जीवनी के विविध प्रकारों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। - jeevanee ke vividh prakaaron ko sankshep mein spasht keejie.

भावों एवं विचारों की स्वाभाविक एवं सरल अभिव्यक्ति गद्य के द्वारा ही होती है। इसी कारण सामाजिक, साहित्यिक तथा वैज्ञानिक आदि समस्त विषयों के लिखने का माध्यम प्रायः गद्य है।

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छन्द, विधान एवं लय के बन्धन से मुक्त रचना गद्य कहलाती है।

हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल को आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी ने गद्यकाल कह कर पुकारा है। इस प्रकार हिन्दी में प्रथम बार हिन्दी साहित्य का विकास गद्यात्मक और पद्यात्मक दो प्रकार से हुआ है। – हिन्दी गद्य के प्रवर्तक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र हैं। गद्य साहित्य की अनेक विधाएँ हैं। उनका विभाजन इस प्रकार है-

जीवनी के विविध प्रकारों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। - jeevanee ke vividh prakaaron ko sankshep mein spasht keejie.

पाठ्यक्रम के अनुरूप प्रमुख विधाओं का संक्षिप्त परिचय यहाँ दिया जा रहा है।

जीवनी के विविध प्रकारों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। - jeevanee ke vividh prakaaron ko sankshep mein spasht keejie.

1. निबन्ध

गद्य की उस रचना को कहते हैं जिसमें लेखक किसी विषय पर अपने विचारों को सीमित सजीव, स्वच्छन्द, सुव्यवस्थित रूप से अभिव्यक्त करता है। हिन्दी निबन्धों का प्रारम्भ भारतेन्दु युग से माना जाता है।

निबन्ध के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं

  • वर्णनात्मक,
  • विवरणात्मक,
  • विचारात्मक,
  • भावात्मक,
  • विवेचनात्मक,
  • आलोचनात्मक,
  • व्यंग्यात्मक,
  • अलंकारिक निबन्ध।

2. कहानी

कहानी गद्य साहित्य की सबसे लोकप्रिय मनोरंजक विधा है। कहानी साहित्य की वह गद्य रचना है जिसमें जीवन के किसी एक पक्ष का कल्पना प्रधान हृदयस्पर्शी एवं सुरुचिपूर्ण कथात्मक वर्णन होता है। कहानी एक कलात्मक गद्य विद्या है। कहानी के प्रमुख छः तत्त्व निम्नलिखित हैं

  • कथानक,
  • पात्र चरित्र-चित्रण,
  • कथोपकथन (संवाद),
  • देशकाल तथा वातावरण,
  • भाषा-शैली,
  • उद्देश्य।

मुंशी प्रेमचन्द तथा जयशंकर प्रसाद, जैनेन्द्र, अज्ञेय, यशपाल आदि कहानीकारों में लोकप्रिय हैं।

3. उपन्यास

उपन्यास गद्य साहित्य की वह विधा है कि जिसमें मानव जीवन का विस्तृत रूप कथात्मक गद्य में रोचक प्रकार से प्रस्तुत किया जाता है। साथ ही इसमें युगीन प्रवृत्तियाँ इस प्रकार चित्रित की जाती हैं कि मनुष्य को कुछ दिशा-निर्देश मिल सके।

उपन्यास के प्रमुख तत्त्व इस प्रकार हैं-

  • कथानक,
  • पात्र व चरित्र-चित्रण,
  • संवाद,
  • देशकाल तथा वातावरण,
  • भाषा-शैली
  • उद्देश्य।

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उपन्यासों के प्रमुख भेद इस प्रकार हैं’-

  • सामाजिक,
  • ऐतिहासिक,
  • राजनैतिक,
  • मनोवैज्ञानिक,
  • पौराणिक,
  • आंचलिक,
  • जासूसी,
  • क्रान्तिकारी।

उपन्यासकारों में प्रेमचन्द जी का नाम उल्लेखनीय है क्योंकि उन्होंने ग्रामीण जीवन, नारी उद्धार, मजदूर एवं कृषकों की दीन दशा का सुन्दर वर्णन किया है। प्रेमचन्द के उपन्यास राष्ट्रीय चेतना पर आधारित हैं।

4. एकांकी

एक अंक वाले नाटक को एकांकी कहा जाता है। आकार में छोटा होने के कारण इसमें जीवन का खण्ड चित्र प्रस्तुत होता है। नाटक के समान इसके भी छ: तत्त्व होते हैं। इसमें पात्रों की संख्या एवं घटनाएँ भी कम होती हैं। एकांकी अनेक प्रकार के होते हैं, जो इस प्रकार हैं

एकांकी के विविध प्रकार निम्नलिखित हैं

  • सामाजिक एकांकी,
  • पौराणिक एकांकी,
  • ऐतिहासिक एकांकी,
  • राजनीति से सम्बन्धित एकांकी,
  • चरित्र प्रधान एकांकी,
  • तथ्यपूर्ण एकांकी।

एकांकी के प्रमुख तत्त्व इस प्रकार हैं

  • कथावस्तु,
  • पात्र व चरित्र-चित्रण
  • कथोपकथन या संवाद,
  • भाषा-शैली,
  • देशकाल तथा वातावरण,
  • उद्देश्य।

एकांकी को कथावस्तु के आधार पर संवादों एवं अभिनय के द्वारा रंगमंच पर प्रस्तुत किया जा सकता है। रामकुमार वर्मा, धर्मवीर भारती, उपेन्द्रनाथ अश्क, विष्णु प्रभाकर आदि जाने-माने एकांकीकार हैं।

5. नाटक

नाटक ‘नट’ शब्द से निर्मित है जिसका आशय है-सात्विक भावों का अभिनय। हिन्दी में नाटक लिखने का प्रारम्भ पद्य के द्वारा हुआ लेकिन आज के नाटकों में गद्य की प्रमुखता है। नाटक गद्य का वह कथात्मक रूप है, जिसे अभिनय संगीत, नृत्य, संवाद आदि के माध्यम से रंगमंच पर अभिनीत किया जा सकता है। पाश्चात्य आचार्यों के मतानुसार नाटक के प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित हैं

  • कथावस्तु,
  • पात्र व चरित्र-चित्रण,
  • संवाद या कथोपकथन
  • भाषा-शैली,
  • देशकाल और वातावरण,
  • उद्देश्य,
  • संकलनत्रय
  • रंगमंचीयता।

लेकिन भारतीय विद्वानों के अनुसार नाटक के तत्त्व हैं-

  • कथावस्तु,
  • नेता (नायक),
  • रस,
  • अभिनय,
  • वृत्ति।

सुप्रतिष्ठित एवं श्रेष्ठ नाटककारों में श्री जयशंकर प्रसाद का नाम उल्लेखनीय है। नाटक के विकास में श्री जयशंकर प्रसाद ने सर्वाधिक योगदान दिया है।

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6. जीवनी

गद्य साहित्य की इस विधा में किसी महान पुरुष के जीवन को व्यवस्थित रूप से रोषक शैली में प्रस्तुत किया जाता है। इस रचना को जीवनी कहा जाता है।

जीवनी लेखक जीवन में जीवन के यथार्थ तथ्य को उजागर करते हुए व्यक्ति के आन्तरिक एवं बाह्य जीवन से सम्बन्धित विभिन्न पक्षों को पाठकों के सम्मुख उपस्थित करता है। जीवनी में एक ओर तो इतिहास जैसी प्रामाणिकता तथा तथ्यपूर्णता होती है तथा दूसरी ओर वह साहित्यिकता के तत्त्वों से पूर्ण होती है। सरलता,सरसता,सत्यता एवं स्पष्टता इस शैली की मुख्य विशेषताएँ हैं। जीवनी लेखकों में प्रमुख रूप से डॉ.राजेन्द्र प्रसाद,जैनेन्द्र कुमार,रामवृक्ष बेनीपुरी, राम विलास शर्मा, विष्णु प्रभाकर, राहुल सांकृत्यायन तथा अमृतराय प्रमुख हैं।

7. आत्मकथा

महापुरुषों के माध्यम से लिखी गई आत्मकथाएँ पाठकों का सही मार्गदर्शन करती हैं। साथ ही उनके लिए प्रेरणादायक भी होती हैं। गद्य की इस विधा के अन्तर्गत लेखक अपने जीवन वृत्त को व्यवस्थित रूप से रोचक ढंग से प्रस्तुत करता है। आत्मकथा में वह अपने जीवन से सम्बन्धित सभी छोटी या बड़ी घटनाओं को न केवल क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत करता है अपितु अपने जीवन पर.पड़े हुए अनेक प्रभावों का भी उल्लेख करता है।

इन घटनाओं में जीवन से सम्बन्धित सभी ऊँच-नीच का सरल भाव से वर्णन होता है।

आत्मकथा लेखकों में पाण्डेय बेचन शर्मा, यशपाल, बाबू गुलाबराय तथा हरिवंशराय बच्चन विशेष रूप से प्रशंसनीय हैं।

8. रेखाचित्र

रेखाचित्र शब्द अंग्रेजी के ‘स्क्रेच’ शब्द का अनुवाद है तथा दो शब्दों रेखा और चित्र के योग से बना है।

यह गद्य साहित्य की आधुनिक विधा है। इस विधा में लेखक रेखाचित्र के माध्यम से शब्दों का ढाँचा तैयार करता है। लेखक किसी भी सत्य घटना की वस्तु का या व्यक्ति का चित्रात्मक भाषा में वर्णन करता है। इसमें शब्द चित्रों का प्रयोग आवश्यक है।

रेखाचित्रकारों में महादेवी वर्मा, कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’, बनारसीदास चतुर्वेदी, रामवृक्ष बेनीपुरी एवं डॉ. नगेन्द्र विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

9. संस्मरण

संस्मरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है-सम् + स्मरण। इसका अर्थ है सम्यक स्मरण अर्थात् किसी घटना, किसी व्यक्ति अथवा वस्तु का स्मृति के आधार पर कलात्मक वर्णन करना संस्मरण कहलाता है। इसमें स्वयं की अपेक्षा उस वस्तु की घटना का अधिक महत्त्व होता है जिसके विषय में लेखक संस्मरण लिख रहा होता है। संस्मरण की समस्त घटनाएँ सत्यता पर ही आधारित होती हैं। इसमें लेखक कल्पना का अधिक प्रयोग नहीं करता है। संस्मरण लेखकों में महादेवी वर्मा एवं बनारसीदास चतुर्वेदी का प्रमुख स्थान है।

10. यात्रा वृत्तान्त या यात्रा साहित्य

इसका प्रारम्भ आधुनिक काल में हुआ है। यात्रा + वृत्तान्त, इसके नाम से ही परिलक्षित होता है कि इसमें किसी यात्रा का वर्णन है। इसमें लेखक किसी यात्रा का अथवा किसी घटना विशेष का सुन्दर ढंग से वर्णन करता है। इसके द्वारा लेखक की विशेषताएँ परिलक्षित होती हैं।

यात्रा वृत्तान्त लेखकों में प्रमुख हैंराहुल सांकृत्यायन, धर्मवीर भारती, मोहन राकेश तथा विनय मोहन शर्मा।

इसके अतिरिक्त रामधारीसिंह ‘दिनकर’ ने ‘देश-विदेश’ यात्रावृत्त तथा बालकृष्ण भट्ट ने ‘कतिकी का जहान’ लिखे हैं।

इस विधा में अनौपचारिक एवं आत्मव्यंजक वर्णन होता है। गद्य साहित्य की यह विधा रोचक एवं मनोरंजक होती है। यात्रा का सरस एवं रोचक वर्णन सांस्कृतिक भौगोलिक एवं ऐतिहासिक धरातल पर होता है।

11. रिपोर्ताज

‘रिपोर्ताज’ मूल रूप से फ्रांसीसी भाषा का शब्द है जिसका आशय है-सरस एवं भावात्मक अंकन। इसमें लेखक किसी भी आयोजन, घटना, संस्था आदि की कलात्मक ढंग से ब्यौरे-बार रिपोर्ट तैयार करके जो प्रस्तुतीकरण करता है; उसे ही रिपोर्ताज कहते हैं। इसमें लेखक घटना का स्वाभाविक वर्णन करता है। यह गद्य साहित्य की आधुनिक विधा है। कुछ प्रमुख रिपोर्ताज लेखक कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’, विष्णु प्रभाकर माचवे, श्याम परमार, अमृतराय, रांगेय राघव तथा प्रकाश चन्द्र गुप्त आदि हैं।

12. गद्यकाव्य या गद्य गीत

किसी सघन अनुभूति को कलात्मक लय से गद्य में प्रस्तुत करना गद्यकाव्य कहलाता है। यह गद्य की आधुनिक विधा है।

गद्यकाव्य में रसमयता, कलात्मकता, भावात्मक और चमत्कारिकता गद्यकाव्य की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

कुछ गद्यकाव्य के लेखक इस प्रकार हैं-वियोगी हरि,रामवृक्ष बेनीपुरी तथा रायकृष्णदास आदि।

13. भेंट वार्ता (साक्षात्कार)

भेंट वार्ता का अर्थ है–साक्षात्कार। भेंट वार्ता ही इण्टरव्यू नाम से प्रसिद्ध है। इस विधा में भेंटकर्ता किसी महान व्यक्ति के मन और जीवन में प्रश्नों के द्वारा झाँककर उसके आन्तरिक दृष्टिकोण को पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करता है। भेटवार्ता वस्तुतः पत्रकारिता की देन है। भेंट वार्ता वास्तविक एवं काल्पनिक दोनों प्रकार की होती है। आजकल परिचर्चा के माध्यम से यह विधा विकसित हो रही है। हिन्दी में इसके विकास की पूर्ण सम्भावना है।

भेटवार्ता लेखकों में राजेन्द्र यादव, पद्मसिंह शर्मा ‘कमलेश’ और शिवदान सिंह चौहान उल्लेखनीय हैं।

14. आलोचना

आलोचना हिन्दी गद्य साहित्य की प्रमुख विधा है। आलोचना का अर्थ है-किसी रचना को उचित प्रकार परख कर उसके गुण और दोषों की समीक्षा करना और उसके विषय में अपने विचार प्रस्तुत करना।

आलोचना के लिए समालोचना एवं समीक्षा शब्दों का भी प्रयोग होता है। कुछ समालोचक लेखकों के नाम इस प्रकार हैं

  • डॉ. श्यामसुन्दर दास
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
  • डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी
  • डॉ. नगेन्द्र
  • डॉ.रामविलास शर्मा
  • बाबू गुलाबराय
  • आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी आदि। सार रूप में यह कह सकते हैं कि आलोचना रसानुभूति का बुद्धि विषयक उल्लेख है।

जीवनी के विविध प्रकारों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। - jeevanee ke vividh prakaaron ko sankshep mein spasht keejie.

15. डायरी

डायरी गद्य साहित्य की महत्त्वपूर्ण विधा है। ‘डायरी’ शब्द अंग्रेजी का है। डायस शब्द संस्कृत भाषा दिवस का समानार्थी है। डायरी में प्रतिदिन की घटनाओं का वर्णन तिथिवार होता है। इसमें लेखक उन घटनाओं का वर्णन करता है जो उसके जीवन में घटित होती हैं। हिन्दी में सर्वप्रथम डायरी लेखन का प्रयोग गाँधीजी ने किया था। आज के भौतिक युग में डायरी लेखन का महत्त्व बढ़ गया है। धीरेन्द्र वर्मा,रामधारीसिंह दिनकर तथा शमशेर बहादुर एवं मोहन राकेश प्रमुख डायरी लेखक हैं।

डायरी लेखन के दो प्रकार हैं-

  • साहित्यिक तथा
  • ऐतिहासिक।

साहित्यिक डायरी में लेखक का व्यक्तित्व स्पष्ट दिखायी देता है। ऐतिहासिक डायरी में घटनाओं की स्पष्टता साकार हो उठती है।

16. पत्र साहित्य

किसी भी व्यक्ति/साहित्यकार द्वारा लिखे गए पत्रों में उसकी सहजता एवं उसके व्यक्तित्व का स्वाभाविक रूप उभरकर सामने आता है। क्योंकि यह एक व्यक्ति/साहित्यकार द्वारा दूसरे व्यक्ति को लिखा गया होता है। उद्देश्य संभवतः छपवाने का नहीं हो पर कभी-कभी ऐसे पत्र साहित्यिक दृष्टि से मूल्यवान तथा समाज के लिए एक धरोहर बन जाते हैं। उदाहरणार्थ,महात्मा गांधी द्वारा लिखे गए विभिन्न पत्र एवं पं. नेहरू द्वारा जेल में रहकर इंदिरा गांधी को लिखे गए पत्र (पिता के पत्र पुत्री के नाम)।

पत्रों के संबंध में पं. बनारसीदास चतुर्वेदी का कथन है-“जीवन में पत्रों का बड़ा महत्व है। शरीर में रक्त-माँस का जो स्थान है, वही स्थान चरित्रों में छोटे-छोटे किस्से कहानियों तथा पत्रों का है।”

हिन्दी पत्रिकाओं में प्रकाशित होने वाले जिस पत्र-साहित्य को ख्याति मिली, उसमें बालमुकुन्द गुप्त के ‘भारत मित्र’ में प्रकाशित ‘शिव शम्भु के चिठे’ विश्वम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’ द्वारा ‘चाँद’ में प्रकाशित ‘दुबे जी की चिट्ठी’ प्रमुख हैं। महावीर प्रसाद द्विवेदी के पत्र ‘पत्रावली’ नामक पुस्तक में संकलित हैं। प्रेमचन्द जी भी अच्छे पत्र लेखक थे। उनके पत्रों का संग्रह श्री अमृत राय ने ‘चिट्ठी-पत्री’ भाग-1 व 2 शीर्षक से प्रकाशित किया है। ‘निराला’ के दुर्लभ पत्रों का संकलन ‘निराला की साहित्य साधना’ के तृतीय खण्ड में डॉ. रामविलास शर्मा ने सम्पादित किया है। पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ ने तो उपन्यास ‘चन्द हसीनों के खतूत’ ही पत्र शैली में लिखा है। बनारसीदास चतुर्वेदी जी द्वारा सम्पादित ‘पद्मसिंह शर्मा के पत्र’ भी उल्लेखनीय पत्र साहित्य हैं। स्वयं बनारसीदास चतुर्वेदी ने अपने जीवन में हजारों पत्र लिखे हैं, वे एक अच्छे पत्र-लेखक थे।

प्रश्नोत्तर

(क) वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. हिन्दी साहित्य में प्रेमचन्द …………………. सम्राट के नाम से जाने जाते हैं [2013]
(क) कहानी
(ख) उपन्यास
(ग) निबन्ध
(घ) नाटक।
उत्तर-
(ख) उपन्यास

2. निम्न में से कौन-सा गद्यकार भारतेन्दु युग का नहीं है?
(क) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(ख) बालकृष्ण भट्ट
(ग) महावीर प्रसाद द्विवेदी
(घ) प्रताप नारायण मिश्र।
उत्तर-
(ग) महावीर प्रसाद द्विवेदी

3. हिन्दी की प्रथम कहानी है
(क) काकी
(ख) पूस की रात
(ग) रानी केतकी
(घ) नमक का दारोगा।
उत्तर-
(ग) रानी केतकी

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4. किस पत्रिका के साथ ही हिन्दी कहानी का जन्म माना जाता है? [2012]
(क) सुदर्शन
(ख) इन्दु
(ग) सरस्वती
(घ) प्रभा।
उत्तर-
(ग) सरस्वती

5. दीपदान एकांकी के रचयिता हैं-
(क) सेठ गोविन्द दास
(ख) डॉ.रामकुमार वर्मा
(ग) हरिकृष्ण प्रेमी
(घ) उदय शंकर भट्ट।
उत्तर-
(ख) डॉ.रामकुमार वर्मा

6. मील के पत्थर संस्मरण के लेखक हैं-
(क) मोहन राकेश
(ख) डॉ.रामविलास
(ग) रामवृक्ष बेनीपुरी
(घ) नागार्जुन।
उत्तर-
(ग) रामवृक्ष बेनीपुरी

7. आंचलिक कहानीकारों में प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं
(क) श्री निवासदास
(ख) अज्ञेय
(ग) गजानन माधव
(घ) फणीश्वर रेणु।
उत्तर-
(घ) फणीश्वर रेणु।

8. गद्य काव्य के प्रसिद्ध लेखक हैं
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) प्रेमचन्द
(ग) गिरिजा कुमार माथुर
(घ) वियोगी हरि।
उत्तर-
(घ) वियोगी हरि।

9. ‘तितली’ उपन्यास के लेखक हैं-
(क) डॉ.रामकुमार वर्मा
(ख) प्रेमचन्द
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) यशपाल।
उत्तर-
(ग) जयशंकर प्रसाद

रिक्त स्थानों की पूर्ति
1. हिन्दी निबन्धों का प्रारम्भ …………………. युग से माना जाता है।
2. एकांकी में जिन्दगी की किसी एक घटना अथवा पहलू का …………………. होता है।
3. उपन्यास में मानव जीवन का समग्र रूप …………………. किया जाता है।
4. वातावरण प्रधान कहानी में …………………. का अंकन प्रमुख रूप से उल्लेखनीय है।
5. हिन्दी में यात्रा साहित्य के प्रणेता …………………. हैं।
6. सरस्वती पत्रिका का सम्पादन …………………. के द्वारा किया गया। [2009]
7. ‘आषाढ़ का एक दिन’ नाटक के लेखक …………………. हैं।
8. फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा रचित …………………. बहुचर्चित उपन्यास है।
9. गद्य काव्य …………………. युग की उल्लेखनीय देन है।
10. आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने …………………. निबन्धों के हिन्दी अनुवाद किये हैं। [2011]
11. ‘रिपोर्ताज’ मूल रूप से …………………. भाषा का शब्द है। [2017]
12. साक्षात्कार गद्य की …………………. विधा है। [2018]
उत्तर-
1. भारतेन्दु युग,
2. अंकन,
3. चित्रित,
4. वातावरण,
5. राहुल सांकृत्यायन,
6. महावीर प्रसाद द्विवेदी,
7. मोहन राकेश,
8. मैला आंचल,
9. छायावादी युग,
10. चौबीस,
11. फ्रेंच,
12. गौण।

सत्य/असत्य

1. सरस्वती पत्रिका सन् 1913 में प्रकाशित हुई।
2. ‘लहरों का राजहंस’ एक कहानी है।
3. ‘झाँसी की रानी’ वृन्दावन लाल वर्मा का सामाजिक उपन्यास है।
4. महावीर प्रसाद द्विवेदी के निबन्ध विविधता लिए हुए हैं।
5. ‘पथ के साथी’ एक संस्मरण है।
6. ‘चन्द्रगुप्त’ एक ऐतिहासिक नाटक है।
7. उपन्यास का कलेवर लघु होता है इसमें जीवन के एक अंश का वर्णन होता है।
8. एकांकी के कलेवर में समग्र जीवन का अंकन होता है।।
9. निबन्ध के प्रकार हैं-(1) वर्णनात्मक, (2) भावनात्मक, (3) विचारात्मक।
उत्तर-
1. सत्य,
2. असत्य,
3. असत्य,
4. सत्य,
5. सत्य,
6. सत्य,
7. असत्य,
8. असत्य,
9. सत्य।

सही जोड़ी मिलाइए

I. ‘अ’ – ‘ब’

1. भारतेन्दु युग के निबन्धकार – (क) छायावाद युग
2. द्विवेदी युग के प्रमुख गद्य लेखक – (ख) शुक्लोत्तर युग
3. गोदान उपन्यास के रचयिता [2009] – (ग) प्रतापनारायण मिश्र
4. सन् 1920 से सन् 1936 का समय – (घ) सरदार पूर्णसिंह
5. हजारी प्रसाद द्विवेदी – (ङ) प्रेमचन्द
उत्तर-
1. → (ग),
2. → (घ),
3. → (ङ),
4. → (क),
5. → (ख)।

II. ‘अ’ – ‘ब’

1. वृन्दावन लाल वर्मा ‘राखी की लाज’ – (क) मुंशी प्रेमचन्द हैं
2. प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यासकार [2009] – (ख) उदयशंकर भट्ट हैं
3. गिरती दीवारें एकांकी के रचयिता – (ग) नाटक के रचयिता हैं
4. नाटक में [2010] – (घ) फणीश्वरनाथ रेणु’
5. शतरंज के खिलाड़ी कहानी के लेखक – (ङ) अनेक अंक होते हैं
उत्तर-
1. → (ग),
2. → (घ),
3. → (ख),
4. → (ङ),
5. → (क)।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. हिन्दी में निबन्ध लेखन की शुरुआत कब हुई?
2. ‘नाटक’ शब्द किससे बना है?
3. इंशा अल्ला खाँ द्वारा लिखित ‘रानी केतकी’ कहानी है।
4. ईद और होली एकांकी के लेखक कौन हैं?
5. साहित्य-लोचन निबन्ध के लेखक कौन हैं?
6. कोटर और कटीर कहानी के लेखक कौन हैं?
7. राहुल सांकृत्यायन किस विधा के लिए प्रसिद्ध हैं?
8. किसी एक रेखाचित्रकार का नाम लिखिए।
9. नाटक सम्राट के रूप में विख्यात हैं।
10. उपन्यास सम्राट किसे कहा जाता है?
11. एकांकी में कितने अंक होते हैं? [2016]
उत्तर-
1. भारतेन्दु युग से,
2. ‘नट’,
3. हिन्दी की प्रथम कहानी,
4. सेठ गोविन्द दास,
5. श्यामसुन्दर दास,
6. सियारामशरण गुप्त,
7. यात्रावृत्तान्त के लिए,
8. महादेवी वर्मा,
9. जयशंकर प्रसाद,
10. मुंशी प्रेमचन्द,
11. एक अंक।

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(ख) अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गद्य किसे कहते हैं? गद्य की परिभाषा लिखिए।
उत्तर–
सामान्य बोलचाल की शैली में गद्य ही प्रयुक्त होता है। छन्द, विधान एवं लय के बन्धन से मुक्त रचना गद्य कहलाती है।

प्रश्न 2.
निबन्ध किसे कहते हैं? अध्ययन की दृष्टि से इसे हम कितने भागों में बाँट सकते हैं?
उत्तर-
निबन्ध गद्य साहित्य की एक विधा है। यह भाषा का व्यवस्थित और अनुशासित रूप है। अध्ययन की दृष्टि से इसे हम चार भागों में बाँट सकते हैं

  • भारतेन्दु युग,
  • द्विवेदी युग,
  • शुक्ल युग,
  • आधुनिक काल।

प्रश्न 3.
उपन्यास के प्रमुख भेद बताइये।
उत्तर-
उपन्यास के प्रमुख भेद इस प्रकार हैं-

  • राजनैतिक उपन्यास,
  • सामाजिक उपन्यास,
  • ऐतिहासिक उपन्यास,
  • पौराणिक उपन्यास,
  • आंचलिक उपन्यास,
  • मनोवैज्ञानिक उपन्यास,
  • क्रान्तिकारी उपन्यास,
  • जासूसी उपन्यास।

प्रश्न 4.
हिन्दी के प्रथम उपन्यास का नाम व उपन्यासकार का भी नाम लिखिए।
उत्तर-
हिन्दी का प्रथम उपन्यास ‘परीक्षा गुरु’ है। उपन्यास के रचयिता श्री निवासदास हैं।

प्रश्न 5.
उपन्यास सम्राट कौन हैं? उनके किन्हीं चार उपन्यासों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर-
उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द हैं। उनके उपन्यास इस प्रकार हैं

  • गबन,
  • कर्मभूमि,
  • निर्मला,
  • गोदान,
  • सेवा सदन,
  • रंगभूमि।

प्रश्न 6.
एकांकी से क्या अभिप्राय है? दो एकांकीकारों के नाम लिखिए। (2009)
उत्तर-
एकांकी का अर्थ होता है एक अंक वाला लघु नाटक। एकांकीकारों में डॉ. रामुकमार वर्मा और उदयशंकर भट्ट उल्लेखनीय हैं।

प्रश्न 7.
हिन्दी के प्रथम एकांकी का नाम लिखिए।
उत्तर-
हिन्दी के प्रथम एकांकी का नाम ‘वैदिकी हिंसा, हिंसा भवति’ है। इसके रचयिता भारतेन्दु हरिश्चन्द हैं।

प्रश्न 8.
हिन्दी की प्रथम कहानी कौन-सी है? लेखक का नाम भी लिखिए।
उत्तर-
हिन्दी की प्रथम कहानी ‘रानी केतकी’ है। इसके लेखक इंशा अल्ला खाँ हैं।

प्रश्न 9.
आंचलिक कहानी से क्या अभिप्राय है? किसी एक आंचलिक कहानीकार का नाम लिखिए।
उत्तर-
आंचलिक कहानी विशेष रूप से किसी ग्रामीण अंचल से सम्बन्ध रखती है। इसके अन्तर्गत सामाजिक समस्याओं का भी अंकन होता है। आंचलिक कहानीकारों में श्री फणीश्वरनाथ रेणु जी प्रसिद्ध हैं।

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प्रश्न 10.
कुछ संस्मरण लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • महादेवी वर्मा,
  • वियोगी हरि,
  • बनारसीदास चतुर्वेदी,
  • पदमसिंह शर्मा,
  • हरिभाऊ उपाध्याय।

प्रश्न 11.
‘गद्य-काव्य’ किसे कहते हैं? कुछ गद्य-काव्य लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर-
गद्य को कलात्मक लय व अनुभूति के साथ प्रस्तुत करना गद्य-काव्य कहलाता है। कुछ गद्य काव्य लेखकों के नाम हैं-
रामवृक्ष बेनीपुरी,रायकृष्ण दास, वियोगी हरि आदि।

प्रश्न 12.
हिन्दी गद्य की दो नई विधाओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
‘डायरी’ व ‘रिपोर्ताज’ गद्य साहित्य की दो नवीन विधाएँ हैं।

प्रश्न 13.
हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध समालोचकों के नाम लिखिए।
उत्तर-
डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी, रामचन्द्र शुक्ल, डॉ. नगेन्द्र, नन्ददुलारे वाजपेयी एवं डॉ. रामविलास शर्मा सुप्रसिद्ध समालोचक हैं।

प्रश्न 14.
शुक्ल युग के प्रमुख गद्यकारों के नाम लिखिए।
उत्तर-
रामचन्द्र शुक्ल, बाबू गुलाबराय, वियोगी हरि, डॉ. रामकुमार वर्मा, हरिकृष्ण प्रेमी, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी एवं हजारीप्रसाद द्विवेदी आदि हैं।

प्रश्न 15.
कुछ आत्मकथा लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर-
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, श्यामसुन्दर दास, हरिवंश राय बच्चन, महावीरप्रसाद द्विवेदी, पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ एवं बाबू गुलाबराय।

(ग) लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गद्य का प्रथम विकास किस रूप में हुआ? शुक्ल युग में किन-किन गद्य विधाओं की रचना हुई?
उत्तर-
गद्य का प्रथम विकास साधारण बोल-चाल की भाषा में हुआ। शुक्ल युग में गद्य की निम्न विधाओं की रचना हुई निबन्ध, कहानी, उपन्यास, नाटक, एकांकी, आलोचना, आत्मकथा, डायरी, जीवनी, रिपोर्ताज, संस्मरण, यात्रा-वृत्तान्त एवं रेखाचित्र आदि गद्य साहित्य की रचना हुई।

प्रश्न 2.
निबन्ध शब्द का अर्थ बताते हुए बाबू गुलाबराय के अनुसार निबन्ध की परिभाषा लिखिए। [2014]
अथवा
बाबू गुलाबराय के अनुसार निबन्ध की परिभाषा देते हुए हिन्दी साहित्य के दो निबन्धकारों के नाम लिखिए। [2016]
उत्तर-
निबन्ध’ शब्द नि + बन्ध से मिलकर बना है, जिसका अर्थ-अच्छी तरह बँधी हुई परिमार्जित प्रौढ़ रचना से है। निबन्ध अपने आधुनिक रूप में ‘ऐसे’ (Essay) शब्द का पर्याय है। अंग्रेजी में इसका अर्थ है-

प्रयत्न,प्रयोग अथवा परीक्षण। अभिप्राय यह है कि किसी विषय का भली-भाँति प्रतिपादन करना या परीक्षण करना निबन्ध कहलाता है।

बाबू गुलाबराय के अनुसार, “निबन्ध उस गद्य रचना को कहते हैं, जिसमें एक सीमित आकार के भीतर किसी विषय का वर्णन या प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, स्वच्छन्दता, सौष्ठव और सजीवता तथा आवश्यक संगति और सम्बद्धता के साथ किया गया हो।”

हिन्दी साहित्य के प्रमुख निबन्धकार-प्रतापनारायण मिश्र,बालकृष्ण भट्ट,सरदार पूर्णसिंह, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, हजारीप्रसाद द्विवेदी।

जीवनी के विविध प्रकारों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। - jeevanee ke vividh prakaaron ko sankshep mein spasht keejie.

प्रश्न 3.
निबन्ध लेखन की प्रमुख शैलियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
निबन्ध लेखन की प्रमुख शैलियाँ इस प्रकार हैं

  • भावात्मक,
  • विचारात्मक,
  • विवरणात्मक,
  • समीक्षात्मक,
  • विवेचनात्मक,
  • अलंकारिक शैली,
  • व्यंग्यात्मक शैली,
  • वर्णनात्मक शैली।

प्रश्न 4.
भारतेन्दु युग का नाम भारतेन्दु युग क्यों पड़ा?
अथवा
भारतेन्दु युग के निबन्धों की कोई चार विशेषताएँ बताइए। [2013]
उत्तर-
भारतेन्दु जी का विशिष्ट योगदान हिन्दी गद्य साहित्य के विकास में रहा है। उनकी महती सेवाओं को देखकर ही इस युग का प्रवर्तक व गद्य साहित्य का जनक भारतेन्दु जी को कहा जाता है। इस युग के निबन्धों की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  • भाषा प्रवाह युक्त एवं बोधगम्य है,
  • हास्य व्यंग्य से परिपूर्ण है,
  • शैलियों में विविधता दिखायी देती है,
  • निबन्ध के विषयों में अनेकरूपता दृष्टिगोचर होती है,
  • इस युग के निबन्ध सरस ही नहीं अपितु प्राणदायक भी थे।

प्रश्न 5.
द्विवेदी युग के प्रमुख लेखकों के नाम लिखिए तथा उस युग के निबन्धों की कुछ विशेषताएँ लिखिए।
अथवा
द्विवेदी युग के प्रमुख दो गद्य लेखकों के नाम तथा कोई चार विशेषताएँ बताइए। [2012]
उत्तर-
द्विवेदी युग के प्रमुख लेखक अग्र प्रकार हैं

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, प्रेमचन्द, बाबू गुलाबराय, डॉ. श्यामसुन्दर दास और सरदार पूर्णसिंह आदि।

द्विवेदी युग के गद्य (निबन्धों) की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  • भाषा सरल, सुबोध एवं परिष्कृत है,
  • शैली प्रवाहपूर्ण है,
  • हिन्दी गद्य व्याकरण सम्मत है,
  • खड़ी बोली का शुद्ध प्रयोग है,
  • नैतिकता,राष्ट्रीयता, समाज सुधार जैसे विषयों पर पर्याप्त गद्य लिखा गया है।

प्रश्न 6.
हिन्दी नाटकों के विकास को कितने भागों में बाँटा गया है, लिखते हुए भारतेन्दु युगीन दो नाटककारों के नाम लिखिए। [2014]
उत्तर-
हिन्दी नाटकों के विकास को निम्नलिखित चार भागों में बाँटा गया है-

  • भारतेन्दु युगीन नाटक (1850 ई. से 1900 ई),
  • द्विवेदी युगीन नाटक (1901 ई. से 1920 ई),
  • प्रसाद युगीन नाटक (1921 ई.से 1936 ई),
  • प्रसादोत्तर युगीन नाटक (1937 ई. से आज तक)।

भारतेन्दु युगीन प्रमुख नाटककार

  • भारतेन्दु,
  • बालकृष्ण भट्ट,
  • राधाचरण गोस्वामी,
  • लाला श्रीनिवास दास आदि।

प्रश्न 7.
नाटक एवं एकांकी में कोई चार अन्तर लिखिए। [2013, 17]
अथवा
नाटक और एकांकी में कोई दो अन्तर लिखते हुए एक-एक रचना एवं रचनाकारों के नाम लिखिए। [2015]
नाटक-‘आषाढ़ का एक दिन’ (मोहन राकेश) एकांकी-‘अंधेर नगरी’ (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र)।
उत्तर-

जीवनी के विविध प्रकारों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। - jeevanee ke vividh prakaaron ko sankshep mein spasht keejie.

प्रश्न 8.
जीवनी की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
जीवनी की प्रमुख विशेषताएँ हैं-रोचकता, सरलता, सत्यता एवं स्पष्टता।

जीवनी के विविध प्रकारों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। - jeevanee ke vividh prakaaron ko sankshep mein spasht keejie.

प्रश्न 9.
जीवनी को परिभाषित करते हुए किन्हीं दो जीवनी लेखकों एवं उनकी एक-एक जीवनी का नाम लिखिए। [2018]
उत्तर-
गद्य साहित्य की इस विधा में किसी महापुरुष के जीवन को व्यवस्थित रूप से रोचक शैली में प्रस्तुत किया जाता है। इस रचना को जीवनी कहा जाता है।

प्रमुख जीवनी लेखक एवं उनकी रचनाएँ

  • रामनरेश त्रिपाठी (मालवीय जी के साथ तीस दिन),
  • विष्णु प्रभाकर (आवारा मसीहा),
  • अमृतराय (कलम का सिपाही)।

प्रश्न 10.
यात्रावृत्त किसे कहते हैं? कुछ यात्रावृत्त लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर-
यात्रा के दौरान मिलने वाले दृश्यों का कलात्मक व तथ्यपरक गद्य लेखन ही यात्रावृत्त कहा जाता है। कुछ यात्रावृत्त लेखकों के नाम अग्र प्रकार हैं

  • राहुल सांकृत्यायन,
  • विनय मोहन शर्मा,
  • श्रीराम शर्मा,
  • धर्मवीर भारती,
  • काका कालेलकर तथा अज्ञेय आदि हैं।

प्रश्न 11.
रिपोर्ताज किसे कहते हैं? गद्य साहित्य में इसका स्थान लिखिए। कुछ प्रमुख रिपोर्ताज लेखकों के नाम लिखिए। [2010, 16]
उत्तर-
रिपोर्ट के कलात्मक और साहित्यिक रूप को रिपोर्ताज कहते हैं। इसमें किसी भी घटना या दृश्य का पूर्ण विवरण सूक्ष्म एवं रोचक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। इसके द्वारा लेखक प्रतिपाद्य विषय को सरलता से पाठक के समक्ष प्रस्तुत करता है। इसमें पत्रकारिता के गुण होते हैं।

कुछ रिपोर्ताज लेखकों के नाम इस प्रकार हैं

  • बालकृष्ण राव,
  • धर्मवीर भारती,
  • डॉ. भगवतशरण उपाध्याय,
  • लक्ष्मीचन्द्र जैन,
  • विष्णुकान्त शास्त्री तथा
  • कन्हैयालाल मिश्र,
  • रांगेय राघव आदि हैं।

प्रश्न 12.
रेखाचित्र एवं संस्मरण में अन्तर बताइये। [2009]
उत्तर-
संस्मरण एवं रेखाचित्र दोनों ही गद्य विधा के पृथक्-पृथक् रूप हैं। संस्मरण में लेखक प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित किसी घटना,व्यक्ति अथवा वस्तु का वर्णन स्मृति के आधार पर करता है जबकि रेखाचित्र में किसी व्यक्ति, वस्तु या घटना का चित्रात्मक वर्णन होता है।

प्रश्न 13.
हिन्दी आलोचना में रामचन्द्र शुक्ल का क्या योगदान है?
उत्तर-
हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में रामचन्द्र शुक्ल का सर्वश्रेष्ठ स्थान है। उन्होंने वह कार्य किया है,जो कि आज के लेखकों के लिए दिशा निर्देश करने वाला बना हुआ है। उन्होंने आलोचना के क्षेत्र में अभिव्यंजना शैली का प्रयोग करके भाषा को गरिमामय एवं प्रभावशाली बना दिया है।

प्रश्न 14.
रेडियो रूपक किसे कहते हैं? प्रमुख लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर-
रेडियो रूपक में मंच, अभिनय आदि के बिना ही ध्वनि द्वारा भाषा-शैली के द्वारा सजीव चित्रण करना होता है। प्रमुख रेडियो रूपक लेखक हैं-विष्णु प्रभाकर, उदयशंकर भट्ट आदि।

प्रश्न 15.
चरित्र प्रधान कहानी से क्या अभिप्राय है? कुछ कहानीकारों के नाम व कहानियों के नाम लिखिए।
उत्तर-
चरित्र प्रधान कहानी में किसी विशेष चरित्र को उभारा जाता है तथा उसके क्रियाकलाप मानव के मन मस्तिष्क में प्रभाव छोड़ें; ऐसा अंकन किया जाता है।

कहानीकार कहानियाँ कहानीकार कहानियाँ

  • मुंशी प्रेमचन्द कफन
  • जयशंकर प्रसाद ममता

प्रश्न 16.
उपन्यास किसे कहते हैं? किन्हीं दो उपन्यासकारों के नाम लिखिए। [2009]
उत्तर-
उपन्यास में मानव जीवन की विस्तृत कथा, चरित्र-चित्रण व कथोपकथन द्वारा प्रस्तुत की जाती है। मुंशी प्रेमचन्द, वृन्दावनलाल वर्मा प्रमुख उपन्यासकार हैं।

जीवनी के विविध प्रकारों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। - jeevanee ke vividh prakaaron ko sankshep mein spasht keejie.

प्रश्न 17.
कहानी और उपन्यास में कोई चार अन्तर बताइये। [2012, 17]
उत्तर-
कहानी और उपन्यास में निम्नलिखित अन्तर हैं

  • कहानी जीवन के किसी एक खण्ड का चित्रण करती है तथा उपन्यास में सम्पूर्ण जीवन का चित्रण होता है।
  • कहानी में एक ही कथा होती है जबकि उपन्यास में मुख्य कथा के साथ-साथ अन्य प्रासंगिक कथाएँ भी जुड़ी होती हैं।
  • कहानी का आकार लघु होता है जबकि उपन्यास अपेक्षाकृत बहुत बड़े आकार का होता है।
  • कहानी कम समय में सघन प्रभाव डालती है जबकि उपन्यास में प्रत्येक स्थल में वह प्रभावशीलता नहीं होती है।

प्रश्न 18.
जीवनी और आत्मकथा में अन्तर लिखिए। दोनों विधाओं की एक-एक रचना एवं उनके रचनाकारों के नाम लिखिए। [2099, 10]
अथवा
आत्मकथा और जीवनी में कोई दो अन्तर लिखते हुए एक-एक रचना एवं रचनाकारों के नाम लिखिए। [2015]
उत्तर-

  1. आत्मकथा में लेखक स्वयं अपने जीवन की कथा पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करता है जबकि जीवनी में लेखक इतिहासकार की तरह पूरी सच्चाई से किसी व्यक्ति के जीवन की जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी घटनाओं के बारे में लिखता है।
  2. जीवनी लेखन में लेखक तटस्थ रहकर लिखता है। आत्मकथा में लेखक अपने जीवन की घटना का वर्णन अपनी स्मरण शक्ति के आधार पर करता है।

आत्मकथा-‘मेरी कहानी (जवाहरलाल नेहरू)
जीवनी-‘कलम का सिपाही’ (अमृतलाल)।

प्रश्न 19.
दो उपन्यास एवं उपन्यासकारों तथा दो एकांकी एवं एकांकीकारों के नाम लिखिए। [2009]
उत्तर-

जीवनी के विविध प्रकारों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। - jeevanee ke vividh prakaaron ko sankshep mein spasht keejie.

प्रश्न 20.
रेखाचित्र और संस्मरण में दो अन्तर लिखिए एवं दोनों विधाओं की एक-एक रचना एवं उसके रचनाकार का नाम लिखिए।[2009]
अथवा
‘रेखाचित्र’ किसे कहते हैं? दो रेखाचित्रकारों के नाम उनकी कृति सहित लिखिए।
अथवा
संस्मरण किसे कहते हैं? रेखाचित्र और संस्मरण में तीन अन्तर लिखिए।
उत्तर-
रेखाचित्र-लेखक जब अपने सम्पर्क में आने वाले किसी व्यक्ति, वस्तु, घटना आदि को अल्प शब्दों के माध्यम से सांकेतिक रूप से चित्रित करता है,तो उस कृति को रेखाचित्र कहते हैं।

संस्मरण-जब लेखक अपने सम्पर्क में आने वाली विशेष, अनोखी, प्रिय एवं आकर्षक घटनाओं, दृश्यों या व्यक्तियों को स्मृति के सहारे पुनः अपनी कल्पना में मूर्त करके शब्दों द्वारा चित्रण करता है, उसे संस्मरण कहते हैं।

रेखाचित्र एवं संस्मरण में तीन अन्तर निम्नलिखित हैं-

  • रेखाचित्र के चित्र अपूर्ण या खण्डित भी हो सकते हैं जबकि संस्मरण के शब्द चित्र सदैव पूर्ण होते हैं।
  • रेखाचित्र में सांकेतिक और व्यंजक होता है जबकि संस्मरण अभिधा मूलक होता है।
  • रेखाचित्र में कुछ शाब्दिक रेखाओं द्वारा ही विषय वस्तु की विशेषताओं को प्रस्तुत किया जाता है जबकि संस्मरण में विषयवस्तु का सर्वांगीण वर्णन होता है।

जीवनी के विविध प्रकारों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। - jeevanee ke vividh prakaaron ko sankshep mein spasht keejie.

प्रश्न 21.
पत्र-साहित्य किसे कहते हैं? किन्हीं दो पत्र-साहित्यकार एवं उनकी एक-एक कृति का नाम लिखए। [2018]
उत्तर-
किसी भी व्यत्ति/साहित्यकार द्वारा दूसरे व्यक्ति को भेजा गया लिखित संदेश जो अधिकांशतः गद्य शैली में लिख जाता है,को पत्र अथवा पत्र-साहित्य कहते हैं।

जीवनी के विविध प्रकारों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। - jeevanee ke vividh prakaaron ko sankshep mein spasht keejie.

प्रमुख पत्र-साहित्यकार एवं उनकी कृतियाँ-

  • जवाहर लाल नेहरू (पिता के पत्र पुत्री के नाम),
  • बालमुकुन्द गुप्त (शिवशम्भु के चिठे),
  • विश्वभरनाथ शर्मा कौशिक’ (दुबे जी की चिट्ठी),
  • महावीर प्रसाद द्विवेदी (पत्रावली में संकलित पत्र)।

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जीवनी कितने प्रकार के होते हैं?

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जीवनी से आप क्या समझते हैं इसकी विशेषताओं पर चर्चा करें?

जीवनचरित, किसी व्यक्ति के जीवन वृत्तांतों को सचेत और कलात्मक ढंग के बारे लिखे उपन्यास अथवा लेख को कहा जा सकता है। प्रसिद्ध इतिहासज्ञ और जीवनी-लेखक टामस कारलाइल ने अत्यन्त सीधी सादी और संक्षिप्त परिभाषा में इसे "एक व्यक्ति का जीवन" कहा है।

अच्छी जीवनी की प्रमुख विशेषताएं क्या है?

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जीवनी का उद्देश्य क्या है?

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