विषयसूची इसे सुनेंरोकेंलेखिका ने भक्तिन का नामकरण क्या देखकर किया? (घ) पूजा पाठ। उत्तर :- (ग) कंठी माला। लेखक ने बाजार दर्शन पाठ में चूरन वाले को अकिंचित्कर कहा है इसका क्या अर्थ है?इसे सुनेंरोकेंलेखक ने ‘बाजार दर्शन’ पाठ में चूरन वाले को ‘अकिंचित्कर कहा है, जिसका अर्थ है- (अ) अर्थहीन (ब) व्यापारी (स) भिखारी (द) ठग लेखिका ने भक्तिन का नामकरण क्या देख कर किया था? इसे सुनेंरोकें’भक्तिन’ का असली नाम लक्ष्मी था। वह अपना नाम छिपाती थी क्योंकि उसे कभी समृद्ध नहीं मिली। उसके भक्ति भाव को देखकर लेखिका ने उसे ‘भक्तिन’ कहना शुरू कर दिया। लेखिका को अपना नाम महादेवी था। बाजार दर्शन में स्त्री को किसका प्रतीक बताया गया है?इसे सुनेंरोकेंउत्तर :- (क) पत्नी। भक्तिन हर वीरवार को क्या करती थी?इसे सुनेंरोकेंभक्तिन हर हफ्ते बृहस्पतिवार को गंगाजल से धुले उस्तरे से अपने बाल उतरवाती थी। भक्तिन विधवा थी। उसकी समझ के अनुसार शास्त्रो में ऐसा लिखा है कि विधवा को सिर मुँडाए बिना सिद्धि नहीं मिलती। वह शास्त्र में बताए नियम का पालन करती थी। बाजार में जादू को कौन सी इन्द्रिय पकड़ती है? इसे सुनेंरोकेंबाजार के जादू को कौन-सी इन्द्रिय पकड़ती है? (घ) कान। लेखक ने बाजार को क्या कहा है?इसे सुनेंरोकेंलेखक का मानना है कि बाजार को सार्थकता वह मनुष्य देता है जो अपनी जरूरत को पहचानता है। जो केवल पर्चेजिंग पॉवर के बल पर बाजार को व्यंग्य दे जाते हैं, वे न तो बाजार से लाभ उठा सकते हैं और न उस बाजार को सच्चा लाभ दे सकते हैं। वे लोग बाजार का बाजारूपन बढ़ाते हैं। 1 भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा?इसे सुनेंरोकेंउत्तर:- भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था, हिन्दुओं के अनुसार लक्ष्मी धन की देवी है। चूँकि भक्तिन गरीब थी। उसके वास्तविक नाम के अर्थ और उसके जीवन के यथार्थ में विरोधाभास होने के कारण निर्धन भक्तिन सबको अपना असली नाम लक्ष्मी बताकर उपहास का पात्र नहीं बनना चाहती थी इसलिए वह अपना असली नाम छुपाती थी। भक्तिन ने महादेवी वर्मा के जीवन को कैसे प्रभावित किया? इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 9-भक्तिन ने महादेवी वर्मा के जीवन पर कैसे प्रभावित किया? उत्तर- भक्तिन के साथ रहकर महादेवी की जीवन-शैली सरल हो गयी, वे अपनी सुविधाओं की चाह को छिपाने लगीं और असुविधाओं को सहने लगीं। भक्तिन ने उन्हें देहाती भोजन खिलाकर उनका स्वाद बदल दिया। भक्तिन मात्र एक सेविका न होकर महादेवी की अभिभावक और आत्मीय बन गयी। लेखक के अनुसार वह कौन सी शक्ति है जो अपने सगों के प्रति कृतघ्न कर सकती है?इसे सुनेंरोकें2. पैसे की व्यंग्य-शक्ति दारुण है। 3. लेखक को बुढ़ापे में मोटर न होने का व्यंग्य अपने सगों के प्रति कृतघ्न कर सकता है। लेखिका ने भक्तिन को क्या नाम दिया?जब भक्तिन से लेखिका ने उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम तो बताया मगर साथ में लेखिका से निवेदन किया कि उसे उसके वास्तविक नाम से पुकारा नहीं जाए। लेखिका ने उसकी बात मान ली। भक्तिन ने गले में कंठी माला पहन रखी थी। उसकी संन्यासी जैसी छवि देखकर लेखिका ने उसको भक्तिन नाम दे दिया।
लेखिका ने भक्तिन का नामकरण क्या देखकर क्या था?भक्तिन का असली नाम लक्ष्मी है। लक्ष्मी धन की देवी को माना जाता है। विडंबना देखिए कि लक्ष्मी यानी की भक्तिन के जीवन में धन कहीं नहीं था। अतः उसे अपना नाम विरोधाभास प्रतीत होता है।
भक्तिन ने अपना वास्तविक नाम लेखिका को क्यों बता दिया?उत्तर: भक्तिन का असली नाम लछमिन था जिसका अर्थ लक्ष्मी है जो समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। बात का ज्ञान है की उसके नाम तथा परिस्थिति के बीच का विरोधभास उसे समाज में बस उपहास का पात्र बनता है। समाज से उसे उपहास के अतिरिक्त और कुछ प्राप्त नहीं होगा। इसलिए वह लोगों से अपना असली नाम छिपाती थी।
भक्तिन पाठ के लेखक लेखिका का नाम क्या है?लोकप्रिय लेखिका महादेवी वर्मा ने (भक्तिन) Bhaktin पाठ को लिखा है। महादेवी वर्मा जी ने भक्तिन जैसे कई रचनाएं लिखी हैं।
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