पाइल्स, फिशर्स और फिस्टुला के सन्दर्भ और उपचार Show
परिचय: इन विकारों के बारे में सामान्य बात यह है कि ये सभी गुदा विकृति हैं। गुदा अंतिम छिद्र है जिसमें से मल उत्सर्जित होता है। यह 4-5 सेमी लंबा होता है। गुदा के टर्मिनल हिस्से में संवेदनशील नर्व होते हैं, जो रक्त वाहिकाओं से घिरे होते हैं। मध्य भाग में कई गुदा ग्रंथियाँ होती हैं। अब जब हम गुदा के संरचना से अवगत हो चुके हैं, तो आइए इस से संबंधित विभिन्न विकारों पर ध्यान दें। पाइल्स क्या हैं ? पाइल्स – जिसे बवासीर भी कहा जाता है, गुदा के टर्मिनल हिस्से में सूजन वाली नसें हैं।
फिशर क्या है ? फिशर – यह गुदा के चारों ओर एक कट या दरार है जो बहुत दर्दनाक होता है।
फिस्टुला क्या है ? फिस्टुला – गुदा के मध्य भाग में गुदा ग्रंथियां होती हैं, जिनमें संक्रमण हो जाती हैं जिससे और गुदा पे फोड़ा हो जाता है, जिससे मवाद निकलने लगता है। फिस्टुला संक्रमित ग्रंथि को फोड़ा से जोड़ने वाला मार्ग है।
ये सभी एक दूसरे से कैसे अलग हैं?
रेक्टल रक्तस्राव अपने आप में एक ध्यान देने योग्य लक्षण है औरइस संबंध में चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए। उपरोक्त सभी स्थितियों में व्यक्तिगत और चिकित्सा देखभाल से लाभकारी परिणाम मिलता है। स्थिति को अनदेखा करने से जटिलताएं बढ़ सकती हैं। बहुत से लोग इसके वजह से परेशानी का सामना कर रहे हैं। यह किसी अन्य रोग की तरह हीं एक और रोग है और किसी भी तरह के चिकित्सीय सलाह लेने से ना झिझकें। डॉ. अमित गोयल, कंसलटेंट – यूरोलोजि, नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम You may also like
पाइल्स के इलाज के घरेलू उपचारलंबे समय तक पाइल्स की वजह से शरीर में खून की कमी और यहां तक कि एनस या कोलोरेक्टल कैंसर होने का भी खतरा हो सकता है। लेकिन कुछ सामान्य घरेलू उपायों से पाइल्स का इलाज मुश्किल नहीं है।हेमेरॉइड्स या पाइल्स को हिंदी में बवासीर के नाम से जाना जाता है। एनस के आसपास खून के थक्के, गांठ, मल त्याग करते वक्त खून आना और जलन होना पाइल्स के कुछ सामान्य लक्षण हैं। इस बीमारी में गुदा और मलाशय की नसों में सूजन हो जाती है। हैवी वेट लिफ्टिंग, मोटापे, लम्बे समय तक खड़े या बैठे रहने से, दूषित और कम फाइबर युक्त भोजन की वजह से पाइल्स की बीमारी हो जाती है। पाइल्स इंटरनल और एक्सटरनल दो प्रकार की होती है। इसकी वजह से एनस के अंदर और बाहर मस्से जैसे बन जाते हैं और सूजन रहती है। 1. बर्फ 2. एलोवेरा 3. भुना जीरा 4. नींबू 5. बादाम तेल 6. सेब का सिरका ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें लाइफस्टाइल की और अन्य ताजा-तरीन खबरें मलद्वार में सूजन होने पर क्या करें?नारियल का तेल लगाने से जलन और सूजन कम हो जाती है. एक गिलास मट्ठा में एक चौथाई अजवायन पाउडर को डालकर दोपहर के खाने के बाद पीएं. बर्फ के कुछ टुकड़ों को एक कपड़े में लपेट कर मलद्वार पर 10 मिनट के लिए रोज लगाएं, इससे आपको कुछ ही दिनों में राहत मिल जाएगी.
लैट्रिन की जगह पर दर्द हो तो क्या करें?एक गिलास गर्म पानी या दूध में एक चम्मच ईसबगोल भूसी मिलाएं और सोते समय इसे पिएं. इससे मल त्याग करते समय दर्द कम हो जाएगा. यह एक रामबाण इलाज के तौर पर जाना जाता है. आयुर्वेदिक उपचार में हरीतकी एक शानदार जड़ी-बूटी है, जो कि सूखी और खूनी बवासीर में फायदेमंद है.
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