लू लगने के क्या लक्षण होते हैं? - loo lagane ke kya lakshan hote hain?

लू लगना, आतप ज्वर, ऊष्मा-मूर्छा (हीट स्ट्रोक या सन स्ट्रोक) शरीर की वह रुग्ण अवस्था है जिसमें गरमी के कारण शरीर का तापमान 40.0 डिग्री सेल्सियस (104.0 डिग्री फारेनहाइट) के पास पहुँच जाता है और मन में उलझन की स्थ्ति रहती है। इसके अन्य लक्षण ये हैं- लाल, शुष्क त्वचा, सिरदर्द, चक्कर आना आदि। यह स्थिति एकाएक आ सकती है या धीरे-धीरे। इस समस्या की जटिल अवस्था होने पर वृक्क तक काम करना बन्द कर सकता है।

गर्मी और गर्म हवाएं शरीर में अक्सर ऐसा असर डालती हैं, जिस वजह से जानलेवा स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लू लगना भी इन्हीं स्थितियों में से एक है। धूप, गर्मी और गर्म हवा से शरीर को बचाकर ही हम इस स्थिति से बच सकते हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि साल-दर-साल लू लगने से मरने वालों के आंकड़े में इजाफा होता ही जा रहा है। इसलिए, खुद को लू से बचाने के लिए लू लगना क्या होता है और इससे संबंधित अन्य सभी जानकारियों के बारे में पता होनी जरूरी है, क्योंकि, इलाज से बेहतर हमेशा बचाव होता है।

यहां बता दें कि लू लगना वो स्थिति है, जो शरीर में गर्मी और बढ़ते तापमान की वजह से उत्पन्न होती है। इस दौरान हमारे शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है। बाहरी तापमान और गर्म हवा की वजह से शरीर ठंडा नहीं हो पाता और शरीर का तापमान 106 डिग्री फेरनहाइट या इससे भी ज्यादा हो जाता है। लू लगने पर अगर तुरंत उपचार न मिले, तो मृत्यु या स्थायी विकलांगता भी हो सकती है।[1]

कारण[संपादित करें]

तापमान के बढ़ने की वजह और गर्म हवाओं की वजह से तो लू लगती ही है, लेकिन इसके कई अन्य कारण भी होते हैं, जैसे चिलचिलाती धूप में निकलना (खासकर 11am से 3pm), शरीर में पानी की कमी, एयरफ्लो का अभाव यानी गर्म व ऐसी जगहों पर काम करना जहां हवा कम हो और भीषण आग के निकट रहना आदि।[2]

संकेत और लक्षण[संपादित करें]

हमारे शरीर में किसी भी तरह की समस्या या परेशानी उत्पन्न होने पर तुरंत हमारी बॉडी संकेत देने लगती है। लू लगने पर शरीर कई तरह के लक्षण दिखाने लगता है, जैसे - बुखार, त्वचा का लाल पड़ना, रूखा होना, गर्म होना, नम होना, नाड़ी का तेज चलना, चक्कर आना, सिरदर्द होना, जी-मिचलाना, घबराहट होना, अधिक पसीना आना और बेहोश होना आदि।

उपचार[संपादित करें]

लू लगने का उपचार इस पर निर्भर करता है कि आपकी स्थिति कैसी है। अगर आपको पानी की कमी की वजह से लू लगी है, तो आपको हाइड्रेट किया जाएगा। इसके अलावा, लू लगने वाले मरीज को आवश्यकतानुसार ड्रिप लगाई जाती है, ऑक्सीजन थेरेपी और थेरेपेटिक कूलिंग दी जाती है। मरीज के शरीर के तापमान को कम करने के लिए बर्फ वाले पानी का पैक और ठंडे पेय पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है। ठंडे पानी की भाप का भी इस्तेमाल किया जाता है।

बचाव[संपादित करें]

लू लगने से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। आप लू से बचने के घरेलू उपाय[3] भी कर सकते हैं, जैसे छाछ, चावल का पानी, नींबू या आम का रस, दाल का सूप का सेवन। इसके अलावा आप हल्के, ढीले और पूरी आस्तिन के कपड़े पहने, सिर को हमेशा टोपी या कपड़े से ढककर रखें, गर्म कमरों में बैठने से बचें और हवादार, छायादार या एयर कंडिशन कमरे में ही रहें। शरीर के बढ़ते तापमान को नियंत्रित करने के लिए ठंडे पानी से स्नान करें। इस दौरान शराब और कार्बोनेटेड पेय और सूरज की किरणों से बचें।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "लू लगना". मूल से 19 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अक्तूबर 2019.
  2. "लू लगने के कारण". मूल से 20 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अक्तूबर 2019.
  3. "लू लगने का उपचार". मूल से 20 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अक्तूबर 2019.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • लू लगना (उष्माघात)
  • लू लगना : इन बातों का रखें ध्यान
  • लू लगना क्या है? लक्षण, कारण और उपचार
  • लू लगना क्या है और यह क्यों खतरनाक है?

Heatstroke Or Suntroke: लू लगने के बाद क्या होता है, आप कैसे पहचान सकते हैं कि आपको या परिवार के किसी सदस्य को लू लग गई है. एक बार पता चलने के बाद इसका उपचार कैसे करना चाहिए, जैसे कई सवाल एक साथ मस्तिष्क में आते हैं. क्योंकि लू लगना भले ही एक मौसमी समस्या हो लेकिन यदि इसका समय पर उपचार ना किया जाए तो जान के लिए खतरा भी हो जाता है. सबसे पहले लू लगने के लक्षणों के बारे में जानें...

  • लू लगने के बाद शरीर अपना तापमान नियंत्रित नहीं कर पाता है और टेंप्रेचर लगातार बढ़ता चला जाता है.
  • शरीर का ताप बढ़ने के बाद भी पसीना बिल्कुल नहीं आ रहा होता है.
  • लगातार जी-मिचलाता है और उल्टी भी हो सकती है.
  • त्वचा पर लाल निशान, रैशेज या चकते दिख सकते हैं.
  • दिल की धड़कने तेज रहती हैं
  • सिर में दर्द बना रहता है
  • मानसिक स्थिति बिगड़ने लगती है, कुछ भी सोचने-समझने की शक्ति नहीं रहती है.
  • कुछ सोचने की कोशिकर करो तो चीजें याद नहीं आती हैं.
  • बुखार बढ़ता चला जाता है.
  • त्वचा रूखी लेकिन बहुत नर्म महसूस होती है.

क्यों होती है लू लगने की समस्या?

लू लगने की समस्या की एक नहीं कई वजह हैं और ज्यादातर कारण आपके लाइफस्टाइल से जुड़े हुए हैं. जैसे...

  • ठंडे मौसम से या कहिए कि एसी रूम से अचानक तेज धूप और गर्मी में आ जाना.
  • गर्म हवाओं और धूप में अधिक समय बिताना
  • तेज गर्मी के मौसम में अधिक एक्सर्साइज करना
  • शरीर की आवश्यकता से कम पानी पीना
  • गर्मी के मौसम में ठंडी तासीर की चीजों का सेवन ना करना या कम करना. जैसे, दही, खीरा, तरबूज इत्यादि.
  • सही कपड़ों का चुनाव ना करना. ऐसे कपड़े पहनने से बचें, जिनमें हवा पास ना होती हो. कॉटन पहनना सबसे सही है.
  • एल्कोहॉल का अधिक सेवन करना भी गर्मी के मौसम में भारी पड़ता है और लू लगने की वजह बनता है. क्योंकि इससे शरीर की तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता कमजोर होती है.

लू लगने पर क्या करें?

कई बचाव और प्रयासों के बाद भी यदि आप लू की चपेट में आ जाते हैं तो इस स्थिति में आपका शरीर इसके बुरे प्रभावों से लड़ने में सक्षम होता है. क्योंकि जो लोग सही डायट लेते हैं और लू लगने के कारणों से पूरी तरह बचने का प्रयास करते हैं. उनका शरार आंतरिक रूप से काफी मजबूत होता जाता है. लेकिन फिर भी यदि आपको लू लग जाए तो सबसे पहले ये काम करें...

  • सबसे पहले ठंडे स्थान पर लेट जाएं. लेकिन एसी को बहुत तेज ना करें. शरीर को हवा लगने दें.
  • गीले कपड़े से शरीर को हल्के हाथों से पोंछे.
  • सांस नॉर्मल करने का प्रयास करें और ताजा पानी पिएं. इलेक्ट्रॉल घोल, नींबू पानी पीना सबसे अधिक लाभकारी होता है.
  • फिर थोड़ी देर के लिए गीला तौलिया सिर पर रखें ताकि मस्तिष्क शांत हो सके.
  • शरीर का तापमान नियंत्रित होने पर ताजे पानी से स्नान करें.
  • उल्टी-पेटदर्द और लूज मोशन होने की स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करें.
  • यदि बुखार हो जाए तब भी अपने मन से दवाएं ना लें और डॉक्टर से सुझाव लेकर ही दवाओं का सेवन करें.

लू से बचाव के उपाय

  • तेज धूप और गर्म हवाओं में निकलने से बचें.
  • यदि किसी कारण तेज गर्मी में घर से बाहर निकलना पड़े तो नींबू पानी या इलेक्ट्रॉल पीकर निकलें.
  • शरीर में फ्लूइड की मात्रा को पूरा करने के लिए सिर्फ ताजे पानी पर निर्भर ना रहें. बल्कि ठंडा दूध और नारियल पानी जैसे देसी पेय जरूर पिएं.
  • सोडा, कोल्ड ड्रिंक, कॉफी और चाय से जितना हो सके दूर रहें. ये शरीर में पानी की मात्रा को कम करने काम करती है. इससे लू लगने की आशंका बढ़ जाती है.
  • धूप में निकलने से पहले कॉटन के कपड़े पहनें और फुल बाजू के कपड़े पहनें.
  • धूप से बचाव के लिए छाते का उपयोग करें. सिर को तौलिया से ठंडे या हैट पहनें.
  • नाक और मुंह के हिस्से को मास्क से कवर रखें या फिर रुमाल बांधकर रखें.
  • गमछा, तौलिया या सूती स्कार्फ से अपने कान जरूर कवर करके रखें. कान ढंके रहने पर शरीर का तापमान नियंत्रित रखने में मदद मिलती है.
  • पानी की बोतल साथ लेकर चलें और प्यास को बर्दाश्त ना करें.
  • कभी भी भूखे पेट धूप में या गर्म हवाओं में न जाएं.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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लू लगने का क्या पहचान है?

हमारे शरीर में किसी भी तरह की समस्या या परेशानी उत्पन्न होने पर तुरंत हमारी बॉडी संकेत देने लगती है। लू लगने पर शरीर कई तरह के लक्षण दिखाने लगता है, जैसे - बुखार, त्वचा का लाल पड़ना, रूखा होना, गर्म होना, नम होना, नाड़ी का तेज चलना, चक्कर आना, सिरदर्द होना, जी-मिचलाना, घबराहट होना, अधिक पसीना आना और बेहोश होना आदि।

लू के लक्षण क्या क्या होते हैं?

लू तापघात के लक्षण.
सिर का भारीपन एवं सिरदर्द।.
अधिक प्‍यास लगना एवं शरीर मे भारीपन के साथ थकावट।.
जी मचलना, सिर चकराना व शरीर का तापमान बढना।.
शरीर का तापमान अत्‍यधिक (105 एफ या अधिक ) हो जाना व पसीना आना बन्‍द होना, मुंह का लाल हो जाना व त्‍वचा का सूखा होना।.

लू का असर कब तक रहता है?

गर्मी के मौसम में अक्सर लोग लू लगने से परेशान रहते हैं. यह एक कॉमन समस्या है, लेकिन समय पर इलाज भी जरूरी है. गर्मी में शुष्क और बेहद गर्म हवा चलने को लू (Loo) कहा जाता है. अप्रैल से लेकर जून के महीने में यह समस्या अधिक होती है, क्योंकि इन तीन महीनों में ही पारा बहुत हाई होता है और बेहद गर्म और ड्राई हवाएं बहती हैं.

Loo लगने पर कौन सी दवा लेनी चाहिए?

इसमें जीरा, धनिया, शकर, नमक, कालीमिर्च डालकर पना बनाना चाहिए। पने को लू के रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर में दिया जाना चाहिए। 9 जौ का आटा व पिसा हुआ प्याज मिलाकर शरीर पर लेप करें तो लू से तुरंत राहत मिलती है। जब रोगी को बाहर ले जाएं, तो उसके कानों में गुलाब जल मिलाकर रूई के फाहे लगाएं।