मनुष्य में शुक्राणु का निर्माण किससे होता है - manushy mein shukraanu ka nirmaan kisase hota hai

स्पर्म असरदार रखना है तो ये काम आज से ही बंद करें

21 फ़रवरी 2018

मनुष्य में शुक्राणु का निर्माण किससे होता है - manushy mein shukraanu ka nirmaan kisase hota hai

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दुनिया भर के कई देशों में पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या में आ रही गिरावट चिंता का विषय बना हुआ है. शुक्राणुओं की संख्या में गिरावट का सीधा संबंध प्रजनन क्षमता से है.

आपका स्पर्म काउंट यानी शुक्राणु की संख्या कितनी है इसका संबंध खान-पान से भी है. आप जो खाते हैं उसी से शरीर की सारी गतिविधियां निर्धारित होती हैं.

अगर आपके आहार में वसा की मात्रा ज़्यादा है तो स्पर्म काउंट में निश्चित तौर पर गिरावट आती है. अमरीका के एक फ़र्टिलिटी क्लिनिक में 99 पुरुषों पर स्टडी की गई है. इस स्टडी में पता चला कि जो जंक फूड ज़्यादा खाते हैं उनके शुक्राणु की गुणवत्ता काफ़ी कमज़ोर थी.

जिनके शरीर में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा पर्याप्त होती है उनके शुक्राणु की गुणवत्ता बेहतरीन होती है. यह एसिड मछली और वनस्पतियों के तेल में पाया जाता है.

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इस स्टडी के अनुसार जो ज़्यादा वसा खाते हैं उनका स्पर्म काउंट 43 फ़ीसदी कम होता है और शुक्राणु की सघनता भी कम होती है. जो ओमेगा-3 फैटी एसिड पर्याप्त मात्रा में लेते हैं उनके स्पर्म की गुणवत्ता काफ़ी अच्छी होती है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति मिलीलीटर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 1.5 से 3.9 करोड़ हो तो उसे सामान्य माना जाता है.

कई स्टडी का तो यहां तक कहना है कि अगर स्पर्म काउंट में गिरावट नहीं थमी तो मानव एक दुर्लभ प्रजाति की सूची में शामिल हो जाएगा. कई स्टडी में यह बात सामने आई है कि उत्तरी अमरीका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के पुरुषों में पिछले 40 सालों से कम वक़्त के दौरान स्पर्म काउंट आधा हो गया है.

जब एक पुरुष के वीर्य में पांच करोड़ से 15 करोड़ तक शुक्राणु की संख्या होती है तो वो महिलाओं के फलोपीअन ट्यूब में तत्काल तैरने लगता है. हालांकि यह सब कुछ इतना आसान नहीं होता है. कई बार एक ही स्पर्म महिलाओं के अंडाणु के लिए पर्याप्त होता है.

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स्पर्म काउंट दुरुस्त रखना है तो ये काम ज़रूर करें-

  • बहुत टाइट अंडरवेयर नहीं पहनें और गर्म पानी से भी नहाने से बचें.

  • यौन संक्रमण से बचकर रहें.

  • शराब पीना बिल्कुल बंद करें. शराब के सेवन आपके टेस्टास्टरोन हॉर्मोन्स की सेहत में गिरावट आती है. इस हॉर्मोन का सीधा संबंध यौन क्षमता से होता है.

  • ख़ुद को फिट रखें और तोंद नहीं निकलने दें.

  • कसरत करें, लेकिन बहुत ज़्यादा नहीं करें.

  • आप कितनी नींद लेते हैं इसका सीधा संबंध आपकी सेहत से है. अगर आप हर दिन सात से आठ घंटे भी नहीं सोते हैं तो प्रजनन क्षमता के बुरे दिन शुरू हो जाते हैं.

  • एक स्टडी के अनुसार जो हर दिन 6 घंटे से भी कम नींद लेते हैं उनकी प्रजनन क्षमता में 31 फ़ीसदी संभावना कम देखी गई. अच्छी नींद आपकी सेहत के साथ प्रजनन क्षमता को भी दुरुस्त रखने के लिए काफ़ी ज़रूरी है.

  • गर्म पानी से नहाने से परहेज करें. कई स्टडी में यह बात सामने आई है कि स्पर्म प्रॉडक्शन के लिए कम तापमान का होना उसके हक़ में होता है. गर्म पानी से नहाते वक़्त आपके अंडकोष का तापमान बाधित होता और इससे स्पर्म काउंट पर सीधा असर पड़ता है.

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स्पर्म या शुक्राणु कोशिकाएं पुरुष यौन कोशिकाएं (male cells) होती हैं। जिनका प्रमुख कार्य महिला यौन कोशिकाओं (female cell) के साथ मिलकर या जुड़कर पूरी तरह से एक नया जीव बनाना है। शुक्राणु को के दौरान संबंधी तरल (semen) के साथ निष्कासित किया जाता है।

पुरुषों में शुक्राणु (स्पर्मेटोजोआ) का उत्पादन वृषण (testis) में होता है, जबकि महिला के अंडाशय में ओसाइट्स (oocytes) या अंडाणु कोशिकाएं उत्पन्न होती हैं। जब एक अंडाणु और शुक्राणु एकजुट होते हैं, तो वे एक जायगोट (zygote) बनाते हैं, जो एक embryo में विकसित होता है, और बाद में भ्रूण (fetus) के रूप में विकसित हो जाता है।

पुरुषों की शुक्राणु कोशिका, नई जीव (भ्रूण) के लिंग को निर्धारित करती है। इसका मतलब है कि शुक्राणु या तो Y गुणसूत्र या X गुणसूत्र ले सकता है, जबकि अंडाणु कोशिकाओं में हमेशा X गुणसूत्र होता है। इसलिए लड़का या लड़की का होना पूरी तरह पुरुष के गुणसूत्र पर निर्भर करता है।

शुक्राणु कैसे बनते है – shukranu kaise banate hai

लिंग के नीचे की तरफ एक (scrotum) की थैली होती है। पुरुष हार्मोन टेस्‍टोस्‍टेरोन और शुक्राणुओं का उत्पादन करते हैं। स्खलन (ejaculation) पर शुक्राणुओं को मूत्र मार्ग से मुक्त किया जाता है। यौन संबंध के दौरान, लिंग गर्भाशय (cervix) के पास होता है, जहां से शुक्राणु आगे की ओर जाते हैं और अंडाशय (ovum) तक पहुंचते हैं। (testicles) के अंदर उत्पादित शुक्राणुओं को परिपक्वता के लिए वृषण (testes) से अधिवृषण (epididymis) में आ जाते हैं। यहां पर शुक्राणु लगभग 15-20 दिनों तक संग्रहीत रहते है अगर उन्हें तो (सेक्स या हस्तमैथुन द्वारा) बाहर नहीं किया जाता है।


स्पर्म की संरचना – Structure of human sperm in Hindi

वैज्ञानिक एंटनी वैन लीवेंहोइक ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1677 में सबसे पहले एक शुक्राणु कोशिका की संरचना का वर्णन किया था। सामान्यतः सभी स्तनीयजन्तुओं में शुक्राणुजन (spermatozoa) की संचरना में कुछ हिस्से सामान्य होते है, तथा उनकी संचरना में बहुत कम अंतर होता है।

मानव शुक्राणु एकमात्र ऐसी कोशिका है जिनमें फ्लैगेला (flagella) पाया जाता है। स्पर्म मुख्यता तीन भागों से बने होते हैं: सिर, मध्य-भाग और पूंछ।

सिर (Head)

सिर की एक अंडाकार जैसी संरचना होती है, जिसका आकार 5 से 8 µm (माइक्रोन) तक है। यह दो भागों से मिलकर बना है:

अग्रपिण्डक (Acrosome): इस अंग का आकार शुक्राणु के सम्पूर्ण सिर का 40% से 70% होता है, और यह शुक्राणु कोशिका के एक छोर पर स्थित होता है। इसमें प्रोटीलोइटिक एंजाइम (proteolytic enzymes) पाए जाते हैं जो अंडाणु कोशिका की बाहरी परत को नष्ट करने में मदद करते हैं, जिससे शुक्राणु, अंडाणु में आसानी से प्रवेश कर सके।

नाभिक (Nucleus): नाभिक में शुक्राणु कोशिका के सभी 23 गुणसूत्र पाए जाते हैं, मतलब इसमें नये जीव की आधी आनुवंशिक सूचनाएं होती हैं। शुक्राणु कोशिका का केवल नाभिक ही अंडाणु कोशिका में प्रवेश करता है। यह शुक्राणु का एक प्रमुख हिस्सा है, क्योंकि यह अंडाणु के नाभिक के साथ एकजुट होकर 46-क्रोमोसोम सेल बनता है, जिसे ज़ीगोट (zygote) कहा जाता है।

पूंछ (Tail)

  • शुक्राणु में पूंछ एक लंबी संरचना है, जिसे कशाभिका (flagellum) के नाम से भी जाना जाता है। इसका मुख्य कार्य शुक्राणु को सांप जैसी गतिशीलता प्रदान करना है।
  • पूंछ की लंबाई लगभग 50 µm होती है। यह शुकाणु को लगभग 3 मिलीमीटर प्रति मिनट तैराकी वेग से जाने की अनुमति देती है।
  • शुक्राणु की पूंछ में दोष या परिवर्तन उत्पन्न होना, पुरुष प्रजनन समस्याओं का कारण बन सकता है, जिससे अस्थेनोजोस्पर्मिया (asthenozoospermia) सबसे अधिक होता है।

मानव शुक्राणु का जीवनकाल – lifespan of human sperm in Hindi

वीर्यपात (ejaculation) के बाद, अधिकांश शुक्राणु महिला के जननांग पथ के बाहर कुछ मिनटों में ही मर जाते हैं। यदि स्पर्मेटोज़ा (spermatozoa) मादा प्रजनन प्रणाली (गर्भाशय ग्रीवा) में प्रवेश करती है, तो वे 1-2 दिनों तक जीवित रह सकते हैं, और अधिक से अधिक 5 दिनों तक। तथा प्रयोगशाला स्थितियों के तहत ये 7 दिनों तक जीवित रह सकते हैं।

इसलिए, निष्कर्ष के रूप में कह सकते है कि मानव शुक्राणुओं का जीवनकाल 24-48 घंटे है, लेकिन इनका यह जीवनकाल पर्यावरण की परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

शुक्राणु किन चीजों से मिलकर बनता है – What is sperm made of in Hindi

वास्तव में, पुटिका (seminal vesicles) से निष्कासित में 65-75% निम्न तरल पदार्थ शामिल हैं:

  • अमीनो अम्ल
  • एंजाइम
  • प्रोटीन
  • विटामिन सी
  • साइट्रेट (Citrate)
  • फ्लाविन्स (Flavins)
  • फ्रुक्टोज
  • प्रोस्टाग्लैंडिंस Prostaglandins
  • Phosphorylcholine

संक्षेप में, आमतौर पर सफेद या भूरे रंग के रंग के साथ पारदर्शी होता है, कभी-कभी पीला होता है।

Purush ka shukradu nast ho Jane par ham nya shukradu kashe bnaye ki phle ki tarh ho jaye

Andcos m hamre sarir ki posak material kaise jata h jaise vitamin protin thoda diply batai

मनुष्य में शुक्राणु का निर्माण कौन करता है?

शुक्राणुओं का निर्माण पुरुषों के अंडकोष मे होता है। अंडकोष पुरुषों के लिंग के नीचे एक थैली होती है।

मनुष्य में शुक्राणु कहाँ बनता है?

पुरुषों में शुक्राणु (स्पर्मेटोजोआ) का उत्पादन वृषण (testis) में होता है, जबकि महिला के अंडाशय में ओसाइट्स (oocytes) या अंडाणु कोशिकाएं उत्पन्न होती हैं। जब एक अंडाणु और शुक्राणु एकजुट होते हैं, तो वे एक जायगोट (zygote) बनाते हैं, जो एक embryo में विकसित होता है, और बाद में भ्रूण (fetus) के रूप में विकसित हो जाता है।

आदमी के शुक्राणु बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए?

फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए मर्द खाएं ये 10 सुपर फूड, बढ़ेगा स्पर्म....
अनार- तुर्की में की गई रिसर्च के मुताबिक अनार का जूस स्पर्म काउंट और क्वालिटी बढ़ाता है। ... .
कद्दू के बीज- इसमें मौजूद जिंक और ओमेगा 3 फैटी एसिड मेल ऑर्गन्स में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाते हैं। ... .
टमाटर- ... .
अखरोट- ... .
डार्क चॉकलेट- ... .
अंडे- ... .
केले- ... .
लहसुन-.

शुक्राणु का निर्माण क्या होता है?

शुक्राणु का निर्माण नर के वृषण (Testicle या Testis) में होता है. और इसके निर्माण में 72 दिनों और या फिर उससे ज्यादा समय लगता है। यह शुक्राणु बहुत जरूरी होता है आने वाली पीढ़ी के लिए। वृषण के भीतर नलिकाओं के कुंडलित द्रव्यमान होते हैं जिन्हें अर्धवृत्ताकार नलिकाएं कहा जाता है।