इतिहासकारों के लिए सिक्के क्यों महत्वपूर्ण हैं? - itihaasakaaron ke lie sikke kyon mahatvapoorn hain?

उत्तर :

प्राचीन भारत में यूनान के हेरोडोटस एवं थ्यूसीडाइडिस, रोम के लेवी और तुर्की के अलबरूनी जैसे इतिहासकारों की उपस्थिति नहीं रही है। साथ ही प्रारंभिक भारतीय इतिहास की रचना में प्रचलित मानकों और लोकाचार को वैध ठहराने वाले पौराणिक मिथकों को अधिक महत्त्व दिया गया है। इन सबके कारण सिक्कों एवं अभिलेखों जैसे ठोस पुरातात्विक साक्ष्यों का अध्ययन करना अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है।

सिक्कों का अध्ययन/न्यूमिस्मेटिक्स

प्राचीनकाल में तांबे, चांदी, सोने और सीसे की धातु मुद्रा का प्रचलन था। भारत के अनेक भागों से भारतीय सिक्कों के साथ रोमन साम्राज्य जैसी विदेशी टकसालों में ढाले गए सिक्के भी मिले हैं। ये सिक्के प्राचीन भारतीय इतिहास के बारे में महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ प्रदान करते हैं, जैसे-

  • ईसा पूर्व छठी शताब्दी से ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के आरंभिक पंचमार्क सिक्कों पर प्रतीक मिलते हैं, किंतु बाद के सिक्कों पर राजाओं और देवताओं के नाम तथा तिथियाँ अंकित है। इस आधार पर प्राप्त सिक्कों के आधार पर कई राजवंशों के इतिहास का पुनर्निर्माण संभव हुआ है, विशेषकर दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व उत्तरी अफगानिस्तान से आए हिंद-पवन शासकों का।
  • चूँकि सिक्कों का प्रयोग दान-दक्षिणा, खरीद-बिक्री और वेतन-मजदूरी के भुगतान के रूप में होता था। इस कारण सिक्कों के अध्ययन से प्राचीन भारत के आर्थिक इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है।
  • मौर्योत्तर काल में विशेषत: सीसे, वोटिन, ताँबे, काँसे, सोने और चाँदी के सिक्के अधिक मात्रा में मिले हैं। गुप्त शासकों ने सोने के सिक्के सबसे अधिक जारी किये। इन कालों में व्यापारियों और स्वर्णकारों द्वारा भी सिक्के चलाए गए। इससे पता चलता है कि गुप्त मौर्योत्तरकाल में व्यापार-वाणिज्य तथा शिल्पकारी उन्नतावस्था में थे। गुप्तोत्तरकाल में बहुत कम सिक्के मिले हैं, जिससे व्यापार-वाणिज्य में शिथिलता का पता चलता है।
  • सिक्कों पर अंकित राजवंशों और देवताओं के चित्रों, धार्मिक प्रतीकों तथा लेखों से तत्कालीन धर्म और कला पर भी प्रकाश पड़ता है।

अभिलेखों के अध्ययन/पुरालेखशास्त्र का महत्त्व

अभिलेख प्राचीन भारत में मुहरों, प्रस्तर स्तंभों, स्तूपों, चट्टानो और ताम्रपत्रों पर मिलते हैं। आरंभिक अभिलेख प्राकृत भाषा में है जो ईसा पूर्व तीसरी सदी के हैं। दूसरी शताब्दी ई. में संस्कृत भाषा में अभिलेख मिले तथा नौवीं-दसवीं शताब्दी तक अभिलेखों में प्रादेशिक भाषाओं का प्रयोग होने लगा।

  • हड़प्पा संस्कृति के आरंभिक अभिलेख  चित्रात्मक लिपि में लिखे होने के कारण अभी तक पढ़े नहीं जा सके हैं। इस कारण आरंभिक रूप से तीसरी शताब्दी ई. पूर्व में अशोक के ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि में लिखे अभिलेख महत्त्वपूर्ण है।  
  • अभिलेखों से प्राचीन भारत की आनुष्ठानिक परंपराओं के बारे में भी जानकारी मिलती है। बौद्ध, जैन, शैव तथा वैष्णव आदि संप्रदायों के अनुयायियों ने भक्तिभाव से स्थापित स्तंभों, प्रस्तर फलकों, मंदिरों तथा प्रतिमाओं पर अभिलेखों का उत्कीर्ण करवाया है।
  • कुछ अभिलेखों का निर्माण प्रशस्तियों के रूप में हुआ है, जिनमें राजाओं और विजेताओं के गुणों और कीर्तियों का बखान तो रहता है, पर उनकी पराजयों और कमजोरियों का जिक्र नहीं रहता। समुद्रगुप्त की प्रयाण-प्रशस्ति इस कोटि का उदाहरण है।
  •  राजाओं और सामंतों द्वारा दिये गए अभिलेख विशेष महत्त्व के हैं, क्योंकि इनमें प्राचीन भारत की भूव्यवस्था और प्रशासन के बारे में उपयोगी सूचनाएँ मिलती है।
  • इनके अलावा अभिलेखों से हमें इतिहास की महत्त्वपूर्ण घटनाओं और तिथियों की जानकारी मिलती है, जो आरंभिक भारतीय इतिहास के पुननिर्माण में अत्यंत सहायक है। जैसे- शक शासक रुद्रदामन द्वारा संस्कृत में लिखवाए अभिलेख में सुदर्शन झील के निर्माण का उल्लेख है।

इस प्रकार मिथकीय दृष्टिकोण से अलग हटकर सिक्कों व अभिलेखों का अध्ययन आरंभिक भारतीय इतिहास की राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था के बारे में ठोस पुरातात्विक साक्ष्य प्रदान करता है, जिससे भारतीय इतिहास के पुननिर्माण में इनकी उपेक्षा करना संभव नहीं।

पाठ 1. – कैसे पता करें कब क्या हुआ था? (इतिहास जानने के स्त्रोत)
प्रश्न 1. = इस सिक्के को देखकर आप ओर क्या पता कर सकते हैं? बताइए।
उत्तर = इस सिक्के पर गुप्तशसक कुमारगुप्त प्रथम को इस मुद्रा पर घुड़सवारी करते हुए दिखाया गया है। जिसे हम कह सकते हैं। कि वे एक अच्छे घुड़सवार थे। इस प्रकार मुद्राएँ भी इतिहास लेखन में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
अभ्यास
प्रश्न 1. उत्तर लिखिए(क). प्राचीन काल के मानव किस किस पर अपने अभिलेख लिखते थे और क्यों।
उत्तर. प्राचीन काल के मानव अपने अभिलेख ताड़पत्रों, भोजपत्रों और ताम्रपत्रों पर लिखते थे। कभी कभी वे बडी शिलाओं, स्तम्भों, पत्थर की दीवारों, मिट्टी या पत्थर के छोटे छोटे फलको पर भी अपने लेख लिखा करते थे। क्योंकि उस समय कागज का अविष्कार नही हुआ था।
(ख). पाठ में आपने सम्राट अशोक के किस अभिलेख के बारे में जाना?


उत्तर. पाठ में सम्राट अशोक के लुम्बिनी अभिलेख का उल्लेख है, जो रुम्मिनदेई अभिलेख का अंश है। इस अभिलेख में अशोक ने यह घोषणा की है कि लुम्बिनी में उपज का आठवां भाग कर के रूप में लिया जाएगा।
(ग). इतिहास लेखन में सिक्के एवं अभिलेख किस प्रकार सहायक है? लिखिए
उत्तर. इतिहास लेखन में सिक्के एव अभिलेखों का काफी महत्व है। सिक्के से तत्कालीन शासक का नाम, उसका, समय सिक्के की बनावट से उस समय की कला तथा धातु से आर्थिक स्थिति की जानकारी प्राप्त होती हैं। अभिलेखों से उस समय के राजा का नाम, उसकी नीति कानून, शासन काल, लिपि, भाषा, साम्राज्य विस्तार, सभ्यता- संस्क्रति आदि के विषय में पता चलता है।
(घ). मेगस्थनीज की पुस्तक का नाम क्या था?
उत्तर. मेगस्थनीज की पुस्तक का नाम इंडिका था।
(ड). इतिहास जानने के पुरातात्विक व साहित्यिक साधनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर . पुरातात्विक और साहित्यिक दोनों स्त्रोतों से हमें इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है। इन स्रोतों की सहायता से इतिहासकार और पुरातत्विक अतीत का निर्माण करते हैं। इतिहासकार इन्ही स्त्रोतो से अतीत की कृषि, पशु पालन, कामगार, शिल्प काम धंधे, व्यापार, नाप तोल, लेन देन, कर आदि के आधार पर आर्थिक स्थिति का वर्णन करते हैं। घर- परिवार, स्त्रीयों की स्थिति, शिक्षा, रहन सहन, खान पान, वेश भूषा, मनोरंजन, त्योहार, मेले आदि के आधार पर सामाजिक तथा शासक, प्रजा, प्रशासन, सुरक्षा व सैन्य व्यवस्था के आधार पर राजनीतिक स्थिति की जानकारी प्रदान करते हैं। इसी प्रकार कला, आचार, ज्ञान विज्ञान की मान्यताएं, धार्मिक विश्वास, देवी देवता, पूजा पाठ एवं परम्पराओं के आधार पर धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थिति का वर्णन करते हैं।
प्रश्न 2. अंतर स्प्ष्ट कीजिए
(क) प्राक् ऐतिहासिक काल वह समय जिसमें लिए कोई भी लिखित सामग्री उपलब्ध नहीं है, प्राक् ऐतिहासिक काल कहलाता है।
(ख). अध ऐतिहासिक काल- वह समय जिससे सम्बंधित लिखित साक्ष्य उपलब्ध तो है किंतु उन्हें पढ़ा नही जा सकता, उसे अध ऐतिहासिक काल कहते हैं।


(ग) ऐतिहासिक काल- जिस काल के विषय में लिखित सामग्री से जानकारी मिलती हैं एवं एवं उसे पढ़ा बहु जा सकता है, उस काल जो ऐतिहासिक काल कहते हैं।
प्रश्न 3. निम्नलिखित से आप क्या समझते हैं?
(अ) पुरात्ववेत्ता , (ब) इतिहासकार
(अ) पुरात्ववेत्ता- पुरात्ववेत्ता सावधानी से जमीन की देख रेख और समझ के आधार पर खुदाई करते हैं। खुदाई से प्राप्त छोटी वस्तुओं से वे लिखित दस्तावेज तैयार करते हैं। इन्हीं वस्तुओं के आधार पर हमें अतीत की जानकारी प्राप्त होती है।
(ब) इतिहासकार इतिहासकार अतीत से प्राप्त तथ्यों औऱ साक्ष्यों के आधार पर बीते समय की जानकारी देते हैं। वे कृषि, पशुपालन, व्यापार, नाप तोल, लेन देन, आदि के आधार पर आर्थिक स्थिति का चित्रण करते हैं। जाति पाति, घर परिवार, स्त्रियों की दशा, शिक्षा, खान पान, वेशभूषा, मनोरंजन, त्योहार व मेले आदि सामाजिक स्थिति का चित्रण करते है। इसी प्रकार राजनेतिक, धार्मिक व सांस्कृतिक स्थिति का भी चित्रण करते हैं।
प्रश्न 4. सही कथन पर सही () का निशान एवं गलत कथन पर गलत (×) का निशान लगाए-


उत्तर – (क) प्राक् (पूर्व) इतिहास जानने के लिए हमारे पास लिखित सामग्री हैं। (×)
(ख). प्राचीन काल के मानव कागज़ पर लिखते थे। (×)
(ग). सिक्के एवं अभिलेखो से भी ऐतिहासिक जानकारी मिलती है। (√)
(घ). राजतरंगिणि कौटल्य (चाणक्य) की रचना है। (×)
(ड.). वेद धार्मिक साहित्य हैं। (√)
(च). फ़ाह्यान मौर्य काल में भारत आया था। (×)
प्रश्न 5. आप सारनाथ स्तूप देखने जा रहे हैं। स्तूप के बारे में आप क्या- क्या जानना चाहेंगे? अपनी जानकारी के लिए कुछ प्रश्न बनाइए।
उत्तर – इस प्रश्न का उत्तर बच्चे स्वंय लिखे। निम्लिखित उत्तर के तौर पर दिया जा रहा है-
सारनाथ स्तूप देखते हुए हम उसके विषय में निम्नलिखित बाते जानना चाहेंगे-
(क) इसका निर्माण कब हुआ?
(ख) इसका निर्माण किसने करवाया?
(ग) इसके निर्माण के पीछे उद्देश्य क्या था?
(घ) इसका डिजाइन बनानेवाला वास्तुकार कौन था?
(ड़) इसके निर्माण में कितना धन व्यय हुआ? आदि।
प्रोजेक्ट वर्क – वर्तमान में प्रचलित सिक्कों के चित्र बनाइए, और उनकी विशेषताएं भी लिखिए।
उत्तर वर्तमान के सिक्कों का चित्र विद्यार्थी स्वयं बनाए।
विशेषताएं- वर्तमान में अधिकतर सिक्के आधार धातु से बनाए जाते हैं और उनके मूल्य आधिकारिक पैसे की स्थिति के रूप में आते हैं। इसका अर्थ यह है कि सिक्के के मूल्य का आदेश सरकारी आधिकारिक (कानून) देता है और इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में यह राष्ट्रीय मुद्राओं के रूप में मुक्त बाजार द्वारा निर्धारित किया जाता है। सिक्के को इस तरह मुद्रित किया जाता है कि इसका आधिकारिक मूल्य उसके घटक धातु के मूल्य से कम हो। वर्तमान काल के सिक्के ठोस धातु के बने होते हैं ओर आकार में गोल होते हैं। इसका रूप नही होता है।
अपने शहर/गांव के विषय में अपने बड़ो/स्थानीय संग्रहालय एवं कार्यालय से निम्नलिखित जानकारी प्राप्त कीजिए-
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

इतिहास में सिक्के का क्या महत्व है?

सिक्के किसी दौर के इतिहास लेखन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि सिक्के प्राथमिक ऐतिहासिक स्रोत के रूप में जाने जाते हैं। आजकल की तरह, प्राचीन भारतीय मुद्रा कागज निर्मित नहीं थी बल्कि धातु के सिक्के के रूप में थी। प्राचीन सिक्के धातु से बनाए जाते थे। वे ताम्बे, चाँदी, सोने और सीसे से बनाए जाते थे।

सिक्का हमें इतिहास को समझने में कैसे मदद करता है?

सिक्कों का अध्ययन/न्यूमिस्मेटिक्स चूँकि सिक्कों का प्रयोग दान-दक्षिणा, खरीद-बिक्री और वेतन-मजदूरी के भुगतान के रूप में होता था। इस कारण सिक्कों के अध्ययन से प्राचीन भारत के आर्थिक इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है। मौर्योत्तर काल में विशेषत: सीसे, वोटिन, ताँबे, काँसे, सोने और चाँदी के सिक्के अधिक मात्रा में मिले हैं।

आधुनिक भारतीय इतिहास लेखन में अभिलेख सिक्के एवं स्मारकों का क्या महत्त्व है?

इनमें से अधिकतर गर्यो का ज्ञान हमें उनके सिक्कों से ही होता है तथा इन्हीं से हमें उनके साम्राज्य क्षेत्र इत्यादि का भी पता चलता है उनकी शासन पद्दति का ज्ञान धार्मिक आस्थाएं इत्यादि पर भी सिक्कों पर बने (चिन्हों तथा तस्वीरों से पता चलता है I ( द ) स्मारक :- सिक्कों तथा अभिलेखों के अतिरिक्त और भी अन्य पुरातन चीजें है ...

वैदिक युग में सिक्के को कौन से नाम से जाना जाता था?

वैदिक सभ्यता.