Class 12 Hindi Chapter 1 Karneliya Ka Geet Poem Summary in Hindiकार्नेलिया का गीत कविता क्लास 12 अंतरा पाठ 1 – जयशंकर प्रसादजयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय – Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay Show
जय शंकर प्रसाद जी का जन्म काशी के एक सुप्रसिद्ध वैश्य परिवार में ३० जनवरी सन् 1889 ई. में हुआ था। कवि का परिवार सुंघनी साहू के नाम से प्रसिद्ध था। इस का कारण यह था कि इनके यहां तम्बाकू का व्यापार होता था। जयशंकर प्रसाद जी के पितामह का नाम शिवरतन साहू और पिता का नाम देवी प्रसाद था। प्रसाद जी के पितामह शिव के परमभक्त और दयालु थे। इनके पिता भी अत्यधिक उदार और साहित्य प्रेमी थे। उनका स्कूल में मन ना लगने के कारण प्रसाद जी की शिक्षा घर पर ही हुई । वह प्राय: साहित्यिक पुस्तकें पढ़ा करते थे और अवसर मिलने पर कविता भी किया करते थे । प्रसाद जी के प्रसिद्ध काव्य हैं आंसू, कामयाबी, चित्राधार इत्यादि, प्रसिद्ध कहानियां हैं इंद्रजाल, छाया और उपन्यास तितली, कंकाल। प्रसाद जी ने स्कंदगुप्त सज्जन जैसे नाटकों की भी रचना की थी। प्रसाद जी की अंतिम रचना सलवती कहानी थी। घर की परिस्थितियां और जीवन के संघर्ष के कारण बीमारियों से ग्रस्त होने के कारण प्रसाद जी की मृत्यु सन् १९३७ ई. की 15 नवंबर को हुई। यह कविता जय शंकर प्रसाद ने लिखी है। यह कविता उनके चन्दगुप्त नाटक से ली गई है। कर्नेलिया सिकंदर के सेनापति सेलयुक्स की पुत्री थी। युद्ध में हारने के बाद सम्राट चन्द्र गुप्त से सेलयुक्स ने मित्रता कर ली तथा अपनी पुत्री का विवाह उनसे करा दिया। इस तरह चन्द्र गुप्त की पत्नी बनकर भारत में आई कर्नेलिया सिंधु नदी के किनारे ग्रीक शिविर के पास पेड़ के नीचे बैठी थी। तब वह भारत के अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य से मन-मोहित हो उठती है और उसका बखान करती है और कहती है सिंधु का यह मनोहर तट जैसे मेरे आंखों के सामने एक नया चित्रपट उपस्तिथि कर रहा है। इस वातावरण से धीरे-धीरे इसकी सुंदरता जैसे हृदय को छू रही है। ऐसा लगता है मानो में लंबी यात्रा करके वहां पहुंच गई हूं जंहा के लिए मैं चली थी। ये सब कितना रमणीय है तब वह ये गीत गाती है। ये गीत हमारे भारत के सौंदर्य को दर्शाता है। पक्षी भी अपने प्यारे घोंसले की ओर उड़ता है। अनजान को सहारा देना और लहरों को किनारा देना हमारे भारत की सुंदरता है। कार्नेलिया का गीत कविता – Karneliya Ka Geet Poemअरुण यह मधुमय देश हमारा! कार्नेलिया का गीत कविता की व्याख्या – Karneliya Ka Geet Poem Line by Line Explanationअरुण यह मधुमय देश हमारा! शब्द अर्थ व्याख्या- ये हमारा भारत देश अत्यंत उत्साह से भरा हुआ है। जब इस पर सूर्य की किरणों का प्रकाश पड़ता है तब ये और भी सुंदर लगता है। इस देश में सूर्य का ये दृश्य अत्यंत मन मोहक है। यहां पहुँचकर अनजान क्षितिज को भी सहारा मिल जाता है। कहने का तात्पर्य ये है कि भारत में अपरिचित लोगो को यानी दूर देश से आए हुए लोगों को भी अपनापन लगता है, उनको भी यहां सहारा मिलता है। सरल तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरुशिखा मनोहर। शब्द अर्थ व्याख्या- सूर्य के प्रकाश में खिले कमल तथा पेड़ों की कोमल पत्तियों का सौंदर्य मन मोह लेता है । ऐसा लगता है मानो सूर्य की किरणें कमल के पत्तों पर तथा तरुशिखा पर नृत्य कर रही हों। इस पावन धरती पर हर जगह हरियाली ही हरियाली है। फैली हरियाली पर सूर्य की किरणों पड़ती है तो मानो ऐसा लगता है जैसे हरियाली पर मंगल कुमकुम बिखर गया हो और सारी धरती पावन हो गई हो। लघु
सुरधनु से पंख पसारे, शीतल मलय समीर सहारे। शब्द अर्थ व्याख्या- प्रातः कालीन मलय पर्वत की सुगंधित शीतल पवन का सहारा लेते हुए इन्द्रधनुष के समान रंग बिरंगे सुंदर-सुंदर छोटे-छोटे पंखों को फैला कर पक्षी भी जिस ओर मुंह किए उड़ते दिखाईं देते है ये वही भारत देश है। यानी विभिन्न संस्कृतियों के लोग भी इस देश में आकर रहना पसंद करते हैं। उनको यहां आकर शांति मिलती है और यहां के लोग उन्हें अपना भी लेते है। बरसाती आँखों के बादल, बनते जहाँ भरे करुणा जल। व्याख्या- जिस प्रकार बादल गर्मी से तपते मुरझाए वृक्ष को वर्षा प्रदान करके नया जीवन प्रदान
करते हैं उसी प्रकार भारतवासी भी करुणामय हैं। उनके अंदर भले ही कितने दुख हों, लेकिन वो बाहर से आए लोगों का दुख सुनकर उनको सुलझाने का प्रयास करते हैं, उन्हें सहारा देते हैं और उन्हें आशा की किरण दिखाते हैं। हेम कुम्भ ले उषा सवेरे, भरती ढुलकाती सुख मेरे। व्याख्या- कवि कहता है,
मानो उषा रूपी पनिहारि स्वर्ण कलश में सुख व समृद्धि रूपी जल भरकर भारत भूमि पर लुढ़का देती है अर्थात सुबह भारतवासी सुख समृद्धि से भरपूर दिखाई पड़ते हैं। Tags: कार्नेलिया का गीत का मूल भाव क्या है?छिटका जीवन हरियाली पर-मंगल कुंकुम सारा!
कार्नेलिया का गीत में किसका वर्णन है?गीत की व्याख्याः-
कार्नेलिया भारत भूमि की महिमा का बखान कर रही है। प्रातःकालीन लालिमा से युक्त हमारा यह भारत देश बहुत ही आनंददायी है। विश्व के कोने-कोने से आए ज्ञानियों, जिज्ञासुओं एवं सुख कामनाओं वाले मनुष्यों को यहाँ आकर तृप्ति एवं संतुष्टि का अहसास मिलता है।
कार्नेलिया का गीत कविता का केंद्रीय विषय क्या है?इस गीत में उन्होंने भारत के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहा है कि भारत ही ऐसा देश है, जहाँ पर सूरज की किरण सबसे पहले पहुंचती है। भारत के चप्पे-चप्पे पर प्राकृतिक सौंदर्य की भरमार है। सुबह-सुबह जब वृक्ष की टहनियों पर सूरज की किरणें गिरती हैं और अपनी लालिमा बिखेरती है, तो अद्भुत छटा देखने को मिलती है।
कार्नेलिया का गीत कविता में कौनसा रस है?प्रस्तुत पंक्ति में देवसेना की वेदना का परिचय मिलता है। वह स्कंदगुप्त से प्रेम कर बैठती है परन्तु स्कंदगुप्त के हृदय में उसके लिए कोई स्थान नहीं है। जब देवसेना को इस सत्य का पता चलता है, तो उसे बहुत दुख होता है। वह स्कंदगुप्त को छोड़कर चली जाती है।
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