प्रवर्तन निदेशालय (Directorate General of Economic Enforcement), भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन एक विशेष वित्तीय जांच एजेन्सी है जिसका मुख्यालय नयी दिल्ली में स्थित है. ईडी के प्रमुख कार्यों में; फेमा, 1999 के उल्लंघन से संबंधित मामलों, हवाला लेन देनों और फॉरेन एक्सचेंज रैकेटियरिंग के मामलों की जांच करना शामिल है. Show वर्तमान परिपेक्ष्य में भारत में 'प्रवर्तन निदेशालय' शब्द सबसे अधिक चर्चा में है लेकिन इस गैर संवैधानिक निकाय के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है. इसलिए इस लेख में हमने प्रवर्तन निदेशालय का अर्थ और कार्यों के बारे में बताया है जो लोकप्रिय रूप से ED के नाम से भी जाना जाता है. 'प्रवर्तन निदेशालय' के बारे में; प्रवर्तन निदेशालय, वर्ष 1956 में स्थापित किया गया था. प्रवर्तन निदेशालय (Directorate General of Economic Enforcement), भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन एक विशेष वित्तीय जांच एजेन्सी है जिसका मुख्यालय नयी दिल्ली में स्थित है. ईडी के प्रमुख कार्यों में; फेमा, 1999 के उल्लंघन से संबंधित मामलों, "हवाला" लेन देनों और फॉरेन एक्सचेंज रैकेटियरिंग के मामलों की जांच करना शामिल है. यह निदेशालय, विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 के नियमों के तहत कार्यवाही करता था लेकिन बाद में फेरा को फेमा द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया था. प्रवर्तन निदेशालय के 10 ज़ोनल कार्यालय हैं, जिनमें से प्रत्येक में एक उप-निदेशक और 11 उप-क्षेत्रीय कार्यालय हैं, जिनमें से प्रत्येक का नेतृत्व एक सहायक निदेशक करता है. जोनल कार्यालयों की सूची इस प्रकार है; 2.
दिल्ली 3. चेन्नई 4. कोलकाता 5. चंडीगढ़ 6. लखनऊ 7. कोचीन 8. अहमदाबाद 9. बैंगलोर 10. हैदराबाद हवाला व्यापार किसे कहते हैं और यह कैसे काम करता है? प्रवर्तन निदेशालय के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं; 1.ईडी; फेमा के प्रावधानों के संदिग्ध उल्लंघन की जांच करता है. संदिग्ध उल्लंघनों में शामिल किया हैं; a. निर्यात मूल्य को अधिक आंकना और आयात मूल्य को कम आंकना b. हवाला लेनदेन c. विदेशों में संपत्ति की खरीद d. भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा का कब्जा e. विदेशी मुद्रा का अवैध व्यापार f. विदेशी विनिमय नियमों का उल्लंघन और फेमा के तहत अन्य प्रकार उल्लंघन. 2. प्रवर्तन निदेशालय (ED), फेमा, 1999 के उल्लंघन से संबंधित खुफिया जानकारी एकत्र करता है, विकसित करता है और सम्बंधित एजेंसियों के साथ उसे साझा करता है. ED को केंद्र और राज्य की खुफिया एजेंसियों, शिकायतों आदि से खुफिया जानकारी मिलती है. 3. ईडी के पास फेमा के उल्लंघन के दोषी पाए गए दोषियों की संपत्ति कुर्की करने की शक्ति है. धन शोधन अधिनियम [धारा 2 (1) (डी)] के अध्याय III के तहत “संपत्ति की कुर्की" का अर्थ है; संपत्ति के जब्ती, संपत्ति का हस्तांतरण, रूपांतरण और बेचने पर रोक. 4.धन शोधन अधिनियम के नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ; खोज, जब्ती, गिरफ्तारी, और अभियोजन की कार्रवाई आदि करना. 5. मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत; अपराधी के हस्तांतरण के लिए राज्यों से कानूनी लेना और देना. इसके अलावा अपराधियों के हस्तांतरण से सम्बंधित कार्यवाही पूरी करना. 6. पूर्व के FERA, 1973 और FEMA, 1999 के उल्लंघन के मामलों को निपटाने और निपटान कार्यवाही के समापन पर लगाए गए दंड का निर्णय करना. इस प्रकार प्रवर्तन निदेशालय (ED) की स्थापना के मुख्य उद्येश्यों में शामिल है कि देश में मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करना जिसमें उनकी संपत्ति जब्त करना शामिल है. कुल मिलाकर ED देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही करता है. वर्तमान में प्रवर्तन निदेशालय (ED) रोबर्ट वाड्रा, भगोड़े अपराधी विजय माल्या और नीरव मोदी के मामलों की जांच कर रहा है. “मनी लॉन्ड्रिंग” किसे कहते हैं और यह कैसे की जाती है? बेनामी संपत्ति क्या होती है और नया कानून क्या कहता है?
प्रवर्तन निदेशालय (Directorate General of Economic Enforcement), भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन एक विशेष वित्तीय जांच एजेन्सी है जिसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है। प्रवर्तन निदेशक, इसके प्रमुख है। पाँच क्षेत्रीय कार्यालय मुंबई, चेन्नै, चंडीगढ़, कोलकाता तथा दिल्ली हैं जिनके विशेष निदेशक प्रवर्तन प्रमुख हैं। निदेशालय में क्षेत्रीय कार्यालय अर्थात अहमदाबाद, बंगलौर, चंडीगढ़, चेन्नई, कोच्ची, दिल्ली, पणजी, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जालंधर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, पटना तथा श्रीनगर हैं। जिनके प्रमुख संयुक्त निदेशक है। निदेशालय में उप क्षेत्रीय कार्यालय अर्थात भुवनेश्वर, कोझीकोड, इंदौर, मदुरै, नागपुर, इलाहाबाद, रायपुर, देहरादून, रांची, सूरत, शिमला हैं। जिनके प्रमुख उप निदेशक है। कार्य[संपादित करें]मूलतः निदेशालय निम्नलिखित कार्य करता हैः
इतिहास[संपादित करें]प्रवर्तन निदेशालय की स्थापना 01 मई, 1956 को हुई थी, जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम,1947 (फेरा,1947) के अंतर्गत विनिमय नियंत्रण विधियों के उल्लंघन को रोकने के लिए आर्थिक कार्य विभाग के नियंत्रण में एक ‘प्रवर्तन इकाई’ गठित की गई थी। विधिक सेवा के एक अधिकारी, प्रवर्तन निदेशक के रूप में, इस इकाई के मुखिया थे, जिनके संरक्षण में यह इकाई भारतीय रिजर्व बैंक से प्रतिनियुक्ति के आधार पर एक अधिकारी और विशेष पुलिस स्थापना से 03 निरीक्षकों की सहायता से कार्य करती थी । आरम्भ में केवल मुम्बई और कलकत्ता में इसकी शाखाएं थी । वर्ष 1957 में इस इकाई का ‘प्रवर्तन निदेशालय’ के रूप में पुनः नामकरण कर दिया गया था तथा मद्रास में इसकी एक और शाखा खोली गई। वर्ष 1960 इस निदेशालय का प्रशासनिक नियंत्रण, आर्थिक कार्य मंत्रालय से राजस्व विभाग में हस्तान्तरित कर दिया गया था। समय बदलता गया, फेरा ’47 निरसित हो गया और इसके स्थान पर फेरा, 1973 आ गया। 04 वर्ष की अवधि (1973-77) में निदेशालय को मंत्रीमण्डल सचिवालय, कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में रखा गया । आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया के चलते हुए, फेरा, 1973, जो कि एक नियामक कानून था, उसे निरसित कर दिया गया और 01 जून, 2000 से इसके स्थान पर एक नई विधि – विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) लागू की गई । बाद में, अंतरराष्ट्रीय धन शोधन व्यवस्था के अनुरूप, एक नया कानून धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) बना और प्रवर्तन निदेशालय को दिनांक 01.07.2005 से पीएमएलए को प्रवर्तित करने का दायित्व सौंपा गया । इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
ईडी का मतलब क्या होता है?ईडी का पूरा नाम Enforcement Directorate है ,जिसे हिंदी में प्रवर्तन निदेशालय के नाम से जाना जाता है।
एड डिपार्टमेंट का मतलब क्या होता है?2. प्रवर्तन निदेशालय (ED), फेमा, 1999 के उल्लंघन से संबंधित खुफिया जानकारी एकत्र करता है, विकसित करता है और सम्बंधित एजेंसियों के साथ उसे साझा करता है. ED को केंद्र और राज्य की खुफिया एजेंसियों, शिकायतों आदि से खुफिया जानकारी मिलती है.
निदेशालय का कार्य क्या है?प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) यानी ईडी (ED) एक वित्तीय जांच एजेंसी है, जो केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन काम करती है। ईडी पर यह आरोप भी लगते रहे हैं कि यह एजेंसी सरकार के इशारे पर उसके विरोधियों को ठिकाने लगाने का काम करती है। ईडी को आर्थिक मामलों की जांच के साथ ही गिरफ्तारी के अधिकार भी प्राप्त हैं।
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