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सप्ताह का हर दिन अलग देवता का, जानें देव पूजा का दिन और शुभ विधिहिन्दू धर्म में 34 करोड़ देवी देवता हैं जो गो माता के शरीर में वास करते हैं। क्या आप को पता है कि सप्ताह के सात दिन भी सात देवताओं के नाम हैं। इनके पूजा-पाठ से हर संकट दूर होता है। रविवार ज्योतिषियों की माने तो रविवार के दिन को सूर्य देवता का दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य भगवान की पूजा करने से सूर्य देवता खुश होते हैं। रविवार को व्रत रखने से व्यक्ति का तेज बढ़ता है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर है उन्हें इस दिन लाल वस्त्र पहनने की सलाह दी जाती है। साथ ही इस दिन भगवान सूर्य का व्रत रखना भी शुभ माना जाता है। सोमवार सोमवार को भगवान को शिवजी का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान शिवजी की पूजा की जाती है। उनकी पूजा करने से समाज में मान-सम्मान बढ़ता है। ज्योतिषियों का कहना है कि जो लोग भगवान शिवजी का व्रत करते हैं उन पर शिवजी की कृपा रहती है। मंगलवार मगंलवार को हनुमान जी का दिन माना जाता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर होता है उन्हें मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। बुधवार बुधवार के दिन को श्री गणेश का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ज्योतिषियों का कहना है कि इस दिन कोई भी काम शुरु करना शुभ होता है। इन लोगों की कुंडली में बुध कमजोर होता है। उन्हें बुधवार के दिन गणेश भगवान की पूजा करने की सलाह दी जाती है। गुरुवार गुरुवार के दिन को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। इस दिन केले के पेड़ की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि केले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। ज्योतिषियों का कहना है कि अगर इस दिन घर की महिलाएं पूजा करती हैं तो घर में पैसे की कमी नहीं रहती है। शुक्रवार शुक्रवार के दिन को संतोषी मां का दिन माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी के साथ मां दुर्गा की पूजा भी की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन घर की महिलाएं पूजा करती है तो ये शुभ होता है। घर धन धान्य से भर जाता है। शनिवार शनिवार को शनिदेव का दिन माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन पूजा करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। जिन लोगों की कुंडली में शनि दोष चल रहा है। उन लोगों को इस दिन शनि मंदिर में जाकर पूजा करने की सलाह दी जाती
है। Edited By: prabhapunj.mishra सनातन परंपरा में प्रत्येक दिन या तिथि किसी न किसी देवी-देवता की साधना-आराधना के लिए सुनिश्चित है. रविवार के दिन किस देवता की पूजा से दूर होंगे दु:ख और किस ग्रह की पूजा (Worship) पूरी होगी आपकी मनोकामना, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.रविवार की पूजा का सरल एवं प्रभावी उपाय Image Credit source: pixabay.com हिंदू (Hindu) धर्म में सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी या देवता अथवा ग्रह की पूजा विशेष के लिए सुनिश्चित है. मान्यता है कि यदि देवी-देवता या फिर ग्रह (Planet) से संबंधित दिन पर उनकी साधना-आराधना की जाए तो साधक पर शीघ्र ही दैवीय कृपा बरसती है. सनातन परंपरा के अनुसार रविवार का दिन न सिर्फ भगवान सूर्य देव (Lord Sun) के लिए बल्कि भय को भगाने वाले भगवान भैरव और दुष्टों का संहार करके सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाली देवी दुर्गा (Goddess Durga) की पूजा के लिए भी अत्यंत ही शुभ और फलदायी माना जाता है. आइए रविवार के दिन इनकी पूजा के धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं. सूर्य की साधना से संवरेगा भाग्यरविवार का दिन भगवान सूर्य देवता की पूजा के लिए समर्पित है. भगवान सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा और ईश्वर का नेत्र बताया गया है. प्रतिदिन प्रत्यक्ष दर्शन देने वाले सूर्य देवी की साधना से साधक को सुख, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है. सूर्य देवता की कृपा पाने के लिए रविवार को प्रात:काल स्नान-ध्यान के बाद तांबे के लोटे में शुद्ध जल भर कर उसमें रोली, अक्षत और लाल पुष्प डालकर ॐ घृणि सूर्याय नम: मंत्र जपते हुए उन्हें अर्घ्य देना चाहिए. मान्यता है कि भक्ति-भाव के साथ भगवान सूर्य को अर्घ्य देने और आदित्य हृदय स्तोत्र का तीन बार पाठ करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता और सम्मान मिलता है. भय को भगाते हैं भगवान भैरवहिंदू धर्म मे भगवान भैरव को देवों के देव महादेव का उग्र रूप माना जाता है. मान्यता है कि पृथ्वी पर जहां-जहां पर देवी के शक्तिपीठ या सिद्धपीठ हैं, वहां पर भगवान भैरव जरूर मौजूद रहते हैं. रविवार के दिन की जाने वाली उनकी पूजा शीघ्र ही फलदायी मानी गई है. मान्यता है कि इस दिन भक्ति भाव से भगवान भैरव की पूजा करने वाले साधक पर वे शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और पलक झपकते उसके सारे कष्ट दूर कर देते हैं. रविवार के दिन भगवान भैरव की पूजा में पुष्प, मौसमी फल, नारियल, पान, मदिरा, सिंदूर, आदि चढ़ाकर उनकी पूजा करने का विधान है. रविवार के दिन जीवन से जुड़ी बड़ी से बड़ी आपदा को दूर करने के लिए रविवार को भगवान भैरव के मंत्र ॐ काल भैरवाय नमः मंत्र का जप करें. देवी दुर्गा की पूजा से दूर होंगे सारे दु:खमान्यता है कि देवी दुर्गा की पूजा के लिए मंगलवार और शुक्रवार की तरह रविवार भी अत्यंत ही शुभ माना जाता है. ऐसे में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए देवी के साधक को रविवार के दिन विशेष रूप से उनकी पूजा करनी चाहिए. रविवार के दिन देवी दुर्गा से मनचाहा आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा में श्रृंगार की वस्तुएं, लाल रंग के वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चंदन और लाल रंग के फल अवश्य चढ़ाएं. जीवन से जुड़े सभी प्रकार के दु:ख को दूर करने और मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए देवी के महामंत्र ”सर्व मंगल मागंल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके. शरण्येत्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते” का जप अवश्य करें. (यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.) कौन सा वार किस देवता का होता है?जीवन मंत्र डेस्क.
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार शिवपुराण में सातों दिनों के हिसाब से देवताओं के पूजन का महत्व बताया है। रविवार को सूर्य, सोमवार को चंद्र, मंगलवार को मंगल, बुधवार को बुध, गुरुवार को बृहस्पति, शुक्रवार को शुक्र और शनिवार को शनि का पूजन करना श्रेष्ठ रहता है।
बुधवार के दिन कौन से भगवान का दिन रहता है?बुधवार (Wednesday) के दिन बुद्धि के देवता माने जाने वाले भगवान गणेश की पूजा (Lord Ganesh Puja) की जाती है. इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के मुताबिक इस दिन बुध देव (Budh Dev) की भी पूजा की जाती है.
शुक्रवार कौन से भगवान का दिन है?शुक्रवार का दिन देवी दुर्गा को समर्पित है, इसलिए इस दिन दुर्गा जी के साथ ही उनके सभी अवतारों की पूजा की जाती है। समस्त प्रकार के भोगों की प्राप्ति के लिए शुक्रवार को एकाग्रचित्त होकर देवी दुर्गा के साथ ही अन्य देवताओं का पूजन करने से और यथासंभव ब्राह्मणों को अन्न दान करने से पुण्य फल की प्रप्ति होती है।
किस्मत के देवता कौन है?हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार, अगर आपकी भाग्य रेखा खंडित हो और उसमें दोष भी हो तो इन्हें लक्ष्मी माता की पूजा करनी चाहिए। साथ ही ओम श्रीं, ह्रीं, श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं सिद्ध लक्ष्म्यै नमः।
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