gandhi ji protest - फोटो : amar ujala
2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है। गांधी जी के जन्म के 150 साल पूरे होने के बाद भी उनके द्वारा किए गए आंदोलनों को आज भी याद किया जाता है। सत्य और अहिंसा के प्रति उनके अनूठे प्रयोग उन्हें आज दुनिया का सबसे अनूठा व्यक्ति साबित करते हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं गांधी के वो 5 आंदोलन जिन्होंने आज भी लोगों को अंदर तक हिला रखा है। पढ़ें आगे...
असहयोग आंदोलन-
1920 से महात्मा गांधी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया गया था। इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई जागृति प्रदान की। गांधी जी का मानना था कि ब्रिटिश हाथों में एक उचित न्याय मिलना असंभव है इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से राष्ट्र के सहयोग को वापस लेने की योजना बनाई और इस प्रकार असहयोग आंदोलन की शुरुआत की गई।
नमक सत्याग्रह -
महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए अनेकों आंदोलनों में से नमक सत्याग्रह सबसे महत्वपूर्ण था। बता दें कि महात्मा गांधी ने 12 मार्च, 1930 में साबरमती आश्रम जो कि अहमदाबाद स्थित है, दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था। बता दें कि उन्होंने यह मार्च नमक पर ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ निकाला था।
दलित आंदोलन-
महात्मा गांधी जी ने 8 मई 1933 से छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की थी। जबकि गांधी जी ने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना 1932 में की थी।
भारत छोड़ो आंदोलन -
अगस्त 1942 में गांधी जी ने ''भारत छोड़ो आंदोलन'' की शुरुआत की तथा भारत छोड़ कर जाने के लिए अंग्रेजों को मजबूर करने के लिए एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन ''करो या मरो'' आरंभ करने का निर्णय लिया।
चंपारण सत्याग्रह -
चंपारण आंदोलन भारत का पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन था जो बिहार के चंपारण जिले में महात्मा गांधी की अगुवाई में 1917 को शुरू हुआ था। इस आंदोलन के माध्यम से गांधी ने लोगों में जन्में विरोध को सत्याग्रह के माध्यम से लागू करने का पहला प्रयास किया जो ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम जनता के अहिंसक प्रतिरोध पर आधारित था।
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चंपारण
सत्याग्रह (Champaran Satyagraha) खेड़ा आंदोलन (Kheda Movement) रॉलेट ऐक्ट को विरोध (Protest Against The Rowlatt Act) असहयोग आंदोलन (Non-cooperation movement) दलित आंदोलन (Dalit Movement)
लोगों को लगने लगा कि कांग्रेस द्वारा चला जा रहा आंदोलन उनके हित में है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी के योगदान (Contribution of Gandhi Ji in the Indian Independence Movement) को शब्दों में नहीं मापा जा सकता है। उनकी नीतियां और एजेंडा अहिंसक थे और उनके शब्द लाखों लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत थे।
चंपारण आंदोलन भारत का पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन था जो बिहार के चंपारण जिले में महात्मा गांधी की अगुवाई में 1917 को शुरू हुआ था। इस आंदोलन के माध्यम से गांधी ने लोगों में जन्में विरोध को सत्याग्रह के माध्यम से लागू करने का पहला प्रयास किया जो ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम जनता के अहिंसक प्रतिरोध पर आधारित था।
जब गुजरात का एक गाँव खेड़ा बुरी तरह बाढ़ की चपेट में आ गया, तो स्थानीय किसानों ने शासकों से
कर माफ करने की अपील की। यहां गांधी ने एक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया जहां किसानों ने करों का भुगतान न करने का संकल्प लिया। उन्होंने ममलतदारों और तलतदारों के सामाजिक बहिष्कार की भी व्यवस्था की। जिसके कारण 1918 में सरकार ने अकाल समाप्त होने तक राजस्व कर के भुगतान की शर्तों में ढील दी।
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देश में उठ रही आजादी की आवाज को दबाने के लिए
अंग्रेजों द्वारा 1919 में रॉलेट ऐक्ट लाया गया। रॉलेट ऐक्ट को काले कानून के नाम से भी जाना जाता है। इस कानून में वायसरॉय को प्रेस को नियंत्रित करने, किसी भी समय किसी भी राजनीतिज्ञ को अरेस्ट करने के साथ ही बिना वांरट किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देने का प्रावधान था। महात्मा गांधी के नेतृत्व में पूरे देश में इसका विरोध किया गया।
महात्मा गांधी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में 1920 में असहयोग आंदोलन चलाया गया था। इस
आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई जागृति प्रदान की। गांधी जी का मानना था कि ब्रिटिश हाथों में एक उचित न्याय मिलना असंभव है इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से राष्ट्र के सहयोग को वापस लेने की योजना बनाई और इस प्रकार असहयोग आंदोलन की शुरुआत की गई।
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नमक सत्याग्रह (Salt Satyagraha)
ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्राह शुरू किया था, महात्मा
गांधी द्वारा चलाए गए सभी आंदोलनों में से नमक सत्याग्रह सबसे महत्वपूर्ण था। बता दें कि महात्मा गांधी ने 12 मार्च, 1930 में साबरमती आश्रम जो कि अहमदाबाद स्थित है। दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था।
देश में फैले छुआछूत के विरोध में महात्मा गांधी ने 8 मई 1933 से छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की थी। यह आंदोलन पूरे देश में इस तरह फैला कि देश में काफी हद तक छुआछूत खत्म हो गई। इसके बाद गांधी जी ने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की
स्थापना 1932 में की थी।
भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement)
महत्मा गांधी ने अगस्त 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, इस आंदोलन के कारण भारत छोड़ कर जाने के लिए अंग्रेजों को मजबूर किया गया। इसके साथ ही एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन करो या मरो भी आरंभ किया गया, इस आंदोलन के कारण ही देश के आजादी की नींव पड़ी।
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