मानव बनो कविता के लेखक कौन है? - maanav bano kavita ke lekhak kaun hai?

Bihar Board Class 7 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 2 Chapter 1 मानव बनो Text Book Questions and Answers and Summary.

Bihar Board Class 7 Hindi मानव बनो Text Book Questions and Answers

पाठ से –

प्रश्न 1.
‘मानव बनो शीर्षक कविता के कवि कौन हैं ?
उत्तर:
शिव मंगल सिंह “सुमन”।

प्रश्न 2.
मानव बनने के लिए हमें कौन-कौन सा कार्य करना चाहिए?
उत्तर:
मानव बनने के लिए हमें किसी का आसरा नहीं करना चाहिए, आँसू नहीं बहाना चाहिए, किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना चाहिए । हुँकार करना चाहिए। अपने आँसूओं को जन-कल्याण में लगाना चाहिए।

प्रश्न 3.
कवि के अनुसार सबसे बड़ी भूल क्या है ?
उत्तर:
मानव का सबसे बड़ी भूल है किसी पर आसरा करना । अर्थात् आशा लगाना।

मानव बनो कविता के लेखक कौन है? - maanav bano kavita ke lekhak kaun hai?

प्रश्न 4.
अर्थ स्पष्ट कीजिए –
(क) अब अश्रु दिखलाओ नहीं, अब हाथ फैलाओ नहीं।
उत्तर:
किसी के सामने मत रोओ कि हमें इस चीज की कमी है तथा किसी चीज के लिए भी हाथ मत फैलाओ।

(ख) अब हाथ मत अपने मलो, जलना, अगर ऐसो जलो।
अपने हृदय की भस्म से, कर दो धरा को उर्वरा।
उत्तर:
मनुष्य को अपनी भूल पर पछताना नहीं चाहिए। किसी से जलना भी नहीं चाहिए। यदि जलना हो तो अगर (धूप) की तरह जलो। हे मानव अपने हृदय भस्म से पृथ्वी को उर्वरा बना दो। अर्थात् अपने जलन को भी सार्थक कर दो।

पाठ से आगे –

प्रश्न 1.
मानव बनने की बात जो कवि द्वारा बतायी गयी है, इसके अतिरिक्त आप मानव में और कौन-कौन-सा गुण देखना चाहेंगे?
उत्तर:
कवि मानव बनने के लिए अनेक बातें बतायी हैं। इसके अतिरिक्त हम मानव में निम्नलिखित गुणों को देखना चाहते हैं –
मानव कर्मशील बने । मानव समय का महत्त्व दे।
मानव में परोपकार का गुण हो। मानव सत्य-अहिंसा का प्रिय हो तथा अनुशासन युक्त हो।

प्रश्न 2.
अगर कोई समस्या आपके सामने आती है, तो इस समस्या का समाधान आप कैसे करते हैं ? उदाहरण’ सहित समझाइए।
उत्तर:
मानव के सम्मुख समस्याएँ अनेक आती हैं लेकिन उन समस्याओं से घबराना नहीं चाहिए और हाथ पर हाथ रखकर चुपचाप बैठना भी नहीं चाहिए। भाग्य भरोसे तो कायर पुरुष रहते हैं। अतः आयी समस्या का समाधान करने के लिए कर्त्तव्यपरायण होना चाहिए।

उदाहरण में – हमें वर्ग में प्रथम स्थान पाना है लेकिन हमारे सम्मुख एक समस्या है कि परीक्षा के समय ही हमारे घर में बहन की शादी है। घर में बहुत आदमी जुटेंगे। कोलाहल होगा, बाजे बजेंगे । मंगल-गीत होगा। पढाई में दिक्कतें होंगी। लेकिन हमारे विचार से यह समस्या कोई बड़ी नहीं, अगर. मनुष्य मनोयोग से अध्ययन करे तो गीत-बाजे की ध्वनि नहीं सुनाई पड़ती हैं।

मनुष्य को दृढ़ संकल्प होना चाहिए तथा अपने कर्त्तव्य में लगा रहना चाहिए। जहाँ तक हो अध्ययन कक्ष शांत जगह चुनकर पढ़ना चाहिए ।

प्रश्न 3.
मानव होने का अर्थ है अपने जीवन पर खुद का अधिकार इस विचार की तर्कपूर्ण समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
जब तक मानव के जीवन पर दूसरों का अधिकार होता है तब तक मनुष्य पशु तुल्य रहता है। क्योंकि दूसरों के अधिकार में रहकर मनुष्य कोई भी कार्य स्वेच्छापूर्वक नहीं कर सकता है। ऐसा मानव अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए भी दूसरों पर आश्रित होता है। जैसे एक पशु भोजन के लिए भी मालिक पर आश्रित होता है। जब तक मनुष्य के जीवन पर स्वयं का अधिकार नहीं होगा उसमें मानवीय गुण नहीं आयेंगे । अर्थात् मानव अपनी समस्या का निदान स्वयं कर ले तो वह ही सच्चा मानव कहलायेगा ।

मानव बनो कविता के लेखक कौन है? - maanav bano kavita ke lekhak kaun hai?

व्याकरण-

प्रश्न 1.
“हाथ फैलाना” एक मुहावरा है, जिसका अर्थ होता है –
कुछ माँगना । इस प्रकार शरीर के विभिन्न अंगों से जुड़े अनेक मुहावरे हैं। किन्हीं पाँच मुहावरों को लिखकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:

(क) हाथ मलना समय गँवाने से हाथ मलना पड़ता है।
(ख) पाँव फैलाना….नेता लोग जनता के बीच आसानी से अपन! पाँव फैला लेते हैं।
(ग) आँख मारना-लड़कियाँ भी लड़के पर आँख मारती हैं।
(घ) कान देना-बच्चे शिक्षक की बातों पर कान नहीं देते हैं।
(ङ) हाथ बढ़ाना-आजकल बच्चे भी माता-पिता के कामो में हाथ बँटाते हैं।

प्रश्न 2.
इन शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखिए(क) फैलाना, (ख) प्यार, (ग) मानव, (घ) भूल।
उत्तर:

(क) फैलाना – समेटना
(ख) प्यार – नफरत
(ग) मानव-दानव
(घ) भूल-याद ।

मानव बनो कविता के लेखक कौन है? - maanav bano kavita ke lekhak kaun hai?

मानव बनो Summary in Hindi

कविता का अर्थ:

है भूल करना भी ………………… मानव जरा।
अर्थ – प्यार करना भी भूल है। किसी को मनाना भी भूल है। लेकिन __ सबसे बड़ी भूल है किसी का आसरा करना । हे मानव ! जरा मानव तो बनो।

अब अश्रु दिखलाओ ……………………. मानव जरा।
अर्थ – हे मानव ! किसी के सामने मत रोना, किसी के सामने हाथ भी मत फैलाना । अब एक हुँकार कर दो जिससे पृथ्वी काँप जाय । हे मानव जरा मानव तो बनो।

उफ, हाय कर देना ……………………. मानव जरा।
अर्थ – उफ या हाय करना अर्थात् हार मान लेना मनुष्य को शोभा नहीं देता है। अपनी भूल पर आँसू बहाना भी मनुष्य का कर्म नहीं है। अगर ये आँसू बहे भी तो इन आँसूओं से विश्व का कण-कण सींच दो, जिससे वह हरा हो जाय।

अब हाथ मत अपने ………………….. मानव जरा।
अर्थ-अपनी भूल पर पछताना या बेवसी दिखाना मानव का कर्तव्य नहीं। जलना हो तो ऐसा जलो कि तुम्हारे हृदय की भस्म से धरती उपजाऊ हो जाये । हे मानव ! जरा मानव तो बनो ।

मानव बनो कविता का लेखक कौन है?

शिवमंगल सिंह 'सुमन'​

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