ति के पश्चात् अपील को ग्रहण कर सकेगा, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि अपीलार्थी समय पर अपील फाइल करने से पर्याप्त कारण से निवारित किया गया था। (4) यदि यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का विनिश्चय, जिसके विरुद्ध अपील की गई है, पर व्यक्ति की सूचना से सम्बन्धित है तो, यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग उस पर व्यक्ति को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर देगा। (5) अपील सम्बन्धी किन्ही कार्यवाहियों में यह साबित करने का भार कि अनुरोध को अस्वीकार करना न्यायोचित था, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी पर, जिसने अनुरोध से इंकार किया था, होगा। (6) उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन किसी अपील का निपटारा, लेखबद्ध किये जाने वाले कारणों से, अपील की प्राप्ति के तीस दिन के भीतर या ऐसी विस्तारित अवधि के भीतर, जो उसके फाइल किए जाने की तारीख से कुल पैंतालीस दिन से अधिक न हो, किया जाएगा। (7) यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का विनिश्चय आबद्धकर होगा। (8) अपने विनिश्चय में, यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग को निम्नलिखित की शक्ति है:- (क) लोक प्राधिकरण से ऐसे उपाय करने की अपेक्षा करना, जो इस अधिनियम के उपबंधों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हों, जिनके अंतर्गत निम्नलिखित भी हैं:- (i) सूचना तक पहुंच उपलब्ध कराना, यदि विशिष्ट प्ररूप में ऐसा अनुरोध किया गया है ; (ii) यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी, या राज्य लोक सूचना अधिकारी को नियुक्त करना ; (iii) कतिपय सूचना या सूचना के प्रवर्गों को प्रकाशित करना ; (iv) अभिलेखों के अनुरक्षण, प्रबंध और विनाश से संबंधित अपनी पद्धतियों में आवश्यक परिवर्तन करना ; (v) अपने अधिकारियों के लिए सूचना का अधिकार के संबंध में प्रशिक्षण के उपबंध को बढ़ाना ; (vi) धारा 4 की उपधारा (1) के खंड (ख) के अनुसरण में अपनी एक वार्षिक रिपोर्ट उपलब्ध कराना ; (ख) लोक प्राधिकारी से शिकायतकर्ता को, उसके द्वारा सहन की गई किसी हानि या अन्य नुकसान के लिए प्रतिपूरित की अपेक्षा करना ; (ग) इस अधिनियम के अधीन उपबंधित शास्तियों में से कोई शास्ति अधिरोपित करना। (घ) आवेदन को नामंजूर करना। (9) यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग शिकायतकर्ता और लोक प्राधिकारी को, अपने विनिश्चय की, जिसके अंतर्गत अपील का कोई अधिकार भी है, सूचना देगा। (10) यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, अपील का विनिश्चय ऐसी प्रक्रिया के अनुसार करेगा, जो विहित की जाए।
धारा-20 शास्ति: (1) जहां किसी शिकायत या अपील का विनिश्चय करते समय, यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग की यह राय है कि, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी ने, किसी युक्तियुक्त कारण के बिना सूचना के लिए, कोई आवेदन प्राप्त करने से इंकार किया है या धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन विनिर्दिष्ट समय के भीतर सूचना नहीं दी है या असद्भावपूर्वक सूचना के लिए अनुरोध से इंकार किया है या जानबूझकर गलत, अपूर्ण या भ्रामक सूचना दी है या उस सूचना को नष्ट कर दिया है, जो अनुरोध का विषय थी या किसी रीति से सूचना देने में बाधा डाली है, तो वह ऐसे प्रत्येक दिन के लिए, जब तक आवेदन प्राप्त किया जाता है या सूचना दी जाती है, दो सौ पचास रुपये की शास्ति अधिरोपित करेगा, तथापि, ऐसी शास्ति की कुल रकम पच्चीस हजार रुपए से अधिक नहीं होगी: परन्तु, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी को, उस पर कोई शास्ति अधिरोपित किए जाने के पूर्व, सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर दिया जाएगा: परन्तु यह और कि यह साबित करने का भार कि उसने युक्तियुक्त रूप से और तत्परतापूर्वक कार्य किया है, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी पर होगा। (2) जहां किसी शिकायत या अपील का विनिश्चय करते समय, यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग की यह राय है कि, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी, किसी युक्तियुक्त कारण के बिना और लगातार सूचना के लिए कोई आवेदन प्राप्त करने में असफल रहा है या उसने धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन विनिर्दिष्ट समय के भीतर सूचना नहीं दी है या असद्भावपूर्वक सूचना के लिए अनुरोध से इंकार किया है या जानबूझकर गलत, अपूर्ण या भ्रामक सूचना दी है या ऐसी सूचना को नष्ट कर दिया है, जो अनुरोध का विषय थी या किसी रीति से सूचना देने में बाधा डाली है वहां वह, यथास्थिति, ऐसे केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी के विरुद्ध उसे लागू सेवा नियमों के अधीन अनुशासनिक कार्रवाई के लिए सिफारिश करेगा।
राज्य सूचना आयोग रिपोर्टिंग की कार्यप्रणाली
धारा-25 मॉनीटर करना और रिपोर्ट करना: (1) यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, प्रत्येक वर्ष के अंत के पश्चात्, यथासाध्यशीघ्रता से उस वर्ष के दौरान इस अधिनियम के उपबंधों के कार्यान्वयन के सम्बन्ध में एक रिपोर्ट तैयार करेगा और उसकी एक प्रति समुचित सरकार को भेजेगा। (2) प्रत्येक मंत्रालय या विभाग, अपनी अधिकारिता के भीतर लोक प्राधिकारियों के सम्बन्ध में, ऐसी सूचना एकत्रित करेगा और उसे, यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग को उपलब्ध कराएगा, जो इस धारा के अधीन रिपोर्ट तैयार करने के लिए अपेक्षित है और इस धारा के प्रयोजनों के लिए, उस सूचना को देने तथा अभिलेख रखने से सम्बन्धित अपेक्षाओं का पालन करेगा। (3) प्रत्येक रिपोर्ट में, उस वर्ष के सम्बन्ध में, जिससे रिपोर्ट सम्बन्धित है, निम्नलिखित के बारे में कथन होगा:- (क) प्रत्येक लोक प्राधिकारी से किए गये अनुरोधों की संख्या ; (ख) ऐसे विनिश्चयों की संख्या, जहां आवेदक अनुरोधों के अनुसरण में दस्तावेजों तक पहुंच के लिए हकदार नहीं थे, इस अधिनियम के वे उपबंध जिनके अधीन ये विनिश्चय किये गए थे और ऐसे समयों की संख्या, जब ऐसे उपबंधों का अवलंब लिया गया था ; (ग) पुनर्विलोकन के लिए, यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग को निर्दिष्ट की गई अपीलों की संख्या, अपीलों की प्रकृति और अपीलों के निष्कर्ष ; (घ) इस अधिनियम के प्रशासन के सम्बन्ध में किसी अधिकारी के विरुद्ध की गई अनुशासनिक कार्रवाई की विशिष्टियां ; (ङ) इस अधिनियम के अधीन प्रत्येक लोक प्राधिकारी द्वारा एकत्रित की गई प्रभारों की रकम ; (च) कोई ऐसे तथ्य, जो इस अधिनियम की भावना और आशय को प्रशासित और कार्यान्वित करने के लिए लोक प्राधिकारियों के किसी प्रयास को उपदर्शित करते हैं ; (छ) सुधार के लिए सिफारिशें, जिनके अंतर्गत इस अधिनियम या अन्य विधान या सामान्य विधि के विकास, समुन्नति, आधुनिकीकरण, सुधार या संशोधन के लिए विशिष्ट लोक प्राधिकारियों के सम्बन्ध में सिफारिशें या सूचना तक पहुंच के अधिकार को प्रवर्तनशील बनाने से सुसंगत कोई अन्य विषय भी हैं। (4) यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार प्रत्येक वर्ष के अंत के पश्चात् यथासाध्यशीघ्रता से, उपधारा (1) में निर्दिष्ट, यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग की रिपोर्ट की एक प्रति संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष या जहां राज्य विधान-मंडल के दो सदन हैं, वहां प्रत्येक सदन के समक्ष और जहां राज्य विधान-मंडल का एक सदन है वहां उस सदन के समक्ष रखवाएगी। (5) यदि केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग को ऐसा प्रतीत होता है कि इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों का प्रयोग करने के सम्बन्ध में किसी लोक प्राधिकारी की पद्धति इस अधिनियम के उपबंधों या भावना के अनुरूप नहीं है तो वह प्राधिकारी को ऐसे उपाय विनिर्दिष्ट करते हुए
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