लोन अमाउंट का मतलब क्या होता है? - lon amaunt ka matalab kya hota hai?

LOAN MEANING IN HINDI - EXACT MATCHES

LOAN = उधार [pr.{udhar} ](Noun)

Usage : He got a loan from the bank. I have taken the book on loan.
उदाहरण : क्या तुम मुझे कुछ पैसे उधार दोगे?

LOAN = ऋण [pr.{RaN} ](Noun)

उदाहरण : बहुत ज्यादा धन-ऋण चिह्न

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LOAN = कर्ज [pr.{karj} ](Noun)

उदाहरण : लगभग एक वर्ष के बाद ही वे जदुगोपाल मुकर्जी से मिले होगें.

LOANS = ऋण [pr.{RaN} ](Noun)

उदाहरण : वह बुरी तरह से ऋण में है।

LOANEE = कर्जदार [pr.{karjadar} ](noun)

Usage : The fact of having received loan amount has been admitted in evidence in the court by the loanee.
उदाहरण : रात अंधकारमय और बरसाती और एक कर्जदार थी|

LOANER = लेनदार [pr.{lenadar} ](noun)

उदाहरण : भारत ने मार्च में लेनदार बैंकों के साथ अपने विदेशी वाणिज्यिक ऋणों को पुनर्निर्धारित किया।

लोन रीस्‍ट्रक्‍चरिंग का क्‍या मतलब है, इसका क्या फायदा है?

Amit Shukla | ET Online | Updated: 27 Dec 2020, 2:03 pm

जब कोई कंपनी अपना लोन चुकाने में असमर्थ होती है तो उसे बैंक लोन रीस्ट्रक्चरिंग का विकल्प दे सकता है.

लोन अमाउंट का मतलब क्या होता है? - lon amaunt ka matalab kya hota hai?

यह बैंक और उनके ग्राहकों दोनों के लिए फायदे का सौदा है.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को लोन रीस्‍ट्रक्‍चरिंग की मंजूरी दी है. रिजर्व बैंक ने 7 अगस्त को बैंकिंग क्षेत्र की जानी-मानी हस्ती केवी कामत की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था. समिति को कोविड-19 से संबंधित दबाव वाली संपत्तियों के समाधान के नियम-कायदे के बारे में सुझाव देने को कहा गया था. रिजर्व बैंक ने कामत समिति की सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं. कई लोगों के मन में सवाल है कि आखिर लोन रीस्‍ट्रक्‍चरिंग क्‍या है और इससे लोगों को कैसे फायदा होगा? ऐसे ही सवालों का यहां हमने जवाब दिया है.

लोन रीस्‍ट्रक्‍चरिंग क्‍या है?
लोन रीस्‍ट्रक्‍चरिंग का सीधा-सादा मतलब लोन की मौजूदा शर्तों को बदलना है. बैंक इन्‍हें ग्राहकों की सहूलियत के लिए बदलते हैं. इससे बैंक या वित्‍तीय संस्‍थान लोन की मूल रकम और इस पर ब्‍याज का बेहतर तरीके से प्रबंधन कर पाते हैं. इसका बैंकों और ग्राहकों दोनों को फायदा है.

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इस प्रक्रिया में क्‍या होता है?
रीस्‍ट्रक्‍चरिंग में लोन के रीपेमेंट की अवधि बढ़ाई जा सकती है. इसके अलावा बैंक तय शर्तों के तहत ब्‍याज देनदारी की फ्रीक्‍वेंसी में बदलाव कर सकते हैं. यह हर एक मामले में अलग हो सकता है. रीस्‍ट्रक्‍चरिंग का विकल्‍प बिल्‍कुल अंत में चुना जाता है. ऐसा तब किया जाता जब कर्ज लेने वाले की ओर से डिफॉल्‍ट का जोखिम होता है. कोरोना की महामारी ने कई लोगों के सामने ऐसी ही स्थितियों को खड़ा कर दिया है. इससे लोगों की कर्ज अदायगी की क्षमता पर असर पड़ा है.

उदाहरण से समझते हैं
मान लेते हैं कि किसी व्‍यक्ति को सालाना 4 फीसदी की दर से तीन साल में एक लाख रुपये के कर्ज का रिपेमेंट करना है. लेकिन, उसे लगता है कि वह ऐसा नहीं कर जाएगा. ऐसे में बैंक इस लोन को कई तरह से रीस्‍ट्रक्‍क्‍चर कर सकते हैं. ब्‍याज की वही दर रखते हुए बैंक लोन की अवधि को बढ़ा सकते हैं. इसमें ग्राहक की लोन अदा करने की क्षमता का मूल्‍यांकन किया जाता है. इससे ग्राहक को लोन का डिफॉल्‍ट करने से बचाया जाता है. इससे वित्‍तीय संस्‍थान को भी अपने एसेट्स डूबने से बचाने में मदद मिलती है. इस प्रक्रिया से व्‍यक्ति को अपने बिजनेस को पटरी पर लाने का समय मिल जाता है.

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यह ईएमआई रीस्‍ट्रक्‍चरिंग से कैसे अलग है?
ईएमआई रीस्‍ट्रक्‍चरिंग कुछ और नहीं बल्कि लोन की अवधि को बढ़ाना है. इससे ग्राहक के लिए ईएमआई की रकम घट जाती है. इससे उसे कर्ज लौटाने में सहूलियत होती है.

वन-टाइम लोन रीस्‍ट्रक्‍चरिंग से आरबीआई का क्‍या मतलब है?
इसे वन-टाइम इसलिए कहा जा रहा है क्‍योंकि कॉरपोरेट, एमएसएमई और पर्सलन लोन के रीस्‍ट्रक्‍चरिंग के लिए पात्रता की शर्तें पहले से परिभाषित हैं. इसके लिए पहले से एक टाइमलाइन भी है.

क्‍या हैं शर्तें?
योजना का लाभ उठाने के लिए कर्जदार को 31 दिसंबर 2020 तक आवेदन करना है. इसके साथ ही एकबारगी रीस्‍ट्रक्‍चरिंग की इस योजना में 180 दिन की सख्त समयसीमा तय की गई है. कर्जदार के आग्रह करने के दिन से 180 दिन के भीतर योजना पर अमल करना होगा.

कैसे है फायदे का सौदा?
यह बैंक और उनके ग्राहकों दोनों के लिए फायदे का सौदा है. इससे बैंकों को अपने कर्ज को डूबने से बचाने में मदद मिलेगी. इससे उन्‍हें कम प्रावधान करने होंगे. वहीं, ग्राहकों को दो साल की सुविधाजनक विंडो मिल जाएगी. इसमें वे अपने कारोबार को पटरी पर ला सकते हैं. बाहर से वे अतिरिक्‍त फंडिंग जुटा सकते हैं. लोन की रीस्‍ट्रक्‍चरिंग से रिपेमेंट की शर्तों को आसान बनाया गया है.

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