भावों एवं विचारों की स्वाभाविक एवं सरल अभिव्यक्ति गद्य के द्वारा ही होती है। इसी कारण सामाजिक, साहित्यिक तथा वैज्ञानिक आदि समस्त विषयों के लिखने का माध्यम प्रायः गद्य है। Show Students can also download MP Board 10th Model Papers to help you to revise the complete Syllabus and score more marks in your examinations. छन्द, विधान एवं लय के बन्धन से मुक्त रचना गद्य कहलाती है। हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल को आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी ने गद्यकाल कह कर पुकारा है। इस प्रकार हिन्दी में प्रथम बार हिन्दी साहित्य का विकास गद्यात्मक और पद्यात्मक दो प्रकार से हुआ है। – हिन्दी गद्य के प्रवर्तक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र हैं। गद्य साहित्य की अनेक विधाएँ हैं। उनका विभाजन इस प्रकार है- पाठ्यक्रम के अनुरूप प्रमुख विधाओं का संक्षिप्त परिचय यहाँ दिया जा रहा है। 1. निबन्ध गद्य की उस रचना को कहते हैं जिसमें लेखक किसी विषय पर अपने विचारों को सीमित सजीव, स्वच्छन्द, सुव्यवस्थित रूप से अभिव्यक्त करता है। हिन्दी निबन्धों का प्रारम्भ भारतेन्दु युग से माना जाता है। निबन्ध के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं
2. कहानी कहानी गद्य साहित्य की सबसे लोकप्रिय मनोरंजक विधा है। कहानी साहित्य की वह गद्य रचना है जिसमें जीवन के किसी एक पक्ष का कल्पना प्रधान हृदयस्पर्शी एवं सुरुचिपूर्ण कथात्मक वर्णन होता है। कहानी एक कलात्मक गद्य विद्या है। कहानी के प्रमुख छः तत्त्व निम्नलिखित हैं
मुंशी प्रेमचन्द तथा जयशंकर प्रसाद, जैनेन्द्र, अज्ञेय, यशपाल आदि कहानीकारों में लोकप्रिय हैं। 3. उपन्यास उपन्यास गद्य साहित्य की वह विधा है कि जिसमें मानव जीवन का विस्तृत रूप कथात्मक गद्य में रोचक प्रकार से प्रस्तुत किया जाता है। साथ ही इसमें युगीन प्रवृत्तियाँ इस प्रकार चित्रित की जाती हैं कि मनुष्य को कुछ दिशा-निर्देश मिल सके। उपन्यास के प्रमुख तत्त्व इस प्रकार हैं-
उपन्यासों के प्रमुख भेद इस प्रकार हैं’-
उपन्यासकारों में प्रेमचन्द जी का नाम उल्लेखनीय है क्योंकि उन्होंने ग्रामीण जीवन, नारी उद्धार, मजदूर एवं कृषकों की दीन दशा का सुन्दर वर्णन किया है। प्रेमचन्द के उपन्यास राष्ट्रीय चेतना पर आधारित हैं। 4. एकांकी एक अंक वाले नाटक को एकांकी कहा जाता है। आकार में छोटा होने के कारण इसमें जीवन का खण्ड चित्र प्रस्तुत होता है। नाटक के समान इसके भी छ: तत्त्व होते हैं। इसमें पात्रों की संख्या एवं घटनाएँ भी कम होती हैं। एकांकी अनेक प्रकार के होते हैं, जो इस प्रकार हैं एकांकी के विविध प्रकार निम्नलिखित हैं
एकांकी के प्रमुख तत्त्व इस प्रकार हैं
एकांकी को कथावस्तु के आधार पर संवादों एवं अभिनय के द्वारा रंगमंच पर प्रस्तुत किया जा सकता है। रामकुमार वर्मा, धर्मवीर भारती, उपेन्द्रनाथ अश्क, विष्णु प्रभाकर आदि जाने-माने एकांकीकार हैं। 5. नाटक नाटक ‘नट’ शब्द से निर्मित है जिसका आशय है-सात्विक भावों का अभिनय। हिन्दी में नाटक लिखने का प्रारम्भ पद्य के द्वारा हुआ लेकिन आज के नाटकों में गद्य की प्रमुखता है। नाटक गद्य का वह कथात्मक रूप है, जिसे अभिनय संगीत, नृत्य, संवाद आदि के माध्यम से रंगमंच पर अभिनीत किया जा सकता है। पाश्चात्य आचार्यों के मतानुसार नाटक के प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित हैं
लेकिन भारतीय विद्वानों के अनुसार नाटक के तत्त्व हैं-
सुप्रतिष्ठित एवं श्रेष्ठ नाटककारों में श्री जयशंकर प्रसाद का नाम उल्लेखनीय है। नाटक के विकास में श्री जयशंकर प्रसाद ने सर्वाधिक योगदान दिया है। 6. जीवनी गद्य साहित्य की इस विधा में किसी महान पुरुष के जीवन को व्यवस्थित रूप से रोषक शैली में प्रस्तुत किया जाता है। इस रचना को जीवनी कहा जाता है। जीवनी लेखक जीवन में जीवन के यथार्थ तथ्य को उजागर करते हुए व्यक्ति के आन्तरिक एवं बाह्य जीवन से सम्बन्धित विभिन्न पक्षों को पाठकों के सम्मुख उपस्थित करता है। जीवनी में एक ओर तो इतिहास जैसी प्रामाणिकता तथा तथ्यपूर्णता होती है तथा दूसरी ओर वह साहित्यिकता के तत्त्वों से पूर्ण होती है। सरलता,सरसता,सत्यता एवं स्पष्टता इस शैली की मुख्य विशेषताएँ हैं। जीवनी लेखकों में प्रमुख रूप से डॉ.राजेन्द्र प्रसाद,जैनेन्द्र कुमार,रामवृक्ष बेनीपुरी, राम विलास शर्मा, विष्णु प्रभाकर, राहुल सांकृत्यायन तथा अमृतराय प्रमुख हैं। 7. आत्मकथा महापुरुषों के माध्यम से लिखी गई आत्मकथाएँ पाठकों का सही मार्गदर्शन करती हैं। साथ ही उनके लिए प्रेरणादायक भी होती हैं। गद्य की इस विधा के अन्तर्गत लेखक अपने जीवन वृत्त को व्यवस्थित रूप से रोचक ढंग से प्रस्तुत करता है। आत्मकथा में वह अपने जीवन से सम्बन्धित सभी छोटी या बड़ी घटनाओं को न केवल क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत करता है अपितु अपने जीवन पर.पड़े हुए अनेक प्रभावों का भी उल्लेख करता है। इन घटनाओं में जीवन से सम्बन्धित सभी ऊँच-नीच का सरल भाव से वर्णन होता है। आत्मकथा लेखकों में पाण्डेय बेचन शर्मा, यशपाल, बाबू गुलाबराय तथा हरिवंशराय बच्चन विशेष रूप से प्रशंसनीय हैं। 8. रेखाचित्र रेखाचित्र शब्द अंग्रेजी के ‘स्क्रेच’ शब्द का अनुवाद है तथा दो शब्दों रेखा और चित्र के योग से बना है। यह गद्य साहित्य की आधुनिक विधा है। इस विधा में लेखक रेखाचित्र के माध्यम से शब्दों का ढाँचा तैयार करता है। लेखक किसी भी सत्य घटना की वस्तु का या व्यक्ति का चित्रात्मक भाषा में वर्णन करता है। इसमें शब्द चित्रों का प्रयोग आवश्यक है। रेखाचित्रकारों में महादेवी वर्मा, कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’, बनारसीदास चतुर्वेदी, रामवृक्ष बेनीपुरी एवं डॉ. नगेन्द्र विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। 9. संस्मरण संस्मरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है-सम् + स्मरण। इसका अर्थ है सम्यक स्मरण अर्थात् किसी घटना, किसी व्यक्ति अथवा वस्तु का स्मृति के आधार पर कलात्मक वर्णन करना संस्मरण कहलाता है। इसमें स्वयं की अपेक्षा उस वस्तु की घटना का अधिक महत्त्व होता है जिसके विषय में लेखक संस्मरण लिख रहा होता है। संस्मरण की समस्त घटनाएँ सत्यता पर ही आधारित होती हैं। इसमें लेखक कल्पना का अधिक प्रयोग नहीं करता है। संस्मरण लेखकों में महादेवी वर्मा एवं बनारसीदास चतुर्वेदी का प्रमुख स्थान है। 10. यात्रा वृत्तान्त या यात्रा साहित्य इसका प्रारम्भ आधुनिक काल में हुआ है। यात्रा + वृत्तान्त, इसके नाम से ही परिलक्षित होता है कि इसमें किसी यात्रा का वर्णन है। इसमें लेखक किसी यात्रा का अथवा किसी घटना विशेष का सुन्दर ढंग से वर्णन करता है। इसके द्वारा लेखक की विशेषताएँ परिलक्षित होती हैं। यात्रा वृत्तान्त लेखकों में प्रमुख हैंराहुल सांकृत्यायन, धर्मवीर भारती, मोहन राकेश तथा विनय मोहन शर्मा। इसके अतिरिक्त रामधारीसिंह ‘दिनकर’ ने ‘देश-विदेश’ यात्रावृत्त तथा बालकृष्ण भट्ट ने ‘कतिकी का जहान’ लिखे हैं। इस विधा में अनौपचारिक एवं आत्मव्यंजक वर्णन होता है। गद्य साहित्य की यह विधा रोचक एवं मनोरंजक होती है। यात्रा का सरस एवं रोचक वर्णन सांस्कृतिक भौगोलिक एवं ऐतिहासिक धरातल पर होता है। 11. रिपोर्ताज ‘रिपोर्ताज’ मूल रूप से फ्रांसीसी भाषा का शब्द है जिसका आशय है-सरस एवं भावात्मक अंकन। इसमें लेखक किसी भी आयोजन, घटना, संस्था आदि की कलात्मक ढंग से ब्यौरे-बार रिपोर्ट तैयार करके जो प्रस्तुतीकरण करता है; उसे ही रिपोर्ताज कहते हैं। इसमें लेखक घटना का स्वाभाविक वर्णन करता है। यह गद्य साहित्य की आधुनिक विधा है। कुछ प्रमुख रिपोर्ताज लेखक कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’, विष्णु प्रभाकर माचवे, श्याम परमार, अमृतराय, रांगेय राघव तथा प्रकाश चन्द्र गुप्त आदि हैं। 12. गद्यकाव्य या गद्य गीत किसी सघन अनुभूति को कलात्मक लय से गद्य में प्रस्तुत करना गद्यकाव्य कहलाता है। यह गद्य की आधुनिक विधा है। गद्यकाव्य में रसमयता, कलात्मकता, भावात्मक और चमत्कारिकता गद्यकाव्य की प्रमुख विशेषताएँ हैं। कुछ गद्यकाव्य के लेखक इस प्रकार हैं-वियोगी हरि,रामवृक्ष बेनीपुरी तथा रायकृष्णदास आदि। 13. भेंट वार्ता (साक्षात्कार) भेंट वार्ता का अर्थ है–साक्षात्कार। भेंट वार्ता ही इण्टरव्यू नाम से प्रसिद्ध है। इस विधा में भेंटकर्ता किसी महान व्यक्ति के मन और जीवन में प्रश्नों के द्वारा झाँककर उसके आन्तरिक दृष्टिकोण को पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करता है। भेटवार्ता वस्तुतः पत्रकारिता की देन है। भेंट वार्ता वास्तविक एवं काल्पनिक दोनों प्रकार की होती है। आजकल परिचर्चा के माध्यम से यह विधा विकसित हो रही है। हिन्दी में इसके विकास की पूर्ण सम्भावना है। भेटवार्ता लेखकों में राजेन्द्र यादव, पद्मसिंह शर्मा ‘कमलेश’ और शिवदान सिंह चौहान उल्लेखनीय हैं। 14. आलोचना आलोचना हिन्दी गद्य साहित्य की प्रमुख विधा है। आलोचना का अर्थ है-किसी रचना को उचित प्रकार परख कर उसके गुण और दोषों की समीक्षा करना और उसके विषय में अपने विचार प्रस्तुत करना। आलोचना के लिए समालोचना एवं समीक्षा शब्दों का भी प्रयोग होता है। कुछ समालोचक लेखकों के नाम इस प्रकार हैं
15. डायरी डायरी गद्य साहित्य की महत्त्वपूर्ण विधा है। ‘डायरी’ शब्द अंग्रेजी का है। डायस शब्द संस्कृत भाषा दिवस का समानार्थी है। डायरी में प्रतिदिन की घटनाओं का वर्णन तिथिवार होता है। इसमें लेखक उन घटनाओं का वर्णन करता है जो उसके जीवन में घटित होती हैं। हिन्दी में सर्वप्रथम डायरी लेखन का प्रयोग गाँधीजी ने किया था। आज के भौतिक युग में डायरी लेखन का महत्त्व बढ़ गया है। धीरेन्द्र वर्मा,रामधारीसिंह दिनकर तथा शमशेर बहादुर एवं मोहन राकेश प्रमुख डायरी लेखक हैं। डायरी लेखन के दो प्रकार हैं-
साहित्यिक डायरी में लेखक का व्यक्तित्व स्पष्ट दिखायी देता है। ऐतिहासिक डायरी में घटनाओं की स्पष्टता साकार हो उठती है। 16. पत्र साहित्य किसी भी व्यक्ति/साहित्यकार द्वारा लिखे गए पत्रों में उसकी सहजता एवं उसके व्यक्तित्व का स्वाभाविक रूप उभरकर सामने आता है। क्योंकि यह एक व्यक्ति/साहित्यकार द्वारा दूसरे व्यक्ति को लिखा गया होता है। उद्देश्य संभवतः छपवाने का नहीं हो पर कभी-कभी ऐसे पत्र साहित्यिक दृष्टि से मूल्यवान तथा समाज के लिए एक धरोहर बन जाते हैं। उदाहरणार्थ,महात्मा गांधी द्वारा लिखे गए विभिन्न पत्र एवं पं. नेहरू द्वारा जेल में रहकर इंदिरा गांधी को लिखे गए पत्र (पिता के पत्र पुत्री के नाम)। पत्रों के संबंध में पं. बनारसीदास चतुर्वेदी का कथन है-“जीवन में पत्रों का बड़ा महत्व है। शरीर में रक्त-माँस का जो स्थान है, वही स्थान चरित्रों में छोटे-छोटे किस्से कहानियों तथा पत्रों का है।” हिन्दी पत्रिकाओं में प्रकाशित होने वाले जिस पत्र-साहित्य को ख्याति मिली, उसमें बालमुकुन्द गुप्त के ‘भारत मित्र’ में प्रकाशित ‘शिव शम्भु के चिठे’ विश्वम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’ द्वारा ‘चाँद’ में प्रकाशित ‘दुबे जी की चिट्ठी’ प्रमुख हैं। महावीर प्रसाद द्विवेदी के पत्र ‘पत्रावली’ नामक पुस्तक में संकलित हैं। प्रेमचन्द जी भी अच्छे पत्र लेखक थे। उनके पत्रों का संग्रह श्री अमृत राय ने ‘चिट्ठी-पत्री’ भाग-1 व 2 शीर्षक से प्रकाशित किया है। ‘निराला’ के दुर्लभ पत्रों का संकलन ‘निराला की साहित्य साधना’ के तृतीय खण्ड में डॉ. रामविलास शर्मा ने सम्पादित किया है। पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ ने तो उपन्यास ‘चन्द हसीनों के खतूत’ ही पत्र शैली में लिखा है। बनारसीदास चतुर्वेदी जी द्वारा सम्पादित ‘पद्मसिंह शर्मा के पत्र’ भी उल्लेखनीय पत्र साहित्य हैं। स्वयं बनारसीदास चतुर्वेदी ने अपने जीवन में हजारों पत्र लिखे हैं, वे एक अच्छे पत्र-लेखक थे। प्रश्नोत्तर (क) वस्तुनिष्ठ प्रश्न बहु-विकल्पीय प्रश्न 1. हिन्दी साहित्य में प्रेमचन्द …………………. सम्राट के नाम से जाने जाते हैं [2013] 2. निम्न में से कौन-सा गद्यकार भारतेन्दु युग का नहीं है? 3. हिन्दी की प्रथम कहानी है 4. किस पत्रिका के साथ ही हिन्दी कहानी का जन्म माना जाता है? [2012] 5. दीपदान एकांकी के रचयिता हैं- 6. मील के पत्थर संस्मरण के लेखक हैं- 7. आंचलिक कहानीकारों में प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं 8. गद्य काव्य के प्रसिद्ध लेखक हैं 9. ‘तितली’ उपन्यास के लेखक हैं- रिक्त स्थानों की पूर्ति सत्य/असत्य 1. सरस्वती पत्रिका सन् 1913 में प्रकाशित हुई। सही जोड़ी मिलाइए I. ‘अ’ – ‘ब’ 1. भारतेन्दु युग के निबन्धकार – (क) छायावाद युग II. ‘अ’ – ‘ब’ 1. वृन्दावन लाल वर्मा ‘राखी की लाज’ – (क) मुंशी प्रेमचन्द हैं एक शब्द/वाक्य में उत्तर 1. हिन्दी में निबन्ध लेखन
की शुरुआत कब हुई? (ख) अति लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न
1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
प्रश्न 4. प्रश्न 5.
प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10.
प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. (ग) लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रयत्न,प्रयोग अथवा परीक्षण। अभिप्राय यह है कि किसी विषय का भली-भाँति प्रतिपादन करना या परीक्षण करना निबन्ध कहलाता है। बाबू गुलाबराय के अनुसार, “निबन्ध उस गद्य रचना को कहते हैं, जिसमें एक सीमित आकार के भीतर किसी विषय का वर्णन या प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, स्वच्छन्दता, सौष्ठव और सजीवता तथा आवश्यक संगति और सम्बद्धता के साथ किया गया हो।” हिन्दी साहित्य के प्रमुख निबन्धकार-प्रतापनारायण मिश्र,बालकृष्ण भट्ट,सरदार पूर्णसिंह, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, हजारीप्रसाद द्विवेदी। प्रश्न 3.
प्रश्न 4.
प्रश्न 5. आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, प्रेमचन्द, बाबू गुलाबराय, डॉ. श्यामसुन्दर दास और सरदार पूर्णसिंह आदि। द्विवेदी युग के गद्य (निबन्धों) की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
प्रश्न 6.
भारतेन्दु युगीन प्रमुख नाटककार
प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रमुख जीवनी लेखक एवं उनकी रचनाएँ
प्रश्न 10.
प्रश्न 11. कुछ रिपोर्ताज लेखकों के नाम इस प्रकार हैं
प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. कहानीकार कहानियाँ कहानीकार कहानियाँ
प्रश्न 16. प्रश्न 17.
प्रश्न 18.
आत्मकथा-‘मेरी कहानी (जवाहरलाल नेहरू) प्रश्न 19. प्रश्न 20. संस्मरण-जब लेखक अपने सम्पर्क में आने वाली विशेष, अनोखी, प्रिय एवं आकर्षक घटनाओं, दृश्यों या व्यक्तियों को स्मृति के सहारे पुनः अपनी कल्पना में मूर्त करके शब्दों द्वारा चित्रण करता है, उसे संस्मरण कहते हैं। रेखाचित्र एवं संस्मरण में तीन अन्तर निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 21. प्रमुख पत्र-साहित्यकार एवं उनकी कृतियाँ-
MP Board Class 10th Hindi Solutionsजीवनी कितने प्रकार के होते हैं?ये हैं- आत्मीय जीवनी, लोकप्रिय जीवनी, कलात्मक जीवनी और मनोवैज्ञानिक जीवनी।
जीवनी से आप क्या समझते हैं इसकी विशेषताओं पर चर्चा करें?जीवनचरित, किसी व्यक्ति के जीवन वृत्तांतों को सचेत और कलात्मक ढंग के बारे लिखे उपन्यास अथवा लेख को कहा जा सकता है। प्रसिद्ध इतिहासज्ञ और जीवनी-लेखक टामस कारलाइल ने अत्यन्त सीधी सादी और संक्षिप्त परिभाषा में इसे "एक व्यक्ति का जीवन" कहा है।
अच्छी जीवनी की प्रमुख विशेषताएं क्या है?जीवनी(jeevanee)परिभाषा,विशेषताऐं और प्रमुख जीवनी - Hindi Best Notes.com.
जीवनी का उद्देश्य क्या है?जीवनी का अर्थ, तत्व, उद्देश्य, प्रकार, महत्ता आदि
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