In this article, we will share MP Board Class 7th Hindi Solutions Chapter 5 दाँत हैं तो जहान है Pdf, These solutions are solved subject experts from the latest edition books. MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 5 प्रश्न-अभ्यासवस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न (ख) MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 5 अति लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 2. (ख) किसी से कुछ माँगने से पहले दाँत दिखाना क्यों आवश्यक हैं? (ग) शीत लहर में लोग अपना गुस्सा कैसे झाड़ते हैं? (घ) किस बात से पता चलता है कि लोग अपने दाँतों को सोने-चाँदी से अधिक महत्त्व देते हैं? MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 5 लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 3. (क) लेखक लंबे दाँत वाले आदमी को अधिक आदर क्यों देता है? (ख) लेखक ने आकार के अनुसार दाँतों के कितने प्रकार बतलाए हैं? (ग) लेखक ने बालों को सजावट की चीज कहा है। इस कथन से आप कितने सहमत हैं? (घ) लेखक के अनुसार आँखों का महत्त्व कम क्यों (ङ) लेखक परमात्मा से क्या प्रार्थना करता है? भाषा की बात प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8.
दाँत हैं तो जहान है पाठ का परिचय प्रस्तुत रचना एक हास्य रचना है जिसमें लेखक ने दाँतों के महत्त्व का उल्लेख किया है। लेखक मनुष्य के सभी अंगों के विश्लेषण के बाद तय करता है कि दाँतों से अधिक श्रेष्ठ अंग कोई नहीं है। कुछ विशेष जैसे-साँप, हाथी तथा कुत्ते के दाँत निकाल दिए जाएँ तो उनका अस्तित्व जैसे समाप्त हो जाता है। लेखक ने कहा लंबे दाँतों की अपनी ही विशेषता होती है। मुँह खोलते ही हँसता चेहरा नजर आता है। इसी तरह ‘हाथी के खाने के दाँत और’ तथा दिखाने के दाँत और होते हैं। दाँतों के बिना मनुष्य ने तो रो सकता है और न. ही हँस सकता है। इस तरह लेखक ने दाँतों को शरीर का सबसे खास अंग माना है। दाँत हैं तो जहान है संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या 1. शरीर के सभी …………………… पड़ता नहीं। शब्दार्थ – पंचभूत शरीर = पृथ्वी, जल, आकाश, हवा व, अग्नि से बना शरीर; निष्पन्न = किया गया। संदर्भ-प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठय-पुस्तक ‘सुगम भारती’ ‘हिंदी सामान्य’ भाग-7 के पाठ-5 ‘दाँत हैं तो जहान हैं’ से ली गई है। इसके रचयिता श्रीनिवास वत्स हैं। प्रसंग- पुस्तत पंक्तियों में शरीर के कई हिस्सों का वर्णन किया गया है। व्याख्या-लेखक शरीर के कई हिस्सों का विश्लेषण करता है और उसे ज्ञात होता है शरीर में बहुत थोड़े अंग ऐसे है जो ठीक तरह से काम के नहीं है। अब बाल को ही लीजिए। क्या गंजे किसी बुद्धिमान की तरह नहीं सोच सकते। ईश्वर ने कुछ अंग तो ऐसे. दिए हैं जो मात्र शोभावान हैं। विशेष-शरीर के अंगों की चर्चा की गई है। 2. आकार के अनुसार……………परम आवश्यक हैं। (प्र. 23-24) शब्दार्थ-दरिया = बड़ी नदी; दंत विहीन = बिना दाँत के प्रतिद्वंद्वी = विरोधी, प्रतिस्पर्धी; सर्वोपरि सबसे ऊपर। संदर्भ-पूर्ववत्। प्रसंग-इमसें दाँतों के प्रकार तथा बल्कि अंगों से तुलना को दर्शाया गया है। व्याख्या-लेखक के अनुसार दो प्रकार के दाँत होते हैं। पहले प्रकार के दाँत इतने विशाल होते हैं कि जो मुँह बंद करने पर भी बाहर निकले रहते हैं और दूसरे प्रकार के वे हमेशा मुँह के अंदर ही रहते हैं। जीभ की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता परंतु जैसे-जैसे दाँत टूटते जाते हैं, हाब्द भी अशद्ध निकलने शुरू हो जाते है। झगड़े-आदि के समय सबसे पहले दाँत तोड़ने की बात करता है। बाकि अंगों से दाँत श्रेष्ठ ही साबित होते हैं। और खाने के लिए तो दाँत है ही अनिवार्य । |