हड़प्पा सभ्यता की खुदाई में क्या क्या मिला? - hadappa sabhyata kee khudaee mein kya kya mila?

हरियाणा में हिसार ज़िले के राखीगढ़ी गांव में हड़प्पा सभ्यता से जुड़े एक क्षेत्र की खुदाई के दौरान लगभग 4500 साल पुराने 'प्रेमी जोड़े' का कंकाल मिले हैं.

साल 2016 में भारत और दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों को ये कंकाल मिले थे और बीते दो सालों में इस जोड़े की मौत के पीछे की वजहों को लेकर शोध किया जा रहा था. इस शोध को अब एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में छापा जा चुका है.

पुरातत्वविद बसंत शिंदे ने इस संबंध में बीबीसी को बताया, ''एक महिला और एक पुरुष के ये कंकाल एक-दूसरे की ओर देखते हुए प्रतीत होते हैं. ऐसा लगता है जैसे ये एक प्रेमी जोड़ा रहा होगा और दोनों की मौत एक ही जगह पर हुई. लेकिन इनकी मौत कैसे हुई ये अभी भी एक रहस्य है.''

ये कंकाल आधे मीटर रेतीली ज़मीन में दफ़न थे. वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि मौत के वक़्त पुरुष की उम्र करीब 35 साल रही होगी और महिला लगभग 25 साल की होगी. दोनों की लंबाई क्रमशः 5 फ़ीट 8 इंच और 5 फ़ीट 6 इंच रही होगी. इन कंकालों की हड्डियां बिलकुल साधारण हैं. ऐसा नहीं लगता कि इन दोनों को किसी तरह की कोई बीमारी थी.

पुरातत्वविदों का कहना है कि इस तरह की क़ब्र किसी खास परंपरा का हिस्सा तो नहीं थीं. हां ये संभव है कि इस जोड़े की मौत एक साथ हुई हो और इसलिए इन्हें साथ में एक ही क़ब्र में दफ़नाया गया होगा.

राखीगढ़ी में मिली सभी चीज़ें बेहद आम हैं. ये वही चीज़े हैं जो अब तक हड़प्पा सभ्यता में मिलती आयी हैं. इस कंकाल के अलावा खुदाई में कुछ मिट्टी के बर्तन और कुछ गहने मिले हैं जो कांस्य युग के हैं. अर्ली इंडियन के लेखक टोनी जोसफ़ कहते हैं, ''हड़प्पा युग के अंतिम संस्कारों को देखें तो पता चलता है कि ये लोग साधारण परंपराओं का पालन करते थे.''

अगर मैसोपोटामिया सभ्यता की बात करें तो वहां राजाओं को मंहगे आभूषण, कलाकृतियों और बड़ी होर्डिंग के साथ दफ़नाया जाता था. ख़ास बात ये है कि मैसोपोटामिया की सभ्यता में कई ऐसे कंकाल मिले जिनमें हड़प्पा सभ्यता के आभूषण थे. ऐसा माना जाता है कि हड़प्पा सभ्यता के गहनों को उस वक़्त आयात किया जाता था.

पुरातत्वविदों का मानना है कि ये जोड़ा 1200 एकड़ की एक बस्ती में रहता था जहां लगभग 10 हज़ार लोगों के घर थे. भारत और पाकिस्तान में लगभग दो हज़ार हड़प्पा साइट की खोज की गई है. राखीगढ़ी अब हड़प्पा सभ्यता के सबसे बड़े शहर मोहन जोदाड़ो से भी बड़ा है.

राखीगढ़ी में पुरातत्वविदों को एक क़ब्रिस्तान में लगभग 70 क़ब्रें मिली हैं. लेकिन इस 'रहस्यमी जोड़े' के कंकाल ने सबसे ज़्यादा सुर्खियां बटोरी हैं.

पाकिस्तान के हड़प्पा-मोहनजोदड़ो में करीब 100 साल पहले (1920) सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों की खुदाई में मिला तांबा क्या राजस्थानके खेतड़ी की खानों से पहुंचाया गया था? इस सवाल का जवाब ढंूढऩे के लिए अमेरिका और जयपुर के भूवैज्ञानिक व पुरातत्वविद एक शोध शुरू करने जा रहे हैं। शुरुआत में सिंधु घाटी में मिले कॉपर और जीएसआई की रिपोर्ट के आधार पर खेतड़ी की पुराऐतिहासिक तांबा साइट से नमूने लेकर उन्हें अमेरिका की अत्याधुनिक लैब में जांचा जाएगा। इन वैज्ञानिकों के मुताबिक, करीब 4500 साल पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता (2500 ईसा पूर्व) में तांबा मिला था, लेकिन वहां आसपास तांबे की खान और उससे तांबा निकालने की कोई जानकारी नहीं मिली।

ऐसे में इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया कि उस सभ्यता के लोग तांबा कहां से लाए होंगे ?

एमके पंडित

इतिहास बदलने की संभावना

यह रिसर्च इसलिए महत्चपूर्ण है कि इसमें कोई जानकारी सामने आती है तो इतिहास को नई दिशा मिलेगी। और राजस्थान से तांबा के पाकिस्तान की सिंधु घाटी सभ्यता तक कैसे गया होगा। क्या यहां कोई और भी समृद्ध सिविलाइजेशन था, जिससे लोग संपर्क में थे आदि महत्वपूर्ण बातों की जानकारी मिलेगी।

दो साल चलेगा शोध

राजस्थान यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ भू वैज्ञानिक एमके पंडित और यूएस यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के आर्कियोलॉजी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. रेंडल लॉ सबसे पहले खेतड़ी और सिंधु घाटी सभ्यता में मिले कॉपर के सैंपल लेकर अमेरिकी की अत्याधुनिक लैब में दशमलव से भी 2-3 अंक नीचे के स्तर पर अध्ययन और तुलना करेंगे। रिसर्च में दो साल लगेंगे।

राजस्थान के बाद ईरान आदि जगहों पर मिले कॉपर का भी तुलनात्मक अध्ययन होगा।

वैज्ञानिकों का मानना है कि खेतड़ी कॉपर बेल्ट सबसे नजदीक (करीब 1500 किमी.) और मुफीद रही होगी। यहां तांबे के खनिज रूप में मिलने और प्रोसेस होने के जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को भी प्रमाण मिले हैं। इसकी पुष्टि के लिए दोनों जगहों से तांबे के रेडियोधर्मिता गुणों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा।

पुणे
हरियाणा के राखीगढ़ी में हड़प्पाकालीन सभ्यता की खुदाई के दौरान एक युगल के कंकाल मिले हैं। राखीगढ़ी में खुदाई का काम कर रहे पुणे के डेक्कन कॉलेज के पुरातत्वविदों ने बताया कि खुदाई के वक्त युवक (कंकाल) का मुंह युवती की तरफ था। यह पहली बार है जब हड़प्पा सभ्यता की खुदाई के दौरान किसी युगल की कब्र मिली है। हैरानी की बात यह है कि अब तक हड़प्पा सभ्यता से संबंधित कई कब्रिस्तानों की जांच की गई, लेकिन आज तक किसी भी युगल के इस तरह दफनाने का मामला सामने नहीं आया था।

राखीगढ़ी में खुदाई का काम कर रहे पुणे के डेक्कन कॉलेज के पुरातत्वविदों ने बताया कि युगल कंकाल का मुंह, हाथ और पैर सभी एक समान है। इससे साफ है कि दोनों को जवानी में एक साथ दफनाया गया था। यह निष्कर्ष हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका, एसीबी जर्नल ऑफ अनैटमी और सेल बायॉलजी में प्रकाशित किए गए थे।

पढ़ेंः हरियाणा के राखीगढ़ी में मिला 4500 साल पुराना कंकाल, DNA टेस्ट में 'आर्य जीन- R1a1' नदारद

पहली बार मिला युगल कंकाल
खुदाई और विश्लेषण यूनिवर्सिटी के पुरातत्व विभाग और इंस्टिट्यूट ऑफ फरेंसिक साइंस, सोल नैशनल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन द्वारा किया गया। पेपर के ऑथर्स में से एक वसंत शिंदे ने बताया कि भारतीय पुरातत्वविदों ने मिलकर युगलों के दफनाने पर चर्चा की। इससे पूर्व लोथल में खोजे गए एक हड़प्पा युगल कब्र को माना गया था कि वह विधवा थी और उसे अपने पति की मौत के बाद दफनाया गया था। वहीं विवादास्पद लोथल मामले को छोड़ दें तो, आज तक हड़प्पा कब्रिस्तानों से किसी भी कपल को दफनाने का मामला सामने नहीं आया है। यह एकमात्र युगल की कब्र होने की पुष्टि हुई है। हालांकि दूसरे पुरातत्वविदों की मानें तो दोनों के सेक्स अलग-अलग बता पाना कठिन है। हो सकता है कि दोनों युगल न हों।

पढ़ेंः गंगा घाटी और हड़प्पा सभ्यता के बीच थे व्यापारिक संबध !

दोनों के बीच था अटूट प्रेम!
पुरातत्वविदों ने कहा कि जिस तरह से युगल के कंकाल राखीगढ़ी में दफन मिले, उससे साफ है कि दोनों के बीच प्रेम था और यह स्नेह उनके मरने के बाद उनके कंकाल में नजर आया। हम सिर्फ अनुमान लगा सकते हैं कि जिन लोगों ने दोनों को दफनाया था, वे चाहते थे कि दोनों के बीच मरने के बाद भी प्यार बना रहे। उन्होंने कहा कि युगलों के दफनाने का मामला दूसरी प्राचीन सभ्यताओं में दुर्लभ नहीं है। इसके बावजूद यह अजीब है कि उन्हें अब तक हड़प्पा कब्रिस्तान में नहीं खोजा गया।

पढ़ेंःहड़प्पा से भी प्राचीन हैं हरियाणा में मिली इस सभ्यता के अवशेष

ऐसे पता चला सेक्स, उम्र और लंबाई
उन्होंने बताया कि युगल कब्र में दफन मिट्टी के बर्तनों और एक झालरवाली अकीक की गुरियां मिली हैं जो शायद युगलों में से महिला के हार का हिस्सा था। दोनों कंकालों को फील्ड सर्वे के बाद डेकन कॉलेज की लैब में जांच के लिए लाया गया था। कंकालों का लिंग पैल्विक का अध्ययन करने के बाद निर्धारित किया गया था। जिस समय उनकी मृत्यु हुई तब उनकी उम्र 21 से 35 साल की रही होगी। आदमी की लंबाई पांच फीट छह इंच और महिला की लंबाई पांच फीट दो इंच थी। दोनों की मौत एक ही समय पर हुई है। हो सकता है कि दोनों के एक साथ मरे हों और उसके बाद उन्हें दफनाया गया हो या फिर दोनों के एक साथ दफन किया गया हो जिससे उनकी मौत हुई हो।

इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ें

हड़प्पा सभ्यता की खुदाई में क्या क्या मिला था?

हड़प्पा की खुदाई के दौरान हरियाणा के राखीगढ़ी में एक युगल का कंकाल मिला है। इस कंकाल की जांच करने के बाद पाया गया है कि इनमें से एक महिला और एक पुरुष था। रिसर्च के बाद पाया गया कि पहली बार हड़प्पा की खुदाई के दौरान कोई युगल मिला है।

हड़प्पा से क्या क्या क्या मिला?

इस दौरान हड़प्पा से कई ऐसी ही चीजें मिली हैं, जिन्हें हिन्दू धर्म से जोड़ा जा सकता है। पुरोहित की एक मूर्ति, बैल, नंदी, मातृदेवी, बैलगाड़ी और शिवलिंग। 1940 में खुदाई के दौरान पुरातात्विकविभाग के एमएस वत्स को एक शिव लिंग मिला जो लगभग 5000 पुराना है।

हड़प्पा सभ्यता की क्या देन है?

सिन्धु सभ्यता की प्रमुख देन— (1) सिन्धु सभ्यता ने नगर सभ्यता से परिचित कराया। (2) सुव्यवस्थित नगर-नियोजन प्रणाली दी। (3) कुशल, जल-निकास प्रबन्धन का ज्ञान दिया। (4) कलात्मक दृष्टिकोण से परिचित कराया।

मोहनजोदड़ो में क्या क्या मिला?

इनमें गेहूँ, ताँबे और काँसे के बर्तन, मुहरें, वाद्य यंत्र, चाक पर बने बड़े-बड़े मिट्टी के मटके, ताँबे का शीशा, दो पाटों वाली चक्की, माप-तोल के पत्थर, चौपड़ की गोटियाँ, मिट्टी के कंगन, रंग-बिरंगे मनके आदि प्रमुख हैं।