किसकी ज्योति दिन रात जलती रहती है? - kisakee jyoti din raat jalatee rahatee hai?

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किसकी ज्योति दिन रात जलती रहती है? - kisakee jyoti din raat jalatee rahatee hai?

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किसकी ज्योति दिन रात जलती रहती है? - kisakee jyoti din raat jalatee rahatee hai?

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नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जाकी जोति बरै दिन राती


जिसकी ज्योति दिन-रात जलती रहती है। अर्थात् कवि स्वयं को बत्ती और प्रभु को दीपक मानते हैं। जिसकी ज्योति दिन-रात जलती रहती है, ऐसे कवि दिन-रात प्रभु की भक्ति में जलते रहना चाहते हैं। भक्त ईश्वर के तेज से आलोकित हो रहा है।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।


दूसरे पद में ‘गरीब निवाजु’ ईश्वर को कहा गया है। जिस व्यक्ति पर ईश्वर की कृपा होती है वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है। नीच से नीच व्यक्ति का भी उद्धार हो जाता है। ऐसे लोग जो स्पर्श दोष के कारण हाथ लगने पर अपने-आपको अपवित्र मानते हैं। ऐसे दीनों पर दया करने वाले प्रभु ही है जो दुखियों के दर्द से द्रवित हो जाते हैं।

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निम्नलिखित प्रशनो के उत्तर दीजिए-
पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीज़ों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए।


पहले पद में भगवान और भक्त की चंदन-पानी. धन-वन-मौर, चंद्र-चकोर, दीपक-बाती, मोती-धागा, सोना-सुहागा आदि चीजों से तुलना की गई है। कवि ने अपनी भक्ति के माध्यम से प्रभु के नाम की लगन में रम जाने की इच्छा व्यक्त की है।

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निम्नलिखित प्रशनो के उत्तर दीजिए-
पहले पद में कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से परस्पर सबंद्ध है। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए-
उदाहरण: दीपक                          बाती
            .............                   .............
            .............                   .............
            .............                   ..............
            .............                   ..............


तुकांत शब्द - 
पानी - समानी
मोरा - चकोरा
बांती - राती
धागा - सुहागा
दासा - रैदासा

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निम्नलिखित प्रशनो के उत्तर दीजिए-
दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।


दूसरे पद में ‘गरीब निवाजु’ ईश्वर को कहा गया है। जिस व्यक्ति पर ईश्वर की कृपा होती है वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है। नीच से नीच व्यक्ति का भी उद्धार हो जाता है। ऐसे लोग जो स्पर्श दोष के कारण हाथ लगने पर अपने-आपको अपवित्र मानते हैं। ऐसे दीनों पर दया करने वाले प्रभु ही है जो दुखियों के दर्द से द्रवित हो जाते हैं।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
दूसरे पद की ‘जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।


इस पंक्ति का आशय है कि सांसारिक लोग नीच जाति में उत्पन्न होने वालों के प्रति स्पर्श दोष मानते हुए उन्हें अछूत मानते हैं, पर ईश्वर उन लोगों पर भी कृपा करते हैं। उनका उद्धार कर देते हैं क्योंकि उनकी दृष्टि में भक्त की भक्ति ही श्रेष्ठ है। उसका प्रेम ही सर्वोपरि है। इसलिए प्रभु को पतितपावन, भक्त-वत्सल, दीनानाथ कहा जाता है।

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रैदास के अनुसार दिन रात किसकी ज्योति जलती है?

अर्थात् कवि स्वयं को बत्ती और प्रभु को ऐसा दीपक मानते हैं, जिसकी ज्योति दिन-रात जलती रहती है, यानी रैदास जी दिन-रात प्रभु की भक्ति से आलोकित रहना चाहते हैं।

दिन रात किसकी ज्योति बढ़ती है A दीपक की B बाती की C ईश्वर की d कवि की?

Answer: (d) ईश्वर का दास।

चंद्रमा को रातभर कौन देखता है 1 Point मोर चकोर रैदास रसखान?

(ख) चकोर पक्षी अपने प्रिय चाँद को एकटक निहारता रहता है, उसी तरह कवि अपने प्रभु राम को भी एकटक निहारता रहता है। इसीलिए कवि ने अपने को चकोर कहा है।

कवि ने ईश्वर को गरीब नवाज क्यों कहा है?

उत्तर:- दूसरे पद में 'गरीब निवाजु' ईश्वर को कहा गया हैईश्वर को 'निवाजु ईश्वर' कहने का कारण यह है कि वे निम्न जाति के भक्तों को भी समभाव स्थान देते हैं, गरीबों का उद्धार करते हैं,उन्हें सम्मान दिलाते हैं, सबके कष्ट हरते हैं और भवसागर से पार उतारते हैं।