मंदिर में क्या दान करना चाहिए? - mandir mein kya daan karana chaahie?

प्रश्नकर्ता : हम मंदिर में गए थे न, वहाँ लोग करोड़ों रुपये पत्थरों के पीछे खर्च करते हैं। और भगवान ने कहा है कि ये जीते-जागते अंतर्यामी जो प्रत्येक जीव मात्र में विराजमान हैं। और जीवित लोगों को धमकाते हैं। उन लोगों को तड़पाते हैं और यहाँ पत्थर की मूर्तियों के पीछे करोड़ों रुपये खर्च करते हैं ऐसा क्यों?

दादाश्री : हाँ, मगर लोगों को तड़पातें हैं, वह तो उनकी नासमझी की वज़ह से तड़पाते हैं बेचारों को! क्रोध-मान-माया-लोभ की निर्बलता के कारण तड़पाते है न!

ऐसा है न, ये पैसे कमाने जो निकलते हैं, अब ठीक तरह से घर चले ऐसा होता है फिर भी पैसे कमाने निकलते हैं। तब हम नहीं समझें कि ये अपने क्वोटा के उपरांत अधिक क्वोटा लेने को घूम रहे हैं? जगत् में तो क्वोटा सभी का समान है। पर यह लोभी है जो अधिक क्वोटा ले जाता है। इसलिए उन अमुक लोगों के हिस्से में आता ही नहीं। अब वह भी, यों ही गप्प से नहीं मिलता, वह पुण्य से मिलता है।

तब पुण्य अधिक किया, तो हमारे पास धन आया, उस धन को हम खर्च कर देते हैं वापिस। हम जानें कि यह तो जमा होने लगा। खर्च कर दिया तो डिडक्शन (कम) हो सकेगा न? पुण्य जमा तो हो ही जाता है, पर डिडक्शन करने की रीति तो जाननी चाहिए न?

अर्थात् लोग मंदिर आदि बनवाते हैं, ठीक करते हैं। उन्हें चाबी चाहिए। उन्हें दर्शन कहाँ करने हैं? वे जहाँ दर्शन करने जाएँ, वहाँ उन्हें शरम नहीं आए ऐसा चाहते हैं। जीवितों के साथ उन्हें शरम आती है और मूर्ति के पास तो आप कहो वैसे नाचता भी है। नाचता-कूदता है अकेला! पर जीवित के साथ उसे शरम आती है। ये (मूर्तियाँ) जीवित नहीं हैं ना और जीवित के पास नहीं कुछ हो पाता। और यदि जीवितों के पास किया तो उसका कल्याण हो जाए, परम कल्याण हो जाए, आत्यंतिक कल्याण हो जाए। पर ऐसी शक्ति नहीं होती न! ऐसे पुण्य नहीं होते!

भगवान के पास रखे न, वह सब निष्काम नहीं, सकाम है। हे भगवान, बेटे के घर एक बेटा! मेरा बेटा पास हो जाए। घर पर बुड्ढा बाप है, उसे पक्षाघात हुआ है, वह मिट जाए। उसके लिए 'दो सौ और एक' रखता है। अब यहाँ तो कौन रखे? हमारा कोई ऐसा कारखाना है? और यहाँ ले भी कौन जो रखे?

मंदिर में क्या दान करना चाहिए? - mandir mein kya daan karana chaahie?
पं. प्रणयन एम. पाठक|

मंदिर में क्या दान करना चाहिए? - mandir mein kya daan karana chaahie?
मंदिर में क्या दान करना चाहिए? - mandir mein kya daan karana chaahie?

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महान पुण्य का काम है दान... 

1. मनुष्य को अपने द्वारा न्यायपूर्वक अर्जित किए हुए धन का 10वां भाग ईश्वर की प्रसन्नता के लिए किसी सत्कर्मों में लगाना चाहिए। जो मनुष्य अपने स्त्री, पुत्र एवं परिवार को दुःखी करके दान देता है वह दान जीवित रहते हुए भी एवं मरने के बाद भी दुःखदायी होता है।

धर्म, दान व दया की महिमा अनंत है। प्राणी मात्र पर दया करना मंदिर निर्माण में दान देना सात पीढ़ियाें को तारने का काम करता है। संसार के सभी ग्रंथ, पंथ व संत यही सिखाते हैं। मंदिर का दान भी महत्वपूर्ण है।

यह बात मुनि वीरसागर ने कही। वे दिगम्बर जैन मंदिर में रविवार सुबह धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा मंदिर में दिया दान निष्फल नहीं जाता है। मन की पवित्रता हो तो परमात्मा की कृपा मिल जाती है। पुण्य उदय हो तो छोटा सा व्यक्ति भी भगवान का अभिषेक कर पाता है। भक्ति में कितना पवित्र भाव है इसे मानव समझे। पुण्य पवित्र धार्मिक अनुष्ठान में यदि व्यक्ति क्षमता से बढ़कर भगवान के लिए दान करता है तो उसका फल उसको मिलता है। वह मिट्टी में हाथ डालता है तो वहां भी सोना निकलता है। अभी भी कुछ अभागे पुण्य परमार्थ से बचे हैं, वे अब जाग जाएं। नारायणी क्षेत्र में सुधासागर ने 24 मंदिर बनाने की परिकल्पना की। जब घर बनाने की बात आती है तो व्यक्ति क्षमता से अधिक लोन लेकर बंगला बनाता है। मंदिर बनाने के लिए क्षमता का एक प्रतिशत दान देता है। यह चिंतन का विषय है।

1.पूजा पाठ के अलावा किसी ज़रूरतमंद को दान करना भी शास्त्रों के हिसाब से अच्छा माना जाता है और भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है।

2.दान का शुभ फल आपको कुछ भी हासिल करने में सहायता करता है और मनोकामनाओं को पूर्ण करता है।

3.शिवमहापुराण में इन चीजों को दान करने से बुरे समय का अंत होता है और घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

4.सोमवार के दिन शिवपुराण मंदिर में तिल दान करना अच्छा माना जाता है इससे दान करने वाले व्यक्ति को शक्ति मिलती है और भय दूर होता है।

5.घर में सब स्वस्थ और निरोगी रहें इसके लिए पुराने कपड़ों को किसी को दान कर दें शिवपुराण में वस्त्र दान का भी महत्व बताया गया है।

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6.किसी ग़रीब और ज़रूरतमंद को अनाज दान करना चाहिए इससे आपके भी घर में अन्न की भरमार रहती है और कभी कमी नहीं रहती।

7.बुरा समय दूर करने के लिए नमक का दान करें। नमक का दान किसी भंडारे आदी में करें या फिर मंदिर या किसी ग़रीब को भी कर सकते हैं।

8.गाय को गुड़ खिलाना चाहिए इसके अलावा गुड़ का दान भी करना चाहिए इससे घर में शुद्धता रहती है और घर के लोगों की सभी मनोकामना पूरी होती हैं।

9.किसी मंदिर में घी का दान करना चाहिए या फिर किसी ग़रीब को भी दान करना उत्तम रहेगा।

मंदिर में दान देने से क्या होता है?

धर्म, दान व दया की महिमा अनंत है। प्राणी मात्र पर दया करना मंदिर निर्माण में दान देना सात पीढ़ियाें को तारने का काम करता है। संसार के सभी ग्रंथ, पंथ व संत यही सिखाते हैं।

कौन सा दान महादान होता है?

कन्या दान को महादान कहा जाता है। सनातन धर्म में कन्या दान को सर्वोत्तम माना गया है। यह दान कन्या के माता-पिता द्वारा उसके विवाह संस्कार पर किया जाता है। इस दान में माता-पिता अपनी पुत्री का हाथ वर के हाथ में रखते हुए संकल्प लेते हैं।

गीता के अनुसार दान क्या है?

दान का अर्थ होता है देने में आनंद, एक उदारता का भाव, प्राणीमात्र के प्रति एक प्रेम एवं दया का भाव, किंतु जब इस भाव के पीछे कुछ पाने का स्वार्थ छिपा हो तो क्या वह दान रह जाता है? गीता में भी लिखा है कि कर्म करो, फल की चिंता मत करो। हमारा अधिकार केवल अपने कर्म पर है, उसके फल पर नहीं।

क्या क्या दान नहीं करना चाहिए?

आइए जानते हैं किन चीजों का दान नहीं करना चाहिए..
फटी हुई कापी और किताब.
तेल का दान.
पुराने कपड़ों का दान.
लोहे की चीजें दान न करें.
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