Show पासपोर्ट विवाद: कमल क्या वाक़ई भारत का राष्ट्रीय पुष्प है?13 दिसंबर 2019 इमेज स्रोत, Getty Images भारतीय विदेश मंत्रालय ने नए भारतीय पासपोर्टों पर कमल का निशान होने के बारे में सफ़ाई देते हुए कमल को देश का राष्ट्रीय पुष्प बताया. पासपोर्ट पर कमल का मुद्दा बुधवार को लोकसभा में भी उठा था जहाँ कांग्रेस सांसद एमके राघवन ने इसे 'भगवाकरण' की ओर एक और क़दम बताया और सरकार से सवाल किया. इसके बाद विदेश मंत्रालय ने सफ़ाई दी है मगर क्या कमल वाक़ई भारत का राष्ट्रीय फूल है? गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने अपनी प्रेस वार्ता में ये स्पष्टीकरण दिया - "मुझे लगा कि शायद ये स्पष्टीकरण आ गया है...नहीं? देखिए...मैंने भी रिपोर्ट्स ऐसी देखी हैं. देखिए...ये जो सिंबल है...ये सिंबल क्या है? ये सिंबल हमारे राष्ट्रीय पुष्प का है और ये विकसित सुरक्षा फ़ीचर का हिस्सा है. ये फ़र्जी पासपोर्ट्स का पता लगाने के लिए किया गया है...और ये हम बताना नहीं चाहते थे लेकिन चूंकि सवाल आया है तो हमें बताना पड़ रहा है. और ये जो सुरक्षा फ़ीचर्स हैं, नए सुरक्षा फ़ीचर्स हैं, ये इंटरनेशन सिविल एविएशन ऑर्गनाइज़ेशन (ICAO) के दिशा निर्देशों के अनुसार ही लाए गए हैं. और मैं ये भी बता दूं कि कमल के अलावा और भी राष्ट्रीय प्रतीक हैं जो बारी-बारी से इस्तेमाल किए जाएंगे. जैसे कि एक बाघ का सिंबल है. अभी कमल है तो अगले महीने कुछ और आएगा फिर कुछ और आएगा...ये सब प्रतीक बिना किसी निश्चित क्रम के आते रहेंगे. इसमें वो सारे वही प्रतीक हैं जो भारत से जुड़े हुए हैं. जैसे राष्ट्रीय पुष्प हो सकता है, राष्ट्रीय पशु हो सकता है." रवीश कुमार ने जो सफ़ाई दी उसके हिसाब से कमल भारत का राष्ट्रीय पुष्प है. एनसीईआरटी, यूजीसी और भारत सरकार से जुड़ी वेबसाइटों पर भी ऐसा ही बताया जाता रहा है लेकिन इस बारे में कुछ ख़ास स्पष्टता नहीं है. इसी साल जुलाई महीने में बीजू जनता दल के राज्यसभा प्रसन्न आचार्य गृह मंत्रालय में राज्यमंत्री से सदन में इसी से जुड़े तीन सवाल पूछे थे: -भारत के राष्ट्रीय पशु, पक्षी और पुष्प कौन से हैं? -क्या इस सम्बन्ध में भारत सरकार या किसी अन्य सक्षम प्राधिकरण द्वारा कोई अधिसूचना जारी की गई है? -यदि हां, तो अधिसूचना का ब्योरा क्या है? - यदि नहीं, तो यूजीसी, एनसीईआरटी और भारत सरकार पोर्टल किस प्रावधान के अन्तर्गत राष्ट्रीय पशु, राष्ट्रीय पक्षी और राष्ट्रीय पुष्प के नाम प्रकाशित कर रहे हैं? इसके जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने ये कहा - "पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 'बाघ'और 'मोर'को क्रमश: राष्ट्रीय पशु और राष्ट्रीय पक्षी के रूप में अधिसूचित किया गया है लेकिन राष्ट्रीय पुष्प के सम्बन्ध में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है.राष्ट्रीय पुष्प के बारे में सम्बन्धित संगठनों से जानकारी एकत्रित की जा रही है और सदन के पटल पर रख दी जाएगी." साल 2017 में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आरटीआई एक्टिविस्ट और छात्रा ऐश्वर्या पराशर ने पर्यावरण और वन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले बोटैनिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया से पूछा था कि क्या कमल को भारत का राष्ट्रीय पुष्प घोषित किया गया है? इसके जवाब में उन्हें बताया गया था कि बोटैनिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने कभी कमल को भारत का राष्ट्रीय पुष्प नहीं घोषित किया गया. वहीं भारत सरकार से जुड़ी वेबसाइट knowindia.gov.in पर कमल को भारत का राष्ट्रीय पुष्प बताया गया है. स्कूली किताबों में भी कमल को ही भारत का राष्ट्रीय पुष्प बताया गया है. भारत 1 दिसंबर से G-20 की अध्यक्षता करेगा। भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2022 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भारत के G-20 प्रेसीडेंसी के लोगो, थीम और वेबसाइट का अनावरण किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि G-20 इंडिया का लोगो ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का प्रतिनिधित्व करता है। G-20 का ये लोगो केवल एक प्रतीक चिन्ह नहीं है। ये एक संदेश है, ये एक भावना है, जो हमारी रगों में है। ये एक संकल्प है जो हमारी सोच में शामिल रहा है। इस लोगो और थीम के जरिए हमने एक संदेश दिया है। युद्ध से मुक्ति के लिए बुद्ध के जो संदेश हैं, हिंसा के प्रतिरोध में महात्मा गांधी के जो समाधान हैं G-20 के जरिए भारत उनकी वैश्विक प्रतिष्ठा को नई ऊर्जा दे रहा। G-20 लोगो में कमल का प्रतीक आशा का प्रतिनिधित्व करता है। जी-20 दुनिया के विकासशील और विकसित देशों का समूह है, जो अपने देशों की तरक्की के लिए साझा रणनीति पर काम करते हैं। प्रधानमंत्री ने इस बैठक का लोगो जारी किया है, जिसमें कमल के फूल की आकृति बनी है। कमल के फूल का सनातन धर्म में विशेष महत्व है और भारत का राष्ट्रीय पुष्प होने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का चुनाव चिन्ह भी है। कांग्रेस सरकार ने ही इसे 1950 में राष्ट्रीय पुष्प घोषित किया था। भारत सरकार के मुताबिक, G-20 लोगो में कमल का फूल इसलिए अंकित किया गया है क्योंकि ये वसुधैव कुटुंबकम के विचार को परिभाषित करता है। लेकिन सनातन प्रतीकों से नफरत करने वाली कांग्रेस पार्टी को G-20 के लोगो में कमल पच नहीं रहा है, उसे मिर्ची लग गई है। वह इसे केवल बीजेपी के चुनाव चिन्ह से जोड़कर देख रही है और ओछी राजनीति पर उतर आई है।
जी-20 के लोगों में ‘कमल’ क्यों है? पीएम मोदी ने कहा कि ‘G-20 का ये लोगो केवल एक प्रतीक चिन्ह नहीं है। ये एक संदेश है, ये एक भावना है, जो हमारी रगों में है। ये एक संकल्प है जो हमारी सोच में शामिल रहा है। इस लोगो और थीम के जरिए हमने एक संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि युद्ध से मुक्ति के लिए बुद्ध के जो संदेश हैं हिंसा के प्रतिरोध में महात्मा गांधी के जो समाधान हैं। G20 के जरिए भारत उनकी वैश्विक प्रतिष्ठा को नई ऊर्जा दे रहा है।
सनातन धर्म से नफरत कांग्रेस के डीएनए में इसे कांग्रेस की बेशर्मी ही कहा जाएगा कि वह हिन्दू धर्म या उससे जुड़ी चीजों को बदनाम करने या उसे नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती है। रामसेतु पर सवाल खड़ा करना हो या भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर ही सवाल उठा देना और अब कमल फूल पर विवाद खड़ा करना, कांग्रेस के डीएनए में सनातन धर्म से नफरत रचा-बसा है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस विवाद को तूल देते हुए कहा, “70 साल पहले नेहरू ने कांग्रेस के झंडे को भारत का ध्वज बनाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। अब बीजेपी का चुनाव चिह्न जी-20 का आधिकारिक लोगो बन गया है। हमें पता है कि पीएम मोदी और बीजेपी बेशर्मी से खुद को बढ़ावा देने के लिए कोई मौका नहीं गंवाएंगे।” इस हिसाब से तो हर व्यक्ति का हाथ कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि ये पार्टी का चुनाव चिह्न है। इस लिहाज से तो उनका प्रचार देश के सभी लोग कर रहे हैं फिर भी उन्हें वोट नहीं मिल रहे हैं और देश में हर राज्य से उनकी सरकारें सिमटती जा रही हैं।
भारतीय संस्कृति में अलौकिक पुष्प है कमल इस मुद्दे पर बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कमल भारतीय संस्कृति में अलौकिक पुष्प है। लक्ष्मी जी और सरस्वती जी दोनों कमल पर विराजती हैं, शायद इसीलिए स्वतंत्रता के बाद भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल चुना गया। कमल के विरोध में ये भारतीय संस्कृति व हिंदू प्रतीकों के अपमान में भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान करने में भी नहीं झिझकते।
भारत की पौराणिक गाथाओं में कमल का विशेष स्थान भारत की पौराणिक गाथाओं में कमल का विशेष स्थान है। पुराणों में ब्रह्मा को विष्णु की नाभि से निकले हुए कमल से उत्पन्न बताया गया है और लक्ष्मी को पद्मा, कमला और कमलासना कहा गया है। चतुर्भुज विष्णु को शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण करनेवाला माना जाता है। भारतीय मंदिरों में स्थान-स्थान पर कमल के चित्र अथवा संकेत पाए जाते हैं। सनातन धर्म के विरोध में अंधी कांग्रेस प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति के मांगलिक प्रतीक रहे इस फूल को महज भाजपा का चुनाव चिह्न या प्रतीक समझती है। अंधविरोध में कांग्रेस पार्टी यह भी भूल गई कि यह भारत का राष्ट्रीय फूल भी है। भगवान् बुद्ध की जितनी मूर्तियां मिली हैं, प्राय: सभी में उन्हें कमल पर आसीन दिखाया गया है। मिस्र देश की पुस्तकों और मंदिरों की चित्रकारी में भी कमल का प्रमुख स्थान है। कुछ विद्वानों की राय है कि कमल मिस्र से ही भारत में आया।
हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों में कमल फूल का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व कमल के फूल अपनी सुंदरता के लिए जाने जाते हैं। कमल से भरे हुए ताल को देखना काफी मनोहारी होता है क्योंकि ये तालाब की ऊपरी सतह पर खिलते हैं। भारत में पवित्र कमल का पुराणों में भी उल्लेख है और इसके बारे में कई कहावतें और धार्मिक मान्यताएं भी हैं। हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों में इसकी ख़ासी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता है। इसीलिए इसको भारत का राष्ट्रीय पुष्प होने का गौरव प्राप्त है।
भारतीय कविता में प्रचुरता से मिलता है कमल का वर्णन भारतीय कविता में कमल का निर्देश और वर्णन बड़ी प्रचुरता से पाया जाता है। सुंदर मुख की, हाथों की और पैरों की उपमा लाल कमल के फूल से और आंख की उपमा नील-कमल-दल से दी जाती है। कवियों का यह भी विश्वास है कि कमल सूर्योदय होने पर खिलता है और सूर्यास्त होने पर मुंद जाता है। कमल के तने (मृणाल, बिस) का वर्णन हंसों और हाथियों के प्रिय भोजन के रूप में किया गया है। कमल के पत्तों से बने हुए पंखे तथा मृणाखंड विरहिणी स्त्रियों की संतापशांति के साधन वर्णित किए गए हैं। कामशास्त्र में स्त्रियों का विभाजन चार वर्गों में किया गया है जिनमें सर्वश्रेष्ठ वर्ग ‘पद्मिनी’ नाम से अभिहित है। विष्णु पुराण में भी कमल का उल्लेख प्राचीन भारतीय ग्रंथों में कमल को महत्वपूर्ण स्थाम प्राप्त है। विष्णु पुराण में इन्द्र द्वारा लक्ष्मी की स्तुति करते हुए कहा गया है- कमल के आसन वाली, कमल जैसे हाथों वाली, कमल के पत्तों जैसी आंखों वाली, हे पद्म (कमल) मुखी, पद्मनाभ (भगवान विष्णु) की प्रिय देवी, मैं आपकी वन्दना करता हूँ। इससे पता चलता है कि भारतीय संस्कृति में कमल के सौंदर्य को कितना आकर्षक और पवित्र माना गया है। एक पुराण का नाम ही पद्म पुराण है ऐसा कहा जाता है कि पदम का अर्थ है-‘कमल का पुष्प’। चूंकि सृष्टि रचयिता ब्रह्माजी ने भगवान नारायण के नाभि कमल से उत्पन्न होकर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञान का विस्तार किया था, इसलिए इस पुराण को पदम पुराण की संज्ञा दी गई है। महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित सभी अठारह पुराणों की गणना में ‘पदम पुराण’ को द्वितीय स्थान प्राप्त है। श्लोक संख्या की दृष्टि से भी इसे द्वितीय स्थान रखा जाता है। भारत के मंदिरों की दीवारों, गुंबदों और स्तंभों में कमल के सुंदर अलंकरण भारत के धार्मिक चित्रों व मंदिरों की दीवारों, गुंबदों और स्तंभों में कमल के सुंदर अलंकरण मिलते हैं। अधिकांश हिन्दू देवी-देवताओं को हाथ में कमल के साथ चित्रित किया जाता है, लक्ष्मी और ब्रह्मा ऐसे प्रमुख देवता हैं। खजुराहो के देवी जगदम्बी मंदिर में हाथ में कमल लिये हुए, 5 फीट 8 इंच ऊंची खड़ी हुई चतुर्भुजी देवी की मूर्ति है। यहीं स्थित एक सूर्य मंदिर में सूर्य को एक पुरष के रूप में स्थापित किया गया है। मूर्ति 5 फीट ऊंची है और उसके दोनों हाथों में कमल के पुष्प हैं। उदयपुर में पद्मावती माता जल कमल मन्दिर नामक मंदिर को कमल के आकार में बनाया गया है। संगमरमर से निर्मित देवी पद्मावती के इस मन्दिर में देवी लक्ष्मी, सरस्वती एवं अम्बिका की भव्य प्रतिमाएँ विराजमान हैं। राजस्थान के धौलपुर जिले में मचकुण्ड तीर्थ स्थल के नजदीक ही कमल के फूल का बाग हैं। चट्टान काटकर बनाये गये कमल के फूल के आकार में बने इस बाग का ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व हैं। प्रथम मुगल बादशाह बाबर की आत्मकथा तुजके-बाबरी (बाबर नामा) में जिस कमल के फूल का वर्णन हैं वह धौलपुर का यही कमल के फूल का बाग हैं। बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित देव सूर्य मंदिर में गर्भ गृह के ऊपर का शिखर कमल का आकार में है जिसके ऊपर सोने का कलश है। अशोक की लाट में भी अधोमुखी कमल का प्रयोग किया गया है। भारत की राजधानी दिल्ली में बने बहाई उपासना मंदिर का स्थापत्य पूरी तरह से खिलते हुए कमल के आकार पर आधारित है जिसके कारण इसे लोटस टेंपल भी कहते हैं। कमल को ही राष्ट्रीय फूल क्यों माना जाता है?हिंदू मान्यताओं के अनुसार कमल एक पवित्र फूल है। भारत अब थक भी हिंदू बहुल राष्ट्र है और इसी लिए कमल को राष्ट्रीय पुष्प माना गया है। गुलाब भी एक पवित्र फूल है जिसे भगवान के चरणों में चढ़ाया जाता है और इसे प्रणय व प्रेम का प्रतीक भी मानते हैं इसके आकार के कारण जो कि हृदय के आकार का होता है।
हमारा राष्ट्रीय फूल किसका प्रतीक है?कमल (निलम्बो नूसीपेरा गेर्टन) भारत का राष्ट्रीय फूल है। यह पवित्र पुष्प है और इसका प्राचीन भारत की कला और गाथाओं में विशेष स्थान है और यह अति प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति का मांगलिक प्रतीक रहा है।
राष्ट्रीय कमल क्या है?राष्ट्रीय पुष्प
कमल (निलम्बो नूसीपेरा गेर्टन) भारत का राष्ट्रीय फूल है। यह पवित्र पुष्प है और इसका प्राचीन भारत की कला और गाथाओं में विशेष स्थान है और यह अति प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति का मांगलिक प्रतीक रहा है। भारत पेड़ पौधों से भरा है।
राष्ट्रीय पुष्प कमल किसका प्रतीक है?कमल का फूल शांति और संस्कृति का प्रतीक है।
कमल का फूल भारत का राष्ट्रीय फूल भी है, यह भारत में सदैव संस्कृति का प्रतीक रहा है।
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